रौन और गौरई बुंदेलखंड में दो गाँव हैं जिनके बीच में ठीक ठाक दूरी है. एक कुतिया को खबर लगी कि दोनों गांवों में दावत है. उस के मन में लड्डू फूटने लगे. सोचा दोनों जगह खूब माल मिलेगा. वह पहले रौन गाँव में गई, वहाँ खाना शुरू होने में देर थी तो उसने सोचा कि गौरई जा कर माल उड़ा लूँ, फिर यहाँ आ जाऊँगी. गाँव दूर था, जब तक वहाँ पहुँची वहाँ सब निबट चुका था. लौट कर फिर रौन गाँव आई तो वहाँ भी सब निबट चुका था. टांगें भी टूटीं और भूखी भी रही. कोई व्यक्ति दो स्थान पर लाभ लेने की कोशिश करे और कहीं कुछ न मिले तो यह कहावत कही जाती है.
रौन गौरई की कुतिया
20
Apr