सौ और साठ तो भाई-भाई ही हे अर्थात् बराबर है ।
गाँव के साहूकार का एक आदमी पर सौ रुपये का ऋण था। बार-बार टोकने पर भी जब उस आदमी ने ऋण अदा नही किया तो बनिया उसके घर गया और बोला कि आज तुम्हें रुपये देने ही पड़ेंगे । इस पर वह आदमी बोला कि आप सौ रुपये मागते है, लेकिंन सौ और साठ तो भाई भाई हैं, इसलिए मुझे वास्तव मे साठ रुपये ही देने हैं। लेकिन इन साठ मे आधे रुपये छूट के रहेंगे । इस प्रकार शेष तीस रुपये देने रहे। इन में से दस रुपये तो फिर कभी दे दूंगा, दस किसी से दिलवाउंगा और दस का
क्या देना-लेना, चलो हिसाब चुकता हुआ.
सौ का भाई साठ
10
May