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उँगलियों से पाहुंचा भारी होत. संगठन में शक्ति है.

ऊँगलियाँ दसों चिराग. कारीगर और कलाकार की दसों उंगलियाँ चिराग के समान होती हैं.

ऊँगली पकड़ाई पाहुंचा पकड़ लिया. किसी की थोड़ी सी सहायता की तो वह पीछे ही पड़ गया.

ऊँगली सूज कर अंगूठा नहीं बन सकती. किसी वस्तु की मूलभूत प्रकृति नहीं बदल सकती.

ऊँगली हिलाने से किसी का भला होता हो तो मना क्यूँ करें. अपने बिना प्रयास किये किसी का भला होता हो तो क्या हर्ज़ है.

उकताने काम नसाने, धीरज धरें सयाने. उकताने – उतावलेपन से, नसाने – नष्ट हो जाता है. जल्दबाजी में काम बिगड़ता है, इसलिए धैर्य से काम लेना चाहिए.

उगत उगे तो सागर भरे, डूबत उगे तो अकाल पड़े. सूर्योदय के समय यदि इंद्रधनुष निकलता है तो खूब वर्षा होती है, सूर्यास्त के समय निकले तो अकाल पड़ता है

उगता नहीं तपा, तो डूबता क्या तपेगा. जिसने युवावस्था में कोई प्रसिद्धि पाने लायक कार्य नहीं किया वह वृद्धावस्था में क्या करेगा.

उगता सूरज तपे. जब व्यक्ति कामयाबी की सीढियों पर चढ़ रहा होता है वह बहुत गर्मी दिखाता है.

उगते के गावें गीत, ढलते का कोई न मीत. उन्नति करते हुए व्यक्ति कि सब प्रशंसा करते हैं, पर यदि उसके बुरे दिन आ जाएँ तो दोस्त भी साथ छोड़ देते हैं.

उगते को सब पांय लगते हैं (उगते सूरज को सभी नमस्कार करते हैं). व्यक्ति उन्नति कर रहा होता है तो सभी उसका आदर करते हैं.

उगले सो अंधा खाए तो कोढ़ी. (सांप छछूंदर की गति) किसी ऐसी स्थिति में फंस जाना जिस में दोनों प्रकार से संकट हो. (सांप के विषय में कहा जाता है कि यदि वह छछूंदर को पकड़ ले तो बहुत संकट में पड़ जाता है, यदि वह उसे उगल दे तो अंधा हो जाएगा और अगर निगल ले तो कोढ़ी हो जाएगा). 

उगे चाँद तो लपकें पूड़ी. करवा चौथ व कुछ अन्य व्रतों में चंद्रमा के उदय होने के बाद व्रत खोला जाता है. व्रत रखने वाली स्त्रियाँ बड़ी बेसब्री से चाँद निकलने और पूड़ियाँ मिलने की प्रतीक्षा करती हैं.

उगे तारा तो चले सुनारा. सुनार लोग बड़े सवेरे उठ कर काम में लग जाते हैं.

उगे सो अस्ते, जन्मे सो मरे. जो उदय होता है वह अस्त भी होगा (चाहे सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र हों या साम्राज्य) और जिसने जन्म लिया है वह मृत्यु को अवश्य प्राप्त होगा. अपने अच्छे समय में कभी अभिमान नहीं करना चाहिए.

उघड़े मांस पर तो मक्खी बैठेगी ही. आपत्तिजनक आचरण करोगे तो लोग निंदा करेंगे ही.

उघरे अंत न होहि निबाहू, (कालनेमि जिमि रावन राहू). धोखे का काम अधिक समय नहीं चलता (अंत में खुल जाता है), जिस प्रकार कालनेमि, रावण और राहु के साथ हुआ.

उजड़े घर का बलेंड़ा. किसी बर्बाद हुए व्यापार या संस्था का एकमात्र जिम्मेदार आदमी. (बलेंड़ा – छप्पर में लगने वाली लम्बी लकड़ी).

