एक महात्मा जी को अपनी विद्या और सिद्धियों पर बड़ा गुमान था. उन्होंने एक कौवे को पिंजरे में बंद कर के अपनी विद्या के बल पर चारों वेद पढ़ा दिए. पर जैसे ही पिंजड़े का दरवाजा खोला वह बाहर निकल कर विष्टा खाने को भागा. कहावत का अर्थ है कि कितना भी प्रयास करो मूर्ख आदमी मूर्ख ही रहता है.
काग पढ़ायो पीन्जरो, पढ़ गयो चारों वेद, समझायो समझो नहीं, रह्यो ढेढ को ढेढ
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