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हँड़िया चढ़ा नोन को रोवे. अदूरदर्शी लोगों के लिए यह कहावत कही गई है. हँड़िया को चूल्हे पर चढ़ा कर नमक ढूँढ़ रहे हैं.

हँड़िया पकने तक कुत्तों में गजब एका. जब तक हँड़िया में गोश्त पक रहा होता है तब तक कुत्ते बड़े अनुशासन से प्रतीक्षा करते हैं, हँड़िया खुलते ही उन में छीन झपट मचती है और वे एक दूसरे के जानी दुश्मन बन जाते हैं. 

हँड़िया में भात नहीं, चलो समधी जीमने. साधन न होते हुए भी बड़प्पन दिखाना.

हँड़िया है सरमदार, छह महीना में पके दार, पाहुना है गमखोर, बरस भर न छोड़े दोर. किसी फालतू मेहमान से घर की मालकिन ने कहा, भोजन आपको बहुत विलंब से मिलेगा, मेरी हाँड़ी बहुत शर्मीली है. उसमें छह महीने में दाल पकती है. इस पर मेहमान ने उत्तर दिया, मैं भी बड़ा गमखोर हूँ. एक वर्ष तक तुम्हारा घर नहीं छोडूंगा.

हँसता ठाकुर खांसता चोर, इनका समझो आया छोर. ठाकुर को अपने मातहतों से काम लेना होता है इसलिए उसका रोबीला और सख्त होना जरुरी है, हंसने वाला ठाकुर किसी काम का नहीं. इसी प्रकार चोर को खांसी हो जाए तो वह पकड़ जाएगा.

हँसती हँसती कूएँ में जा पड़ी. रंग में भंग होना. हँसी मजाक के बीच में कोई हादसा हो जाना.

हँसते हँसते घर बसता है. 1. घर के लोग खुशमिजाज़ हों तो घर बस जाता है और झगड़ालू या शक्की हों तो घर उजड़ जाता है. 2. लड़का लड़की साथ बैठ कर हंसें बोलें तो उन में प्रेम हो जाता है.

हँसना ठाकुर, खंसना चोर, अनपढ़ कायस्थ, कुल का बोर. ऊपर वाली कहावत की भांति. इसमें यह और जोड़ दिया गया है कि कायस्थ अगर पढ़ा लिखा नहीं होगा तो बेकार है.

हँसिए दूर पड़ोसी नांही. दूर बैठे व्यक्ति की कितनी भी हंसी उड़ा लें पड़ोसी की हँसी नहीं उड़ानी चाहिए (सामने सामने किसी के ऊपर हँसने से दुश्मनी हो जाती है).

हँसी की खसी हो जाती है. हँसी का परिणाम अकसर झगड़ा होता है. इस आशय की इंग्लिश में एक कहावत है – Better lose a jest, than a friend.

हँसी तो फँसी. लडकियों को यह कह कर सावधान किया गया है.

हँसी-हँसी में हसनगढ़ बस ग्या. (हरयाणवी कहावत) खुश रह कर काम करो तो बड़े बड़े काम हो जाते हैं.

हँसुआ के ब्याह में खुरपी के गीत. बेमेल काम. ब्याह तो हंसुआ (हँसिया) का हो रहा है और गीत खुरपी के गाए जा रहे हैं.

हँसे फँसे, मुस्कुराए जेब में आए. अजनबियों को देख कर ज्यादा मुस्कुराना नहीं चाहिए, आप किसी के जाल में फंस सकते हैं.

हँसे रोवे गावे गीत, उस तिरिया की नहिं परतीत. जो स्त्री थोड़े ही समय में कभी हंसे, कभी रोए और कभी गीत गाने लगे, उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता.

हंते को हनिये, पाप दोष न गनिये. हत्यारे की हत्या करने में पाप नहीं लगता.

हंस की चाल टिटहरी चली, टांग उठा के भू में पड़ी. बिना सोचे समझे किसी की नकल करने से नुकसान उठाना पड़ता है.

हंस के मंत्री कौआ. जहाँ राजा अच्छा हो पर मंत्री धूर्त हों, हाकिम अच्छा हो पर उसके मातहत बदमाश हों.

हंस बरन बैठक भई, सुआ बरन किलकोट, सिंह बरन गर्जन भई, गधा बरन भई लोट. (बुन्देलखंडी कहावत). बरन – के समान. कहावत में शराबियों की महफ़िल का वर्णन है- शुरुआत में हंसों की तरह शालीनता से बैठते हैं, फिर तोतों की तरह कोलाहल करते हैं, फिर और नशा चढने पर शेरों की तरह लड़ते भिड़ते हैं और अंत में गधों के समान लोट जाते हैं.

हंसा थे सो उड़ गए, कागा भए दीवान. योग्य व्यक्ति के जाने के बाद यदि मूर्ख और धूर्त व्यक्ति को पद मिल जाए तो. सन्दर्भ कथा – एक गरीब ब्राह्मण के घर में इतनी तंगी थी कि भूख से मरने की नौबत आ गई. उसने सोचा कि भूख से मरने से बेहतर है कि किसी जंगली जानवर द्वारा खा लिया जाऊं. यह सोच कर वह सिंह की मांद में गया. सिंह ने देखते ही उसे पकड़ लिया. उस समय सिंह का मंत्री एक हंस था. उसने ब्राह्मण देवता के प्राण बचाने के उद्देश्य से सिंह को समझाया कि ये आपके पुरोहित हैं और आप इनके जजमान, इनको मारना ठीक नहीं. सिंह ने हंस की बात मान ली और उस की मांद में मृत मनुष्यों के जो धन व गहने इत्यादि पड़े थे उन्हें भी ले जाने दिया.

    ब्राह्मण के कुछ दिन उस धन से अच्छी तरह कट गए. उस के बाद ब्राह्मण फिर उसी आशा में सिंह की मांद में पहुंचा. उस समय एक कौवा सिंह का मंत्री हो गया था. उसने सिंह को ब्राह्मण को मार डालने की सलाह दी. तब सिंह ने हंस की बात याद करके ऊपर की पंक्तियां ब्राह्मण से कहीं.

हंसिया रे तू टेढ़ा काहे, अपने मतलब से. हंसिए से किसी ने पूछा कि तू टेढ़ा क्यों है. उसने कहा टेढ़ा हुए बिना मेरा काम कहाँ चलेगा.

हंसों को सरवर बहुत, सरवर हंस अनेक. यह सही है कि दोनों को एक दूसरे की आवश्यकता है पर उन के पास विकल्प भी हैं.

हग न सकें पेट को पीटें. अपनी अयोग्यता का दोष किसी और को देना.

हगन की बेला गाँठ संभाले. किसी को जोर से शौच लगी हो और पजामे के नाड़े में कस कर गाँठ लगी हो तो बड़ी परेशानी हो जाती है. परेशानी खड़ी होने से पहले ही उस के निस्तारण का प्रबंध करना चाहिए.

हगासा और उमगासा रोके नहीं रुकते. जिसे जोर से शौच लग रही हो और जो किसी काम को करने की ठान ले, ये दोनों रुकते नहीं हैं.

हगासा लड़का नथनों से पहचाना जाता है. बहुत से छोटे बच्चे शौच लगने पर नथुने फुलाते हैं. अनुभवी लोग बहुत सी बातें शारीरिक भाषा (body language) से पहचानते हैं.

हज का हज, वनिज का वनिज. एक सयाना व्यक्ति हज करने गया. वहाँ से कुछ सामान ले आया जिसे उसने यहाँ आ कर बेच लिया और मुनाफ़ा कमा लिया. एक पन्थ दो काज.

हजार आफतें हैं एक दिल लगाने में. किसी से प्रेम करने में बहुत सी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.

हजार जूतियाँ लगीं और इज्ज़त न गई. बहुत बेशर्म आदमी के लिए.

हजार झूठ बोलो पर किसी की शादी करा दो. किसी की शादी कराना बहुत पुण्य का काम माना गया है.

हजार बरस खड़ा, हजार बरस पड़ा और हजार बरस में सड़ा. सखुआ (साल) के पेड़ के विषय में कहा जाता है कि वह हजार वर्ष तक खड़ा रहता है, हजार वर्ष बिना क्षति के धरती पर पड़ा रह सकता है और फिर हजार वर्ष में गल कर समाप्त होता है. इसकी लकड़ी खिड़की दरवाजे आदि बनाने के काम आती है.

हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले. जब व्यक्ति की बहुत सारी इच्छाएँ हों और कोई भी पूरी होने की संभावना न हो. 

हजारों छेनी सह के महादेव बनत. जब किसी पत्थर को हजारों बार छेनी से तराशा जाता है तो किसी प्रतिमा का जन्म होता है और वह पूजने के योग्य बनती है.

हज्जाम के आगे सबका सिर झुकता है. मौके पर सभी को सर झुकाना पड़ता है.

हड़बड़ का काम गड़बड़. जल्दबाजी के काम में गड़बड़ होने की संभावना बहुत होती है.

हड़बड़ी ब्याह, कनपटी सिन्दूर. जल्दबाजी का काम बुरा होता है. हड़बड़ी में शादी कर रहे हैं तो सिंदूर मांग में लगाने की बजाए कनपटी पर लगा रहे हैं. रूपांतर – बिना मन के बिआह कनपट्ट्टी पर सेनुर.

हड्डी खाना आसान पर पचाना मुश्किल. गलत काम करना आसान है पर उससे होने वाले खतरे झेलना मुश्किल है. रिश्वतें ले कर काला धन कमाना आसान है पर उसे सफेद करना मुश्किल है.

हड्डी मिलने पर कुत्ते का कोई दोस्त नहीं. कुत्ते से आप कितनी भी दोस्ती करो, हड्डी मिलते ही वह सब भूल कर उस की तरफ लपकेगा. ओछी प्रवृत्ति के लोग अपने स्वार्थ के आगे कोई दोस्ती या रिश्तेदारी नहीं देखते हैं.

हत्यारी कुतिया, ग्यारस उपासी.  ग्यारस – एकादशी. हत्यारी कुतिया एकादशी का व्रत कर रही है. कोई दुर्जन यदि धर्मात्मा बनने का ढोंग करे तो.

हथकड़ी तो सोने की भी बुरी. कैदखाने में कितने भी आराम हों कैद बुरी ही होती है.

हम करें तो कायदा. जो हम कर रहे हैं वही सही है.

हम करें तो पाप, कृष्ण करें तो लीला. बहुत से काम ऐसे हैं जो महान लोग करते हैं तो उनकी महानता मानी जाती है और आम आदमी करे तो अपराध माना जाता है.

हम क्यूँ कहें राजा के बेटे ने बछिया मारी है. दूसरे पर दोषारोपण भी करना यह भी कहना कि हम तो ऐसा नहीं कह रहे हैं. वैसे भी राजा के बेटे का सीधे सीधे दोष बताना खतरे से खाली नहीं है.

हम गए धान से तो तुम गए पुआल से. पुआल (पुवाल, प्याल) – धान के पौधे का अवशिष्ट जो जानवरों के खाने के और जाड़ों में बिछाने के काम आता है. धान की फसल मारी जाती है तो सब का नुकसान होता है.

हम चरावें दिल्ली, हमें चरावे गाँव की बिल्ली. हम इतने होशियार हैं कि दिल्ली वालों को उल्लू बना लेते हैं और ये गाँव की छोरी हमें बेवकूफ बना रही है.

हम तो डूबे हैं सनम तुमको भी ले डूबेंगे. जो अपने डूबने के साथ दूसरों को भी डुबो देता हो.

हम ने कौन तुम्हारे हाथ के काले तिल खाये. हम तुम्हारे वश में नहीं आने वाले. लोक विश्वास है कि किसी मनुष्य या ढोर को काले तिल खिलाने से वह सदैव के लिए वश में हो जाता है. 

हम बैठाया बूढ़ा जान, बुढ़ऊ सो गए चादर तान. हम ने बूढ़ा समझ कर दयावश बैठा लिया तो उसका गलत फायदा उठा कर वह यहीं सो गया. उंगली पकड़ाई पाहुंचा पकड़ लिया.

हम भी खेलेंगे, नहीं तो खेल बिगाड़ेंगे. वैसे तो यह बच्चों की कहावत है लेकिन दुष्ट प्रवृत्ति के बड़े लोगों पर भी सही बैठती है.

हम रोटी नहीं खाते, रोटी हमको खाती है. परिवार के लिए रोटी कमाने की चिंता इंसान को खा जाती है.

हमपेशा सदा बैरी. एक ही पेशे के लोग सदैव एक दूसरे की काट करते हैं.

हमाम में सभी नंगे. अरब देशों में पानी की बहुत कमी होने के कारण सामूहिक स्नानघरों (हमाम) का रिवाज़ था. जापान में भी ऐसे हमाम हुआ करते थे. कहावत को इस प्रकार प्रयोग करते हैं कि एक ही पेशे में काम करने वाले लोग या एक ही संगठन के लोग एक दूसरे की पोलें जानते हैं और यह जानते हैं कि ऊपर से संभ्रांत दिखने वाले लोग अंदर से कितने भ्रष्ट हैं.

हमारी बिल्ली हमीं से म्याऊँ. जब आपकी छत्रछाया में पलने वाला कोई व्यक्ति आपको ही आंखें दिखाएं तो यह कहावत कही जाती है. रूपान्तर – मेरी खिलाई हुई लोमड़ी और मुझसे ही चालबाजी.

हमारे घर आओगे क्या लाओगे, तुम्हारे घर आएंगे क्या खिलाओगे. केवल अपना स्वार्थ देखना.

हमारे साथ रहोगे तो मजे में रहोगे. आपसी हंसी मजाक में बोली जाने वाली कहावत. सन्दर्भ कथा – एक जाट शेखचिल्ली के साथ कहीं जा रहा था. रास्ते में सड़क पर एक मूंगफली पड़ी दिखी. शेखचिल्ली ने जाट से कहा, इसे उठाओ, जाट ने उठा लिया, फिर कहा अब छीलो, जाट ने छील दिया, फिर बोला अब खा लो. जाट ने मूंगफली खा ली और बोला अब क्या? शेखचिल्ली बोला अब क्या, हमारे साथ रहोगे तो मजे में रहोगे. कोई बहुत छोटा सा काम कर के किसी पर एहसान जता रहा हो तो मजाक में यह कहावत कही जाती है.

हमीं से आग मांग लाए, नाम रखा वसुन्धर. यहाँ वसुंधर शब्द संभवत: वैश्वानर का अपभ्रंश है जिसका अर्थ दिव्य अग्नि है. हमारे घर से आग मांग कर वैश्वानर नाम रख लिया है.

हमेशा बचाएं, समय, पैसा, ईमान. अर्थ स्पष्ट है.

हम्माम की लुंगी, जिसने चाहा बाँध ली. सामूहिक उपयोग की वस्तु. वैश्या के लिए भी कहा गया है.

हर आदमी बुद्धिमान है, जब तक वह बोलता नहीं. जब तक कोई आदमी बोलता नहीं है, उस के विषय में अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि वह कितना बुद्धिमान है. कहावत के द्वारा यह सन्देश दिया गया है कि व्यक्ति को कम बोलना चाहिए और तोल कर बोलना चाहिए. यदि आप अधिक बोलते हैं तो इस बात की संभावना अधिक है कि आप बेबकूफ सिद्ध हो जाएं. इंग्लिश में कहावत है – Better be silent and pretend ignorance, than speaking out and proving it.

हर आदमी सोचता है कि दुनिया उसके बिना नहीं चल सकती. हर व्यक्ति अपने को अति महत्वपूर्ण समझता है.

हर एक के कान में शैतान ने फूंक मार दी, है तेरे बराबर कोई नहीं. शैतान के बारे में यह माना जाता है कि वह आदमी के दिमाग में गलत बातें भर कर लड़ाई झगड़े कराता है.  

हर चिड़िया को अपना घोंसला प्यारा. हर जीव जन्तु को अपना घर प्यारा होता है.

हर दे हरवाहा दे और गाड़ी हांके के डंडा दे. (भोजपुरी कहावत) हल, हलवाहा और डंडा सब दीजिए. जो सब कुछ दूसरे से ही अपेक्षा करते हैं उनके लिए कहा गया है.