उजड़े न टिड्डी का घर, नाम वीरसिंह. गुण के विपरीत नाम.

उजरी धोती मत पतियाओ तले लुगरी है. पतियाओ – विश्वास करो, लुगरी – पुरानी, चिथड़ा धोती. ऊपरी चमक-दमक पर विश्वास मत करो. अंदर की हालत देखने पर ही असलियत मालूम होती है.

उजला उजला सभी दूध नहीं होता. सभी सफ़ेद चीज़ दूध नहीं होतीं. अर्थ है कि केवल देखने से किसी वस्तु के गुणों का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. इंग्लिश में कहते हैं – All that glitters is not gold.

उजली धोती मुँह में पान, घर के हाल जानें भगवान. घर में गरीबी होते हुए भी बन ठन के रहने वालों के लिए.

उजले उजले सब भले उजले भले न केस, नारि नवे न रिपु दबे न आदर करे नरेस. और सब चीजों का उज्ज्वल होना अच्छा है पर बालों का उजला (सफ़ेद) होना नहीं. बाल सफ़ेद हों तो स्त्री नहीं दबती, शत्रु भय नहीं खाते और राजा भी आदर नहीं करते.

उजाड़ गाँव में सियार राजा. खंडहर में तब्दील हो चुकी बस्ती में सियारों का राज हो जाता है.

उजाड़ चरें और पुआल खायें. उजाड़ – यहाँ इसका अर्थ है बिना रखवाली का खेत, पुआल – धान काटने के बाद बचा पौधा. दूसरों का खेत चरेंगे तो बढ़िया फसल खाएंगे, पुआल क्यों खायेंगे.

उजाड़ू के संग कपिला को नास. उजाड़ू – चोरी से दूसरों का खेत चरने वाली गाय, कपिला – सुलक्षणा गाय. बुरे व्यक्ति के साथ रहने पर सीधे आदमी को भी कष्ट भोगना पड़ता है.

उज्ज्वल बरन अधीनता, एक चरन दो ध्यान, हम जाने तुम भगत हो, निरे कपट की खान. बगुले के लिए कही गई पहेली नुमा कहावत. उजला रंग, एक पैर पर खड़े होकर दो चीज़ों में ध्यान लगाए हैं. देखने में भगत लगते हैं पर निरे कपट की खान हैं. ढोंगी साधुओं और नेताओं के लिए भी. 

उज्ज्वलता मन उज्जवल राखे, वेद पुरान सकल अस भाखैं. चरित्र की शुद्धता से मन भी उज्ज्वल रहता है. वेद पुराण सभी ऐसा कहते हैं. भाखैं – भाषित करते हैं. 

उठ दूल्हे फेरे ले, हाय राम मौत दे. आलसी होने की पराकाष्ठ. दूल्हे से कहा जा रहा है कि उठ फेरे ले, वह कह रहा है हाय राम! इससे अच्छा तो मौत ही आ जाए.

उठ बंदे, वही धंधे. व्यक्ति को समझाया जा रहा है कि सपनों के संसार से निकल कर कठोर वास्तविकताओं का सामना करो. सुबह सो कर उठते ही आदमी को काम धंधे की चिंता सताने लगती है.

उठ बहू साँस ले, चरखा छोड़ जांत ले. जांत – चक्की. सास बहू से कह रही है – उठ बहू, चरखा कातते कातते थक गई होगी. थोड़ा सुस्ता ले और फिर चक्की पीस. निर्बल पर अत्याचार के साथ झूठी सहानुभूति.

उठ बे बंदर, बैठ बे बंदर. जोरू के गुलाम का मजाक उड़ाने के लिए.

उठती जवानी, पाप की निशानी. नई नई युवावस्था में शक्ति और सौन्दर्य तो आ जाते हैं लेकिन समझदारी नहीं आ पाती इसलिए गलत रास्ते पर पड़ जाने की संभावना अधिक होती है.

