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ऊ  ऊँच अटारी मधुर बतास, कहें घाघ घर ही कैलास. ऊंचा मकान और ठंडी हवा का आनंद जिस को प्राप्त हो उस के लिए घर पर ही कैलाश पर्वत है. ऊँच ...

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उ उँगलियों से पाहुंचा भारी होत. संगठन में शक्ति है. ऊँगलियाँ दसों चिराग. कारीगर और कलाकार की दसों उंगलियाँ चिराग के समान होती हैं. ऊ...

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ई ई जवानी मोहे ना भावे, सींक डोले हँसी आवे. बूढ़े लोगों को इस बात पर बड़ी चिढ मचती है कि जवान लोग बिना बात इतना क्यों हँसते हैं. सींक जै...

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इ इंचा खिंचा वह फिरे, जो पराए बीच में पड़े. जो दूसरों के मसलों में बीच में पड़ता है वह खुद ही परेशानी में पड़ जाता है (अपनी टांगें खिंचवा...

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आ, आं, आँ

आ गई तो ईद बरात नहीं तो काली जुम्मेरात।            भाग्य ने साथ दिया तो मौज ही मौज वर...

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अं

अं अंग लगी मक्खियाँ पीछा न छोड़तीं. जो लोग कोई लाभ पाने के लिए किसी के पीछे ही पड़ जाएं उन के लिए यह कहावत प्रयोग करते हैं. जानवर के घाव...

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  अ अकड़ी खेती, तड़की गाय तब जानो जब मुँह में जाय. अकड़ी - जिस खेत में बालियाँ न हों अथवा सूख रही हों, तड़की - जो गाय बिगड़ैल हो...

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ह हँड़िया चढ़ा नोन को रोवे. अदूरदर्शी लोगों के लिए यह कहावत कही गई है. हँड़िया को चूल्हे पर चढ़ा कर नमक ढूँढ़ रहे हैं. हँड़िया पकने तक कु...

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