Uncategorized

आँ, आं , आ

आँ, आं, आ

आँख एक नहीं, कजरौटा दस ठो. कजरौटा – काजल बना कर रखने की डिब्बी. आवश्यकता के बिना आडम्बर की वस्तुएं इकट्ठी करना. (देखिये परिशिष्ट)

आँख ओट पहाड़ ओट. 1.जो व्यक्ति आँखों से दूर हो जाता है वह बहुत दूर हो जाता है. 2. जो वस्तु आँखों के सामने नहीं है वह उतनी ही दूर मानी जाएगी जैसे कि पहाड़ के पीछे हो.

आँख और कान में चार अंगुल का फर्क. (अंतर अंगुली चार का आँख कान में होए). देखे और सुने में बहुत अंतर होता है. सुना हुआ अक्सर गलत हो सकता है इस लिए देखे बिना किसी बात पर विशवास नहीं करना चाहिए.

आँख का अंधा गाँठ का पूरा. यहाँ पर आँख का अंधा का अर्थ है मूर्ख. गाँठ का पूरा याने जिसकी धोती की गाँठ में खूब पैसे बंधे हों. धनी परन्तु मूर्ख व्यक्ति (जिसको आसानी से ठगा जा सके).

आँख का पानी गिर जाए तो कुछ न बचे. आँख का पानी – लज्जा. लाज चली जाए तो क्या बचेगा.

आँख की तिरिया गाँठ को दाम, बेई बखत पे आवें काम. जो पत्नी हर समय आँख के सामने रहती है और जो पैसा गाँठ में मौजूद है वे ही समय पर काम आते हैं.

आँख के अंधे नाम नयनसुख. गुण के विरुद्ध नाम. कोई ऐसा मूर्ख व्यक्ति जो अपने को बहुत बुद्धिमान समझता हो उस का मजाक उड़ाने के लिए भी यह कहावत बोली जाती है.

आँख गई संसार गयो कान गयो सुख आयो. आँख की रोशनी चली जाना संसार का सब से बड़ा दुख है और कान से सुनाई न पड़ना सुख है (बहरा आदमी परनिंदा, परचर्चा और प्रपंचों से दूर रहता है इसलिए सुखी रहता है).

आँख गई संसार गयो, कान गयो अहंकार गयो. ऊपर वाली कहावत से मिलती जुलती. आँख की रोशनी जाना संसार की सब से बड़ी हानि है, लेकिन सुनने की क्षमता जाने से नुकसान के साथ एक लाभ भी होता है कि मान अपमान और अहंकार से दूर हो जाता है (कुछ न सुन पाने के कारण).

आँख चौपट, अँधेरे नफरत. 1.आँख है ही नहीं और कहते हैं कि हमें अँधेरे से नफरत है. 2.आँख की रौशनी कम हो जाए तो अँधेरे से नफरत होने लगती है क्योंकि अँधेरे में और कम दिखता है.

आँख देखे को पाप है. 1.संसार में जाने क्या क्या अनर्थ हो रहे हैं जो हम देख लें उसी को हम पाप समझते है.   2.गलत काम होते देखो तो प्रतिकार या विरोध जरूर करो, अन्यथा अन्याय होते देखने पर पाप जरूर लगेगा.

आँख न दीदा, काढ़े कसीदा. किसी काम को करने का सलीका और सामर्थ्य न होने पर भी वह काम करना. कसीदा क्या होता यह जानने के लिए देखिये परिशिष्ट.

आँख न नाक, बन्नी चाँद सी. अपनी चीज़ जैसी भी हो, बढ़ा चढ़ा के बताना. बन्नी माने ब्याह योग्य कन्या.

आँख नहीं पर काजर पारे. श्रृंगार करने लायक शक्ल नहीं हो पर श्रृंगार करने का बहुत शौक हो तब.

आँख नाक मोती करम ढोल बोल अरु नार, इनके फूटे न भला ढाल तोप तलवार. आँख, नाक, मोती, कर्मफल (भाग्य), ढोल, वचन, नारी, ढाल, तोप और तलवार, इनका फूटना (खंडित होना) अच्छा नहीं होता.

आँख फड़के दहनी, लात घूँसा सहनी. स्त्रियों के लिए दाईं आँख फडकना अशुभ माना जाता है.

आँख फड़के दहिनी, मां मिले कि बहिनी, आँख फड़के बाँई, भाई मिले कि सांई. दाहिनी आँख फड़कती है तो माँ या बहन से मुलाकात होती है, बांयी आँख फड़के तो भाई या पति से. ऊपर वाली कहावत से एकदम अलग.

आँख फूटी पीर गयी. किसी की आँख बहुत लम्बे समय से बहुत तकलीफ दे रही है और ठीक भी नहीं हो रही है. अंततः आँख की रौशनी चली जाती है पर तकलीफ ख़तम हो जाती है. उसे आँख जाने का दुख तो है पर पीड़ा ख़तम होने का सुख भी है. कोई नालायक बेटा बहू माँ बाप को बहुत परेशान कर रहे हैं. अंत में वे अलग हो जाते हैं, ऐसे में पिता यह कहावत कहता है. इंग्लिश में कहावत है – Better a finger off than always aching. कहीं कहीं कहते हैं – फोड़ा फूटा पीर गई.

आँख फूटे भौंह नहीं भाती. जब तक आँखें होती हैं तब तक भौंह अच्छी लगती हैं, आँख फूट जाए तो भौंह भी अच्छी नहीं लगती. जैसे लड़की की म्रत्यु हो जाए तो दामाद अच्छा नहीं लगता.

आँख फूटेगी तो क्या भौं से देखेंगे. किसी अति महत्वपूर्ण वस्तु का कोई विकल्प नहीं होता.

आँख फेरे तोते की सी, बातें करे मैना की सी. मीठी बातें करने वाला धोखेबाज व्यक्ति.

आँख बची माल दोस्तों का (नजर फिरी नहीं कि माल यारों का). ऐसे धोखे बाज दोस्तों के लिए जो मौका मिलते ही चूना लगाने से बाज नहीं आते.

आँख मींचे अँधेरा होय. यदि कोई जान बूझ कर अनजान बन रहा हो तो.

आँख मूंदे भिन्सार होत. गरीब आदमी थक कर सोता है तो आँख मूँदते ही सवेरा हो जाता है.

आँख में अंजन दांत में मंजन, नितकर नितकर नितकर; कान में तिनका नाक में उँगली मतकर मतकर मतकर. बच्चों को दी जाने वाली सीख.

आँख में आंसू, दांत निपोरे. किसी के दुख में बनावटी आँसू टपकाने, पर मन में खुश होने वाले के लिए.

आँख में कीचड़ और नाम मृगनैनी. गुण के विपरीत नाम.

आँख वाले की लुगाई अंधा ले गया. किसी गप्प हाँकने वाले का मजाक उड़ाने के लिए.

आँख सुख कलेजे ठंडक. जिस वास्तु, व्यक्ति या दृश्य को देखने से आँखों को सुख मिलता है उनसे हृदय को भी शान्ति मिलती है.

आँख से दूर, दिल से दूर. प्रेम बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि मिलते जुलते रहा जाए. बहुत दिन तक दूर रहने से स्नेह भी कम हो जाता है. इसके विपरीत एक कहावत है – आँख की किरकिरी कलेजे का शूल.

आँख ही फूटी तो अंजन क्या लगाएँ. जिस चीज का हमारे लिए उपयोग ही नहीं है उसे क्यों प्रयोग करें.

आँखिन सों सब देखियत, आँखि न देखि जाहिं. आँखों से ही हम सब कुछ देखते हैं पर आँख स्वयं को नहीं देख सकती. शरीर से हम सारे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं पर शरीर पर ही ध्यान नहीं देते.

आँखें मन का दर्पण हैं. मनुष्य के मन में जैसे भाव होते हैं वही उसकी आँखों में प्रकट होते हैं. इंग्लिश में कहावत है – Eyes are windows of the soul.

आँखें मीचे रात नहीं होती. (आँखें मीच अँधेरा करना). जान बूझ कर अनजान बनने वाले के लिए.

आँखें हुईं चार तो मन में आया प्यार, आँखें हुईं ओट तो जी में आया खोट. व्यक्ति सामने हो तो प्यार जताना, पीठ पीछे उसका अहित करना.

आँखों का काजल चुरावे. ऐसा चालाक है कि देखते देखते ही चोरी कर ले.

आँखों का नूर, दिल की ठंडक. अत्यधिक प्रिय व्यक्ति.

आँखों की सुइयाँ निकालना बाकी है. बस थोड़ा काम बाकी है. सन्दर्भ कथा – लोक-विश्वास है कि यदि आटे की मूर्ति बनाकर उस में जादू के जोर से शत्रु का नाम लेकर उसके मरने की कामना करते हुए सूइयां चुभो दी जाएं, और फिर उस मूर्ति को मरघट में रख दिया जाए, तो उस शत्रु के सर्वांग में उसी तरह की सूइयां चुभ जाएंगी और वह तड़प-तड़प कर मर जाएगा. पर अगर कोई तरकीब जानता हो, तो मंत्र पढ़ कर सूइयों को एक-एक करके अलग करके उसे जीवित भी किया जा सकता है. किसी ने उपर्युक्त रीति से एक व्यक्ति को मार डाला.

    उस मृत पुरुष की स्त्री जादू जानती थी. पति को जीवित करने के लिए उसने एक-एक करके उसके शरीर की सारी सूइयां निकाल डालीं. किंतु जब केवल आंखों की सूइयां निकालनी शेष रहीं, तब उसे बाहर उठकर जाना पड़ा. उसी समय उसकी नौकरानी वहां पहुंच गई. उसने आंखों की सूइयां निकाल डालीं. ऐसा करते ही वह मनुष्य जीवित हो गया. यह समझ कर कि इस नौकरानी ने ही मेरी प्राणरक्षा की है, वह उस पर बहुत प्रसन्न हुआ और पत्नी को अलग करके उसके साथ विवाह कर लिया.

आँखों के आगे नाक, तो सूझे क्या ख़ाक. विवेक के आगे जब व्यक्ति का अहम आ जाता है तो उसे कुछ भला बुरा नहीं दीखता. इसको मजाक में भी प्रयोग करते हैं – जब चीज़ सामने रखी हो और आप उसे ढूँढ़ न पाएँ.

आँखों के आगे पलकों की बुराई. किसी व्यक्ति के सामने उसके बहुत प्रिय व्यक्ति की बुराई करना.

आँखों देखत कुँए में गिरे. जान-बूझ कर अपनी हानि की.

आँखों देखा भाड़ में जाए, मैंने कानों सुना था. जो आदमी आँखों देखी बात पर विश्वास न कर के सुनी सुनाई बात मानने के लिए अड़ा हुआ हो उसका मजाक उड़ाने के लिए.

आँखों देखी कानों सुनी. जो बात सुनी हुई भी हो और देखी हुई भी. सुनिश्चित.

आँखों देखी झूठी परी. आँखों देखी बात झूठी हुई.

आँखों देखी परसराम, कभी न झूठी होय. आँखों देखी बात कभी झूठी नहीं होती.

आँखों देखी पे क्या साख पूछूँ. जो चीज आँखों से देखी है, उसके लिए क्या साक्ष्य मांगूं.

आँखों देखी प्रीत और मुँह देखा व्यवहार. जो लोग केवल सामने पड़ जाने पर प्रेम दिखाते हैं उन के लिए.

आँखों देखी मानें, के कानों सुनी. आँखों देखी बात सच मानें या कानों सुनी.

आँखों देखी साची, कानों सुनी काची. जो आँखों से देखते हैं वही सच है, कान से सुनी झूठी भी हो सकती है.

आँखों देखे सो पतियाय. स्वयं अपनी आंखों से देख कर ही किसी बात पर पूरी तरह से विश्वास किया जा सकता है. इंग्लिश में कहते हैं seeing is believing.

आँखों पर काजल का क्या बोझ (आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता). अपने प्रिय व्यक्ति के लिए कुछ करना पड़े तो हमें उसका बोझ नहीं लगता

आँखों से आंसू बहें, दिल में लड्डू फूटें. दिखावे का दुख (जैसा सासू के मरने पर होता है).

आँसू एक नहीं कलेजा टूक-टूक. दिखावटी शोक. शोक बहुत दिखा रहे हैं और आंसू एक भी नहीं आ रहा है.

आंखन अंजन, दांतन नोन, भूखों राखें चौथो कोन, ताजो खावे, बाएं सोय, ताको रोग कबहुं न होय. चौथो कोन – एक चौथाई. जो व्यक्ति आँखों में नित्य काजल डालता हो, दांतों में नमक से मंजन करता हो, भूख से पौना भोजन करे, ताजा खाना खाए और बाईं करवट सोए, वह बीमार नहीं पड़ता. 

आंखों के अंधे नाम रोशन. नाम के विपरीत गुण.

आंच के पास घी जरूर पिघलता है. युवक युवती साथ रहें तो काम भावनाएं उत्तेजित हो जाती हैं, इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक है.

आंत भारी तो माथ भारी. पेट में भारीपन हो तो सर भी भारी होता है

आंधर कूकर, बतास भूँके. आंधर – अंधा, बतास – हवा. अंधा कुत्ता हवा चलने पर भौंकने लगता है. अंधा व्यक्ति शक्की हो जाता है (क्योंकि वह देख नहीं पाता इसलिए बात बात पर शक करता है). इस का अर्थ यह भी हो सकता है कि अन्धविश्वासी व्यक्ति को अनजाने भय बहुत सताते हैं (भूत प्रेत आदि).

आंधर कूटे, बहिर कूटे, चावल से काम. धान को कूट कर उससे छिलका अलग करते हैं और चावल अलग. चाहे अंधा व्यक्ति कूटे चाहे बहरा, हमें तो चावल चाहिए. काम चाहे कैसे भी हो, कोई भी करे, काम होने से मतलब.

आंधी आई नहीं, सूसाट मच गया. सूसाट – हाहाकार. कोई मुसीबत आये बिना आशंका से ही हाय तौबा मचाना.

आंधी आई है तो मेह भी आएगा, बहुत नहीं तो थोड़ा आएगा. संकट से डरो नहीं, यह समाप्त अवश्य होगा. और हो सकता है यह किसी अच्छाई का संकेत हो.

आंधी आवे बैठ जाए, पानी आवे भाग जाए. सीख दी गई है – आंधी आने पर बैठ जाओ, खड़े रहने पर गिर सकते हो. पानी बरसे तो वहाँ से हट जाओ, खड़े हो कर भीगो नहीं.

आंधी उड़ाए गरीब का घर. प्राकृतिक आपदाएँ भी गरीबों को ही अधिक सताती हैं.

आंधी का मेह, बैरी का नेह. दोनों स्थाई नहीं होते.

आंधी के आगे बेने की बतास (आंधी के आगे पंखे की हवा). बेना – हाथ का पंखा. आंधी चल रही हो तो हाथ का पंखा क्या करेगा. उसी अर्थ में है जैसे कहते हैं – सूरज को दिया दिखाना.

आंधी के आम. आंधी आने पर एक साथ बहुत से आम गिर जाते हैं जिन्हें कम दाम पर बेचना पड़ता है. कोई वस्तु बहुत अधिक मात्रा में और कम दाम में मिल जाए तो.

आंधी के आम और ब्याह के दाम किसने गिने हैं. शादी में अनाप-शनाप खर्च होता है इस बात को आंधी में अनगिनत आम टूटते हैं इस बात की उपमा देकर बताया गया है.

आंधी में पेड़ गिर जाते हैं घास बच जाती है. जो लोग कठिन परिस्थितियों में लचीला रुख अपनाते हैं वह उन परिस्थितियों से सफलतापूर्वक बाहर निकल आते हैं जो अड़ियल रुख अपनाते हैं वे समाप्त हो जाते हैं.

आंधी में बगुले की क्या बिसात. बड़ी प्राकृतिक आपदाओं के सामने छोटे जीव जंतुओं की क्या औकात है.

आ गई तो ईद बरात नहीं तो काली जुम्मेरात. भाग्य ने साथ दिया तो मौज ही मौज वरना परेशानी तो है ही.

आ झगड़ालू राड़ करें, ठाली बैठे क्या करें. कुछ लोगों को झगड़ा करने का शौक होता है, उन के लिए कही गई कहावत. रूपान्तर – आओ बहन लड़ें (आरी राड़ी राड़ करें), ठाली बैठी क्या करें.

आ पड़ोसन लड़ें. जो लोग बिना बात लड़ने पर उतारू रहते हैं उनके लिए.

आ बड़े घर की बेटी है, तो पंजा कर ले. एक स्त्री शान बघारने वाली दूसरी स्त्री को चुनौती देती है कि तू बहुत बड़े घर की बेटी बनती है तो मुझसे मिल कर पंजा लड़ा तो समझूँ कि तूने कितना खाया पीया है.

आ बला गले लग. जबरदस्ती मुसीबत बुलाना.

आ बे पत्थर पड़ मेरे गाँव. जबरदस्ती मुसीबत मोल लेना.

आ बैल मुझे मार, सींग से नहीं तो पूंछ से ही मार. जबरदस्ती मुसीबत मोल लेना. अधिकतर इस का पहला भाग ही बोला जाता है.

आ रे मेरे लाले, सेंत का चन्दन तू भी लगा ले, औरों को भी बुला ले. 1. जहाँ कोई कीमती चीज़ मुफ्त में मिल रही हो. 2. किसी दुखी बाप का नालायक बेटे से कथन.

आ रै मेरे सम्पटपाट, मैं तनै चाटूं, तू मनै चाट. (हरियाणवी कहावत) दो निकम्मे व्यक्तियों का समागम होना.

आई तीज, बिखेर गई बीज, आई होली, भर ले गई झोली. अक्षय तृतीया के बाद एक के बाद एक त्यौहार होते हैं अर्थात त्यौहारों के बीज पड़ जाते हैं. होली के बाद जल्दी कोई त्यौहार नहीं होता.

आई तो रमाई, नहीं तो फ़कत चारपाई. मिल गया तो मौज कर लो नहीं तो शांति से बैठो. (रमाई मतलब धूनी रमाई, हुक्का चिलम आदि से तात्पर्य है).

आई तो रोजी नहीं तो रोजा. भाग्य ने साथ दिया तो रोजी रोटी मिल जाएगी नहीं तो भूखे रहना पड़ेगा. मुसलमानों में रमजान के महीने में रोजे (व्रत) रखे जाते हैं.

आई थी बिल्ली, पूंछ थी गीली. किसी काम को टालने के लिए बहाने बनाना. सन्दर्भ कथा सास और बहू पास पास लेटी थीं. सास ने बहू से कहा,  जरा देख बाहर वर्षा तो नहीं हो रही. बहू ने कहा, माँ जी अभी बिल्ली आई थी उसकी पूंछ गीली थी इसका मतलब वर्षा हो रही है. थोड़ी देर बाद सास ने फिर कहा, बहू जरा दीपक बुझा दे, बहू ने कहा, माँ जी आँखें बंद कर लो अंधेरा हो जाएगा. सास ने कहा, अच्छा जरा किवाड़ तो बंद कर दे. बहू बोली,  दो काम मैंने कर दिए अब एक कम तो आप भी कर लो. 

आई थी मांड को, थिरकन लगी भात को. अमीर लोगों के यहाँ जो चावल को मांड निकलता है उसे गरीब लोग मांग कर ले जाते हैं. कोई मांड मांगने आये और चावलों पर जोर जमाने लगे तब.

आई थी मिलने, बिठाली दलने. आप किसी से ऐसे ही मिलने जाएँ और वह आप को किसी काम में लगा ले. (दलने का मतलब दाल दलने से है).

आई न गई, कौन नाते बहिन. जबरदस्ती रिश्ता जोड़ने वाले के लिए.

आई न गई, कौले लग ग्याभन भई. कोई कुआंरी या विधवा स्त्री गर्भवती हो गई और अपने को निर्दोष बता रही है, तो अन्य स्त्रियाँ उस से पूछ रही हैं कि तू कहीं आई गई नहीं तो क्या गले लगने से गर्भवती हो गई. कोई दोषी व्यक्ति अपने को निर्दोष सिद्ध करने का प्रयास करे तो. (कौले लग – गले लग के, ग्याभन – गर्भवती)

आई बहू आयो काम, गई बहू गयो काम. बहू के आते ही सारे काम दिखाई देने लगते हैं (बहू से कराने के लिए) और बहू के जाते ही काम दिखाई पड़ना बंद हो जाते हैं. संस्कृत में कहावत है – यावत् गृहणी तावत् कार्यं.

आई बहू, जन्मा पूत. दोहरी ख़ुशी. बहू घर में आई और पहली बार में ही पुत्र को जन्म दिया.

आई बी आकिला, सब कामों में दाखिला. कुछ लोग अपने को बहुत अक्लमंद समझते है और आते ही सब कामों में टांग अड़ा कर दूसरे लोगों को निर्देश देने लगते हैं, उन का मजाक उड़ाने के लिए.

आई माई को काजर नहीं, बिलैय्या को भर मांग. बिलैया माने बिल्ली. यहाँ पराई औरत या दुष्ट पत्नी से तात्पर्य है. अपनी माँ के लिए काजल भी नहीं है और बिल्ली के लिए ढेर सारा सिंदूर. अपने लोगों की उपेक्षा कर के दूसरों के काम करना. मां की उपेक्षा कर के पत्नी की गुलामी करना.

आई मुझको, ले गई तुझको. किसी कम आयु के व्यक्ति की असमय मृत्यु हो जाए तो बड़े बुजुर्ग ऐसे बोलते हैं.

आई मौज फ़कीर की, दिया झोपड़ा फूँक. (दी मढैया फूँक) बेफिक्रा और मनमौजी आदमी कुछ भी कर सकता है.

आई सतुअन की बहार, बालम मूँछें मुड़ा डारो. छोटे लाभ के लिए इतना बड़ा बलिदान करने को कहा जा रहा है. सत्तू खाते समय मूंछों में लग जाता है इसलिए मर्दानगी की प्रतीक मूंछों को ही साफ़ करा दो.

आई सौतन, करो सिंगार. घर में सौत आ गई है इसलिए अब अपने रंग रूप पर ध्यान देना पड़ेगा. किसी भी कार्यक्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी के आ जाने पर अपनी गुणवत्ता को बढाना आवश्यक हो जाता है.

आई है जान के साथ, जाएगी जनाज़े के साथ. कोई असाध्य बीमारी.

आऊँ न जाऊं घर बैठी मंगल गाऊं. जो लोग सामाजिक आयोजनों में कहीं आते जाते नहीं हैं उन पर व्यंग्य.

आए का मान करो, जाते का सम्मान करो. घर में कोई भी आए उसका मान करना चाहिए. कोई छोटा आदमी हो तो भी उससे उचित व्यवहार करना चाहिए. जब कोई जा रहा हो तो उसको सम्मान से विदा करना चाहिए.

आए की खुशी न गए का गम. उन लोगों के लिए जो कोई चीज़ मिलने पर बहुत प्रसन्न नहीं होते और कुछ खोने पर बहुत दुखी भी नहीं होते. संतुलित व्यवहार करने वाले लोग.

आए गए से पूछे बात, करे न खेती अपने हाथ. जो किसान स्वयं खेत पर जा कर अपने खेत की देखभाल न करे और आए गए लोगों से ही अपनी खेती का हाल पूछता रहे उसकी खेती कभी सफल नहीं हो सकती.

आए चैत सुहावन, फूहड़ मैल छुड़ावन. ऐसे व्यक्ति के लिए कहा गया है जो जाड़े भर नहीं नहाता और चैत आने पर मैल छुड़ाने बैठा है. व्यवहार में ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग करते हैं जो कभी कभी ही सफाई करता हो.

आए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास. सांसारिकता में फंस कर अपने जीवन का उद्देश्य भूल जाना.

आए वीर, भागे पीर. 1. वीर पुरुषों के सामने भूत प्रेत सब भाग जाते हैं. 2. भूत प्रेत सब मन का वहम हैं जिन्हें वीर पुरुष नहीं मानते.

आए हैं सो जायेंगे, राजा, रंक, फ़कीर. (आया है तो जायगा क्या राजा क्या रंक.) सभी लोगों को इस दुनिया से जाना है. सीख यह है कि हमें अपने पद और धन का अहंकार नहीं करना चाहिए.

आओ तो घर आपका, जाओ तो वह रास्ता. प्रेम से आओ तो स्वागत है, रूठ कर जाओ तो रास्ता सामने है.

आओ निकम्मे कुछ तो करो, खाट उधेड़ कर रस्सी बुनो. निकम्मे आदमी को उलाहना देने के लिए. 

आओ पूत सुलच्छने, घर ही का ले जाव. अपने कुपुत्र से दुखी होकर पिता कह रहा है कि तुम कुछ कमा कर तो नहीं ला सकते, घर का ही ले जाओ.

आओ बैठो गावो गीत, नहीं हमारे बताशों की रीत. जो लोग हमारे यहाँ विवाह आदि में आए हैं वो शौक से गाने वाने गाएं, हमारे यहाँ कुछ खिलाने पिलाने का रिवाज़ नहीं है.

आओ मित्तर जाओ मित्तर घर तुम्हारो है, चून होय तुम्हारे पास तो चूल्हा हमारो है. चतुर व्यक्ति आने वाले अतिथि को सीधे सीधे मना नहीं कर रहा है, कह रहा है कि हमारा चूल्हा तैयार है, बस आटा तुम ले आओ.  

आओ मियां खाना खावो, बिसमिल्ला झट हाथ धुलावो, आओ मियां बोझ उठावो, हम बूढ़ा कोई ज्वान बुलावो. खाने पीने के लिए फौरन तैयार परन्तु काम करने के लिए बहाने बनाना.    

आओ मेरी हाट में, देऊं तेरी टाट में. लालची बनिया इस फ़िराक में रहता है कि कोई ग्राहक उसकी दूकान में आए और वह उसे ठगे.

आओ-आओ घर तुम्हारा, खाना माँगे दुश्मन हमारा. झूठा स्वागत सत्कार.

आक का कीड़ा आक में राजी, ढाक का कीड़ा ढाक में राजी. जो जिस परिवेश में रह रहा है वह उसी में संतुष्ट रहता है.

आक को सींचे पर पीपल को न सींचे. उपयोगी वस्तुओं की उपेक्षा करना और फ़ालतू चीजों पर ध्यान देना.

आक में ईख और ईख में आक. निकृष्ट कुल में भी कभी कभी उच्च संस्कार वाले जन्म लेते हैं और उच्च कुल में नीच.

आक में तो अकौड़े ही लागे, आम कब लागे. (अकौड़े – आक के पेड़ पर लगने वाले फल जो किसी काम के नहीं होते). निकृष्ट लोगों के घर में निकृष्ट सन्तान ही पैदा होगी.

आकाश बांधू, पाताल बांधू, घर की टट्टी खुली. उन लोगों के लिए जो बड़ी बड़ी योजनाएं बनाते हैं और अपने घर में छोटा सा काम भी नहीं कर सकते. टट्टी का अर्थ है सींकों से बना हुआ पर्दा. (देखिए परिशिष्ट)

आकाश बिना खम्बों के खड़ा है. 1.आकाश सत्य और धर्म के सहारे खड़ा है. महान व्यक्तियों को किसी के सहारे की आवश्यकता नहीं होती.

आकास बिजली चमके, गधा दुलत्ती झाड़े. जिस बात से कोई लेने देना नहीं और जिस में कुछ कर भी नहीं सकते उस पर बिना बात आक्रोश प्रकट करना.

आखिर ऐसे कब तक, जब तक चले तब तक (ये अनीत कब तक, जब तक चले तब तक). किसी ने पूछा – यह अनीतिपूर्ण व्यवहार कब तक चलेगा. उत्तर मिला- जब तक चल सके ऐसे ही चलाओ. धोखे के व्यापार में व्यक्ति को रोटी मिलने लगती है तो उसके लिए उसको छोड़ना कठिन हो जाता है. सन्दर्भ कथा 19. कहीं चार ब्राह्मण भाई रहते थे. चारों भाई मूर्ख और गरीब थे. उनमें से एक कहीं रोजी की खोज में निकला. वह कुछ जप तप मन्त्र तो जानता नहीं था, इसलिए उसने एक राजा के महल के सामने बैठ कर मुँह ही मुँह में जाप जपो, जाप जपो बुदबुदाना शुरू कर दिया. राजा तक बात पहुँची तो उसने ने उसके रहने के लिए एक कुटिया बनवा दी और खाने पीने का प्रबंध करवा दिया. कुछ दिनों के बाद दूसरा भाई भी घूमते-फिरते वहाँ पहुंचा. उसने भी वही काम आरम्भ कर दिया. चूंकि, वह भी लिख-लोढ़ा पढ़-पत्थर था, इसलिए उसने जो भइया जपें, सो हम भी जपें का पाठ आरम्भ किया.

कुछ दिनों के बाद तीसरा भाई भी आया. अपने दोनों भाइयों के आग्रह पर वह भी उसी काम में रम गया, लेकिन उसे बराबर यह डर बना रहता था कि यह भेद एक न एक दिन खुलेगा अवश्य. इसलिए उसने जपना शुरू किया आखिर ऐसा कब तक. कुछ ही दिनों के बाद चौथा भाई भी आया और वह भी उसी काम में लग गया. उसने अपने तीसरे भाई के प्रश्न के उत्तर स्वरूप जब तक चले तब तक जपना आरम्भ कर दिया. धोखे के व्यापार में व्यक्ति को रोटी मिलने लगती है तो उसके लिए उसको छोड़ना कठिन हो जाता है.

आखिर शंख बजा, पांडेजी को पदा के, पंडाइन को रुला के.  काम हुआ लेकिन कड़े परीश्रम के बाद.

आखिरी बार, बेड़ा पार. बहुत परिश्रम के बाद अंत में कार्य सम्पन्न हो गया.

आग और पानी को कम न आंक. थोड़ी सी भी आग बढ़ के विकराल रूप धारण कर सकती है और बाढ़ का पानी आज थोड़ा हो तो भी कल बढ़ कर बहुत नुकसान पहुँचा सकता है.

आग और वैरी को कम न समझो. आग और शत्रु को छोटा नहीं समझना चाहिए.

आग कह देने से मुँह नहीं जल जाता. अर्थ स्पष्ट है.

आग का जला आग से अच्छा होता है. ऐसा पुराने लोगों का विश्वास था. पता नहीं इस के पीछे क्या तर्क था.

आग की लपटों को दीया जलाकर कौन देखे. जो सत्य स्वयं प्रकाशमान हो उसे सिद्ध करने की क्या आवश्यकता.

आग को दामन से ढकना. किसी खतरे को टालने के लिए ऐसा मूर्खतापूर्ण उपाय करना जिससे और बड़ा नुकसान हो सकता हो.

आग खाएगा तो अंगार उगलेगा (आग खाओगे तो अंगार हगोगे). 1.गलत काम का नतीज़ा गलत ही होता है. 2.व्यक्ति अगर गलत शिक्षा ग्रहण करेगा तो गलत बातें ही बोलेगा.

आग खाय मुँह जरे, उधार खाय पेट जरे. आग खाने से मुँह जल जाता है और उधार ले कर खाने पर उसे चुकाने की चिंता आदमी को ही जला देती है.

आग जो अपना गुन छोड़ दे तौ भुनगा भी उस पर चढ़ जाय. अग्नि यदि जलाना छोड़ दे तो उससे कौन डरेगा. एक भुनगा तक उसके ऊपर चढ़ने के लिए तैयार हो जायेगा. यही बात शासकों पर लागू होती है.

आग तापें चीलर मारें, एक साथ दो काम निबारें. होशियार लोग दो काम एक साथ कर लेते हैं.

आग बिना धुआँ नहीं. अगर कहीं धुआं दिख रहा है तो आग जरूर होगी. अगर किसी परिवार में या संगठन के लोगों में बाहर से ही कुछ खटपट दिख रही है तो इस का मतलब यह है कि अंदरूनी क्लेश अवश्य होगा. इंग्लिश में कहावत है – There is no smoke without fire.

आग में गया फिर हाथ नहीं आता. नष्ट हुई वस्तु फिर नहीं मिलती.

आग में तप के सोना और खरा हो जाता है. गुणवान व्यक्ति कठिनाइयों से जूझ कर और निखर जाता है.

आग लगन्ते झोपड़ी, जो निकले सो लब्ध. झोंपड़ी में आग लग गई हो तो जो कुछ भी बचा कर निकाल सको उसी में अपने को भाग्यशाली मानना चाहिए.

आग लगाकर पानी को दौड़े. पहले स्वयं कोई परेशानी पैदा करना और फिर उस का हल खोजने के लिए दौड़ भाग करना.

आग लगे उस राण्ड को जो खसम से पहले खाय. पहले जमाने में स्त्री यदि पति से पहले खाना खा ले तो बहुत बुरा माना जाता था.

आग लगे को धूल बतावे. आग लगने पर धुआँ उठ रहा है, उसे धूल बता कर लोगों को धोखा दे रहे हैं या खुद को धोखे में रख रहे हैं. जैसे देश पर बड़ा संकट हो और नेता लोगों को गुमराह करे.

आग लगे तेरी पोथिन में, जिया धरो मेरो रोटिन में. भूख के सामने पढ़ना नहीं सूझता.

आग लगे मंडप, बज्र परे ब्याहे. ईर्ष्या और दुर्भावना के वश किसी को बद्दुआ देने के लिए कहते हैं, उसके मंडप में आग लगे, उसके विवाह में बिजली गिरे.

आग लगे मंडवा, वज्र पड़े कोहबर, हमें तो खीर पूड़ी से काम. मंडवा – मंडप, कोहबर – वर का कमरा. स्वार्थी बारातियों का कथन. विवाह बिगड़ जाए तो हमें क्या. हमें अपनी दावत मिलनी चाहिए.

आग लेने आए थे, क्या आए क्या चले. जब आग जलाने के लिए माचिस और लाइटर नहीं होते थे तब लोग पड़ोसी के घर से आग मांग कर लाते थे. (जलता हुआ कोयला या लकड़ी). जो आदमी बहुत जल्दी में आए और चला जाए उसके लिए मजाक.

आग लेने रोज आवे, पर उपला कभी न लावे. जब माचिस का आविष्कार नहीं हुआ था तो लोग आस पड़ोस से आग मांग कर लाते थे (कोई जलता हुआ कोयला या कंडे का टुकड़ा). कोई स्वार्थी व्यक्ति किसी के घर रोज आग मांगने जाए और उसी का कंडा रोज ले जाए तो.

आग से जले हुए जुगनुओं से डरते हैं. जो आग से जल चुका हो वह कोई भी चमकदार चीज़ देख कर डरता है.

आगा को आगे, पाछा को भागे. आगे रहने वालों को बहुत कुछ मिल जाता है, पीछे रहने वालों को भाग्य से ही कुछ मिलता है. भागे – भाग्य से.

आगामीर की दाई, सब सीखी सीखाई. अवध के नवाब गाजीउद्दीन के वजीर आगामीर एक बहुत चालाक आदमी थे. उनके नौकर चाकर भी बड़े खुर्रांट थे. किसी बड़े आदमी के शातिर नौकर पर व्यंग्य करने के लिए.

आगाय सो सवाय (अगाई बोवाई, सवाई लवाई). समय से पूर्व खेती के काम करने से सवाया लाभ होता है.

आगी होती तो का पाहुनो मूंछें लैके चलो जातो. हम समर्थ होते तो कुछ कर न दिखाते. सन्दर्भ कथा – कोई स्त्री पड़ौस में किसी दूसरी स्त्री के यहाँ आग लेने गयी. संयोग से उस समय उसके यहाँ आग नहीं थी, साथ ही उसके यहाँ कई दिन से एक मेहमान आया था जो बड़ी मुश्किल से अभी अभी घर से गया था. उसकी मेहमानदारी से वह झल्लायी बैठी थी, अतः उसने उत्तर दिया, आग घर में होती तो मैं उस निगोड़े मेहमान की मूंछें न जला देती.

आगे आगे बामना, नदी ताल बरजन्ते. जीमने और दक्षिणा समेटने में ब्राह्मण आगे रहते है, जहां खतरा हो (जैसे नदी तालाब पार करना हो) तो कहते हैं कि यह शास्त्र में वर्जित है. 

