यह कहावत बच्चों की एक कहानी में से निकली है. एक शेखचिल्ली ने एक सिपाही से दोस्ती कर ली. दोनों साथ साथ कहीं जा रहे थे. एक स्थान पर शेखचिल्ली को चना पड़ा हुआ मिला. उसने आधा चना खुद खा लिया और आधा सिपाही को खिला दिया (आधे चने को चने की दाल कहते हैं). दोनों आगे चले तो शेखचिल्ली ने सिपाही से कोई मूर्खतापूर्ण काम करने के लिए कहा. सिपाही ने मना किया तो शेखचिल्ली बोला – ला साले मेरी चने की दाल. सिपाही ने मजबूरी में वह काम कर दिया. उस के बाद जब भी सिपाही किसी काम के लिए मना करता, शेखचिल्ली उसे धौंस देता – ला साले मेरी चने की दाल. कोई मूर्ख व्यक्ति किसी का बहुत छोटा सा कार्य कर के बहुत एहसान जता रहा हो तो मजाक में यह कहावत कही जाती है.
ला साले मेरी चने की दाल
20
Apr