उठती मालिन और बैठता बनिया. मालिन जब दुकान समेट कर घर जा रही होती है तो निबटाने के लिहाज से सामान सस्ता दे देती है, और बनिया जब दुकान खोलता है तो बोहनी के चक्कर में सामान सस्ता दे देता है.

उठते पाँव दुनिया तके. शक्ति खोने वाले पर सबकी दृष्टि रहती है. सब उसकी स्थिति से लाभ उठाना चाहते हैं.

उठते लात बैठते घूँसा. हर समय मारपीट करना.

उठाई जीभ तरुआ से दे मारी. तरुआ – तालू. बिना सोचे समझे जो मन में आया सो आया सो कह दिया.

उठाऊ का माल बटाऊ को जाए. उठाऊ – उठाईगीर, बटाऊ – राह चलता आदमी. चोर उचक्कों द्वारा चोरी किया गया अधिकतर माल दूसरे लोग ले जाते हैं, उनके हाथ विशेष कुछ नहीं आता. 

उठी पैठ आठवें दिन ही लगती है. यहाँ पैठ का अर्थ साप्ताहिक बाज़ार से है. अवसर एक बार हाथ से निकल जाने पर दोबारा जल्दी हाथ नहीं आता.

उठो सासू जी सांस लो, मैं कातूं तुम पीस लो. बहू को सास के आराम का बड़ा ध्यान है. कह रही है, तुम आराम से चक्की पीसो, सूत कातने जैसा कठिन काम मैं कर लेती हूँ.  ‘उठ बहू साँस ले’ वाली कहावत से उलट.

उड़ता आटा पुरखों को अर्पण. चक्की में से उड़ते आटे को पुरखों को अर्पण करने का ढोंग.

उड़ती उड़ती ताक चढ़ी. किसी उड़ती खबर को महत्त्व मिल जाना.

उड़ती चिरइयाँ परखत. उड़ती चिड़ियाँ परखता है अर्थात बहुत होशियार है.

उड़द कहे मेरे माथे टीका, मुझ बिन ब्याह न होवे नीका. उड़द की दाल पर छोटा सा निशान होता है. उड़द के बिना बड़े और कचौड़ी नहीं बन सकतीं इसलिए कोई भी आयोजन फीका रहेगा.

उड़द लगी न पापड़ी, बहू घर में आ पड़ी. शादी विवाह जैसे समारोहों में बड़ियाँ, कचौड़ियाँ व पापड़ बनते हैं जिन में उड़द की दाल का प्रयोग होता है. किसी के विवाह आदि में कोई समारोह न किया जाए और लोगों को दावत न मिले तो लोग मजाक उड़ाने के लिए इस प्रकार बोलते हैं.

उढ़ली बहू बलैंड़े सांप दिखावे. उढ़ली – दुश्चरित्रा स्त्री. इस प्रकार की बहू छप्पर में साँप बता कर लोगों का ध्यान उस तरफ लगा देती है और खुद घर से निकल जाती है. कोई कामचोर या बेईमान आदमी दूसरों का ध्यान भटका कर अपना स्वार्थ सिद्ध करे तो यह कहावत कही जाती है.

उत तेरा जाना मूल न सोहे, जो तुझे देख के कूकुर रोवे. यदि कहीं जाने पर आपको देख के कुत्ता रोता है तो इसे भारी अपशकुन मानें.

उत से अंधा आय है, इत से अंधा जाय, अंधे से अंधा मिला, कौन बतावे राय. जहाँ सारे लोग अज्ञानी हों वहाँ राह कौन दिखाएगा.

उतना खाए जितना पचे. खाने में संयम रखने के लिहाज से भी कहा गया है और रिश्वतखोरों से भी.

उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई. 1. एक बार बेज्जती हो गई तो फिर वह मान सम्मान लौट कर नहीं आ सकता. 2. जिस का सम्मान चला जाए वह कुछ भी कर सकता है.

उतरती नदी किनारे ढाए. बाढ़ के बाद जब नदी का पानी उतरता है तो किनारों को ढहा देता है. संकट खत्म होते होते भी हानि पहुँचा सकता है इसलिए संकट बिल्कुल समाप्त होने तक सावधान रहना चाहिए.

उतरा घांटी, हुआ माटी. स्वादिष्ट से स्वादिष्ट भोजन भी गले से नीचे उतर कर मिट्टी के समान महत्वहीन हो जाता है. जिस चीज़ के लिए हम लालायित हों उसके मिल जाने पर उसका महत्व समाप्त हो जाता है.

उतरा पातर, मैं मियां तू चाकर. पातर – कर्ज़. कर्ज़ उतारने के बाद अब मैं तुम से क्यों दबूं.

उतरा हाकिम कुत्ते बराबर (उतरा हाकिम चूहे बराबर). पद खोने के बाद हाकिम को कोई नहीं पूछता.

उतरे जेठ जो बोले दादुर, कहै भड्डरी बरसै बादर. दादुर- मेढ़क. भड्डरी का कहना है कि जेठ मास समाप्त होते ही यदि मेढक बोलने लगें तो समझो कि वर्षा खूब जोरों की होगी.

उतारने से ही बोझ उतरता है. सर पर रखा बोझ हो या कोई क़र्ज़, वह प्रयास करने से ही उतरता है.

उतावला दो बार फिरे. जल्दबाजी में आगे बढ़ने वाले को दो बार लौट के आना पड़ता है और अधिक समय लग जाता है.

उतावला सो बावला. धीरा सो गम्भीरा. जल्दबाजी करने वाला अक्सर मूर्खतापूर्ण कार्य कर देता है. धैर्य से काम करने वाला गंभीर व्यक्ति ही सफल होता है.

उतावली कुम्हारन, नाखून से मिट्टी खोदे. जल्दबाजी में फूहड़पन से काम करना.

उतावली नाइन उंगली काटे. नाई की कुशलता की परीक्षा नहरनी से नाखून काटने में होती है. नाइन अगर जल्दबाजी में काम करगी तो नाखून के साथ उंगली भी काट देगी.

उतावले मारे जाते हैं, वीरों के गाँव बसते हैं. जल्दबाजी करने वाले सही योजना न बनाने के कारण युद्ध में हार जाते हैं जबकि वीर पुरुष समझदारी से युद्ध जीत कर गाँव व शहर बसाते हैं.

उत्तम खेती जो हल गहा, मध्यम खेती जो संग रहा. जो खुद हल चलाता है उस की खेती सब से अच्छी होती है और जो हलवाहे के साथ में रहता है उसकी खेती मध्यम (कुछ कम सफल) होती है. इसके बाद की पंक्ति इस प्रकार है – जो पूछेसि हरवाहा कहाँ, बीज बूड़िगे तिनके तहाँ. बूड़िगे – दूब गए, तिनके – उनके, तहाँ – वहाँ.

उत्तम खेती मध्यम बान, अधम चाकरी भीख निदान. घाघ के अनुसार खेती सर्वोत्तम कार्य है, व्यापार मध्यम और नौकरी निम्न श्रेणी का काम है और यदि कोई काम न कर सको तो भीख मांग कर काम चलाओ.

उत्तम गाना, मध्यम बजाना. गायकी सर्वश्रेष्ठ है, वाद्य बजाना उसके बाद आता है.

उत्तम जन सों मिलत ही, अवगुन हूँ गुन होय, घन संग खारो उदधि मिलि, बरसै मीठो तोय. उत्तम लोगों का संग मिलने से अवगुण भी गुण में बदल जाते हैं. समुद्र का पानी खारा होता है पर बादल की संगत में आ कर मीठा बन कर बरसता है.

उत्तम विद्या लीजिये जदपि नीच में होय, पड़यो अपावन ठौर में कंचन तजे न कोय. किसी निम्न कुल के व्यक्ति, निर्धन या अनपढ़ से भी यदि कोई उत्तम बात सीखने को मिले तो सीखनी चाहिए. सोना यदि गंदे स्थान पर पड़ा हो तो भी उसे छोड़ थोड़े ही देते हैं. अधिकतर इसे केवल आधा ही बोला जाता है.

उत्तम से उत्तम मिले, मिले नीच से नीच, पानी में पानी मिले, मिले कीच में कीच. व्यक्ति अपनी संगत स्वयं ही ढूँढ़ लेता है. उत्तम व्यक्ति उत्तम लोगों की संगत पसंद करता है और नीच व्यक्ति नीच लोगों की संगत ढूँढता है.

उत्तर इंसान के, पूरब किसान के, दक्खिन दीवान के, पच्छिम हैवान के. उत्तर रुख का घर वास्तु के अनुसार सभी मनुष्यों के रहने के लिए सर्वोत्तम माना गया है. किसान के लिए पूरब रुख का मकान अधिक अच्छा है. इस में सुबह से धूप आ जाती है व हवा ठीक से आती है इसलिए अन्न आदि रखने सुखाने में आसानी होती है. दक्षिण रुख के घर में देर तक रौशनी रहती है इसलिए लिखत पढ्त करने वालों के लिए बेहतर है. पश्चिम रुख का घर सब के लिए बेकार है

उत्तर गुरु दक्खन में चेला, कैसे विद्या पढ़े अकेला. जब कोई दो व्यक्ति बहुत दूर दूर हों तो आपस में संवाद हीनता की स्थिति बन जाती है.

उत्तर जायं कि दक्खन, वे ही करम के लच्छन. जिन का भाग्य साथ नहीं देता वे कहीं भी जाएँ सफल नहीं होते.

उत्तर रखे बतावे दक्खन बाके अच्छे नाही लच्छन. जो व्यक्ति बात का उल्टा जवाब देता है वह विश्वास योग्य नहीं होता.

उथला कहि के गहरे बोरे.  उथला पानी बता कर गहरे में डुबो देने वालों के लिए.

उथली रकाबी फुलफुला भात, लो भई पंचों हाथ ही हाथ. कंजूस की बेटी की शादी हुई तो उसने उथली प्लेट में फूला फूला भात परोस दिया ताकि देखने में ज्यादा लगे. कोई खिलाने में कंजूसी करे तो यह कहावत कहते हैं.

उथले पानी की मछली. कम संसाधनों में परेशानी से गुजारा करने वाले के लिए.

उदधि रहे मर्याद में बहे उलटो नव नीर. समुद्र जिसमें अथाह जल है वह तो गंभीर रहता है पर बरसात में इकठ्ठा होने वाला पानी उल्टा सीधा बहता है. अर्थ है कि जो पुराने खानदानी धनवान या विद्वान होते हैं वे तो गंभीर होते हैं पर नया धन या नई विद्या अर्जित करना वाला व्यक्ति बहुत दिखावा करता है.

उद्यम के सर लक्ष्मी, पंखा कीसी ब्यार. उद्यमी व्यक्ति के सर पर लक्ष्मी स्वयं पंखा ले कर हवा करती है. (अर्थात उस की दासी बन कर रहती है)

उद्यम से दलिद्दर घटे. कर्म करने से ही दरिद्रता घटती है.

उद्यम ही सफलता की कुंजी है. कोई नया काम आरम्भ करे या किसी का कोई चलता हुआ काम हो, दोनों ही अवस्थाओं में उद्यम करने से ही सफलता मिलती है.

