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  1. घट तोलामिठ बोला.बनिए की विशेषता बताई गई है, कम तौलते है और मीठा बोलते हैं. 2. जो कम तौलते हैं वे मीठा बोलते हैं.
  2. घड़ी घड़ी की मांगो खैर.कोई नहीं जानता कब क्या हो जाए, इसलिए ईश्वर को हमेशा याद करते रहना चाहिए और यह प्रार्थना करनी चाहिए कि सब कुशल रहे.
  3. घड़ी घड़ी को रंग न्यारो.किसी का समय सदा एक सा नहीं रहता.
  4. घड़ी भर का पता नहीं, जनम भर के सौदे.मनुष्य के जीवन का एक क्षण का भी भरोसा नहीं है लेकिन वह लम्बे समय की योजनाएं बनाता है. 
  5. घड़ी भर की बेशर्मीसारे दिन का आराम.कोई आप से किसी काम के लिए कहे और उस समय थोड़ी बेशर्मी दिखा कर मना कर दें तो फिर बड़ा आराम रहता है. (हांलाकि उस समय बुरा लगता है).
  6. घड़ी भर में घर जलेअढ़ाई घड़ी भद्रा.वारिश में अभी देर है और घर जला जा रहा है. मुसीबत सर पे हो और सहायता मिलने में देर हो तो. भद्रा – एक नक्षत्र जिसमें वर्षा का योग होता है.
  7. घड़ी में औलियाघड़ी में भूत.औलिया माने महात्मा या भूत भगाने वाला.. ऐसा व्यक्ति जिसका मूड पल पल में बदलता हो.
  8. घड़ी में तोला घड़ी में माशा.तोला और माशा किसी जमाने में तौलने की इकाइयाँ हुआ करती थीं. उस समय एक रुपये का सिक्का एक तोला (लगभग 7ग्राम) का होता था. माशा इसका दसवां हिस्सा होता था. कहावत का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जिसका मूड बहुत जल्दी जल्दी बदलता हो.
  9. घड़े को अरंड ही वज्र.अरंड की लकड़ी काफी कमजोर होती है परन्तु घड़े को फोड़ सकती है. गरीब आदमी को छोटी मोटी परेशानी भी बर्बाद कर सकती है.
  10. घड़े में से घड़ा नहीं भरा जाता.घर में एक घड़ा भरा हुआ रखा हो तो दूसरा घड़ा बाहर से भर कर लाना चाहिए. एक घड़े से पानी लौट कर दूसरा भरा तो क्या फायदा होगा.
  11. घड़े सरीखी ठीकरी, माँ सरीखी डीकरी.फूटे हुए घड़े का टुकड़ा भी घड़े के समान रंग रूप वाला होता है, इसी प्रकार बेटी भी माँ जैसी होती है.
  12. घना कुनबा घना दुखी, घना कुनबा घना सुखी.बड़े परिवार की परेशानियाँ भी अधिक है और सुख भी बहुत हैं.
  13. घनी सीघी छिपकली चुन –चुन कीड़े खाय.  ऊपर से सीधा-सादा दिखलाई पड़ने वाला भी कभी-कभी भीतर से बड़ा घातक होता है. 
  14. घमंडी का सर नीचा.अहंकारी व्यक्ति को अंततः नीचा देखना पड़ता है. इंग्लिश में कहावत है – Pride goes before a fall.
  15. घर आए कुत्ते का भी आदर होता हैअपने घर जो भी आए उसका अनादर नहीं करना चाहिए.
  16. घर आए नाग न पूजिएबाँबी पूजन जाए.घर पे जो नाग आया है उस की पूजा न करके दूर सांप की बांबी पूजने जा रहे हैं. अपने घर या आस पास की उपयोगी वस्तुओं की उपेक्षा कर के दूर की चीजों को अधिक महत्व देना.
  17. घर आएं तो माँ मारे, बाहर जाएं तो कुत्ता काटे.जब दोनों ओर संकट हो तो.
  18. घर आया बैरी भी पाहुना (घर आए बैरी को भी न मारिए)अपने घर कोई अतिथि आया है तो वह वैरी हो तब भी उसका यथोचित सत्कार करना चाहिए.
  19. घर कपड़ा और रोटी, और सब बात खोटी.मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताएँ हैं, रोटी कपड़ा और मकान.
  20. घर कर घर करसत्तर बला सर पर.गृहस्थी बसाने का मतलब है अनेकों मुसीबतें सर पे लेना.
  21. घर का अगुआ घर का बैरी, गाँव का अगुआ गाँव का बैरी.मुखिया चाहे घर का हो या गाँव का. यदि अनुशासन और न्याय प्रिय है तो सब उससे नाराज रहते हैं.
  22. घर का आदमी घर से बाहर भला.आदमी हमेशा घर से बाहर ही अच्छा रहता है. निठल्ला या लड़ाका हो तब तो घर से बाहर अच्छा है ही, कमाऊ हो तब भी घर से बाहर रहेगा तभी तो कमाएगा.
  23. घर का कुआँ है तो क्या डूब कर मरोगे.घर में कोई सुविधा उपलब्ध है तो उसका मूर्खतापूर्ण दुरूपयोग नहीं करना चाहिए. 
  24. घर का कोल्हू, तेली रूखी क्यों खाए.घर में तेल की भरमार हो तो कोई रूखा क्यों खाएगा.
  25. घर का गांजा और घर की चिलम(घर की दारू, घरवाले ही पीने वाले). जब घर वाले ही अपनी संतान को गलत काम सिखा कर बर्बाद करें.
  26. घर का गुड़ घर ही में फोड़ लो.जो बंटवारा करना है चुपचाप घर में ही कर लो, चार जनों के बीच तमाशा न बनाओ.