हर निवाले बिस्मिल्ला. उन लोगों के लिए जो हमेशा खाने को तैयार रहें, पर काम कुछ न करें.

हर बूँद मोती नहीं बनती. कोई कोई लोग ही उत्तम गुण विकसित कर पाते हैं.

हर मरीज ठीक होने के बाद डॉक्टर हो जाता है. इलाज से ठीक हुए लोग अपने आप को डॉक्टर से भी अधिक होशियार समझने लगते हैं.

हर रात का एक सवेरा. संकट कितना भी बड़ा हो, कभी न कभी समाप्त होता है.

हर राह की दो दिशाएँ. किसी भी रास्ते पर चलो, अच्छे और बुरे विकल्प हर जगह हैं.

हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजामे गुलिस्तां क्या होगा. यह उर्दू के एक प्रसिद्ध शेर की दूसरी लाइन है. (पहली लाइन है – बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफी था). चाहे कोई शेर, दोहा, चौपाई, श्लोक या सुभाषित हो, लोगों की जबान पर चढ़ जाए तो कहावत बन जाता है. किसी सरकारी दफ्तर में या राजनैतिक दल में सब एक से बढ़ कर एक हों तो यह कहावत कही जाती है.

हर सीप में मोती नहीं मिलता. सभी व्यक्तियों में उत्तम गुण नहीं होते और हर घर में गुणवान लोग नहीं मिलते.

हर हाल में माला, फूलों की या जूतों की. जीत कर आयेंगे तो लोग फूल मालाओं से स्वागत करेंगे, हार कर आयेंगे तो जूतों की माला पहनाएंगे.

हरजोता भूखा मरे, रांड मलीदा खायं.   गरीब मेहनतकश हल जोतने वाला भूखा मर रहा है और चरित्रहीन स्त्रियाँ बढ़िया माल खा रही हैं. रूपान्तर – हर हाँकेँ भूखे मरे, बाबा लड्डू खायँ.

हरफनमौला, हरफन अधूरा. जो हर काम में टांग अड़ाता हो और कोई काम ठीक से न कर पाता हो उस के लिए.

हराम का खाना और शलजम. हराम में खाने को मिल रहा हो तो शलजम क्यों खाएंगे.

हराम की कमाई हराम में गँवाई. किसी का गलत तरीकों से कमाया गया धन बर्बाद हो जाए तो दूसरे लोग मजा लेने के लिए ऐसे बोलते हैं. (हराम का माल हराम में जाता है). इंग्लिश में कहते हैं – ill gotten, ill spent.

हराम की कमाई, धरमखाते में लगाईं. कुछ लोग गलत तरीकों से हासिल किए गए धन को धार्मिक कार्यों में लगा कर धर्मात्मा होने का ढोंग करते हैं.

हराम चालीस घर ले के डूबता है. जो हराम की कमाई करता है वह खुद तो डूबता ही है, साथ में और बहुत से लोगों को भी ले डूबता है जो जाने अनजाने उस कमाई में साझेदार होते हैं.

हरामजादे से खुदा भी डरता है. बेशर्म आदमी से भगवान भी डरते हैं. रूपान्तर – नंग बड़े परमेश्वर से.

हरि अनंत हरिकथा अनंता (कहहिं सुनहिं एहि विधि सब संता). ईश्वर अनंत है और ईश्वर की कथा का भी कोई आदि व अंत नहीं है. 

हरि बड़े कि हिरण बड़ा, शगुन बड़ा कि श्याम. किसी काम के लिए जाओ तो हिरन का दिखना बदशगुनी माना जाता है. हिरन को देख कर अर्जुन युद्ध के लिए जाने को मना करने लगा तो भगवान कृष्ण ने कहा कि मैं तुम्हारा रथ हांक रहा हूँ तो अपशकुन तुम्हारा क्या बिगाड़ लेगा.

हरि रूठे गुरु देत मिलाय, गुरु रूठे हरि सकत न पाय. भगवान रुष्ट हो जाएँ तो गुरु उनसे मिला सकते हैं पर गुरु ही नाराज हो जाएँ तो कोई सहायता नहीं कर सकता. इसलिए गुरु को नाराज नहीं करना चाहिए.

हरि सेवा सोलह बरस, गुरु सेवा पल चार, तो भी नहीं बराबरी, वेदों किया बिचार. भगवान की भक्ति सोलह वर्ष करने में जो पुण्य मिलता है उससे ज्यादा पुण्य चार पल गुरु की सेवा करने से मिलता है.

हरी करी सो खरी. ईश्वर ने जो किया वह अच्छा ही किया है.

हरी हरी घास पे गधे चर रहे हैं, आता जाता कुछ नहीं अन्ताक्षरी कर रहे हैं. अन्ताक्षरी जैसे फ़ालतू और समय नष्ट करने वाले काम में लगे लोगों पर व्यंग्य.

हरे पेड़ तले सब बैठते हैं. समृद्ध और परोपकारी व्यक्ति की छत्र छाया में सब रहना चाहते हैं.

हरे राम तो देवे कौन, देवे राम तो हरे कौन. राम छीने तो कौन दे सकता है, राम दे तो छीन कौन सकता है.

हर्दी न छोड़े ज़र्दी, बुलबुल न छोड़े रंग. व्यक्ति का स्वभाव नहीं बदलता. हर्दी – हल्दी, जर्दी – पीला रंग.

हर्र बहेड़ा आंवला, घी शक्कर संग खाए, हाथी दाबे कांख में, साठ कोस ले जाए. लोक विश्वास है कि हरड़, बहेड़ा और आंवले को घी व चीनी के साथ खाने से बहुत ताकत आती है.

हर्र लगे न फिटकरी रंग चोखा आय. बिना कुछ लागत लगे बढ़िया काम हो जाए तो.

हल का बैल खल खाए, बकरी अचार खाए. काम करने वालों को रूखा सूखा और बेकार लोगों को दावत.

हल चलाए बैल और हांफे कुत्ता. परिश्रम कोई करे पर दिखावा कोई और, तो यह कहावत कही जाती है.

हल दादा के, बैल दादा के, टिकटिक करने में क्या लगे. दूसरों की वस्तु प्रयोग करने में गाँठ का क्या जाता है.

हल हांकें और ढोर चरावें, ब्यारी न करें तो मरहि न जावें. ब्यारी–रात का भोजन. ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर लोग दो बार भोजन करते हैं, अधिक शारीरिक श्रम करने वालों के लिए तीसरी बार भोजन करना आवश्यक है. 

हलक का न तालू का, ये माल मियां लालू का. नंबर दो का धन.

हलके ही छलकें. जो हलके अर्थात कम भरे हुए पात्र होते हैं वे ही छलकते हैं. कम बुद्धि लोग अधिक बोलते हैं.

हलवा खाने को मुंह चाहिए. अगर आप बढ़िया भोजन करना चाहते हों, बढ़िया वस्त्राभूषण पहनना चाहते हों तो अपने को उसके लायक बनाएं.

हलवा पूड़ी नौकर खाए, पोता फेरने बीबी जाए. नौकर को अनावश्यक तवज्जो देना और घर वालों से काम करवाना.

हलवाई का बिलौटा (हलवाई की बिलइया हो रहे). मुफ्त का माल खा कर मुस्टंडा होने वाला व्यक्ति.

हलवाई की जाई, सोवे साथ कसाई. जाई – बेटी. हलवाई की बेटी कसाई के साथ सोए तो यह घोर अनैतिक काम माना जाएगा.

हलाल में हरकत, हराम में बरकत. आज के समय में ईमानदारी से काम करने में बहुत सी परेशानियाँ हैं और नुकसान भी होता है जबकि बेईमानी करने में नफा ही नफा है.

हलुवा भी बादी करे, देख दैव का खेल. ईश्वर का यह कैसा खेल है कि गरीब तो अच्छी चीजें इसलिए नहीं खा सकता क्योंकि उसे खाने को नहीं मिलतीं और धनी लोग सब कुछ होते हुए भी अपच के कारण नहीं खा पाते. 

हल्का सवार घोड़ा मारे दुलत्ती. कमजोर व्यक्तियों का सम्मान कोई नहीं करता.

