इस विषय में एक कथा कही जाती है (पता नहीं यह सच है या नहीं). पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को कई बार युद्ध में हराया लेकिन हर बार छोड़ दिया. अंत में एक बार गोरी धोखे से जीत गया तो उस ने पृथ्वीराज को बंदी बना कर उसकी आँखें फोड़ दीं और अपने साथ मुल्तान ले गया. पृथ्वीराज के दरबारी कवि चंदवरदाई ने गोरी से बदला लेने की योजना बनाई. उस ने गोरी के दरबार में जा कर कहा कि सम्राट पृथ्वीराज शब्दवेधी बाण चला सकते हैं. गोरी ने इस चमत्कार को देखने के लिए पृथ्वीराज को अपने दरबार में बुलाया. बात यह तय हुई कि एक घंटे पर हथौड़े से चोट की जाएगी और पृथ्वीराज उस घंटे पर तीर चला कर दिखाएंगे. चंदवरदाई ने पृथ्वीराज से कहा – चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान. इससे पृथ्वीराज ने गोरी की स्थिति का अनुमान लगा लिया. घंटे की आवाज के बाद जैसे ही गोरी ने कहा बाण चलाओ, पृथ्वीराज ने उसकी आवाज पर लक्ष्य कर के तीर चला दिया और गोरी मारा गया. इसके तुरंत बाद चंदवरदाई ने पृथ्वीराज के सीने में कटार घोंप दी और अपने पेट में भी कटार मार ली.
मत चूको चौहान
03
Jan