  27. घर का जोगी जोगिड़ाआन गाँव का सिद्ध.अपने घर या आस पास की उपयोगी वस्तुओं की उपेक्षा कर के दूर की चीजों को अधिक महत्व देना. घर में कोई साधु है उस का उपहास कर रहे हैं और दूसरे गाँव के महात्मा को सिद्ध बता रहे है. इंग्लिश में कहावत है – The prophet is not honoured at home.
  28. घर का द्वारखसम के हाथ.घर को गृह स्वामी ही चलाता है.
  29. घर का परोसनियाँ और अँधेरी रात.खाना परोसने वाला घर का आदमी है और अंधेरी रात है अत: कोई देख भी नहीं सकता कि वह किस को कितना परोस रहा है. फिर तो मौज ही मौज है. ऐसी ही एक कहावत है – मामा का ब्याह और माँ परोसन वारी.
  30. घर का बच्चा, काना भी अच्छा.अपना बच्चा कुरूप हो तब भी प्यारा लगता है.
  31. घर का बामन बैल बराबर.घर में कोई विद्वान व्यक्ति हो तो उसकी कद्र नहीं होती.
  32. घर का भेद और दिल का दर्द हरेक के सामने न कहे.अर्थ स्पष्ट है.
  33. घर का भेदी लंका ढाए.रावण और मेघनाथ महापराक्रमी और मायावी थे और उनके पास सब साधनों से संपन्न राक्षस सेना थी. दूसरी ओर राम के पास साधन विहीन वानर सेना थी इसलिए रावण और मेघनाथ को मारना और लंका को जीतना आसान नहीं था. विभीषण ने जो भेद की बातें राम को बताईं उन की सहायता से ही रावण को मारना संभव हो सका. जब कोई व्यक्ति घर के भेद बाहर वालों को बताकर अपने घर को नुकसान पहुंचाता है तब यह कहावत कही जाती है. 
  34. घर का लड़का चाकी चाटेओझा जी को सीधा.घर के लोग भूखों मर रहे हैं और झाड़ फूंक करने वालों पर धन बर्बाद किया जा रहा है.
  35. घर का लड़का भूखा मरेपड़ोसियों को खीर चूरमा.घर के लोगो की बेकदरी कर के बाहर के लोगों को खुश करना.
  36. घर का ही देव, घर के ही पुजारी.जैसे आजकल के कुछ परिवार वादी राजनैतिक दल.
  37. घर की आग ना देखें पहाड़ की आग देखे (घर जलता नजर न आए, पहाड़ की आग देखन जाए).अपना घर जल रहा है उसे नहीं देख रहे हैं, और कहीं आग लगी है वहाँ तमाशा देखने जा रहे हैं. 
  38. घर की खांड किरकरी लागेचोरी को गुड़ मीठा.जो चीज़ सहज ही उपलब्ध है वह अच्छी नहीं लगती. जो मुश्किल से मिले (चाहे चोरी करना पड़े) वह अच्छी लगती है. इंग्लिश में कहावत है – Stolen fruits are the sweetest.
  39. घर की खाये, सदा सुख पाये.जो व्यक्ति अपने उपलब्ध संसाधनों में काम चलाता है वह सदा सुखी रहता है.
  40. घर की गाय और घर के ही सांड.सब कुछ घर में ही उपलब्ध है, किसी पर आश्रित नहीं हैं.
  41. घर की जोरू की चौकसी कहाँ तक.अगर घर का ही कोई व्यक्ति चोरी करने लग जाए तो चोरी से कैसे बचा जा सकता है.
  42. घर की दाही वन गयीवन में लागी आग.अभागा और प्रताड़ित व्यक्ति कहीं भी जाए दुर्भाग्य उस का साथ नहीं छोड़ता. दाही – जली. 
  43. घर की धुनियानीधुने आग पानी.धुनिया उसे कहते हैं जो रुई धुनता है. घर में कोई रुई धुनने वाली होगी तो रुई न मिलने पर और चीजों को धुनने लगेगी. 
  44. घर की फूट घर को खाय.घर के लोगों में मतभेद और झगड़ा घर को बर्बाद कर देता है.
  45. घर की फूट जगत की लूट.जिस घर के लोगों में आपसी झगड़े होते हैं उसे दुनिया के लोग लूट लेते हैं.
  46. घर की फूट, लोक की हांसी (घर की हान लोक की हांसी)घर के लोग आपस में लड़ते हैं तो दुनिया तमाशा देखती है.
  47. घर की बिल्ली और घर ही में शिकार.अपने परिवार के लोगों को धोखा देना.
  48. घर की बीबी हांडनीघर कुत्तों जोग.घर की स्त्री बहुत बाहर घूमने वाली हो तो घर बरबाद हो जाता है.
  49. घर की मुर्गी दाल बराबर.जो चीज़ घर में मौजूद हो उस की कीमत लोग नहीं समझते. 
  50. घर के चोर के खोज कैसे मिलें.खोज – पैरों के निशान. कहीं पर चोरी होती है तो पैरों के निशान देख कर यह पता लगाया जाता है कि बाहर से कौन आया होगा. घर के किसी आदमी ने चोरी की हो तो पैरों के निशान से कोई सहायता नहीं मिलेगी.
  51. घर के जाए के दिन गिनो या दांत.जानवर की उम्र कितनी है इस का अंदाज़ उसके दांत गिन कर लगाया जाता है, लेकिन जो बछड़ा घर में पैदा हुआ है उस के दांत गिनने की क्या जरूरत. उस का जन्म तो याद ही होता है.
  52. घर के ना घाट के माई के न बाप के.नितांत आवारा.
  53. घर के पीर को तेल का मलीदा.मलीदा एक विशेष प्रकार का पकवान है जो खूब सारा घी डाल कर बनता है. घर में कोई साधु संत है तो उसे तेल से बना घटिया मलीदा खिलाया जा रहा है.
  54. घर के सरकंडे से आँख फूटी.यदि घर का ही कोई व्यक्ति बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाए.
  55. घर के सिंगारलीपा पोता आंगन और पहनी ओढ़ी नार.घर कब अच्छा लगता है, जब आंगन लीपा पोता हो (पहले के जमाने में सफाई करने के बाद आंगन को गोबर या चकनी मिट्टी से लीपते थे) और गृहणी अच्छे कपड़े पहने हो. 
  56. घर के ही नन्द बाबा और घर की ही यशोदा.जब नटखट कृष्ण कोई शैतानी करते थे तो गोप गोपियाँ नंद बाबा और यशोदा से ही शिकायत करने आते थे और यह जानते भी थे कि वे कुछ नहीं करेंगे. वास्तव में कृष्ण सभी के इतने प्रिय थे कि वे लोग स्वयं भी नहीं चाहते थे कि कृष्ण का कुछ अहित हो.   
  57. घर खीर तो बाहर खीर.घर में आपकी पूछ होगी तभी बाहर भी होगी. बेटा घर से बाहर जा रहा था, माँ ने कहा कुछ खा के जा. बेटा बोला, माँ बहुत जगह जाना है सब जगह कुछ न कुछ खाना पड़ेगा. उस दिन कहीं कुछ खाने को नहीं मिला. लौट कर माँ को बताया तो माँ ने कहा, बेटा! घर खीर तो बाहर खीर.
  58. घर घर मटियारे चूल्हे हैं.झगड़े झंझट हर घर में हैं. मटियारे – मिटटी के.
  59. घर घर मित्र न कर सको तो गाँव गाँव में एक. (घर घर मीत न कीजेतो गाँव गाँव तो कीजे).हर घर में मित्र न बना पाएं तो कम से कम हर गाँव में एक तो बनाएं.
  60. घर घर शादीघर घर गम (जहाँ ख़ुशी वहाँ रंज).यह संसार है, जहाँ ख़ुशी है वहाँ कुछ न कुछ दुःख भी है.
  61. घर चैन तो बाहर चैन.घर में सुख होगा तभी व्यक्ति तनाव रहित हो कर बाहर भी चैन से काम कर पाएगा.
  62. घर जल गया तब चूड़ियाँ पूछीं.एक स्त्री ने नई चूड़ियाँ बनवाई. इत्तेफाक से किसी ने चूड़ियों के लिए पूछा ही नहीं. हताश हो कर उसने अपने घर में आग लगा ली और हाथ उठा उठा कर लोगों को दिखाने लगी कि देखो मेरे घर में आग लग गई. तभी किसी औरत का ध्यान उसकी चूड़ियों पर गया और उसने पूछ कि ये चूड़ियाँ तुमने कब बनवाईं. तब वह स्त्री बोली, बहन! पहले ही पूछ लेतीं तो मैं घर में आग क्यों लगाती.
  63. घर जला कर उजाला कौन करता है.अर्थ स्पष्ट है.
  64. घर जलेगा तो चूहे भी सुख नहीं पाएंगेघर में आग लगती है तो घर को नुकसान पहुँचाने वाले चूहों को भी नुकसान ही होता है. देश विरोधी तत्वों को भी ऐसा सोच कर देश को आग में नहीं धकेलना चाहिए.
  65. घर जाना हो तो पाँव नहीं दुखते.जब मन माफिक काम करना हो तो थकान नहीं होती.
  66. घर तंग बहू जबरंग.घर में साधनों की कमी और बहू खर्चीली.
  67. घर तो नागर बेल पड़ी, पड़ोसन को खोसै फूस. अपने पास सब कुछ होते हुए भी दूसरे की तुच्छ वस्तुओं को भी हड़पता है.
  68. घर पर काम, कूएँ पर विश्राम. उल्टा काम. कायदे में कुएँ पर काम और घर पर आराम होना चाहिए.  2. कोई व्यक्ति घर पर काम करने को कहा जाएगा इस डर से कुएँ पर जा कर लेटा है.
  69. घर फूंक कर छत्ता जलाना (घर फूंक कर बर्रैया मारे).बर्र के छत्ते को जलाने के लिए घर में आग लगाने वाले के लिए. छोटी मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए बड़ा नुकसान उठाना.
  70. घर फूटे गँवार लूटे.अगर घर में फूट पड़ जाए मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी आप को लूट सकता है.
  71. घर फूटे घर जाए.आपसी फूट से घर बर्बाद होता है.
  72. घर बार तुम्हाराताला चाबी हमारा.किसी का झूठा आदर सत्कार करना. सास भी नई बहू से ऐसे ही कहती है.
  73. घर बैठे आधा भला.घर बैठे थोड़ा लाभ भी मिल जाए तो वह बाहर भटक कर मिलने वाले अधिक लाभ से अच्छा है.
  74. घर बैठे गंगा आई.बड़े भाग्य से लोगों को गंगा में नहाने को मिलता है. किसी के घर में ही गंगा आ जाए तो इससे बड़ा भाग्य क्या होगा. बैठे बिठाए किसी को कोई बहुत बड़ी चीज़ मिल जाए तो यह कहावत कही जाती है. 
  75. घर भर दढ़ियल, चूल्हा कौन फूंके.दढ़ियल – दाढ़ी वाला. लम्बी दाढ़ी वाला व्यक्ति चूल्हा फूंकता है तो दाढ़ी में आग लगने का डर रहता है. घर के सभी लोगों में कोई न कोई ऐब है तो घर का काम कौन करेगा.
  76. घर भाड़ेहाट भाड़ेपूंजी लागे ब्याजमुनीम बैठा रोटी झाड़ेदीवाला निकले कैसी लाज.घर किराए का, दूकान किराए की, पूंजी उधार की जिस पर ब्याज लग रहा है, नौकर चाकरों को तनखाह भी दे रहे हैं, अब दीवाला निकलने में क्या देर है.