हाँई को मरे, नाँई को जिये. किसी आदमी से ‘हाँ’ कह देने पर बाद में काम न हो पाए तो वह दुख से मरता है और कहने वाला शरम से मरता है. परन्तु पहले से ही किसी को ‘ना’ कर दी जाय तो कोई हानि नहीं होती.

हाँके से टट्टू चले, सूँघे इतर बसाए, पूछे बेटा जानिये, तीनों दे बहाय. जो टट्टू केवल हांकने से चले, जो इत्र पास ला कर सूंघने से महसूस हो, जिस बेटे के पिता का नाम पूछना पड़े (उस के रूप रंग और गुणों से न मालूम पड़े) ये तीनों ही बहा देने योग्य हैं.

हाँजी हाँजी सबकी कीजै, करिए अपने मन की. बेशक सब की हाँ में हाँ मिलाइए पर कीजिए अपने मन की.

हांक लगाने से कुआं नहीं खुदता. केवल बातें करने से बड़े काम नहीं होते, उसके लिए परिश्रम करना पड़ता है.

हांके दस गज फाड़ें एक गज. जो लोग हांकते बहुत हैं और काम बहुत कम करते हैं.

हांडी जैसा ठीकरा, बाप जैसा डीकरा. मिट्टी के घड़े का टुकड़ा (ठीकरा) भी घड़े की तरह का ही होता है, इसी प्रकार बेटा भी पिता जैसा ही होता है.

हांडी न डोई, घर घर हमारी रसोई. मांग कर खाने वालों के लिए यह कहावत कही जाती है.

हांडी में होगा सो डोई में आप ही आएगा. डोई माने करछी. हांडी में क्या पक रहा है यह जानने के लिए अधिक बेचैन मत होइए, वह करछी में आ जाएगा.

हांसी बैरी नार की, खांसी बैरी चोर की. हँसी स्त्री को ले डूबती है और खांसी चोर को. (हरयाणवी कहावत – चोर नै फंसावै खांसी और छोरी नै फंसावै हांसी).

हाकिम की अगाडी और घोड़े की पिछाडी से बचना चाहिए. हाकिम के सामने खड़े रहोगे तो कुछ न कुछ काम बताता रहेगा. एक तो काम में पिसना पड़ेगा, ऊपर से अगर काम कुछ गड़बड़ हो गया तो नाराजगी अलग. इसलिए उसके सामने ही मत पड़ो. घोड़े के पीछे नहीं खड़ा होना चाहिए क्योंकि उस में दुलत्ती खाने का डर है. रूपान्तर – मर्द की अगाड़ी और घोड़े की पिछाड़ी से बचना चाहिए. कुछ लोग इस को और बढ़ा कर बोलते हैं – हाकिम की अगाड़ी, घोड़े की पिछाड़ी, छिनरे की छाया, सबसे बचो. छिनरा – चरित्रहीन व्यक्ति.

हाकिम के आँख नहीं होतीं, कान होते हैं. हाकिम केवल सुनी हुई बात मान लेते हैं, खुद नहीं कुछ देखते हैं.

हाकिम के तीन, अधीनों के नौ. रिश्वत के तीन हिस्से हाकिम तक पहुँचते हैं, नौ भाग नीचे के लोग खा जाते हैं.

हाकिम के मूंड में न्याय. हाकिम जो कह दें वही सब को मानना पड़ता है.

हाकिम गरीब ताकी धाक न परत है. हाकिम गरीब हो तो लोग उसका रुआब नहीं मानते.

हाकिम चून का भी बुरा. कुछ लोग मानते हैं कि हाकिम केवल बुरा ही होता है. वह जनता और मातहतों का अच्छा कभी सोच भी नहीं सकता.

हाकिम टले, हुकुम न टले. हाकिम चला भी जाए तो भी उसका हुकुम बरकरार रहता है.

हाकिम वैद्य रसोइया, नट वैश्या और भट, इनसे कपट न कीजिए, इनका रचा कपट. इन सब लोगों से कपट नहीं करना चाहिए क्योंकि ये हर दांवपेंच जानते हैं.

हाकिम से दूर, चिंता से दूर. हाकिम से जितना दूर रहोगे चिंता से उतना ही दूर रहोगे.

हाकिम से बैर कैसा. हाकिम से वैर नहीं करना चाहिए. अगर वह बुरा भी है तो भी उसको निभाने का रास्ता निकालना चाहिए.

हाकिम हारे, मुंह पर मारे. 1. हाकिम अगर कोई शर्त इत्यादि हार जाए तो भी जबरदस्ती अपनी बात मनवाना चाहता है. 2. हाकिम यदि अपने से बड़े हाकिम से डांट खाता है तो अधीनस्थों पर गुस्सा निकालता है.

हाकिमी गरम की, दुकनदारी नरम की, दलाली बेसरम की, सराफी भरम की, दौलत करम की और बात मरम की.  हुकूमत करनी को तो कड़क स्वभाव होना जरूरी है और व्यापार करना हो तो बोली नरम होनी चाहिए, दलाली करनी हो तो बेशरम होना जरूरी है, सर्राफ को अपनी हवा बना कर रखना जरूरी है, दौलत कर्म और भाग्य से होती है और बात अर्थपूर्ण ही करना चाहिए. रूपान्तर – हाकिमी गरमाई की, हाट नरमाई की.

हाजिर पावे, गाफिल रोवे. हाजिर – जो मौजूद हो, गाफिल – जो अपने आस पास ध्यान न दे. जो समय पर मौजूद है और सतर्क है वह तो अपना हिस्सा पा जाता है और जो चूक गया वह फिर रोता है.

हाजिर में हुज्जत क्या. जो सामान सामने मौजूद है उस में क्या बहस करना.

हाजिर में हुज्जत नहीं, गैर में तकरार नहीं. जो मेरे पास है वह मैं फ़ौरन दे सकता हूँ, जो मेरे पास नहीं है उस का मैं कोई वादा नहीं करता.

हाजिर सो वजीर. जो व्यक्ति मौके पर उपस्थित हो उसी की पौ बारह होती है.

हाजिर सो ही हथियार. जो हथियार आवश्यकता के समय अपने पास उपलब्ध हो वही हथियार माना जाता है.

हाट गाई, बाट गाई, सभा बीच न गाई. हाट–बाजार, बाट–रास्ता. जब कोई व्यक्ति अपने मन से कोई काम कहीं भी कर लेता है लेकिन जब विशेष समय करने को कहा जाय तो नहीं करता तो ये कहावत कही जाती है.

हाट जा बाजार जा, चाहे ला कर चोरी, कमाने का बूता नहीं, तो काहे ब्याही गोरी. निठल्ले पति से तंग आई पत्नी का कथन.

हाट भली न सीर की, संगत भली न वीर की. हाट – दुकान, सीर – साझा. साझे की दुकान हमेशा घाटा देती है और वीर पुरुष के साथ रहने पर जान जोखिम में डालनी पडती है.

हाड़ रहेगा तो मांस बहुतेरा हो जाएगा.  जान बची रहेगी तो शरीर तो बाद में स्वस्थ हो ही जाएगा. व्यापार बचा रहेगा तो बाद में कमाई बहुतेरी हो जाएगी.

हातिम की गोर (कब्र) पर लात मारी. गोर – कब्र. हातिम ताई यमन का एक प्रसिद्ध राजा हुआ है जोकि शूरवीर और दानी था. उसकी कब्र पर वही लात मारेगा जो मूर्ख और अहंकारी होगा.

हाथ आई बिल्ली छोड़ के म्याऊं म्याऊँ करना. हाथ आया अवसर गंवा कर फिर पछताना.

हाथ और हथियार, पेट के आधार. कामगार लोगों के हाथ और औजार ही उनका पेट पालने के साधन हैं.

हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या. बात उस समय की है जब दर्पण (आइने) बहुत महंगे और बहुत कम होते थे. एक छोटे से दर्पण को आरसी कहा जाता था. हाथ में पहनने वाले कंगन में आरसी से भी छोटे शीशे जड़े जाते थे. उस समय हिंदी और उर्दू बोलचाल की भाषा थी और ज्यादा पढ़े लिखे लोग फारसी पढ़ा करते थे. कहावत का अर्थ है जिसके हाथ में कंगन हो उसके लिए आरसी क्या बड़ी चीज है और जो पढ़ा लिखा है उसके लिए फारसी कौन बड़ी चीज है. कुछ लोग इस का अर्थ इस प्रकार करते हैं कि हाथ में कंगन है यह तो सामने ही दिख रहा है, इसको देखने के लिए आरसी की क्या जरूरत.

