एक बार एक शेरनी ने अपने बच्चे को शिकार आदि की चाल (पैंतरे) सिखलाने की जिम्मेदारी बिल्ली मौसी को सौंपी। बिल्ली ने उसे शिकार करने के अनेक दांव-पेंच सिखला दिये। लेकिन जब शेरनी का बच्चा कुछ बड़ा हुआ तो वह एक दिन बिल्ली पर ही झपटा। बिल्ली झट से उछल कर पेड़ पर चढ गई। शेर का बच्चा देखता ही रह गया और उसने नाराजगी के स्वर में बिल्ली से कहा कि मौसी, तूने यह चाल तो मुझे सिखलाई ही नहीं।
इस पर बिल्ली ने उत्तर दिया कि मैंने इसी दिन के लिए इसे रोक कर रखा था।
बिल्ली वाली चाल तो सिखलाई ही नहीं
01
May