Uncategorized

जो जैसी करनी करे सो तैसो फल पाए, बेटी पहुँची राजमहल साधु बंदरा खाए

यह कहावत एक कहानी पर आधारित है. एक बार एक साधु किसी राजा के महल में गया. राजा ने उसका बड़ा सत्कार किया. राजा की सुंदर बेटी को देख कर साधु के मन में पाप आ गया. वह उस को प्राप्त करने की तरकीब सोचने लगा. बहुत सोच कर उसने एक चाल चली. उसने राजा से कहा कि ये कन्या बहुत अशुभ है, ये सारे कुल के नाश का कारण बनेगी. राजा घबरा गया और साधु से इस से बचने का उपाय पूछने लगा. साधु ने कहा, इसे लकड़ी के बक्से में रख कर नदी में बहा दो. राजा उस की बातों में आ गया और उस ने ऐसा ही किया. साधु की योजना यह थी कि वहाँ से काफी दूर नदी किनारे बने अपने आश्रम में जल्दी जल्दी पहुँच जाए और नदी में बह कर आने वाले बक्से को नदी से निकाल कर राजकुमारी को अपने कब्जे में ले ले. तेज चाल से चल कर वह अपने आश्रम में पहुँच गया और बक्से के आने का इंतज़ार करने लगा. उधर बीच जंगल में शिकार पर निकले एक राजकुमार ने नदी में बहते बक्से को देखा तो कौतूहल वश उसे बाहर निकाल कर खोला. बक्से में से राजकुमारी ने बाहर निकल कर उसे साधु की चालबाजी की सारी कहानी बताई. राजकुमार ने एक कटखना बंदर पकड़ा और उसे बक्से में बंद कर के बक्सा नदी में बहा दिया. साधु तो बेसब्री से बक्से का इंतज़ार कर ही रहा था. जैसे ही बक्सा बहता हुआ उसके आश्रम के पास पहुँचा उसने झट उसे निकाल कर खोला. खिसियाये हुए बंदर ने उसे काट काट कर लहुलुहान कर दिया. दुष्टता करने वाले को उसकी करनी का फल मिले तो यह कहावत बोली जाती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *