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यकीन बड़ा रहबर है. विश्वास सबसे बड़ा मार्गदर्शक है.

यथा नाम तथा गुण. किसी व्यक्ति का नाम उसके गुणों से मेल खाता हो तो.

यथा राजा तथा प्रजा. जैसा राजा होता है प्रजा भी वैसी ही हो जाती है. राजा ईमानदार व न्यायप्रिय हो तो प्रजा भी ईमानदार हो जाती है, राजा भ्रष्ट हो तो प्रजा भी भ्रष्ट हो जाती है.

यह घोड़ा किसका, जिसका मैं नौकर हूँ, तू नौकर किसका, जिसका ये घोड़ा है. बात का सीधा जवाब न देना.

यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान, शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान. कबीर दास जी कहते हैं कि यह जो शरीर है वो विष से भरा हुआ है और गुरु अमृत की खान हैं. अगर अपना सर देने के बदले में आपको कोई सच्चा गुरु मिले तो भी बहुत सस्ता है.

यह बात वह बात टका धर मोरे हाथ. 1. पंडित लोग पूजा कराते समय बात बात पर कुछ दक्षिणा रखने को कहते हैं. 2. सरकारी मुलाजिम किसी काम को करने में तरह तरह के बहाने बनाता है और इशारा करता है कि कुछ दो तभी काम होगा.

यह संसार काल का खाजा, जैसा कुत्ता तैसा राजा. खाजा – एक प्रकार की मिठाई. संसार में सभी प्राणी काल का भोजन हैं, चाहे राजा हो या कुत्ता.

यहाँ का मुर्दा यहीं जलेगा, वहाँ का मुर्दा वहीँ. जो काम जहाँ के लिए उपयुक्त है उसे वहीं करना चाहिए.

यहाँ क्या तेरी नाल गड़ी है. हिन्दुओं में जब घर पर प्रसव कराने की प्रथा थी और घर कच्चे हुआ करते थे तो बच्चे के पैदा होने के बाद उसकी नाल वहीं गाड़ने का रिवाज़ था. यदि कोई व्यक्ति किसी जगह पर अपना अधिकार जता रहा हो तो यह कहावत कही जाती है.

यहाँ तो हम दोनों मेहमान, ना कोई पंडित न जजमान. एक बार एक हवालात में एक पंडित जी और उनके जजमान दोनों को बंद किया गया. जजमान ने कहा पंडित जी पांय लागूं. तब पंडित जी ने ऐसा बोला. 

यही तो बीमारी थी. अचानक कोई विकट परिस्थिति आने पर प्रत्युत्पन्नमति द्वारा उसका सामना करना. सन्दर्भ कथा – एक बार अकाल पड़ा तो गाँव में रहने वाला एक गरीब किन्तु चालाक बनिया पास के शहर में गया और एक विधुर सेठ के साथ अपनी लड़की का विवाह करना तय करके उससे पांच हजार रुपये ले आया. विवाह के लिए निश्चित तिथि के दिन उसने अपने घर में बहुत ऊंचा झंडा लगवा दिया. सेठ की बारात उसी को लक्ष्य करके उस घर की ओर बढने लगी. लेकिन बनिये के तो कोई लड़की थी ही नही. इसलिए उस के घर वालों ने एक कुतिया को मार कर उसकी अर्थी बांधी और उसे कंधों पर उठा कर बारात के सामने चले. बारात वालों के पूछने पर उन्होंने गहरा दुःख प्रकट करते हुए कहा कि जिस लड़की की शादी होनी थी, वह अचानक मर गई. इस बात को सुन कर वे सब सकते में आ गये. लेकिन अर्थी जल्दी में बांधी गई थी, इसलिए कुतिया की पूंछ नीचे की ओर लटकती रह गई थी. बरातियों में से किसी ने पूछ लिया, यह क्या है ? बनिये ने प्रत्युत्पन्न मति का परिचय देते हुए तत्काल ही उत्तर दिया कि यही तो बीमारी थी. कल अचानक लड़की के पूँछ निकल आई, जिससे वह इतनी जल्दी मर गई. इस पर प्रौढ़ दूल्हा मन मार कर बरात सहित अपने घर की ओर लोट पड़ा.

या अघाए रोटी से, या अघाए सोटी से. सोटी – छोटा डंडा. ओछा आदमी पेट भरने पर मानता है या मार खा के मानता है.

या अल्ला घर से बाहर भला. गृहस्थी के झंझटों से तंग आने वाले व्यक्ति की आर्त पुकार.