आगे कह मृदु वचन बनाई, पाछें अनहित मन कुटिलाई, जाकर चित अहि-गति सम भाई, अस कुमित्र परिहरेहि भलाई. अहि – सांप, परिहरहिं – छोड़ने में. जो सामने मीठा बोलता है, पीठ पीछे हानि पहुँचाता है, जिसका मन सांप की चाल के समान टेढ़ा मेढ़ा है, ऐसे कपटी मित्र को छोड़ देने में ही भलाई है.

आगे की परसी थाली उठ गई. जब हाथ में आई कोई वस्तु अचानक चली जाती है तो कहावत कही जाती है.

आगे को सुख समझ, बीती जो बीती. जो बीत गई उस की चिंता छोड़ कर आगे मिलने वाले सुखों पर ध्यान केन्द्रित करो. यह मान कर चलो कि आगे सुख मिलेगा.

आगे चलो तो दांते काटै, पीछे चलो तो लातें मारै. किसी बहुत चिड़चिड़े स्वभाव के व्यक्ति का मजाक उड़ाने के लिए, कि इस के आगे चलो तो दांत से काट खाये और पीछे चलो तो पैर से लात मार देता है.

आगे चीकन, पीछे रूख, यह देखा बनियों का रूप. बनिए सामने तो मीठी मीठी बातें करते हैं लेकिन वास्तविकता में बड़े रूखे होते हैं, विशेषकर रूपये पैसे के मामले में.

आगे जाएं घुटने टूटें, पीछे देखें आँखें फूटें. किसी काम के दो विकल्प हैं और दोनों में ही बराबर संकट है.

आगे दौड़, पीछे छोड़. आगे बढ़ने का प्रयास करो, पीछे जो गलतियाँ हुईं उनका दुख मनाने में समय मत गंवाओ. रूपान्तर – बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले. इंग्लिश में कहावत है – Let bygones be bygones.

आगे नाथ न पीछे पगहा, सबसे भला कुम्हार का गदहा. बैल के नथुने में छेद कर के रस्सी डाल देते हैं जिसे नाथ (नथना) कहते है, हाथी के पिछले पैर में रस्सी या जंजीर बाँध देते हैं जिसे पगहा कहते हैं. गाय, भैंस, बैल और घोड़े के गले में बंधे रस्सी के फंदे को भी पगहा कहते है. धोबी के गधे को न तो नथा जाता है और न ही उस के पैर में पगहा पहनाया जाता है (क्योंकि वह स्वभाव से बहुत सीधा होता है). कहावत का प्रयोग उन लोगों के लिए करते हैं जिन पर परिवार का कोई बंधन न हो. भोजपुरी में इसे इस प्रकार बोला जाता है – आगे नाथ ना पीछे पगहा, खा के मोटा भइले गदहा (बिना छान के कूदे गदहा) (खा के घूर में लोटे गदहा). छान – बंधन.

आगे पग से पत बढ़े, पाछे से पत जाए. अपने मार्ग पर आगे बढ़ने से व्यक्ति का सम्मान बढ़ता है और पीछे हटने पर सम्मान कम होता है.

आगे बैजू पीछे नाथ. 1. जब कोई बिना सोचे समझे किसी का अंधानुकरण करे. 2. जब कोई बड़ा आदमी किसी छोटे का अनुसरण करे.

आगे मस्तानी तो पीछे पछतानी (आगे न चेते तो पीछे पछताए). प्रारम्भ से कड़ी मेहनत न करने वाले और मस्ती मारने वाले बाद में पछताते हैं.

आगे मिलइ बिप्र जो काना, बड़े भाग जो उबरै प्राना. यात्रा के समय निकलते ही यदि सामने काना मिले तो अपशकुन है ही और यदि कहीं काना ब्राह्मण हो तब तो बड़ा ही अपशकुन माना जाता है. कहते हैं बड़ा भाग्य हो तभी प्राण बचते हैं.

आगे से भारी, पीछे से हल्का. जो व्यक्ति प्रत्यक्ष में गंभीर बात करे पर पीठ पीछे घटिया बातें बोले.

आगे हाथ, पीछे पात. अत्यधिक निर्धन व्यक्ति जो शरीर को हाथ और पत्तों से ढकता है. 

आगे ही गधे आवें तो पीछे घोड़ों की क्या आस. सेना में या शोभायात्रा में आगे गधे चल रहे हों तो पीछे घोड़ों की क्या उम्मीद करें. जिस काम की शुरुआत ही बेकार हो उस में आगे क्या उम्मीद.

आचार परमो धर्मा. बेहतर आचरण ही परम धर्म है.

आछे दिन पाछे गये, गुरु (हरि) सों किया न हेत, अब पछितावे होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत. हेत – प्रेम. आम तौर पर इसका बाद वाला हिस्सा ही बोला जाता है. यह कहावत ऐसे व्यक्ति के लिए कही जाती है जो आलस के कारण समय पर जरूरी काम नहीं करता और जब काम बिगड़ जाता है तो पछताता है.

आज का बनिया कल का सेठ. जो आज मेहनत करता है वही कल को बड़ा आदमी बन सकता है.

आज की कसौटी बीता हुआ कल है. कसौटी माने वह पत्थर जिस पर रगड़ कर सोने के असली होने की पहचान करते हैं, अर्थात किसी चीज़ को परखने का साधन. कोई व्यक्ति या समाज आज क्या है इसको परखने के लिए उसके बीते हुए कल को अवश्य देखना चाहिए.

आज की ठोकर, कल के गिरने से बचा सकती है. ठोकर लगने से इंसान सीखता है.

आज की बिटिया कल की नानी. संसार का चक्र यूँ ही चलता है. जो आज बच्चा है वह कल बुजुर्ग हो जाएगा.

आज के थपे आज ही नहीं जलते. उपलों (गोबर से बने कंडे) को जिस दिन थापते (बनाते) हैं उसी दिन नहीं जलाते (पहले सूखने देते हैं). अर्थ है कि किसी काम का फल मिलने के लिए उतावलापन नहीं करना चाहिए कुछ समय प्रतीक्षा करनी चाहिए.

आज चुराए ककरी, कल चुराए बकरी. आज छोटी मोटी चोरी करने वाला कल बड़ी चीज़ चुराएगा.

आज नगद कल उधार. उधार देने से मना करने के लिए दुकानों पर अक्सर लोग यह लिख कर लगाते हैं.

आज नहीं कल. काम को या मुसीबत को टालने की कोशिश करना. सन्दर्भ कथा – एक मियाँ प्रतिदिन रात में एक पेड़ के नीचे जाकर ईश्वर से प्रार्थना किया करता था कि ऐ खुदा! मुझे अपनी मुहब्बत में खेंच. उसकी यह बात किसी मसखरे ने सुन ली और मजा लेने के लिए वह एक रात पहले से ही पेड़ पर चढ़ कर बैठ गया. जब उस मुसलमान ने पेड़ के नीचे आ कर वही वाक्य दोहराया तो उस ने पेड़ पर से रस्से का फंदा नीचे गिराकर उसे खींचना शुरू कर दिया. मियाँ घबरा कर बोला, ऐ खुदा आज नहीं कल.

आज निपूती कल निपूती, टेसू फूला सदा निपूती. निपूती – जिसके पुत्र न हो. परिवार में किसी बाँझ स्त्री के लिए पहले की स्त्रियाँ इस प्रकार के अपमान जनक कथन बोलती थीं.

आज मरे कल दिन दूसरा. किसी के जाने से दुनिया का कोई काम नहीं रुकता. दुनिया ऐसे ही चलती रहती है.

आज मरे, कल पितरों में. मृत्यु के बाद हम सभी को पूर्वजों में शामिल हो जाना है.

आज मेरी कल तेरी. स्वार्थी व्यक्ति कोई चीज़ बांटते समय दूसरे को समझा रहा है कि आज मैं ले लेता हूँ, तू कल ले लेना.

आज मेरी मँगनी, कल मेरा ब्याह, टूट गई टंगड़ी, रह गया ब्याह. हम भांति भांति की योजनाएं बनाते हैं, पर किसके साथ आगे क्या होना है यह कोई नहीं जानता.

आज राज सो राज. जिसका इस समय राज है उसी का हुक्म चलेगा. उन रिटायर्ड लोगों को सीख देने के लिए जो पद जाने के बाद भी अपनी हेकड़ी चलाने की कोशिश करते हैं.

आज हम पर तो कल तुम पर. हमारी दुर्दशा देख कर खुश मत हो, जो आज हम पर बीत रही है वह कल तुम पर भी बीत सकती है.

आज हमारी कल तुम्हारी, देखो लोगों फेरा फारी. संसार परिवर्तनशील है किसी को अपनी वर्तमान स्थिति पर न तो अहंकार करना चाहिए न अफ़सोस.

आजमाए को आजमावे, नामाकूल कहावे. जिसके साथ नुकसान उठा चुके हो उसको दोबारा आजमाने वाला मूर्ख कहलाता है. इंग्लिश में कहावत है – If a man deceives me once, shame on him; if he deceives me twice, shame on me. 

आटा खाते भौंकते नहीं बनता. कुत्ता आटा खा रहा हो और हाकिम रिश्वत खा रहा हो तो गुर्रा नहीं पाता.

आटा नहीं तो दलिया तो हो ही जाएगा. गेहूँ को चक्की में पीसते हैं तो अगर पूरी तरह पिस कर आटा नहीं बन पाया तब भी दलिया तो बन ही जाएगा. काम पूरी तरह नहीं होगा तो भी कुछ न कुछ तो निबट ही जाएगा.