  77. घर भी बैठो और जान भी खाओ.निकम्मे पति से परेशान महिला का कथन.
  78. घर मिले तो वर न मिले और वर मिले तो घर न मिले.कन्या के लिए वर ढूँढने जाएँ तो यह ख़ास परेशानी होती है, जहाँ वर अच्छा हो वहाँ घर अच्छा नहीं होता और जहाँ घर अच्छा हो वहाँ वर अच्छा नहीं होता.
  79. घर में अंधियाराघुड़साल में दिया. (बुन्देलखंडी कहावत)उल्टा काम, घर में अँधेरा है लेकिन घुड़साल में दिया जला रहे हैं. 2. घुड़साल जैसी महत्वपूर्ण जगह पर दिया जलाना आवश्यक है चाहे घर में अँधेरा हो. (पहले अर्थ से उल्टा)
  80. घर में आई जोयटेढ़ी पगड़ी सीधी होय.शादी के बाद टेढ़े भी सीधे हो जाते हैं.
  81. घर में उजियारी घरवाली से.घर की शोभा गृहिणी से ही होती है.
  82. घर में कसाला. ओढ़े दुशाला.कसाला – तंगी, खाने की कमी. घर में तंगी होते हुए भी फिजूलखर्ची करना.
  83. घर में कोल्हूतेली खाय सूखा.जो तेली सब के लिए तेल निकालता है वही बेचारा रूखा सूखा खाता है. जहां चीज़ की बहुतायत होनी चाहिए वहीं उसका अभाव हो तो.
  84. घर में खरच न, ड्योढ़ी पर नाच.कुछ न होते हुए भी दिखावा करना. (पहले जमाने में रईस लोग आम लोगों के मनोरंजन के लिए अपने घर के बाहर नाच आदि का आयोजन करते थे).
  85. घर में खाने का टोटातिस पर पाहुनों की मार.एक तो घर में खाने की कमी है ऊपर से बहुत सारे मेहमान आ गए हैं.
  86. घर में घरलड़ाई का डर.एक घर में दो परिवार रहते हों तो लड़ाई होने की काफी संभावना रहती है.
  87. घर में चाकी, घर में चूल्हा, पर घर पीसे जाय, पड़ोसन से लगी बतियाने, आटा कूकर खाय.जो लोग घर में साधन होते हुए भी दूसरों के यहाँ चक्कर लगाते है और बातें करने में समय गंवाते हैं उन का घर बर्बाद हो जाता है.
  88. घर में चिराग नहींबाहर मशाल.घर में कुछ न होते हुए भी तडक भडक और दिखावा करना. 
  89. घर में चूहों की एकादशी.बहुत अधिक गरीबी. (चूहों तक को व्रत रखना पड़ रहा है).
  90. घर में जनाना पैर तो टिका.एक आदमी इस बात से बहुत परेशान था कि उस की शादी नहीं हो पा रही थी. एक बार पड़ोस की मुर्गी उस के घर में घुस गई. किसी ने आवाज़ दे कर उस से कहा कि तेरे घर में मुर्गी घुस गई है, जल्दी निकाल दे. वह बड़े इत्मीनान से बोला, कोई बात नहीं, अच्छा शगुन है, घर में कोई जनाना पैर तो टिका. 
  91. घर में जो शहद मिलेकाहे को वन जाए.आवश्यकता की वस्तु घर में ही उपलब्ध हो तो बाहर क्यों भटकना पड़े.
  92. घर में जोरू का नाम महारानी रख लो.अपने घर में कुछ भी करो, कौन रोकने वाला है. (जैसे एक सज्जन ने कोई समिति बनाई और अपने को उसका राष्ट्रीय अध्यक्ष बना लिया).
  93. घर में तो फाका पड़ेसाधू न्यौतन जाए.घर वालों को खाने के लाले पड़ रहे हैं और साधु को निमंत्रण देने जा रहे है. मूर्खता भी और अंधविश्वास भी.
  94. घर में दवाहाय हम मरे.सब कुछ होते हुए भी व्यर्थ का रोना.
  95. घर में दिया जला कर चौराहे पर (मस्जिद में) दिया जलाना.सामाजिक कार्य करने से पहले अपने घर की न्यूनतम आवश्यकताएं पूरी करना चाहिए.
  96. घर में दिया न बातीमुंडो फिरें इतराती.घर में कुछ न होते हुए भी झूठी शान दिखाना.
  97. घर में देखो चलनी न छाजबाहर मियाँ तीरंदाज़. (घर में देखी छलनी न छाज, बाहर मियाँ तीरंदाज़). घर में कुछ नहीं है, बाहर तीस मार खां बने घूमते हैं.
  98. घर में धन आता हैलोग हंसें तो हंसने दोहलवा खाते दांत घिसें तो घिसने दो.कोई काम करने से घर में धन आता है और लोग उस पर हंसते हैं तो हंसने दो. किसी काम में अत्यधिक सुख मिलता है और थोड़ा सा नुकसान भी है तो होने दो.
  99. घर में धान न पानबीबी को बड़ा गुमान.घर में आवश्यकता की चीजें भी नहीं हैं पर बीबी जी को बड़ा घमंड है.
  100. घर में नहीं दानेशादी चले रचाने.घर मे कुछ न होते हुए भी बड़े बड़े आयोजन करने की सोचना. 
  101. घर में नारी आंगन सोवेरन में चढ़ के छत्री रोवेरात को सतुआ करे बियारीघाघ मरे तिन्ह की महतारी.जो घर में पत्नी के होते हुए आंगन में सोता है, जो क्षत्रिय रण में रोता है, जो कोई रात में सत्तू का सेवन करता है, इन सब की माएं रो रो के मर जाती हैं. 
