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विद्या पढ़ी संजीवनी, निकले मति से हीन, ऐसे निर्बुद्धी जने, सिंह ने खा लये तीन

 विद्या प्राप्त करने के साथ बुद्धि होना आवश्यक है, वरना विद्या पाना खतरनाक हो सकता है. एक बार तीन युवक संजीवनी विद्या पढ़ कर लौट रहे थे...

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लाल बुझक्कड़ बूझिए, और न बूझा कोय; पाँव में चाकी बाँध के, हिरना कूदा होय

एक बार किसी गाँव के पास से रात में कोई हाथी निकल कर गया. उस गाँव के लोगों ने कभी हाथी नहीं देखा था. सुबह उठ के लोगों ने हाथी के पैरों क...

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लाल बुझक्कड़ बूझिए और न बूझा कोय, हो न हो अल्लाह की सुरमादानी होय

 एक गाँव के लोगों ने कभी ओखली मूसल नहीं देखा था. एक बार सुबह सुबह गाँव का कोई व्यक्ति गाँव के बाहर गया तो उसे वहाँ ओखली मूसल रखा दिखाई ...

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लाल बुझक्कड़ बूझिए और न बूझा कोय, कड़ी बरंगा टार के ऊपर ही को लेय

 आज कल के बच्चे लाल बुझक्कड़ का अर्थ नहीं जानते होंगे. किसी गाँव में लाल जी नाम के सज्जन थे जो नितांत मूर्ख गाँव वालों के बीच थोड़े से ब...

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रौन गौरई की कुतिया

 रौन और गौरई बुंदेलखंड में दो गाँव हैं जिनके बीच में ठीक ठाक दूरी है. एक कुतिया को खबर लगी कि दोनों गांवों में दावत है. उस के मन में लड...

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रोग का घर खांसी, लड़ाई का घर हाँसी

 इस कहावत में एक सीख तो यह दी गई है कि यदि किसी को लगातार खांसी आती हो तो उसे कोई गंभीर बीमारी हो सकती है. इसलिए उचित जाँच इत्यादि करा ...

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मेरी एक आंख फूटे कोई गम नहीं, पडोसी की दोनों फूटनी चाहिए

 ईर्ष्या की पराकाष्ठा. दूसरे को नुकसान पहुंचाने के लिए खुद भी नुकसान उठाने को तैयार रहने वाले ईर्ष्या में अंधे व्यक्ति के लिए यह कहावत ...

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मनुज बली नहिं होत है समय होत बलवान

मनुज बली नहिं होत है समय होत बलवान, भीलन लूटीं गोपियाँ वहि अर्जुन वहि बान. मनुष्य कितना भी योग्य और शूरवीर क्यों न हो समय उससे अधिक बलव...

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