आटा निबड़ा, बूचा सटका. बूचा माने कान कटा कुत्ता. खाना ख़तम होते ही कुत्ता अपनी राह निकल लेता है. यह कहावत स्वार्थी लोगों के लिए कही गई है.

आटा भयो ढीला, बनत नहिं लोई, जोवन भयो ढीला, पूछत नहीं कोई. अर्थ स्पष्ट है.

आटे का चिराग, घर रखूँ तो चूहा खाए, बाहर रखूँ तो कौआ ले जाए. ऐसी नाजुक चीज़ जिसकी सुरक्षा कठिन हो.

आटे में नोन समा जात, पर नोन में आटा नहीं समात. झूठ उतना ही बोलना चाहिए जितना चल जाए

आठ कठौती मठा पिए, सोलह मकुनी खाय, उसके मरे न रोइए, घर का दलिद्दर जाए. आठ बड़े वाले बर्तन भर कर मट्ठा पीने वाला और सोलह मोटी रोटी खाने वाला (अर्थात बहुत अधिक खाने वाला) कोई घर का सदस्य यदि मर जाए तो रोओ नहीं. उस के मरने से घर का दुख दारिद्र्य दूर हो जाएगा.

आठ खावे नौ लटकावे. बहुत दिखावा करने वाले के लिए.

आठ जुलाहे नौ हुक्का, तिस पर भी थुक्कम थुक्का. जितने लोग हैं उससे अधिक उपयोग की वस्तुएं हैं, फिर भी आपस में लड़ रहे हैं.

आठ पहर लौं फूहर सोवै, लै झाडू अंगना में रोवै, पुरवा पछुवा तू मोरा भाय, अंगना का कूड़ा ले जा उड़ाय. फूहड़ स्त्री देर तक सोती रही और फिर आंगन में खड़ी रो रही है कि ऐ पुरबा और पछुवा हवा के झोंकों, तुम तो मेरे भाई हो, मेरे आंगन का कूड़ा उड़ा कर ले जाओ.

आठ माघ नौ कातिक नहावै, दस वैसाख अलौनौ खावै, सीधौ वैकुंठ जावै. कहावत में व्रत एवं स्नान की महत्ता बताई गई है. माघ और कार्तिक में स्नान और वैशाख में अलोना (बिना नमक का) खाने से बैकुंठ मिलता है.

आठ वार नौ त्यौहार. आठ दिन में नौ त्यौहार. सदा आनंद मनाना. हिन्दुओं में तीज त्यौहार बहुत होते हैं इसको लेकर मजाक.

आठों गाँठ कुम्मैत. एक विशेष प्रकार के घोड़े को कहते हैं जो सिर से पैर तक कुम्मैत रंग का हो. कहावत अत्यन्त चतुर और चालाक व्यक्ति के लिए प्रयोग की जाती है.

आता तो सब ही भला, थोड़ा, बहुता, कुच्छ, जाते तो दो ही भले दलिद्दर और दुक्ख. आता तो सब अच्छा लगता है, थोड़ा आये या बहुत, जाती हुई दो ही चीज़ें अच्छी लगती हैं दुख और दारिद्र्य.

आता हुआ सब को अच्छा लगता है, जाता हुआ किसी को नहीं. मनुष्य का स्वभाव है.

आता है हाथी के मुँह और जाता है चींटी के मुँह. कोई भी संकट आता बहुत तेजी से है और जाता है धीरे धीरे.

आता हो तो आने दीजे, जाता हो तो गम न कीजे. जो आता हो उसे आने दो, जो चला जाए उसका गम न करो.

आती बहू और जनमता पूत, जैसी लय लगाओ वैसी लग जाए. घर में आई नई बहू और जन्म लेने वाले बच्चे को शुरू से जैसी आदत डाल दो वैसी पड़ जाती है.

आती बहू जनमता पूत सबको अच्छा लगता है. घर में कोई खुशी हो तो सभी लोग आनंदित होते हैं लेकिन जो लोग बहू के आने पर या पुत्र के जन्म पर बहुत अधिक खुश हो रहे होते हैं उन्हें सयाने लोग यह सीख देते हैं कि जरूरत से ज्यादा खुश मत हो, आगे क्या होगा यह कोई नहीं जानता.

आती लच्छमी को ठुकरा देत. आती लक्ष्मी के लिए दरवाजा बंद करते हैं.

आतुर काम द्रव्य से होए. कोई काम जल्दी करना हो तो अधिक पैसे खर्च कर के ही किया जा सकता है.

आतुर खेती, आतुर भोजन, आतुर कीजे बेटी ब्याह. खेती, भोजन और बेटी का ब्याह, इन तीनों कामों में शीघ्रता करनी चाहिए.

आते का बोलबाला, जाते का मुँह काला. अफसर आता है तो सब उस की चापलूसी करते हैं, जाते ही उसकी बुराई करने लगते हैं.

आते जाते मैना न फंसी, तू क्यों फंसा रे कौए. भोला भाला व्यक्ति तो फंसा नहीं तू इतना सयाना हो कर कैसे फंस गया. कोई धूर्त व्यक्ति धोखा खा जाए तो उस पर व्यंग्य..

आत्मघाती महापापी. आत्महत्या को महापाप माना गया है.

आत्मा में पड़े तो परमात्मा की सूझे. पेट में रोटी पड़े तभी भगवान की भक्ति कर सकते हैं.

आदत बुरी बलाय. किसी चीज़ आदी हो जाना अच्छा नहीं है.

आदम आया, दम आया. 1.अब्राहमिक धर्मों के अनुसार सृष्टि का आरम्भ आदम के आने से हुआ. 2.किसी भयावह स्थान पर कोई व्यक्ति अकेला फंस जाए तो दूसरे इंसान को देखते ही जान में जान आ जाती है.

आदमियों में नउआ, जानवरों में कउआ. जिस प्रकार जानवरों में कौए को धूर्त प्राणी माना जाता है उसी प्रकार मनुष्यों में नाई को चंट चालाक माना गया है. यहाँ नाई से तात्पर्य हज्जाम से नहीं बल्कि हिन्दुओं में रीति रिवाज़ कराने वाले नाई से है. रूपान्तर – नरों में नाई, पखेरुओं में काग, पानी में कछुआ, तीनों दगाबाज. एक और – मानुस में इक नौआ देखा, पंछी में इक कौआ, पेड़ों में इक झौआ देखा, नौआ, कौआ, झौआ (झाऊ).

आदमी अनाज का कीड़ा है. अन्न मनुष्य की प्रथम आवश्यकता है.

आदमी अपनी संगत से पहचाना जाता है. कोई आदमी कैसा है यह जानना हो तो यह देखिए कि उसके यार दोस्त कौन हैं. इंग्लिश में कहते हैं – Man is known by the company he keeps.

आदमी उपदेश का नहीं, तारीफ़ का भूखा है. उपदेश सुनना किसी को अच्छा नहीं लगता, पर प्रशंसा सुनना सबको अच्छा लगता है. इंग्लिश में कहावत है – The sweetest of all sounds is praise.

आदमी कहीं भी जाए अपने आप से मुक्ति नहीं पा सकता. मनुष्य दुनिया से भाग सकता है पर स्वयं से नहीं.

आदमी का आदमी ही शैतान. आदमी को सबसे अधिक हानि आदमी ही पहुँचाता है.

आदमी का तोल एक बोल में पहचानिए. अनुभवी लोग किसी मनुष्य से थोड़ी बहुत बात कर के ही उसकी वास्तविकता का अंदाज़ लगा लेते हैं.

आदमी की कदर मरे पर होती है. किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद ही उसके गुणों का बखान किया जाता है.

आदमी की दवा आदमी. मनुष्य के पास कितना भी कुछ हो, उसे दूसरे मनुष्यों का साथ चाहिए ही होता है. किसी भी आदमी की परेशानी या दुख को कोई दूसरा आदमी ही ठीक कर सकता है. दो कहावतों को मिला कर इस प्रकार बोला जाता है – आदमी का शैतान आदमी है और आदमी की दवा आदमी.

आदमी की पेशानी, दिल का आईना है. पेशानी – माथा. व्यक्ति के हृदय में चिंता है या संतोष, यह उसके चेहरे पर प्रतिबिंबित हो जाता है.

आदमी की पैठ पुजती है. मनुष्य की नहीं उस की पहुँच की कद्र होती है.

आदमी के सौ कायदे, लुगाई का एक. पुरुष प्रधान समाज में पुरुष लोग अपनी अनियमितताओं  को किसी भी तरह से सही साबित कर देते हैं, पर स्त्रियों से यह आशा की जाती है कि वे उनके बनाए नियमों पर ही चलें.

आदमी को आगे से और जानवर को पीछे से हांकना चाहिए (ढोर हांके पाछे से, आदमी हांके आगे से). आदमियों को चलाने के लिए आगे चल कर प्रेरित करना होता है. जानवर को पीछे से हांकना पड़ता है.

आदमी जन्म से नहीं कर्म से महान होता है. व्यक्ति ने किस कुल में जन्म लिया है इस से वह महान नहीं बनता, बल्कि अपने कार्यों से महान बनता है. इंग्लिश में कहावत है – Worth is more important than birth.