  102. घर में नाहीं चून चने को ठाकुर बड़ियाँ खावें, मुझ दुखिया पे धोती नाहीं कुत्ता झूल सियावें.घर में चने का आता तक नहीं है और ठाकुर को बड़ियाँ खाने की सूझ रही है, पत्नी के पास ढंग की धोती नहीं है और कुत्ते के लिए झूल सिल्वा रहे हैं. जहाँ तंगी भी हो और कुप्रबंधन भी हो.
  103. घर में बबूल बोए तो पांवों में कांटे तो गड़ेंगे हीगलत काम का बुरा ही परिणाम.
  104. घर में बीवी पान नरंगीबाहर मियाँ कलुआ भंगी.घर में बीवी खूब बन ठन के रहती हैं और बाहर पति बड़ी दीन हीन हालत में काम कर रहा है. भंगी शब्द पर बहुत से लोगों को आपत्ति हो सकती है, पर इससे इतना तो मालूम होता ही है कि उस समय सफाई सेवकों की दशा खराब थी.
  105. घर में ब्याहबहू कंडों को डोले.घर में कोई बहुत बड़ा काम होना है और घर के महत्वपूर्ण व्यक्ति को छोटे से काम में लगा दिया है.
  106. घर में भूँजी भाँग नहींबाहर करता नाच.घर में कुछ नहीं है, बाहर दिखावा करते घूम रहे हैं.
  107. घर में महुआ की रोटीबाहर लम्बी धोती.घर में गरीबी का यह आलम है कि महुआ जैसे घटिया अनाज की रोटी खा रहे हैं, और बाहर दिखावे के लिए लम्बी धोती पहन रखी है.
  108. घर में मूसे दंड पेलें, बाहर मिर्ज़ा होली खेलें.घर में इतना कुप्रबंधन है कि चूहों की मौज हो रही है, और गृहस्वामी बाहर होली खेल रहे हैं.
  109. घर में शेर, बाहर भेड़ (राजस्थानी कहावत).घर के लोगों पर रौब झाड़ना और बाहर भीगी बिल्ली बन जाना.
  110. घर में संटी, बच्चे पिटने को तरसें.घर में अनुशासन लागू न किया या जाए तो बच्चे बिगड़ जाते हैं.इंग्लिश में कहावत है – spare the rod and spoil your child.
  111. घर में साला दीवार में आला, आज नहीं तो कल दीवाला (भीत में आला और घर में साला ठीक न होते).दीवार में आला होने से दीवार कमज़ोर होती है और घर में साले के रहने से घर कमजोर होता है. महाभारत का शकुनि सबसे बड़ा उदाहरण है. 
  112. घर में ही औलिया घर में ही भूत.औलिया – भूत भगाने वाला. बीमारी भी घर में है और डॉक्टर भी.
  113. घर मेरो दूर गागर सिर भारी.काम मुश्किल भी है और जल्दी निबटने वाला भी नहीं है.
  114. घर यार कापूत भतार का.दुश्चरित्र स्त्री के लिए जो गैर पुरुष से संबंध रखती है पर पुत्र को पति का बताती है.
  115. घर रहे घर की खायबाहर रहे तो भी घर को खाय.निठल्ले आदमी के लिए.
  116. घर रहे न तीरथ गएमूंड मुंड़ा के जोगी भए (फजीहत भए).मूंड मुंडा के घर के भी नहीं रहे और न ही तीरथ कर के जोगी बन पाए. बेकार में अपनी फजीहत करा ली.
  117. घर ला चीज़ उतनीकाम आवे जितनी.उतना ही सामान घर में लाना चाहिए जितना काम आए. अनावश्यक वस्तुओं का ढेर नहीं लगाना चाहिए.
  118. घर सब से उत्तमपूरब हो के पच्छम.सबसे आराम दायक जगह घर ही है चाहे वह कहीं भी हो.
  119. घर सुधारयां गांव सुधरे.(राजस्थानी कहावत) हर व्यक्ति अपना घर संभाल ले तो पूरा गाँव ठीक हो जाएगा.
  120. घर से खेत कितना, जितना खेत से घर.किसी बात का सीधा जवाब न देना.
  121. घर से घर नहीं चलता. आप किसी की सहायता कर सकते हैं पर उसका पूरा खर्च नहीं उठा सकते. 2. घर का मुखिया घर में ही बैठा रहेगा तो घर नहीं चल सकता.
  122. घर से निकली बेटी को जम ले जाय या जमाईवह घर लौट कर नहीं आती.पहले के जमाने में यह मान्यता थी की स्त्री की मायके से डोली उठनी चाहिए और ससुराल से सीधे अर्थी ही उठनी चाहिए.
  123. घर ही में वैदमरे कैसे.मूर्खता पूर्ण प्रश्न. मृत्यु तो अवश्यम्भावी है, खुद वैद्य को भी एक दिन मरना है.
  124. घर हीना देना पर वर हीना मत देना.लड़की अपने माता पिता से कहती है कि एक बार को मुझे कमजोर घर में दे देना, पर निखट्टू वर को मत दे देना.
  125. घरनी बिना घर कैसा.घर गृहणी से ही होता है. (बिन घरनी घर भूत का डेरा).
  126. घरवाले का एक घरनिघरे के सौ घर.गृहस्थ व्यक्ति का एक ही घर होता है, घर विहीन व्यक्ति के लिए हर जगह घर है.
  127. घरै बाबरा, बाहर सयाना.ऐसे व्यक्ति के लिए जिस के गुणों की कद्र उस के घर वाले न करते हों. 
  128. घाघरे का चीलर, पालते बने न निकालते बने.घाघरे में चीलर लग जाए तो सब के सामने निकाल भी नहीं सकती और न निकाले तो वह काटता रहेगा. कोई संबंधी यदि नीचता पर उतारू हो जाए तो.
  129. घाघरे का रिश्ता.पत्नी की तरफ के रिश्तेदार.
  130. घाट-घाट का पानी पी के होखल बड़का संत.(भोजपुरी कहावत) जगह जगह मुंह मारते हैं और अपने को बड़ा संत घोषित करते हैं.