हाथ करे सो हाथ सोहे पाँव करे सो पाँव. हाथ का काम हाथ को शोभा देता है और पाँव का काम पाँव को. इसी प्रकार समाज में जो जिस का काम है वही करे तो संतुलन बना रहता है.

हाथ कसीदा, आसमान दीदा. जो काम हाथ में है उस पर ध्यान न दे कर फालतू चीजों पर ध्यान केंद्रित करना.

हाथ का चूहा, बिल में बैठा. हाथ आई चीज हाथ से निकल जाए तो.

हाथ का दिया ही साथ जाता है. दिया हुआ दान (पुण्य) ही परलोक में साथ जाता है.

हाथ की लकीरें, मिटाए नहीं मिटतीं. कोई अपने भाग्य को नहीं बदल सकता.

हाथ कौड़ी, न बाज़ार लेखा. पास में कुछ भी नहीं और बाज़ार में भी किसी पर रकम उधार नहीं है. (तो व्यापार किसके बूते करें).

हाथ न पहुंचे, थू कौड़ी. जो चीज़ हमारी पहुँच से बाहर है उस पर थू. रूपान्तर – अंगूर खट्टे हैं.

हाथ पर दही नहीं जमता. जो काम सम्भव नहीं है उसके लिए कहा गया है. (हथेली पर सरसों नहीं जमती).

हाथ पसारने से पैर पसारना अच्छा. हाथ पसारना – माँगना, पैर पसारने से यहाँ अर्थ है मृत्यु होना. किसी से कुछ माँगना पड़े इससे तो मौत अच्छी.

हाथ पाँव की काहिली, मुँह में मूंछें जायं.  आलस के मारे अपने शरीर तक की देखभाल ठीक से न करना.

हाथ पाँव सुटुकिया, पेट मटुकिया. दुबला-पतला आदमी जिसका पेट बड़ा हो, अथवा जो बहुत खाता हो.

हाथ बेचा है कोई जात नहीं बेची. यदि हम किसी के यहाँ नौकरी कर रहे हैं तो इस का मतलब यह नहीं है कि हमारा दीन, ईमान, इज्ज़त कुछ भी नहीं है.

हाथ में न गात में, मैं धनवंती जात में. गात – शरीर. ऐसी स्त्री जिसके पास न पैसा है, न देखने में आभिजात्य वर्ग की लगती है, मगर कहती है कि जात मेरी धनवानों की है. बड़े आदमियों में मेरी गिनती है.

हाथ में पैसा रहे, तभी बुद्धि काम करे. (भोजपुरी कहावत) हाथ में पैसा रहने पर ही बुद्धि काम करती है.

हाथ में माला और पेट में कुदाला. ईश्वर भक्ति का ढोंग करने वाले कपटी लोगों के लिए.

हाथ में लिया कांसा, तो पेट का क्या सांसा. भीख मांगने का तय कर लिया तो पेट तो भर ही जाएगा.

हाथ सुमरनी बगल कतरनी, पढ़े भागवत गीता रे, औरों को तो ज्ञान बतावे, आप रहे खुद रीता रे. ढोंगी साधु के लिए. सुमरनी – जपने वाली माला, कतरनी – कैंची, रीता – खाली.

हाथ से मारे, भात से न मारे. किसी कर्मचारी को उसकी गलती के लिए प्रताड़ित करना हो तो हाथ से मार लो, उसकी जीविका (रोटी) मत छीनो. रूपान्तर – पीठ की मार मारे पेट की न मारे.

हाथिन के साथे गन्ना खाये. हाथी के साथ खेत में घुसकर कमजोर जानवर भी गन्ने खा जाते हैं. इसी प्रकार नेताओं और माफियाओं की शह पर कमजोर लोग भी अपराध करने से नहीं चूकते.

हाथियों से हल नहीं चलवाए जाते. हर मनुष्य, पशु और वस्तु की उपयोगिता अलग अलग होती है. हाथी की सवारी की जा सकती है, हाथी युद्ध में काम आ सकता है पर हल नहीं चला सकता.

हाथी अपनी हथियाई पे आ जाए तो आदमी भुनगा है. अति बलवान व्यक्ति अगर अपना बल दिखाने लगे तो छोटे लोगों को बर्बाद कर सकता है.

हाथी अपने सिर पर ही धूल डालता है. हर कोई अपना स्वार्थ ही देखता है.

हाथी आया हाथी आया, हाथी ने किया भौं. किसी के आने से पहले बहुत महिमामंडन किया जा रहा हो और जब वह आए तो मालूम हो कि यह तो कुछ भी नहीं है तो यह कहावत कही जाती है. 

हाथी का जग साथी, कीड़ी पायन पीड़ी. हाथी पर बैठना सब चाहते हैं और चींटी को पैरों से कुचल देते हैं. बड़े के सब यार हैं.

हाथी का दांत, कुत्ते की पूँछ और चुगलखोर की जीभ सदा टेढ़ी रहती है. चुगलखोर कभी सीधी बात नहीं बोलता, हमेशा कुछ न कुछ हेर फेर कर के लोगों की निंदा करता रहता है.

हाथी का दांत, घोड़े की लात और मूंजी का चंगुल, इनसे बचना चाहिए. मूंजी–जालिम और कंजूस. अर्थ स्पष्ट है.

हाथी का पीर अंकुश. हाथी जैसे बड़े जानवर को अंकुश जैसी छोटी सी चीज़ से नियंत्रित किया जा सकता है. 

हाथी का बोझ हाथी ही उठा सकता है. बड़े आदमी का बोझ बड़ा आदमी ही उठा सकता है.

हाथी कितना भी घटे भैंसा थोड़े ही हो जाएगा. किसी बहुत धनी व्यक्ति को अगर व्यापार में नुकसान हो जाए तो ऐसा कहा जाता है.

हाथी की खा जो पेट तो भरे, गधे की मत खा जो पोंकता फिरे. रिश्वत ही खानी है तो बड़े मामले में खाओ जिस से पेट तो भरे. रूपान्तर – गू खाए तो हाथी का जो पेट तो भरे, बकरी की मींगनी क्या खाए जो दाढ़ भी न भरे.

हाथी की झूल गधे पर नहीं लादी जाती. जिस वस्तु का जहाँ उपयोग हो वहीं करना चाहिए. 

हाथी की टक्कर हाथी ही संभाले. बड़े की टक्कर बड़ा ही सम्भाल सकता है.

हाथी की पीठ पर रूई का फाहा. किसी हृष्ट पुष्ट व्यक्ति को बहुत हल्का काम बताया जाए तो.

हाथी के दाँत, मरद की बात. जिस प्रकार हाथी के खाने के दांत अंदर होते हैं और दिखाने के दांत बाहर, उसी प्रकार मर्द मन में कुछ और रखते हैं और ऊपर से बोलते कुछ और हैं.

हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और. जो लोग ईमानदारी या धार्मिकता का दिखावा तो बहुत करते हैं पर उनकी असलियत कुछ और होती है, उनके लिए यह कहावत प्रयोग की जाती है.

हाथी के पाँव में सबका पाँव. यदि हाथी के पांव का निशान बना हो तो सारे जानवरों के पांव के निशान उसके भीतर समा जाएंगे. इस कहावत का प्रयोग हंसी मजाक में करते हैं. जैसे कहीं दावत में घर का एक बड़ा आदमी चला जाए तो सबका जाना मान लिया जाएगा.

हाथी के पेट में टोना पचे. शक्तिशाली और आत्मविश्वासी लोग झाड़ फूंक और जादू टोनों से नहीं डरते.

हाथी के पेट में लक्कड़ भी पचे. बड़े हाकिम और भ्रष्ट नेता बड़ी से बड़ी रिश्वतें आसानी से पचा लेते हैं.

हाथी के पेट से जाड़ा. हस्ति नक्षत्र से जाड़ा शुरू होता है.

