कहावत का शाब्दिक अर्थ तो यह है कि बड़े लोगों के बातें बड़े ही समझ सकते हैं लेकिन इसको मज़ाक में अधिक प्रयोग करते हैं (जैसे यदि दो मूर्ख लोग एक दूसरे की बड़ाई कर रहे हों तो). पूरी कहावत इस प्रकार है – काँधे धनुष, हाथ में बाना, कहाँ चले दिल्ली सुल्ताना, बन के राव विकट के राना, बड़न की बात बड़े पहचाना.
इसके पीछे एक कहानी है. एक बार एक धुनिया (रुई धुनने वाला) अपना धनुष जैसा औजार लिए जंगल में हो कर जा रहा था. एक सियार ने उसे देखा तो उसे शिकारी समझ कर डर गया. सियार ने उस की चापलूसी करने के लिए कहा कि कंधे पर धनुष और हाथ में वाण ले कर दिल्ली के सुल्तान, आप कहाँ जा रहे हैं? धुनिया ने कभी सियार नहीं देखा था, वह उसे शेर समझ कर डर गया और उसे मक्खन लगाने के लिए बोला कि हे जंगल के स्वामी, हे महा विकट राजा, बड़े लोगों को बड़े ही पहचानते हैं. आज कल के लोगों ने धुनिया और उस का अस्त्र नहीं देखा होगा. (देखिये परिशिष्ट)