एक छोटे से पहाड़ पर बनी एक गुफा में कुछ चोर अपना चोरी का माल छुपाते थे. एक दिन सारे चोर डाका डालने गए थे और एक चोर वहीं रहकर रखवाली कर रहा था. शाम के समय उस चोर को गुफा में छन-छन की आवाज़ सुनाई दी. उसे शक़ हुआ कि कोई चुपचाप गुफा में घुस आया है. जैसे ही उस के बाक़ी साथी चोर आए उसने सबको ये बात बताई, लेकिन उसकी बात सुनकर सबने उसका मज़ाक़ उड़ाया. अगले दिन पहरेदारी के लिए एक दूसरे चोर को गुफा में छोड़ा गया. शाम गहराते ही उसे भी वैसी ही आवाज़ सुनाई देने लगी. उसे लगा कि गुफा में कोई भूत प्रेत का साया है. चोरों के सरदार ने कहा कि एक ज़माने में लोग अपना धन सुरक्षित रखने के लिए ज़मीन के नीचे गाड़ दिया करते थे और धन अपनी जगह अपने आप जगह बदलता रहता था. ऐसा करते हैं इस पहाड़ की खुदाई करते हैं. चोरों ने मिलकर उस पहाड़ को खोदना शुरु कर दिया. कई घंटे गुज़र गए तभी किसी को एक छोटी सी चुहिया इधर-उधर फ़ुदकती हुई दिखी जिसके पैर में एक छोटा सा घुंघरु अटक रहा था. उनमें से एक चोर गुस्से में बोला – खोदा पहाड़ निकली चुहिया
खोदा पहाड़ निकली चुहिया
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