हाथी खरीदना आसान है पर पालना मुश्किल. किसी चीज़ की कीमत कितनी भी हो, उससे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि उस का रख रखाव का खर्च हम उठा पाएंगे कि नहीं. सन्दर्भ कथा – एक बार जमीदार के यहां एक आदमी हाथी बेचने आया. जमीदार के लड़के ने पूछा, हाथी कितने का? वह आदमी बोला एक रूपए का. लड़के ने जमीदार की तरफ प्रश्नवाचक निगाह से देखा. जमीदार बोले, भाई बहुत महंगा है नहीं ले पाएंगे. छः महीने बाद कोई दूसरा आदमी हाथी बेचने आया. लड़के ने फिर पूछा, हाथी कितने का. वह आदमी बोला एक लाख का. जमीदार लड़के से बोले खरीद लो, काम आएगा. लड़का बोला पिता जी तब तो आपने एक रूपए में हाथी लेने को मना कर दिया था, अब एक लाख में लेने को कह रहे हैं, ऐसा क्यों? जमींदार बोले, बेटा तब हाथी को खिलाने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए हाथी बहुत महंगा था. इस कहावत में यह सीख दी गई है कि कोई चीज खरीदने से पहले यह गणित अवश्य लगाओ कि उसके रख रखाव में जो खर्च होगा वह हम कर पाएंगे या नहीं.

हाथी घोड़ा डूब गए, गदहा पूछत कित्तो पानी. जिस काम में बड़े बड़े दिग्गज फेल हो गए हों उसे करने के लिए कोई बेबकूफ सा आदमी अपनी अक्ल लगाए तो. किसी मरीज की जटिल बीमारी का डॉक्टर पता न लगा पा रहे हों और कोई मूर्ख सा व्यक्ति पूछे कि इन्हें क्या बीमारी है तो डॉक्टर ऐसा बोलते हैं.

हाथी चले जाते हैं, कुत्ते भौंकते रह जाते हैं. (हाथी चले बजार, कुकुर भौंके हजार) कोई सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण व्यक्ति कोई बड़ा काम कर रहा हो और लोग उसका मजाक उडाएं या उसे गालियां दें, फिर भी वह उनकी परवाह किए बगैर अपने काम में लगा रहे, तो यह कहावत कही जाती है.

हाथी जाए गाँव गाँव, जिसका हाथी उसका नाँव (नाम). हाथी जहाँ जाता है वहाँ के लोग जान जाते हैं कि हाथी किसका है अर्थात वे उस की रईसी के बारे में जान जाते हैं.

हाथी निकल गया पूंछ रह गई. काम पूरा होते होते अंत में अटक जाना.

हाथी पर चढ़ कर गधे पे क्या चढ़ना. बड़ी उपलब्धि हासिल करने के बाद छोटा काम क्यों करना.

हाथी पर मक्खी का क्या बोझ. बहुत बड़े लोगों पर छोटे मोटे लोगों की सहायता करने में कोई बोझ नहीं पड़ता.

हाथी बहुत भरकम पर कभी तो मरेगा. कोई व्यक्ति कितना भी शक्तिशाली या सम्पन्न क्यों न हो कभी न कभी उस का भी अंत होगा.

हाथी बेच कर अंकुश पे लड़ाई. बड़े बड़े सौदे कर के छोटी सी बात पर लड़ना.

हाथी बैठा हुआ भी गधे से ऊँचा. अर्थ स्पष्ट है. 

हाथी मरा हुआ भी सवा लाख का. सभी लोग जानते हैं कि हाथी की कीमत बहुत अधिक होती है. यहां मजाक में धनी लोगों की तुलना हाथी से की गई है. उसके बाद उनका मजाक उड़ाने के लिए यह कहावत कही गई है.

हाथी से मेढ़ा लड़े, अपना घर बर्बाद करे. भेड़ों के नर को मेढ़ा कहते हैं. मेढ़ा बड़े लड़ाकू किस्म का होता है इसलिए पुराने जमाने में लोग मेढ़ों की टक्कर का खेल खेलते थे. मेढ़ा कितना भी जुझारू क्यों न हो उसे मेढ़ों से ही लड़ना चाहिए हाथी से नहीं. कोई छोटी हैसियत का आदमी अपने से बहुत बड़े आदमी से लड़ेगा तो बर्बाद हो जाएगा. इंग्लिश में कहावत है – Be careful in choosing your enemies.

हाथी हजार का, महावत कौड़ी चार का. हाथी की कीमत बहुत अधिक होती है लेकिन उसे हांकने वाले महावत की कीमत बहुत कम.

हाथी हजार लटा, तो भी सवा लाख टके का (हाथी लटेगा भी तो कितना). बहुत धनी व्यक्ति को यदि व्यापार में नुकसान हो जाए तो भी वह धनी ही रहता है.

हाथी हाथी कह कर गदहा मत ले आना.  बहुत बड़ा आश्वासन दे कर छोटी चीज न ले आना.

हाथों की लकीर पर विश्वास न करो, तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते. जो लोग यह अंध विश्वास रखते हैं कि मनुष्य का भाग्य उस के हाथ की रेखाओं में लिखा होता है उनको सीख देने के लिए.

हाथों से लगावे, पैरों से बुझावे. खुद ही आग लगाना और फिर बुझाने का नाटक करना.

हानि दोनों ओर की होती कलह में सर्वदा. झगड़े में हमेशा दोनों पक्षों की हानि होती है.

हानि लाभ जीवन मरण जस अपजस विधि हाथ. व्यापार में हानि होगी या लाभ होगा, जीवन कब तक है और मृत्यु कब आएगी, व्यक्ति को कब और कितना यश या अपयश मिलेगा ये सब ईश्वर के हाथ में है.

हाय जवानी बावरी, एक बार फिरि आव. बूढ़े लोग कहते हैं कि जवानी एक पागलपन है, फिर भी दोबारा जवान होने के लिए लालायित रहते हैं.

हार मानी झगड़ा टूटा. जब दो लोगों में झगड़ा हो रहा होता है तो उन में जो समझदार होता है वह बात को बढ़ाने की बजाए हार मान लेता है. इससे झगड़ा तुरंत समाप्त हो जाता है.

हार मानी, झगड़ा जीता. दो लोगों के झगड़े में सही मानों में जीत उसी की होती है जो हार मान कर झगड़ा समाप्त करा देता है. इंग्लिश में कहावत है – Sometimes the best gain is to loose.

हारा  सिपाही, चोट खाये नाग जैसा. हारा हुआ सिपाही इतना खूंखार हो जाता है कि जैसे दबा हुआ नाग. जो दबने के बाद जिसको भी पाता है डस लेता है.

हारा जुआरी दूना दांव लगाता है. जुए में हारने वाले इंसान को हार कर सद्बुद्धि नहीं आती बल्कि वह हारी हुई रकम वसूलने के लिए दुगुना दांव लगाता है. (महाभारत का उदाहरण सब को याद ही होगा).

हारिल की लकड़ी, पकड़ी सो पकड़ी. हारिल नाम का कबूतर की प्रजाति का एक पक्षी होता है जो हर समय अपने पंजे में लकड़ी को जकड़े रहता है. ऐसे व्यक्ति के लिए जो अपनी बात या विश्वास से हटने को तैयार न हो.

हारी नारी के मुँह में गारी. कमजोर व्यक्ति हारने पर गालियों का सहारा लेता है.

हारे का सहारा, तम्बाखू बेचारा. तम्बाखू खाने वाले अपने आप को धोखा देने के लिए इस प्रकार बोलते हैं.

हारे भी हार और जीते भी हार. झगड़े या बहस में यदि आप हार जाते हैं तब तो हार है ही और अगर जीत जाते हैं तो भी एक प्रकार से हार जाते हैं, क्योंकि आप एक मित्र को खो देते हैं या उस व्यक्ति से हमेशा के लिए सम्बन्ध खराब कर लेते हैं. इंग्लिश में कहावत है – when you win an argument, you lose a friend.

हारे हुए जुआरी का कौन साथी. हारे हुए जुआरी से सब कन्नी काट लेते हैं. 

हाल जाए हवाल जाए पर बन्दे का खेल न जाए. सब कुछ चला जाए तो भी धूर्त लोगों की फितरत नहीं बदलती.