या अल्लाह, गौड़ों में भी कौन गौड़. एक बार एक मुसलमान दावत खाने के लालच में ब्राह्मण का बहरूप बना कर किसी विवाह समारोह में शामिल हो गया. उसके हाव भाव देख कर किसी को शक हुआ तो उस से पूछा – कौन जात हो भाई? उसने कहा ब्राह्मण, कौन सा गोत्र? वह बोला गौड़, पूछने वाले ने फिर पूछा कौन से गौड़? तो उस के मुँह से निकला या अल्लाह, गौड़ों में भी कौन से गौड़. 

या करे दर्दमंद, या करे गर्जमंद. जो कष्ट में होगा या जो जिस को अत्यधिक आवश्यकता होगी वही किसी से फ़रियाद करेगा या किसी की खुशामद करेगा.

या तो नहलाए दाई, या नहलाएं पांच भाई. जो लोग बहुत कम नहाते हैं उन के ऊपर व्यंग्य. या तो पैदा होने पर दाई ने नहलाया या मरने पर पांच भाइयों ने.

या तो नाम सपूतों से, या फिर नाम कपूतों से. कुछ लोगों का नाम उनके सुपुत्रों द्वारा रोशन होता है और कुछ कुपुत्रों के कारण बदनाम होते हैं.

या तो पगली सासरे जावे न, और जावे तो लौट के आवे न. मंदबुद्धि आदमी या तो काम करेगा नहीं और करेगा तो करता ही चला जाएगा, मना करने पर भी नहीं मानेगा. 

या तो पेट पाल लो या बेटा पाल लो. बड़ी बूढ़ी महिलाएं नवजात शिशु की माँ से ऐसे बोलती हैं. प्रसूता स्त्री (जो बच्चे को अपना दूध पिला रही हो) को अपने खान पान का बहुत ध्यान रखना पड़ता है, अपने स्वाद को भूल कर वही चीजें खानी होती हैं जो बच्चे को नुकसान न दें. 

या तो भर मांग सिंदूर, या निपट ही रांड. जो लोग हर काम की अति करते हैं उन के लिए.

या तो लड़ें कूकर, या लड़ें गंवार. बिना बात लड़ने भिड़ने का काम केवल मूर्ख लोग ही करते हैं.

या तो स्वामी धन को खाय, या धन स्वामी को खा जाय. जो लोग पैसे को खर्च नहीं करते, वे उसे संभाल कर रखने की चिंता में ही मर जाते हैं, या धन के लालच में मार दिए जाते हैं.

या दुनिया दो रोज की, मत कर यासो हेत, गुरु चरनन चित लाइये, जो पूरन सुख देत. इस संसार का झमेला दो दिन का है, इससे मोह सम्बन्ध न जोड़ो. सद्गुरु के चरणों में मन लगाओ, उसी में सच्चा सुख है.

या दुनियाँ में आइ के, छाँड़ि दे तू ऐंठ, लेना हो सो लेइले, उठी जात है पैंठ. पैंठ – बाज़ार. इस संसार में आ कर अहंकार मत करो. अच्छे कर्म कर लो, यह जन्म समाप्त होने वाला है.

या बेईमानी, तेरा ही आसरा. धूर्त लोगों के लिए.

या भैंसा भैंसों में या कसाई के खूंटे पे. भैंसे को लोग इसलिए पालते हैं ताकि भैंसें हरी होती रहें. जब भैंसा इस काम के उपयुक्त नहीं रहता तो उसे कसाई को बेच दिया जाता है. गरीब कामगार को लोग बुरी तरह काम में जोते रहते हैं और जब वह काम करने लायक नहीं रहता तो उसे निकाल कर बाहर कर देते हैं.

या मारे भादों की घाम या मारे साझे को काम. भादों की धूप बहुत तेज होती है इसलिए मारती है, और साझे के काम में किसी की जिम्मेदारी नहीं होती इसलिए वह सफल नहीं होता.

यार का गुस्सा, भतार के ऊपर. दुराचारिणी स्त्री प्रेमी का गुस्सा पति पर निकालती है. 

यार की यारी से काम, उस की बुराई से क्या काम. हमारे मित्र में यदि कुछ बुराइयां हैं तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. हमारे लिए वह प्रिय है.

यार के घर खीर पके तो जरूर चाखिए, यार के घर आग लगे पड़े पड़े ताकिए. स्वार्थी दोस्त्तों के लिए जो दोस्त का माल खाने के लिए हर समय तैयार रहते हैं पर मुसीबत में उसके काम नहीं आते.

यार को खीर, खसम को दलिया. दुश्चरित्र स्त्री के लिए, जो पति से अधिक अपने मित्र को चाहती है.

यार डोम ने बनिया कीन्हा, दस ले कर्ज़ सैकड़ा दीन्हा. डोम ने बनिए से दोस्ती की तो दस रूपये उधार लिए. ब्याज सहित सौ रूपए चुकाने पड़े. सीख यह है कि दोस्ती सोच समझ कर करनी चाहिए और दोस्त पर आँख मूँद कर विश्वास नहीं करना चाहिए.

