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आया कुत्ता खा गया तू बैठी ढोल बजा

 

लापरवाही में गृहस्थी का नुकसान करने वाली महिलाओं के लिए यह कहावत कही जाती है. यह कहावत अमीर खुसरो की एक कहानी पर आधारित है जिसमें वह एक ही कविता में चार महिलाओं की कविता सुनाने की फरमाइश पूरी करते हैं. एक बार अमीर खुसरो कहीं जा रहे थे. रास्ते में उन्हें प्यास लग आई तो वह ढूँढ़ कर एक कुँए के पास पहुँछे. वहाँ कुछ स्त्रियाँ पानी भर रही थीं. उन्हों ने उन  महिलाओं से पीने को पानी माँगा. उन में से एक ने उन्हें पहचान लिया और वे सब उन से कविता सुनाने की जिद करने लगीं. उन में से एक ने खीर पर, दूसरी ने चरखे पर, तीसरी ने कुत्ते पर और चौथी ने ढोल पर कविता सुनाने के लिए कहा. इस पर उन्होंने यह कविता सुनाई – खीर पकाई जतन से, चरखा दिया जला, आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजा और चारों की फरमाइश को एक साथ निबटा दिया.

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