हाली का पेट सुहाली से नहीं भरता. हाली – हल चलाने वाला (किसान), सुहाली – मैदा की पापड़ी. मेहनत करने वाले का पेट थोड़ा खाने से नहीं भरता.

हिकमत से हुकूमत. शासन केवल डंडे के जोर पर नहीं बल्कि युक्ति से चलाना होता है.

हिजड़े की कमाई, हजामतों में गई. अपने चेहरे को चिकना रखने के लिए उसे रोज़ हजामत बनवानी पड़ती है. तात्पर्य है कि गलत तरीकों से कमाया धन रुकता नहीं है.

हिजड़े के घर बेटा हुआ है. कोई असम्भव सी बात. जैसे कोई महा कंजूस आदमी लोगों को अपने घर दावत पर बुलाए तो लोग मजाक में यह कहावत कहेंगे.

हिजड़े मजबूरन ब्रहमचारी. कोई यौन शक्ति से सम्पन्न व्यक्ति यदि ब्रह्मचर्य का व्रत धारण करे तो उसे ब्रह्मचारी मानते हैं. कोई नपुंसक व्यक्ति यदि अपने को ब्रह्मचारी बताए तो यह कहावत कही जाएगी.

हिजड़ों के घर लुगाई. बेमेल बात. हिजड़ों के घर स्त्री का क्या काम.

हिजड़ों के बिना ब्याह थोड़ी रुकता है. जो लोग हर काम में अपने को महत्वपूर्ण साबित करने की कोशिश करते हैं उन का मजाक उड़ाने के लिए.

हिजड़ों ने कभी काफिला लूटा है. कायर लोग कभी बहादुरी का काम नहीं कर सकते. सन्दर्भ कथा – एक गाँव से थोड़ी ही दूरी पर एक ऐसा रास्ता निकलता था, जहाँ से होकर काफिले गुजरा करते थे. उस गाँव के कुछ बदमाश लोग उधर से गुजरने वाले काफिलों को लूटने का ही काम किया करते थे. उनकी देखा-देखी उस गाँव में रहने वाले हिजड़ों ने भी आपस में सलाह कर के काफिलों को लूटने का निश्चय किया. योजनानुसार उन्होंने रात्रि को डाकुओं का वेश बनाया और जैसे हथियार मिल सके उन्हें लेकर वे सब उस रास्ते पर जा खड़े हुए.

    आधी रात के बाद एक काफिला उधर से गुजरा तो उन्होंने काफिले वालों को डपटते हुए कहा कि जान प्यारी हो तो ऊंटों को यहीं छोड़ कर भाग जाओ. उस स्थान का ऐसा आतंक छाया हुआ था कि ऊंट पर सवार एक राजपूत  को छोड़ कर शेष सारे लोग भाग गये. डाकू वेशधारी हिजड़ों ने उस राजपूत से भी भाग जाने को कहा. लेकिन वह तलवार निकाल कर अपनी जगह पर डटा रहा और उन्हें ललकारते हुए बोला कि तुम सामने आ जाओ, मैं तुम्हारी तरह हिजड़ा नहीं हूँ जो भाग जाऊं. उस ने तो कायर के अर्थ में हिजड़ा शब्द का प्रयोग किया था पर हिजड़ों ने समझा कि इसने हमें पहचान लिया है. उनकी हिम्मत टूट गई और वे तालियां बजाते हुए और खूब पहचाना जी, खूब पहचाना जी कहते हुए वहां से भाग निकले.

हित अनहित पसु पच्छिऊ जाना, मानुस तनु गुन ज्ञान निधाना. पसु पच्छिऊ – पशु पक्षी भी. अपना भला बुरा तो पशु पक्षी भी समझ लेते हैं, मनुष्य का जन्म तो गुण और ज्ञान की प्राप्ति के लिए मिला है.

हिन्दी न फारसी, मियाँ जी बनारसी. पढ़े लिखे कुछ नहीं हैं और अपने को बहुत होशियार समझते हैं.

हिमायती की गधी, हाथी को लात मारे. जिस कर्मचारी का हाकिम पक्ष लेता है वह निरंकुश हो जाता है.

हिमायती की घोडी, ऐराकी को लात मारे. हिमायती – पक्ष लेने वाला, ऐराकी – घुड़सवार. मालिक किसी नौकर को अधिक सर चढ़ाता है तो वह घर के सदस्यों पर ही रौब गांठने लगता है.

हिम्मत के हिमायती राम. साहसी लोगों का ईश्वर भी साथ देता है. (Fortune favours the brave).

हिय को हो करार, तो सूझें सब त्यौहार. मन में शान्ति हो तभी त्यौहार अच्छे लगते हैं.

हिरण ऊँचा कूदता है तो भी पाँव नीचे ही टिकते हैं. कोई व्यक्ति शक्ति मिलने पर ज्यादा उछल रहा हो तो उस को उस की हैसियत याद दिलाने के लिए यह कहावत कही जाती है. 

हिरन अपनी घात, शिकारी अपनी घात. शिकारी यदि अपने दांव में है तो हिरन भी अपनी दांव में सचेत है.

हिरन का बैरी उसका मांस, औरत का बैरी उसका रूप. हिरन को अपने कोमल मांस के कारण शिकारी पशुओं और मनुष्यों से खतरा है एवं औरत को अपने रूप के कारण काम पिपासु वहशी लोगों से खतरा है.

हिरनों के सींग गीदड़ों को कब सुहाते हैं. हिरन अपने सींगों से आत्म रक्षा कर सकता है इसलिए गीदड़ों को हिरन के सींग नहीं सुहाते. आम मनुष्य अपनी रक्षा के लिए जो उपाय करता है वह चोर लुटेरों को नहीं अच्छे लगते.

हिल्ले रोजी, बहाने मौत. रोजगार से रोजी मिलती है और जब मौत आना होती है तो उसका कोई न कोई बहाना बन जाता है (जैसे कोई बीमारी या दुर्घटना आदि).

हिसाब किताब तो बाप बेटे में भी जायज़ है. निकट से निकट सम्बन्ध में भी हिसाब किताब पूरा रखना चाहिए.

हिस्ट्री ज्योग्राफी बड़ी बेवफा रात को रटो और सुबह को सफा. इतिहास और भूगोल की पढ़ाई बच्चों को बहुत अरुचिकर लगती है.

हींग जाए पर बास न जाए. किसी डिब्बी में हींग कुछ समय के लिए रख दी जाए तो उस को निकालने के बाद भी हींग की गंध आती रहती है. किसी व्यक्ति की सम्पन्नता चली जाए तब भी उसकी बू नहीं जाती.

हीरा हीरे को काटता है. चतुर को चतुर ही हरा सकता है.

हीरे की कदर, जौहरी जाने. अनमोल चीजों की कदर पारखी लोग ही जान सकते हैं.

हुई फज़र, चूल्हे पर नज़र. फज़र – सुबह. हर समय खाने की चिंता करने वालों पर व्यंग्य.

हुकुम हमारा जोर तुम्हारा. 1. कमजोर हाकिम अपने मातहतों से कहता है कि हम ने तो हुकुम दे दिया तुम में ताकत हो तो तामील करवा लो. इससे उलट 2. यह हमारा हुक्म है, तुम में हिम्मत हो तो रोक लो.

हुकुम हाकिम का मौत के समान. छोटे आदमी के लिए किसी अधिकारी का हुक्म मौत के बराबर होता है.

हुकूमत की घोड़ी, छै पसेरी दाना. सरकारी कामों में फालतू खर्च बहुत होते हैं.

हुक्का चार वक्त अच्छा, सो के, मुँह धो के, खा के और नहा के ; हुक्का चार वक्त बुरा, आंधी में, अँधेरे में, भूख में और धूप में. धूम्रपान किसी भी रूप में हो बुरा ही होता है, पर हुक्का पीने वाले अपने हिसाब से चलते हैं.

हुक्का हर का लाड़ला रक्खे सब का मान, भरी सभा में यूँ फिरे ज्यों गोपिन्ह में कान्ह. नशा करने वाले अपने अपने नशे को उचित ठहराने का प्रयास करते हैं. उसी की एक बानगी.      

