एक व्यक्ति अपनी सारी शिक्षा संपन्न करके घर आया। माता पिता ने आनन फानन में उसकी शादी करा दी। उसकी पत्नी ने उससे एक प्रश्न पूछा कि बताओ कि पाप का बाप कौन है। तो वह विद्वान व्यक्ति हैरानी में पड़ गया।
कहने लगा कि मैंने अपने सारे अध्ययन में पाप के बारे में तो पढ़ा है पर ये पाप का बाप कौन है यह नहीं जाना। पाप के बाप को जानने के लिए वह अपने गुरु जी से मिलने चल दिया। चलते चलते रास्ते में एक वेश्या का घर पड़ा। उस वेश्या ने यूं ही कहा राम राम महाशय! कहां जा रहे हैं आप? वह बोला – अपने गुरु से यह पूछने जा रहा हूँ कि पाप का बाप कौन है। वैश्या बोली – यह तो मैं आपको बता सकती हूँ। वह व्यक्ति बोला – यह तो बड़ा अच्छा होगा, कृपया जल्दी बताइए।
वेश्या बोली बता तो दूंगी लेकिन आपको मेरे यहाँ भोजन करना पड़ेगा।
वह व्यक्ति कहने लगा – नहीं नहीं, वैश्या का भोजन खाने से मुझे पाप लगेगा। रहने दो मैं अपने गुरुजी से ही पूछ लूँगा।
वेश्या ने कहा – मेरे यहाँ खाना खाओगे तो मैं तुम्हें एक सोने का सिक्का दूंगी। सिक्का देख कर उस व्यक्ति के मन में लोभ आ गया और वह वैश्या के यहाँ खाना खाने के लिए तैयार हो गया।
फिर जब वेश्या खाना बना कर लाई तो उसने कहा कि अगर आपको ऐतराज ना हो तो मैं आपको अपने हाथों से ही खाना खिला दूं?
उस व्यक्ति ने फिर ऐतराज जताया तो फिर से वेश्या ने फिर उसे सोने का सिक्का दिया। अब वह व्यक्ति उसके हाथ से खाना खाने को भी तैयार हो गया। वेश्या ने भोजन का एक निवाला विद्वान के मुख की तरफ बढ़ाया और जैसे ही उसने मुंह खोला, वेश्या ने उसके गाल पर जोरदार एक थप्पड़ जड़ दिया और बोली – यह लोभ ही है पाप का बाप।
पाप का बाप लोभ
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Nov