उधार का खाना आग खाने के बराबर. उधार ले कर खाना आग खाने के बराबर खतरनाक है.

उधार का खाना, फ़ूस का तापना. जैसे आग लगाने के बाद फूस एक दम ख़तम हो जाता है वैसे ही उधार के पैसे से यदि खाओगे पियोगे तो वह एक दम ख़तम हो जाएगा. अर्थ है कि उधार लेना व्यापार के लिए तो ठीक है (जिससे कमा कर आप वापस कर सकते हैं), पर उधार के पैसे से गुलछर्रे नहीं उड़ाने चाहिए.

उधार का गड्ढा समन्दर से गहरा. एक बार उधार ले कर उससे उऋण होना बहुत कठिन है.

उधार का बाप तकादा.  उधार लोगे तो तकादा झेलना ही पड़ेगा. तकादा – पैसा वापस माँगना.

उधार का माल आग में जल जाए तो देनदारी खत्म नहीं होती. अर्थ स्पष्ट है.

उधार की कोदों खाएं, ठसक से मरी जाएं. कोदों एक घटिया अनाज माना जाता है वह भी उधार ले कर खा रही हैं और घमंड दिखा रही हैं. क़र्ज़ ले कर शान दिखाने वालों पर व्यंग्य.

उधार की जूती, खैरात का नाड़ा, पढ़ दे मुल्ला ब्याह उधारा. गाँठ में कुछ नहीं है पर मियाँ जी ब्याह करने चले हैं. सब काम उधार हो रहा है. पास में पैसा न होने पर भी महंगे शौक करने वालों के लिए.

उधार दिया और ग्राहक गंवाया (उधार दिया, गाहक खोया). जिस ग्राहक को उधार दिया वह फिर दूकान पर नहीं आता (लौटाना न पड़े इस चक्कर में).

उधार दीजे, दुश्मन कीजे (उधार देना, लड़ाई मोल लेना). किसी को उधार देना गलत है क्योंकि जब आप अपना पैसा वापस मांगेंगे तो वह आपका दुश्मन हो जाएगा. इंग्लिश में कहावत है – Borrowing is sorrowing.

उधार प्रेम की कैंची है. ऊपर वाली कहावत के समान.

उधार बड़ी हत्या है. उधार लेना और देना दोनों ही परेशानी का कारण बनते हैं.

उधार बेचें न मांगने जाएं. न उधार माल बेचेंगे, न तकादे करते फिरेंगे.

उधार लाएं और ब्याज पर दें. एक के बाद दूसरी उस से भी बड़ी गलती करना. 

उधार लेना और देना दोनों फसाद की जड़. अपनी झूठी शान दिखाने के लिए उधार ले कर खर्च करने वाले लोग बाद में परेशानी उठाते हैं और उधार देने वाले उस की उगाही को ले कर परेशानी उठाते हैं. इंग्लिश में कहावत है – Neither a borrower nor a lender be.

उधारिया पासंग नहीं देखता. जो व्यक्ति माल उधार ले रहा है वह तोलने में थोड़ी बहुत बेईमानी को नजर अंदाज़ कर देता है. पासंग – तराजू के पल्लों को बराबर करने के लिए लगाया गया वजन.

उधेड़ के रोटी न खाओ, नंगी होती है. रोटी को उधेड़ कर नहीं खाना चाहिए इस बात को ज्यादा ही जोर दे कर कह दिया गया है. एक अर्थ यह भी हो सकता है कि जो भी खाते हो उसे दाब ढक कर खाओ दिखा कर नहीं.

उधेड़े पे सुधरे. सिले हुए कपड़े को ठीक करना है तो उधेड़ कर ही फिर से ठीक किया जा सकता है. किसी बिगड़े हुए काम को ठीक करने के लिए उसे पूरा ध्वस्त कर के फिर से बनाना पड़ता है.