हुक्का हुकम खुदा का, चिलम बहिश्त का फूल, पीयें बन्द खुदा के, घूरें नामाकूल. हुक्का और चिलम पीने वाले इस प्रकार से अपने को धोखा देते हैं. बहिश्त – स्वर्ग, नामाकूल – नालायक.

हुक्का, सुंघनी, वैश्या, गूजर, तुरक औ जाट, इनमें छूआ छूत कहाँ, जगन्नाथ का भात. जिस प्रकार जगन्नाथ जी के चावल के पसाद में कोई छुआछूत नहीं मानी जाती वैसे ही इन सब सभी चीजों में छुआछूत नहीं मानी जाती. 

हुनरमंद हर हाल में खुश. जिसके हाथ में हुनर है उसे किसी चीज़ की कमी नहीं रहती.

हुसियार लइका हगते चिन्हाला. (भोजपुरी कहावत) चिन्हाला – पहचान लिया जाता है. होशियार लड़का शौच करते समय भी पहचान लिया जाता है.

हूर भी सौतन तो डायन से बुरी है. वैसे तो सभी लोग हूरों और फरिश्तों से दोस्ती करना चाहते हैं, पर हूर अगर सौत बन जाए तो डायन से भी बुरी है. 

हृदय प्रीत, मुख वचन कठोरा. माता पिता बालक से प्रेम रखते हैं पर उसके भले के लिए कठोर वचन बोलते हैं.

हृदय में गाँठ तो चाल में आँट. मन में खोट हो तो व्यक्ति की चाल बदल जाती है.

हेजिए के बच्चे और नदीदी के खसम से बात करना भी बुरा. हेजिया – जिसे अपने बच्चों का बहुत हेज (मूर्खता की हद तक लाड़) हो, नदीदी – ओछी सोच वाली स्त्री. ये दोनों बिना बात लड़ने को तैयार रहते हैं.

हेमदान गजदान से बड़ा दान सनमान. किसी को हाथी, घोड़ा, सोना, चांदी दान देने से भी बड़ा दान है सम्मान देना. हेम – सोना. 

है घरनी घर हाँसे है, नै घरनी घर नासै है. गृहिणी के होने से घर मुस्कुराता है और न होने से नष्ट हो जाता है.

है तो पागल, पर बात पते की कहता है (पागल है पर बेबकूफ नहीं है). बहुत से लोग बुद्धिमान होते हैं पर पागल होने की हद तक सनकी होते हैं. पागल होना और मूर्ख होना दो अलग बातें हैं. 

है सबका गुरुदेव रुपैया. आज के भौतिक वादी युग में रुपया सब का गुरु है. 

हैं मर्द वही पूरे जो हर हाल में खुश हैं. जो हर हाल में खुश रहना जानते हैं वही सच्चे मर्द हैं.

हो गईं ढड्ढो, ठुमक चाल कैसी. जो स्त्री बूढ़ी होने पर भी बन ठन के रहे. ढड्ढो – बूढ़ी औरत.

होएं भले के अनभले, होएं दानी के सूम, होएं कपूत सपूत के, ज्यों पावक में धूम. भले लोगों के घर में दुष्ट, दानी के घर कंजूस और सपूत के घर कपूत उत्पन्न हो सकता है. यह उसी प्रकार है जैसे पवित्र और तेजवान अग्नि में से काला धुआं उत्पन्न हो सकता है.

होठ हिले न जिभ्या डोली, फिर भी सास कहे बड़बोली. बहू बेचारी कुछ नहीं बोलती है तब भी सास उसे बड़बोली (बहुत बोलने वाली) कहती है.  

होड़ लीजे जोड़, उधार दीजे छोड़. बाजी में जीता हुआ जरूर ले लेना चाहिए चाहे उधार दिया हुआ धन छोड़ दें.

होत का बाप, अनहोत की माँ. होत-अच्छा समय, अनहोत-बुरा समय. सुख के समय पिता और और दुख के समय माँ काम आती है. कुछ लोग इस के आगे बोलते हैं – आस की बहन, निरास को यार.

होत की जोत है. अच्छे दिन होते हैं तो सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता है.

होत की धोती, अनहोत की लँगोटी. अच्छे दिनों में धोती पहन ली, बुरे में लँगोटी से ही काम चला लिया.

होत की बहिन, अनहोत का भाई, पीठ पीछे नार पराई. बहने अच्छे दिनों में ही साथ देती है जबकि भाई बुरे दिनों में भी साथ देता है. पति की अनुपस्थिति में स्त्री भी पराई हो जाती है. 

होत परायो आपनो शस्त्र परायो हाथ. अपना शस्त्र अगर दूसरे के हाथ में है तो अपने किसी काम का नहीं है.

होत में बैरी भी साथी, अनहोत में साथी भी बैरी. अच्छे दिनों में दुश्मन भी दोस्त बन जाता है और बुरे दिनों में दोस्त भी दुश्मन.

होत सुसंगत सहज सुख, दुख कुसंग के साथ. अच्छी संगत में बिना प्रयास किए स्वत: ही सुख प्राप्त होता है जबकि बुरी संगत में केवल दुख ही मिलता है.

होता आया है कि अच्छों को बुरा कहते हैं. अच्छों को बुरा कहना दुनिया की पुरानी आदत है.

होते के सब साथी, अनहोत का कोई नहीं. अच्छे दिनों के सब साथी होते हैं, बुरे दिनों में कोई नहीं.

होते ही मर जाता तो कफन भी थोड़ा लगता. दुष्ट संतान से पीड़ित माता पिता के उद्गार.

होनहार फिरती नहीं, होवे बिस्वे बीस (होनी तो हो के रहे, मेट सके न कोय) (होनहार होके टले) (होनी हो सो होय). जो होना है हो के रहता है. बिस्वे बीस का अर्थ है शत प्रतिशत. 

होनहार बिरवान के होत चीकने पात. आम तौर पर जंगली पौधों की पत्तियाँ खुरदुरी होती हैं जबकि सुन्दर सजावटी पौधों की पत्तियाँ चिकनी होती हैं. जब कोई पौधा छोटा सा होता है तो उसके पत्तों से पहचाना जा सकता है कि वह जंगली झाड़ झंकाड़ बनेगा या सुन्दर पौधा. किसी छोटे बच्चे में यदि कोई विलक्षण प्रतिभा देखने को मिलती है तो यह कहावत कही जाती है. 

होनहार हिरदै बसे, बिसर जाए सब सुद्ध, जैसी हो होतव्यता, तैसी होवे बुद्ध. जब व्यक्ति का बुरा होना होता है तो उसकी सुध (और बुद्धि) वैसी ही हो जाती है.

होनी थी सो हो ली. भाग्य में लिखा था इसलिए ऐसा हुआ.

होनी माता को नमस्कार है. विधाता को होनी माता (बेमाता) भी कहा गया है. 

होम करते हाथ जले. किसी भले कार्य में नुकसान हो जाना.

होय भिन्सार बड़ी बिल खोदब. (अवधी कहावत). भिन्सार – सुबह. महत्वपूर्ण काम को किसी न किसी बहाने टालने वालों के लिए यह कहावत कही जाती है. सन्दर्भ कथा – जाड़े की रातों में जब लोमड़ी को ठंड लगती है तो वह ठिठुरते हुए सोचती है कि सुबह होने पर बड़ा बिल खोदुंगी और उस में घुस कर ठण्ड से बचूँगी. सुबह धूप निकल आती है और उसे गर्मी मिलती है तो उसे इतना बड़ा काम करने में आलस आने लगता है.

होली के भड़ुआ, बेचें तेल कड़ुआ. होली जैसे उत्सव के दिन जो दुकानदारी करे वह भड़ुआ ही कहलाएगा.

होली तो कपूतों से ही मने. होली के हुड़दंग में तो शैतान लड़कों से ही रंग जमता है.

हौज भरे तो फव्वारे छूटें. जब सारे साधन (रुपया, पैसा व अन्य सामान) पूरे होंगे तभी तो कार्य सिद्ध होगा. पहले के जमाने में पानी फेंकने के लिए मोटर नहीं हुआ करते थे. फव्वारे चलाने के लिए भिश्ती लोग हौज में पानी भरते थे जिसके दवाब से फव्वारे चलते थे.