  131. घाटा डेढ़ हजार कानाम हजारी लाल.गुण के विपरीत नाम. कहावत उस समय की है (जब हजार रूपये बहुत बड़ी रकम होती थी).
  132. घाटी का पानी पहाड़ पर नहीं चढ़ता.कोई असम्भव बात कर रहा हो तो उस का मजाक उड़ाने के लिए.
  133. घाटे में बनिया बही टटोले.बनिया घाटे में चल रहा होता है तो अपना पुराना बही खाता टटोलता है कि शायद किसी पर लेनदारी निकल आए. 
  134. घायल की गति घायल जानेऔर न जाने कोय.दुखी व्यक्ति की हालत दुखी ही जानता है.
  135. घायल दुश्मनों मेंसाँस ले तो मरे साँस न ले तो मरे.घायल व्यक्ति दुश्मनों के बीच में सांस रोक के पड़ा है, अगर सांस लेगा तो दुश्मन समझ जाएंगे कि वह जिन्दा है और उसे मार डालेंगे. अगर सांस नहीं लेगा तब भी मर जाएगा. बहुत बड़ी दुविधा में फंसे व्यक्ति के लिए.
  136. घाव भर जाता है पर निशान रह जाता है.किसी ने आप के साथ दुर्व्यवहार किया हो और समय के साथ आप उसे भूल जाएं तो भी उस की कसक मन में रहती है.
  137. घाव से टीस बड़ीजब शरीर के घाव से मन का घाव बड़ा हो.
  138. घास काटने जाए और कसार का तोसा.कसार – घी, आटे, बूरा और मेवा से बनने वाली मिठाई, तोसा – काम पर जाने वाले जो खाना ले जाते हैं. किसी काम में जितनी कमाई न हो उससे ज्यादा खर्च करना.
  139. घास की छाया कितनी.छोटे आदमी से कितना सहारा हो सकता है.
  140. घिरी हुई बिल्ली कुत्ते से पंजा लड़ाती है.संकट में फंसा व्यक्ति अपने से अधिक ताकतवर से भी भिड़ जाता है.
  141. घिस घिस कर ही गोल होता है.नदी के साथ बहने वाले पत्थर घिस कर गोल हो जाते हैं. कुछ बनने के लिए कष्ट उठाने पड़ते हैं.
  142. घिसे बिना चमक कहाँ.लकड़ी और पत्थर को घिसने पर ही चमक आती है. उन्नति करने के लिए कष्ट उठाना आवश्यक है.
  143. घी कबीरा खा गया, छाछ पाई संसार.ज्ञान का घी कबीर ने चख लिया, दुनिया को बची हुई छाछ ही मिली है.
  144. घी कहाँ गयाखिचड़ी मेंखिचड़ी कहाँ गईपेट में.किसी वस्तु का सही काम में उपयोग हो जाना.
  145. घी का चूरमा, भैरों जी को भाए न.भैरों जी को तेल का चूरमा ही चढ़ाया जाता है. अगर कोई बच्चा घर के स्वादिष्ट और स्वास्थ्य प्रद भोजन के स्थान पर बाजार का चटर पटर खाने को मांगे.
  146. घी का लड्डू टेढो भलो.उपयोगी वस्तु देखने में अच्छी न भी तो भी ठीक लगती है.
  147. घी की हंडिया से बेटों को जिमाए, खट्टी छाछ बेटियों को खिलाए.पुराने समय में बेटों और बेटियों में बहुत भेदभाव होता था.
  148. घी खाने से ताकत आती है, लगाने से नहीं. अर्थ स्पष्ट है.
  149. घी खावत बल तन में आवेघी आँखों की जोत बढ़ावे.पहले के लोग मानते थे कि घी खाने से शरीर में ताकत आती है और आँखों की ज्योति बढ़ती है. वैसे आँखों की ज्योति वाली बात ठीक भी है क्योंकि घी में विटामिन ‘ए’ होता है.
  150. घी खिचड़ी का मेल.एक दूसरे का महत्व बढ़ाने वाली दो चीजों का मेल.
  151. घी गिर गयामुझे रूखी भाती है.घी गिर गया तो समझदारी इसी में है कि यह कहें हमें तो रूखी रोटी पसंद है. (मजबूरी का नाम महात्मा गांधी),
  152. घी गुड़ आटा तेराफूंक आग और पानी मेरा.बिना लागत लगाए साझा करने की कोशिश करना. 
  153. घी गुड़ मीठा या दुलहन.बरातियों को अच्छा खाना प्रिय है पर दूल्हे को तो दुल्हन ही अधिक प्रिय है.
  154. घी जाट का और तेल हाट का.घी गाँव से लिया अच्छा होता है क्यों कि ताज़ा होता है और मिलावट की संभावना कम होती है, तेल बाजार से लिया अधिक अच्छा होता है क्यों कि साफ़ किया हुआ होता है.
  155. घी जिमावे सास, पोतों की आस.सास बहू को घी खिलाती है, जिससे उसकी संतान (पोता) हृष्ट पुष्ट हो.  
  156. घी डालते कौन मना करता हैअपने भले के लिए कौन मना करता है.
  157. घी डाले आग नहीं बुझती.आग में घी डालना एक मुहावरा है जिसका अर्थ है लड़ाई को और भड़काना. कहावत का अर्थ है कि लड़ाई को और भड़काने वाला काम करोगे तो लड़ाई शांत नहीं होगी. 
  158. घी तो निकल गया, छाछ ही बची है.किसी संगठन में से श्रेष्ठ व्यक्तियों के निकल जाने पर यह कहावत बोली जाएगी.
  159. घी न खाया, कुप्पा तो बजाया.कुप्पा – बड़ा मटका. कुप्पे को उंगली से बजा कर देखते हैं कि वह कितना भरा है. यह कहावत उसी प्रकार है जैसे ब्याह नहीं किया तो क्या, बारात तो गए हैं. 