उन के बगैर कौन मँड़वा अटको. उनके बिना क्या विवाह का मंडप गड़ने को रुका है. जब कोई रिश्तेदार ऐंठ दिखा रहा रहा हो और बुलाने से भी न आये तब प्रयुक्त

उन धारी है देह वृथा जग में, जिन नेह के पंथ में पाँव न दीन्हों. जिनके मन में प्रेम नहीं है उनका जन्म लेना बेकार है.

उनकी पकाई काऊ ने नई खाई. उनके हाथ की बनी रोटी कोई नहीं खा पाया. 1.बहुत बुरा खाना बनाने वाले के लिए. 2. बहुत धूर्त और स्वार्थी आदमी के लिए.

उपजति एक संग जल माही, जलज जोंक जिमि गुण विलगाही. कमल का फूल और जोंक दोनों जल में उत्पन्न होते हैं पर उनके गुणों में जमीन आसमान का फर्क है. इसी प्रकार एक घर या एक समाज में पैदा होने वाले दो लोगों में बहुत अंतर हो सकता है.

उपदेश देना सरल है उपाय बताना कठिन. दूसरों की कमियाँ बताना बड़ा आसान है पर कठिन परिस्थिति में स्वयं आगे बढ़ कर समाधान करना बहुत कठिन है.

उपला जले गोबर हँसे. कंडे को जलता देख कर गोबर हँसता है. यह भूल जाता है कि कल उसे भी उपला बन कर जलना है. किसी को कष्ट में देख कर हंसने वालों के लिए सीख.

उपास न त्रास, फलार की आस. उपास – उपवास, फलार – व्रत में खाया जाने वाला फलाहार. व्रत नहीं रखा, कोई कष्ट नहीं उठाया और बढ़िया फलाहार की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

उपास से मेहरी के जूठ भला. उपास – उपवास. भूखा रहने से अपनी पत्नी का जूठा खाना अच्छा. रूपान्तर – उपास से पतोहू के जूठ भला. पतोहू – पुत्रवधू.

उम्मीद पर दुनिया कायम है. व्यक्ति हमेशा अच्छे की आशा करता है इसी आशावाद पर संसार चल रहा है.

उम्र पचपन की, अक्ल बचपन की. कोई वयस्क आदमी बचकानी बात करे तो.

उलझना आसान, सुलझना मुश्किल. समस्याएं पैदा करना आसान होता है पर उनका हल निकालना मुश्किल.

उलटा पुलटा भै संसारा, नाऊ के सर को मूंडे लुहारा. संसार में बहुत कुछ उल्टा पुल्टा भी होता है, जैसे नाई का सर अगर लुहार मूंडे तो.

उलटी खोपड़ी, औंधा ज्ञान. उलटी खोपड़ी में उल्टा ज्ञान ही समा सकता है, कोई अर्थपूर्ण बात नहीं.

उलटी गंगा पहाड़ चली. 1. उलटी रीत. 2. असंभव सी बात. (हास्यास्पद भी)

उलटी बाकी रीत है, उलटी बाकी चाल, जो नर भौंड़ी राह में, खोवे अपना माल. अपनी मूर्खता से अपना माल गंवाने वाले व्यक्ति के लिए कहावत है.

उलटे बाँस बरेली को. एक समय में बरेली बांसों की मंडी थी. (कुछ हद तक अभी भी है). उस समय यदि कोई बांस ले कर बरेली आता तो यह कहावत कही जाती. कहावत का अर्थ है कि जहाँ जिस चीज़ की बहुतायत है वहाँ उसे ले कर जाना बेतुकी बात है.

उलटो जो बादर चढ़े, विधवा खड़ी नहाए, घाघ कहैं सुन भड्डरी, वह बरसे वह जाए. घाघ कवि कहते हैं कि यदि बादल हवा के विरुद्ध बह कर आ रहा है तो जरूर बरसेगा और यदि विधवा स्त्री खड़ी हो कर नहा रही है तो वह जरूर किसी के साथ भाग जाएगी. (पुराने समय में विधवा विवाह को समाज स्वीकार नहीं करता था).

