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मियां की दाढ़ी वाहवाही में गई

कहीं एक मौलवी साहब रहते थे. वे लड़कों को पढ़ाया करते थे. एक बार वे घर गये तो उन्होंने अपनी जगह एक दूसरे मौलवी को रख दिया. जब वे लौटकर आये, तब देखा कि नये मौलवी ने चालाकी से गाँव के लोगों को अपने वश में कर लिया है. उनसे किसी ने बात तक नहीं की. उन्होंने बुद्धिमानी से काम लेने की सोची. वे वहीं रहने लगे और नये मौलवी की तारीफ करनी शुरू की. नये गैलवी फूलकर कुप्पा होने लगे. एक दिन जुमा के नमाज के लिए गाँव भर के मुसलमान एकत्र थे. पुराने मौलवी नए मौलवी की तारीफ़ में कहने लगे – आपने अपनी दाढ़ी का एक बाल जिसे दे दिया, वह मालामाल हो गया, रोगी स्वस्थ हो गया आदि. पूरी प्रशंसा के बाद पुराने मौलवी ने नये मौलवी से अपने लिए भी एक बाल माँगा. नये मौलवी तो प्रशंसा सुनकर फूले ही थे. झट उन्होंने अपनी दाढ़ी से नोंचकर एक बाल दे दिया. यह देख अन्य व्यक्ति भी उनसे एक-एक बाल मांगने लगे. अब मौलवी साहब चक्कर में पड़ गए. इतने में सभी उनपर टूट पड़े और एक-एक बाल कर के उनकी समूची दाढ़ी नोंच ली. वे बेचारे उसी रात को वहाँ से भाग गये.

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