आदमी जाने बसे, सोना जाने कसे. सोना कसौटी पर कस के पहचाना जाता है और व्यक्ति को उसके साथ रह कर ही पहचाना जा सकता है.

आदमी नहीं कमाता, आदमी का भाग्य कमाता है. कहावतों में दोनों प्रकार की बातें सुनने को मिलती हैं. एक तो यह कि उद्यम करने से ही सब कुछ मिलता है और दूसरा यह कि कितना भी कुछ कर लो भाग्य से ही सब मिलता है. सच यह है कि दोनों ही महत्वपूर्ण हैं.

आदमी पहले शराब पीता है, फिर शराब आदमी को पीती है. अधिकतर लोग पहले केवल शौक शौक में शराब पीते हैं. फिर वे उसके आदी हो जाते हैं और अपनी इज्जत, धन दौलत और स्वास्थ्य सब बर्बाद कर लेते हैं.

आदमी पेट का कुत्ता है. आदमी पेट का गुलाम है.

आदमी फूले भात खाकर, खेत फूले खाद खाकर. जिस प्रकार मनुष्य अच्छा भोजन कर के स्वस्थ होता है उसी प्रकार खेत उपयुक्त खाद लगाने से अच्छी उपज देता है.

आदमी भगवान और शैतान को एक साथ खुश नहीं कर सकता. पाप और पुन्य एक साथ नहीं किए जा सकते.

आदमी भूल चूक का पुतला है. भूल सभी से हो सकती है. कोई यह नहीं कह सकता कि उस ने कभी भूल नहीं की. इंग्लिश में कहते हैं – The Man is bundle of errors.

आदमी मान के लिए पहाड़ भी उठाता है. इंसान अपनी प्रतिष्ठा के लिए सामर्थ्य से बाहर का काम भी करता है.

आदमी लड़खड़ा कर ही चलना सीखता है. कोई भी नई चीज़ सीखने में शुरू में परेशानियाँ आती ही हैं, उन से हतोत्साहित नहीं होना चाहिए. इंग्लिश में कहावत है – We learn to walk by stumbling.

आदमी सा पखेरू कोई नहीं. मनुष्य सभी प्राणियों में सबसे विशिष्ट है.

आदमी हो कि उठाऊ चूल्हा, किसी अस्थिर चित्त आदमी के लिए कहा गया है.

आदमी हो या घनचक्कर. मूर्ख व्यक्ति के लिए.

आदमी–आदमी अंतर, कोई हीरा कोई कंकर. सब मनुष्य एक से नहीं हो सकते. कुछ अच्छे, कुछ साधारण व कुछ बुरे भी हो सकते हैं.

आदर का सतुआ मीठ, निरादर का हलुआ ना. आदर के साथ खिलाया गया सत्तू, निरादर के साथ खिलाए गए हलवे से अच्छा है.

आदर दिए कुजात को नाहीं होत सुजात. नीच आदमी आदर पा कर भी नीच ही रहता है.

आदर न भाव, झूठे माल खाव. छल प्रपंच कर के व्यक्ति माल खा सकता है पर आदर नहीं पा सकता.

आदर न मान, बार बार सलाम. 1. सम्मान न मिलने पर भी घुसने की चेष्टा करना. 2. आदर नहीं करते, दिखावे को बार बार सलाम करते हैं.

आदि बुरा तो अंत भी बुरा. यदि किसी काम की शुरुआत ही गड़बड़ हो तो काम ठीक से पूरा होने की संभावना बहुत कम होती है. इंग्लिश में कहते है – A bad beginning makes a bad ending.

आधा आप घर, आधा सब घर. स्वार्थी आदमी आधा खुद रख लेता है और आधे में सब को निबटा देता है. आजकल बहुत से नेता और अधिकारी इस तरह के होते हैं.

आधा जेठ तो लबनी हेठ. लबनी – ताड़ के पेड़ से लटकाई जाने वाली मटकी जिस में ताड़ के पेड़ का स्राव इकठ्ठा होता है. आधा जेठ बीतने पर ताड़ के पेड़ पर लटकी लबनी उतार ली जाती है.

आधा ज्ञान, जी की हान. अधूरा ज्ञान खतरनाक है.

आधा तजे पंडित, सारा तजे गंवार. संकट के समय मूर्ख व्यक्ति सब कुछ गँवा देता है जबकि समझदार व्यक्ति आधे को दांव पर लगा कर आधा बचा लेता है. संस्कृत में कहा है – सर्वनाश समुत्पन्ने, अर्ध त्यजहिं पंडित:

आधा तीतर आधा बटेर. ऐसा व्यक्ति जिस का कोई एक मत या विचारधारा न हो.

आधा पाव की लोमड़ी, ढाई पाव की पूँछ. व्यक्ति छोटा, आडम्बर बहुत बड़ा.

आधा पाव भात लाई, बाहर से गाती आई. छोटे से कार्य का बहुत अधिक दिखावा.

आधा बगुला, आधा सुआ. जिस व्यक्ति का कोई एक मत न हो. सुआ – तोता.

आधा साधे, कमर बांधे. कमर बांध लेने से ही आधा कार्य सिद्ध हो जाता है.

आधा सेर कोदों, मिरजापुर का हाट. थोड़ी सी चीज़ का बहुत अधिक दिखावा. कोदों – एक अनाज.

आधी खाइ न जाए, पूरी को मुँह बाए. आधी रोटी तो खाई नहीं जा रही है पूरी खाने के लिए मुँह फैला रहे हैं.

आधी खाब परदेस न जाब (आधी रोटी घर की भली). अपना गांव छोड़कर दूसरे देशों में काम करने मत जाओ चाहे कम खाने को मिले.

आधी छोड़ सारी को धावे, आधी मिले न सारी पावे (आधी छोड़ एक नै धावै, बाकी आधी मुंह से जावै). जो मिला है उससे संतुष्ट न हो कर अधिक के लिए भागने वाला, मिली हुई चीज़ भी गंवा देता है. सन्दर्भ कथा – एक कुत्ते को कहीं से आधी रोटी मिल गई. वह उसे मुँह में दबा कर नदी के किनारे किनारे जा रहा था कि उसे पानी में अपनी परछाईं दिखी. वह समझा कि यह कोई दूसरा कुत्ता आधी रोटी ले कर जा रहा है. उस ने सोचा कि इस की आधी रोटी भी छीन लूँ तो मेरे पास पूरी रोटी हो जाएगी. वह उस के ऊपर गुर्रा कर रोटी छीनने को झपटा तो मुँह की आधी रोटी भी पानी में गिर कर बह गई.

आधी मार धरहरिया को (पहली मार धरहरिया खाय).  धरहरिया – बीच बचाव करने वाला. दो लोग लड़ रहे हों तो बीच बचाव करने वाले को भी काफी मार पड़ जाती है. झगड़े में बीच बचाव करना खतरे से खाली नहीं है.

आधी रात को जम्भाई आए, शाम से मुंह फैलाए. कोई काम शुरू करने से बहुत पहले से ही दिखावा करने लगना.

आधी रोटी बस, कायस्थ हैं की पस (पशु). कायस्थों की तकल्लुफ बाजी पर व्यंग है – ये कायस्थ हैं कोई जानवर थोड़े ही हैं, इन्हें बस आधी रोटी परोसो. एक कायस्थ जिनकी खुराक ठीक थी, उन्हें जब यह कहावत कह कर आधी रोटी  परोसी गई तो उनहोंने इसके आगे इस इस प्रकार कहा – तीन रोटी पुट्ठा, कायथ हैं के ठट्ठा.

आधे आंगन सासरो और आधे आंगन पीहर. मुसलमानों में बहुत निकट सम्बन्धियों में विवाह सम्बन्ध हो जाते हैं उस पर व्यंग्य. सासरो – ससुराल, पीहर – मायका. रूपान्तर – शेखों के कहीं समधियाने नहीं होते. मुसलमानों के यहाँ समधियाने कहाँ से हों जब वो घर में ही बच्चों की शादी कर लें.

आधे आसाढ़ तो बैरी के भी बरसे. आधे आषाढ़ तो वर्षा अवश्य होनी चाहिए.

आधे गाँव दीवाली आधे गाँव फाग. समाज के लोगों का एकमत न होना. फाग – होली.

आधे घर धूमधाम, आधे घर मातम. जिस घर के लोगों में एका न हो वे सुख दुख भी अलग अलग मनाते हैं.

आधे दादा आधे काका, किससे काम को कहे. गाँव में सारे ही अपने बुजुर्ग हैं, काम के लिए किस से कहें.

आधे माघे, कंबली कांधे. आधा माघ बीत गया जाड़ा कम हो गया, अब कंबली ओढ़ो मत कंधे पर रख लो.

आधे में काजी कुद्दू, आधे में बाबा आदम. कुरान और बाइबिल के अनुसार दुनिया के सारे मनुष्य आदम और हव्वा (Adem & Eve) की संतान हैं. एक काजी कुद्दू हुए हैं जिन के बहुत बच्चे थे और बच्चों के भी बहुत सारे बच्चे थे. लोग हँसी में कहते हैं कि हिस्सा बांटा हो तो दुनिया के आधे हिस्से में काजी कुद्दू के बच्चे और आधे में दुनिया के सारे आदमी आएंगे. किसी के बहुत बच्चे हों तो मजाक में यह कहावत कही जाती है.