  160. घी नहीं है तो कुप्पा ही बजाओ.अभावों में समय काटना हो तो समझदारी इसी में है.
  161. घी बिना रूखा कसार, बच्चों बिना सूना संसार.अर्थ स्पष्ट है.
  162. घी भी खाएं तो खेसारी की दाल में.खेसारी की दाल घटिया मानी जाती है. उस में घी डाल कर खाना घी का अपमान करना है.
  163. घी भी खाओ और पगड़ी भी रखो (घी खाना है तो पगड़ी रख कर खाओ).अच्छा खाना सब चाहते हैं लेकिन उसके लिए अपनी प्रतिष्ठा पर आंच मत आने दो.
  164. घी मिले तो गोड़ चलें.पुराने लोग मानते थे कि घी खाने से ही ताकत आती है. गोड़ – घुटने.
  165. घी शक्कर और दूध की मलाई हो, सात भाइयों में कमाई सवाई हो, घर में सोना चांदी हो बाजार में हुंडी चले, इतना दे दो प्रभु कुछ और मिले ना मिले.सब कुछ मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि प्रभु बस इतना दे दो.
  166. घी सम्हाले ताहरीनाम बहू को होए.नई बहू से ताहरी बनाने के लिए कहा गया. उसने खूब सारा घी डाल कर बढ़िया ताहरी बना दी. सबने ताहरी की तारीफ़ की तो सास ने जल कर यह बात कही. जरूरत से अधिक साधनों का उपयोग कर के कोई काम किया जाए तो यह कहावत कहते हैं. इसको ऐसे भी कहते हैं – घी संवारे काम, बड़ी बहू को नाम.
  167. घुसिया हाकिमरुसिया चाकर.हाकिम घूसखोर हैं और उनका नौकर तुनक मिजाज है. रुसिया – गुस्सा करने वाला.
  168. घूँघट का मर्म गँवार कया जाने (घूँघट का भार, क्या जाने गंवार).मूर्ख व्यक्ति स्त्री की मर्यादा और महत्व को नहीं समझ सकता.
  169. घूँघट की मर्यादा तो मूँछ की भी मर्यादा (घूँघट का मान, मूँछों की शान).पुरुष यदि स्त्री का सम्मान करेगा तभी उसका सम्मान होगा.
  170. घूँघट में मकखी गटके.पर्दे की ओट में गलत काम करने वालों के लिए.
  171. घूँघट से सती नहींमूंड मुंडाए जती नहीं.घूँघट कर लेने मात्र से कोई स्त्री पतिव्रता नहीं बन जाती और सर मुंडा लेने से कोई योगी नहीं हो जाता.
  172. घूमे सो चरेबंधा भूखा मरे.जो जानवर आजाद है वह तो इधर उधर मुंह मार कर पेट भर लेता है पर जो खूंटे से बंधा है उसे खाना न मिले तो वह तो भूखा ही मरेगा. यही बात इंसानों पर भी ठीक बैठती है.
  173. घूर में पड़ा हीरा भी कूड़ा.व्यक्ति का महत्व उसके स्थान से होता है.
  174. घूरे का हंस (घूरे का रत्न)किसी गलत स्थान पर पड़ा हुआ कोई उत्तम वास्तु या व्यक्ति.
  175. घूरे की गाय, कूड़ा ही खाय.ओछी संगत में पड़ कर श्रेष्ठ व्यक्ति भी ओछे काम ही करता है.
  176. घूरे के साथ गोबर खुश.ओछा व्यक्ति उसी प्रकार के परिवेश में खुश रहता है.
  177. घूरे पर उगा आम का पेड़.किसी निकृष्ट व्यक्ति के घर अच्छी संतान का जन्म लेना.
  178. घूरे पर घूरा पड़ता है.जहाँ एक बार कूड़ा डालना शुरू कर दो वहाँ सभी लोग कूड़ा डालने लगते हैं. कोई व्यक्ति एक बार गलत काम करना शुरू कर दे तो उसे वैसा ही काम करने वाले लोग मिलने लगते हैं.
  179. घूरे पर भी मेंह बरसे और महलों पर भी. ईश्वर की कृपा सब पर बराबर से बरसती है.
  180. घूस चलती तो बनिया यमराज को भी घूस दे देता (घूस दिए मौत टले तो बनिया यमराज से भी न चूके)यदि परलोक में घूस देने की कोई व्यवस्था होती तो बनिया वहाँ भी घूस दे कर अपना काम निकाल लेता.
  181. घोड़ा और फोड़ाजितना सहलाओ उतना बढ़ते हैं.फोड़े को सहलाना नहीं चाहिए यह सीख देने के लिए यह कहावत कही गई है. यह भी बताया गया है कि घोड़े का बच्चा भी मालिश करने से जल्दी बड़ा होता है.
  182. घोड़ा को चढ़इया चूक जातराजा को सिपहिया चूक जातधन को धरैय्या चूक जातचूकत नहीं चुगला चुगलखोरी सों.(बुन्देलखंडी कहावत) घोड़े पर चढ़ने वाला घुड़सवार चूक सकता है, राजा का सिपाही चूक सकता है, धन को रखने वाला चूक सकता है, पर चुगलखोर चुगली करने से नहीं चूकता.
  183. घोड़ा घास से यारी करेगा तो खायगा क्या.यह एक बड़ी व्यवहारिक सी बात है की घोड़ा घास से दोस्ती नहीं कर सकता, वरना वह खाएगा क्या. कोई डॉक्टर अगर मरीज से फीस न ले तो यह कहावत कही जाएगी.
  184. घोड़ा चले चार घड़ी, ब्याज चले आठ घड़ी.उधार के पैसे का ब्याज दिन दूना रात चौगुना बढ़ता है.
