एक दूधवाली गूजरी दूध में आधा पानी मिलाती थी पर ग्राहकों से पूरे पैसे वसूलती थी. एक बार वह अपनी कमाई के रुपयों की पोटली ले कर कहीं जा रही थी. नदी किनारे वह एक पेड़ के नीचे कुछ देर सुस्ताने के लिए बैठ गई तो उस की आँख लग गई. इसी बीच एक बंदरिया उस की रुपयों की पोटली उठा ले गई. वह पेड़ की डाल पर बैठ कर पोटली में से निकाल कर एक रुपया नदी में डाल देती और एक जमीन पर फेंक देती. अपनी कमाई को इस प्रकार लुटता देख दूध वाली जोर जोर से रोने लगी. इस पर पास खड़े एक आदमी ने कहा कि बंदरिया दूध की कमाई तुझे दे रही है और पानी की कमाई पानी में डाल रही है.(बंदरिया कहे गूजरी सयानी, दूध का दूध और पानी का पानी).
दूध का दूध और पानी का पानी
07
Apr