काशी में रानी अहिल्याबाई होल्कर ने एक परम्परा शुरू की थी जो अब भी चालू है. सावन कृष्ण पक्ष एकादशी को बाबा विश्नाथ को 551 लंगड़े आमों का भोग लगाया जाता है. इसी पर यह कहावत बनी कि काशी दुर्लभ ज्ञान का क्षेत्र है, बाबा विश्वनाथ का धाम है. यहाँ मरने पर गंगा मिलती हैं और जीते जी लंगड़ा आम. लंगड़ा आम मूलत: बनारस का ही है इसीलिए उसे लंगड़ा बनारसी भी कहते हैं.
काशी दुर्लभ ज्ञान पुंज, विश्वनाथ को धाम, मुअले पे गंगा मिले जीते लंगड़ा आम
19
Jun