उलायता चोर सही सांझे ऐड़ा. जल्दबाजी में आदमी गलत काम कर बैठता है. चोर जल्दबाजी कर रहा है तो शाम को ही चोरी करने निकल पड़ा. उलायता – जल्दबाज.

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. कोई आदमी गलत काम कर रहा है. आप टोकते हैं या समझाते हैं तो वह उल्टा आप से लड़ने लगता है. ऐसे में यह कहावत कही जाती है. 

उल्टा चोर बैकुंठे जाए. भ्रष्ट आदमी को प्रतिष्ठा मिलना.

उल्टा पैदा हुआ इसलिए सदा कर्म करे उल्टे. कोई व्यक्ति हमेशा उल्टे काम करता हो तो मजाक में कहते हैं कि ये तो पैदा ही उल्टा हुआ था.

उल्टा बायना, पुल्टा बायना, बाँझ के घर कैसा बायना. बायना – सगे सम्बन्धियों के घर त्यौहार पर भेजी जाने वाली भोजन सामग्री. सगे संबंधियों में इस प्रकार के सामन की अदला बदली होती है, लेकिन बाँझ स्त्री के घर कोई कुछ नहीं भेजता और न ही वह किसी के घर भेज सकती है.

उल्टी आँतें गले पड़ीं. सुलझने की कोशिश में उल्टे उलझ जाएँ तो

उल्लू के बेटा भया, गदहा नाम धरा. (भोजपुरी कहावत) मूर्ख लोगों की सन्तान भी मूर्ख ही होती हैं.

उस कूकुर से बच कर रहे, जा को जगत कटखना कहे. बदनाम और झगड़ालू व्यक्ति से बच कर रहना चाहिए.

उस को सीख न दो कभी जो हो मूरख नीच, लोह मेख नाहीं धंसे कबहूँ पाथर बीच. जो मूर्ख या नीच व्यक्ति हो उसे शिक्षा देने का प्रयास मत करो. पत्थर में कभी लोहे की कील नहीं धंस सकती.

उस जातक से करो न यारी, जिस की माता हो कलहारी. जिस बच्चे की माँ झगड़ालू हो उस से दोस्ती मत करो.

उस नर को न सीख सुहावे, प्रीत फंद में जो फंस जावे. जो इश्क के फंदे में फंसा उसे सीख अच्छी नहीं लगती.

उसकी किस्मत क्या जागे, जो काम करे से भागे. जो काम से जी चुराए उसकी किस्मत नहीं जाग सकती.

उसके पैर में जो रूप है, तुम्हारे मुँह में भी नहीं है. दूसरे को साधारण और अपने आप को बहुत सुंदर समझने वाले किसी व्यक्ति को उसकी औकात बताने के लिए.

उसी की टांगें उसी के गले में. किसी दुष्ट व्यक्ति को उसी के बनाए जाल में फंसा देना.

उस्ताद, हज्जाम, नाई, मैं और मेरा भाई, घोड़ी और घोड़ी का बछेड़ा और मुझको तो आप जानते ही हैं. कहीं कोई चीज़ बंट रही थी. वहाँ एक ही आदमी (नाई) कई नाम बता कर बहुत सारी लेने की कोशिश कर रहा है.

उही का तोरन, उही का बोरन, मियाँ जी खाएं कि रोवें. तोरन – तोड़ने वाली वस्तु जैसे रोटी, बोरन – बोरने वाली वस्तु जैसे दाल, सब्जी इत्यादि. जैसे चने की रोटी है, तो चने की दाल भी बनी है, किसी साग को काट कर यदि उसकी रोटी बनाई तो उसी का साग भी बना लिया है. कोई परवाह नहीं कि दोनों का स्वाद एक सा होगा.

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