यार वही है पक्का, जिसने दिल यार का रक्खा. जो दोस्त का दिल रखे वही सच्चा दोस्त है.

यार से यारी, भतार की भी प्यारी. ऐसी धूर्त स्त्री जो अपने यार से यारी करती है और पति की नजरों में भी अच्छी बनी रहती है.

यारां चोरी न पीरां दगाबाजी. दोस्तों से चोरी नहीं करनी चाहिए और साधु संतों को धोखा नहीं देना चाहिए. 

यारी करें सो बावरे, कर के छोड़ें कूर, या तो छोर निबाहिए, या फिर रहिए दूर. सच्ची दोस्ती बावले लोग ही कर सकते हैं. जो दोस्ती कर के छोड़ दें वे क्रूर होते हैं. दोस्ती या तो करो ही नहीं या अंत तक निभाओ.

यारी का घर दूर है. प्रेम और मित्रता करके निभाना बहुत होता मुश्किल है इस पर यह कहावत बनी है. 

यारी में ख्वारी. 1. कोई व्यक्ति यदि अपने किसी मित्र की मूर्खता के कारण नुकसान उठाए तो. 2. मित्र के साथ धोखेबाजी करना.

यूँ मत जान रे बावरे कि पाप न पूछे कोय, साईं के दरबार में इक दिन लेखा होय. यह मत सोचो कि तुम पाप करते रहोगे और कोई पूछेगा नहीं, ईश्वर के दरबार में एक दिन सबका न्याय होगा.

ये ऊँगली कटे तो भी अपने घाव, वो ऊँगली कटे तो भी अपने घाव. कोई सी भी ऊँगली कटे, घाव अपने ही होगा.

ये काम कब होगा, अँधेरी पूरनमासी को (जे दिन घोड़ी पागुर करी). जिस काम को करने का मन न हो या सामर्थ्य न हो उस के लिए कोई असंभव सी शर्त रखना. न तो पूर्णिमा अँधेरी होती है, न घोड़ी पागुर करती है.

ये पुर पट्टन ये गली, बहुरि न देखे आई. अपना देश छोड़ कर जाना पड़े या संसार छूट रहा हो तो मन में अजीब सी टीस होती है.

ये पूत पैदा हुआ होगा तो भी थाली बजी होगी. किसी बहुत निकृष्ट या अभागे व्यक्ति को देख कर यह कहा जाता है कि जब यह पैदा हुआ होगा तब भी खुशियाँ मनाई गई होंगी.

ये मुँह और मसूर की दाल, (वाह रे वाह मेरे बांके लाल). किसी का मज़ाक उड़ाने के लिए.

ये लड्डू हैं रेत के लोभी मन ललचात, खाए तो पछतात है न खाए पछतात. विवाह के लिए. इस से मिलती जुलती इंग्लिश में कहावत है – Who marries, does well; who marries not, does better. 

ये लो जी घोड़ों का पारखी, पूंछ ऊंची कर के दांत देखे. उन लोगों पर व्यंग्य जो कुछ न जानते हुए भी अपने को बड़ा पारखी बताते हैं. ऐसे किसी सज्जन से घोड़े की नस्ल परखने के लिए कहा गया. उन्होंने सुन रखा था कि घोड़े के दांत देख कर उसकी पहचान करते हैं, पर घोड़े के दांत कहाँ होते हैं यह मालूम ही नहीं था. तो घोड़े की पूंछ उठा कर उसके दांत ढूँढ़ रहे थे.

ये वो गुड़ नहीं जो चींटे खाएँ (यह गुड़ इतना गीला नहीं कि चींटे खाएँ). यह कहावत इस आशय में कही जाती है कि हम इतने मूर्ख नहीं हैं कि हमारा माल ऐरे गैरे हजम कर जाएँ. 

ये ही जमाई है तब तो खिला लिया धेवता. किसी दुबले पतले कमजोर आदमी को देख कर कटाक्ष किया जा रहा है कि यह क्या बच्चा पैदा करेगा.

ये ही मेरे आसरा, या पीहर या सासरा. स्त्री के दो ही आश्रय होते हैं, मायका और ससुराल. इन के अतिरिक्त और कहीं वह सुरक्षित महसूस नहीं करती.

यौवन लुगाई का बीस या तीस, और बैल चलै नौ साल, मरद और घौड़ा कदे हो ना बूढ़ा, जै मिलता रहवै माल. (हरयाणवी कहावत) स्त्री का यौवन बीस या तीस साल का ही होता है और बैल नौ साल तक ही मेहनत कर सकता है. पर मर्द और घोड़ा कभी बूढ़े नहीं होते यदि उन्हें माल खाने को मिलता रहे.

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