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लाल बुझक्कड़ बूझिए, और न बूझा कोय; पाँव में चाकी बाँध के, हिरना कूदा होय

एक बार किसी गाँव के पास से रात में कोई हाथी निकल कर गया. उस गाँव के लोगों ने कभी हाथी नहीं देखा था. सुबह उठ के लोगों ने हाथी के पैरों के बड़े बड़े गोल निशान देखे. सब लोग कौतूहलवश इकट्ठे हो गए. तरह तरह के अनुमान लगने लगे. किसी की समझ में कुछ नहीं आया तो लाल बुझक्कड़ बुलाए गए. लाल बुझक्कड़ ने दिमाग लगा कर इस पहेली को बूझा, बोले पैर में चक्की बाँध के हिरन कूदा होगा.

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