  185. घोड़ा चाहिए विदा कोलौटते पे आना.जाने के लिए घोड़े की जरूरत है, जिससे मांगने गए वह कह रहा है कि लौटते पे ले लेना. जरूरत पर चीज़ न देने के लिए बहाना बनाना.
  186. घोड़ा दौड़े या घोड़ी दौड़े कौन जाने.बहुत सी बातों का अंदाज दूर से नहीं लगाया जा सकता.
  187. घोड़ा पहचाने सवार को.कोई नया सवार जैसे ही घोड़े पर बैठता है घोड़ा उसके हावभाव से तुरंत पहचान लेता है कि सवार कितना काबिल है. ऐसे ही मातहत कर्मचारी नए हाकिम की आदतों को तुरंत भांप लेते हैं.
  188. घोड़ा पालूं और पैदल चलूँ.अगर घोड़ा पालने के बाद भी पैदल चलना पड़े तो घोड़ा पालने का क्या फायदा हुआ. (कुत्ता पाले और पहरा दे)
  189. घोड़ा भला न लांगड़ारूख भला न झांगड़ा.लंगड़ा घोड़ा अच्छा नहीं होता और पेड़ के नाम पर झाड़ झंखाड़ अच्छा नहीं होता.
  190. घोड़ा भेज के वैद बुलाए, मर्ज घटा तो पैदल पठाए.काम निकल जाने के बाद कोई नहीं पूछता.
  191. घोड़ा है पर सवार नहीं.साधन तो हैं पर उनका उपयोग करने वाला सही व्यक्ति कोई नहीं है.
  192. घोड़ाटट्टूगजगऊपूतमीतधनमालकोऊ संग न जात हैजब लै जिउ निकाल.जब यमराज प्राण लेने आते हैं तो किसी भी प्रकार का धन और मित्र व सम्बन्धी साथ नहीं जाते.
  193. घोड़ा, मर्द और मकौड़ा, पकड़ने के बाद छोड़ते नहीं.अर्थ स्पष्ट है.
  194. घोड़ी नहलाएँ या पानी पिलाएँ.काम करने में बहाने बनाने वालों के लिए. 
  195. घोड़े का गिरा संभल सकता हैनजरों का गिरा नहीं.एक बार किसी का विश्वास खो देने पर दोबारा लौट कर नहीं आ सकता.
  196. घोड़े का हठ और औरत का हठ एक समानअर्थ स्पष्ट है.
  197. घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ाएगा.क्षुद्र मनोवृत्ति का व्यक्ति उन्नति करेगा तो खुद अपना ही भला करेगा, किसी और काम नहीं आएगा.
  198. घोड़े की नालबाजी में गदही पैर बढ़ावे (घोड़े के नाल ठुकती देख मेंढकी ने भी पंजा बढ़ा दिया).घोड़ों के पैर सड़क पर दौड़ने से घिस न जाएं इसके लिए उनके पैर में लोहे की नाल ठोंकी जाती है. घोड़े के नाल ठुकती देख कर गदही या मेंढकी ने भी अपना पैर आगे कर दिया. कोई मूर्ख और कमजोर आदमी बुद्धिमान और शक्तिशाली आदमी की बराबरी करने की कोशिश करे तो यह कहावत कही जाती है. 
  199. घोड़े की पूँछ पकड़ूँ क्या दोगे, के घोड़ा खुद ही दे देगा.मूर्खतापूर्ण प्रश्न पूछने वालों पर व्यंग्य.
  200. घोड़े की लात से घोड़े नहीं मरते.किसी बेईमान के हथकंडों से बेईमानों का नुकसान नहीं होता.
  201. घोड़े की सवारी और गठरी सिर पर.कोई व्यक्ति घोड़े की पीठ पर बैठा हो और गठरी अपने सर पर रखे हो वह निपट मूर्ख ही कहा जाएगा.
  202. घोड़े की सवारीचलता जनाजा.घोड़े की सवारी खतरनाक होती है.
  203. घोड़े को लातआदमी को बात.घोड़े को लात की भाषा ही समझ में आती है (घोड़े को दौड़ाने के लिए एड़ लगाते हैं), जबकि मनुष्य को बातों से समझाया जा सकता है. यहाँ घोड़े से मतलब मूर्ख या नीच आदमी से भी है.
  204. घोड़े घोड़े लड़ेंमोची का जीन टूटे.दो व्यक्तियों की लड़ाई में नुकसान किसी तीसरे का हो तो.
  205. घोड़े तो असवारों से ही दबते हैंघोड़ा कितना भी शक्तिशाली और उच्छ्रंखल क्यों न हो, अच्छे सवार उसे काबू कर लेते हैं.
  206. घोड़े भैंसे की लाग.दो बड़े आदमियों की टक्कर.
  207. घोड़े मर गएगधों का राज आया.योग्य व्यक्ति नहीं रहे, अब मूर्खों का राज है.
  208. घोड़े से गिर गिर कर ही घुड़सवार बनता है.चोट खा कर ही आदमी कुशल और मजबूत बनता है.
  209. घोड़ों का घर कितनी दूर.यदि आप काम करना चाहते हैं तो साधन कितनी भी दूर क्यों न हो आप उस तक पहुँच जाएँगे, यदि नहीं करना चाहते हैं तो साधन कितनी भी पास क्यों न हो आप बहाने बनाते रहेंगे. इसी प्रकार की दूसरी कहावत है – जहाँ चाह वहाँ राह.
  210. घोड़ों का दाना गधों को नहीं खिलाया जाताउत्तम सुविधाएँ प्राप्त करने के लिए उनके योग्य होना जरूरी है.
  211. घोड़ों की शोभा घुड़सवारों से.घोड़ा कितनी भी अच्छी नस्ल का क्यों न हो, उसकी शोभा अच्छे सवार से ही होती है.

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