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सुन रे ढोल, बहू के बोल

कोई बूढ़ी औरत अपने लड़के से उसकी स्त्री की हमेशा शिकायत किया करती थी. स्त्री बदचलन थी. पर लड़के ने कभी उस पर ध्यान नहीं दिया. कुछ दिनों बाद वह स्त्री बीमार पड़ी. कुल पुरोहित ने आकर उससे कहा कि तुम्हारा अंतिम समय निकट है. तुमने अब तक जितने अपराध किए हैं, उन्हें स्वीकार कर लो तो नरक से बच जाओगी. स्त्री जब ऐसा करने को तैयार हो रही थी, तब बुढ़िया ने अपने लड़के को एक बड़े ढोल में छिपा दिया, जो वहीं रोगी के पास रखा हुआ था. इधर जब स्त्री अपने किए सभी दुष्कर्मों को एक-एक करके पुरोहित के सामने स्वीकार कर रही थी, तब उधर उसकी सास उक्त वाक्य कहकर ढोल बजाती जाती थी, जिससे उसका लड़का अपनी दुराचारिणी स्त्री के सभी कर्मों को ध्यान से सुन ले.

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