आधे में लोमड़ी और आधे में पूंछ. थोड़ी वास्तविकता पर थोड़ा आडम्बर भी.

आन का आटा आन का घी, खाय लो खाय लो बाबा जी. आन का – दूसरे का. दूसरे का आटा, दूसरे का घी है, फिर संकोच किस बात का है, बाबा जी खूब प्रेम से खाओ.

आन का दाना तान के खाना, मर जाना परवाह नहीं. दूसरे का माल जम कर खाना चाहिए, चाहे जान ही क्यों न चली जाय. सन्दर्भ कथा – दूसरे का माल जम कर खाना चाहिए, चाहे जान ही क्यों न चली जाय. एक बार एक ब्राह्मण किसी के यहाँ निमंत्रण खाने गये. तो सास ने बहू से कहा कि बहू भइया का बिस्तर लगा दो, वे जैसे ही न्योता खाकर घर आयेंगे, वैसे ही तुरंत बिस्तर पर लेट जायेंगे. इस पर बहू जोर जोर से रोने लग गई. डरते हुए सास ने बहू से पूछा कि वह क्यों रो रही है तो बहू बोली, सास जी यह भला आपके यहाँ का क्या रिवाज है कि न्योता खाने वाले घर तक पैदल चल कर आते हैं. हमारे मैके में तो चारपाई भी साथ जाती है. न्योता खाने वाले को उसी पर चार लोग लेकर आते हैं.

आन के धन पर तीन टिकुली. आन का – दूसरे का. दूसरे का धन खर्च कर के माथे पर सोने की तीन टिकुली लटकाए है. दूसरे के धन की मूर्खता पूर्ण फिजूलखर्ची.

आन के धन पर तेल बुकुआ.  बुकुआ – पीसी हुई गीली सरसों जिसे तेल के साथ शरीर पर मलते हैं. दूसरे का धन मिल रहा हो तो ऐय्याशी करना.

आन पड़ी सिर आपने, छोड़ पराई आस. अगर अपने ऊपर कोई मुसीबत पड़ी है तो खुद ही भुगतनी पड़ेगी, पराई आस छोड़ दो. अपनी मुसीबत से खुद ही निबटना का हौसला बनाना चाहिए.

आन से मारे, तान से मारे, फिर भी न मरे तो रान से मारे. वैश्या के लिए कहा गया है कि वह अपनी अदाओं (आन) से फंसाती है, संगीत (तान) से फंसाती है और फिर भी कोई न फंसे तो शरीर (रान – जांघ) से फंसाती है. किसी चीज़ को प्राप्त करने के लिए जो लोग हद से अधिक गिर जाते हैं उन के लिए भी व्यंग्य.

आनक धंधा आन करे, आंड दबे से बांदर मरे. जिस कार्य के विषय में कोई जानकारी न हो उसे नहीं करना चाहिए. सन्दर्भ कथा – एक बंदर एक बार एक लकड़ी के लट्ठे पर चढ़ गया जिसे आधा चीर कर एक लकड़ी की कील उस की दो फाड़ में फंसा दी गई थी. बंदर ने कौतूहलवश वह लकड़ी की कील खींच कर बाहर निकाल दी. बंदर के अंडकोष लकड़ी की दरार के बीच लटक रहे थे. उनके दबने से बंदर वहीं तड़प कर मर गया.

आप करे सो काम पल्ले पड़े सो दाम. काम वही अच्छा है जो हम अपने आप से कर सकें और जो पैसा अपनी जेब में आ जाए उसी को आमदनी मानना चाहिए.

आप काज सो महा काज. 1. जो अपना काम स्वयं करना जानता है वह सबसे अच्छा रहता है. 2. इसका उसका मुँह देखने की बजाए अपना काम अपने आप कर लो.

आप खाय, बिलाई बताय. चालाक आदमी ने खुद रबड़ी खा ली और बिल्ली का नाम लगा रहा है. खुद चोरी करके दूसरों पर इल्ज़ाम लगाने वाले लिए. रूपान्तर – अपना खाय बिलार बतावे, ओका जनम अकारथ जावे.

आप खायँ हरकत, बाँट खायँ बरकत. अकेले खाना ठीक नहीं, बाँट कर खाने से धन-दौलत की वृद्धि होती है.

आप गुरु जी कांतल मारें, चेलों को परबोध सिखावें. गुरु जी खुद तो कांतल मार रहे हैं (जीव हत्या कर रहे हैं) और चेलों को अहिंसा परमोधर्म: का पाठ पढ़ा रहे हैं.

आप गुरुजी बैंगन खाएँ, औरों को उपदेश पिलाएँ. पुराने लोग बैंगन को कुपथ्य मानते थे (मालूम नहीं क्यों). कहावत उन गुरुओं के लिए है जो खुद गलत काम करते हैं और दूसरों को उपदेश देते हैं.

आप चले तो पाती काय की. जब स्वयं ही जा रहे हैं तो पत्र की क्या आवश्यकता.

आप जिंदा जहान जिंदा. जब तक हम जीवित हैं, यह संसार भी तभी तक है. रूपान्तर – आप मरे जग परलै.

आप डूबा सो डूबा, औरों को भी ले डूबा. कुछ भ्रष्टाचारी लोग स्वयं तो फंसते ही हैं औरों को भी फंसा देते हैं.

आप डूबे तो जग डूबा. यदि किसी की इज्ज़त चली जाए तो संसार उसके लिए बेकार ही है.

आप डूबे बामना, जिजमाने ले डूबे (आप डुबन्ता पंडित, ले डूबे जजमान). ऐसा ब्राह्मण जो खुद भी डूबे और यजमान को भी ले डूबे. भ्रष्ट व्यक्ति को गुरु नहीं बनाना चाहिए.

आप तो मियां हफ्ताहजारी, घर में रोए कर्मों की मारी. हफ्ताहजारी माने जिसकी एक हफ्ते में एक हजार रुपये की आमदनी हो, याने पुराने हिसाब से बहुत बड़ा आदमी. मियाँ तो बहुत बड़े आदमी हैं और घर में बीबी काम में पिस रही है और भाग्य को कोस रही है

आप धनी तो जग धनी. जिस के पास पैसा है उसी के लिए संसार सुखमय है.

आप न काहू काम के, डार-पात, फल-फूल, औरन को रोकत फिरे, रहिमन पेड़ बबूल. बबूल के पेड़ के डाल, पत्ता, फल, फूल किसी काम में नहीं आते हैं, वह रास्ते में सब के लिए केवल काँटे बिछाता है. यह दोहा किसी ऐसे व्यक्ति के लिए है जो स्वयं किसी के काम नहीं आता बल्कि दूसरों के लिए परेशानियां खड़ी करता है.

आप न जाए सासुरे, औरन को सिख देय. खुद तो ससुराल जाने को मना कर रही है और दूसरी लड़कियों को ससुराल जाने को समझा रही हैं. इस प्रकार की दूसरी कहावत है – पर उपदेस कुसल बहुतेरे.

आप बड़े हम छोटे. विनम्रता सबसे बड़ा आभूषण है. अपने आप को छोटा मानना सबसे बड़ा बड़प्पन है.

आप बुआ जी नंगी फिरें, भतीजों को झबला टोपी. बुआ जी के पास खुद के पहनने के लिए ढंग के कपड़े नहीं हैं पर भतीजों के लिए कपड़े बना रही हैं. साधन हीन व्यक्ति परोपकार करे तो.

आप बुरा तो जग बुरा. यदि आप सब के बारे में बुरा चाहते हैं तो दुनिया भी आप के लिए बुरी है.

आप बेईमान तो जग बेईमान. जो लोग स्वयं बेईमान होते हैं वे सारी दुनिया को बेईमान समझते हैं.

आप भला तो जग भला. आप सब की भलाई करते हैं तो दुनिया भी आप के लिए भली है. इंग्लिश में इस से मिलती जुलती एक कहावत है – Do good, have good.

आप भले तो सबहि भलो है, बुरा न काहू कहिये. आप स्वयं भले हैं तो सब आपके लिए भले हैं, किसी को बुरा नहीं कहना चाहिए.

आप भलो तो जग भलो, नहिं तो भला न कोय. जो लोग निर्मल चरित्र वाले होते हैं उन्हें संसार के अन्य लोग भी भले लगते हैं, जो स्वयं कुटिल होते हैं उन्हें कोई भला नहीं लगता.

आप मरता बाप किसे याद आवे. (राजस्थानी कहावत) जब आदमी स्वयं बहुत बड़ी मुसीबत में हो तो उस से सगे सम्बन्धियों के लिए कुछ करने की आशा नहीं करना चाहिए. 

आप मरे जग परलै. किसी व्यक्ति की मृत्यु उसके लिए दुनिया ख़त्म होने के बराबर है. इंग्लिश में कहावत है – Death’s day is Dooms day.

आप महान हैं, प्रभु के समान हैं. अपने आप को बहुत महान समझने वाले व्यक्ति का मज़ाक उड़ाने के लिए.

आप मियाँ उल्लू, पढ़ाने चले तोता. महामूर्ख शिक्षक यदि मेधावी विद्यार्थी को पढ़ाए तो.

आप मियाँ फज़ीहत, औरों को नसीहत. खुद गलत काम करते है और दूसरों को उपदेश देते हैं.

आप मियां मंगते, द्वार खड़े दरवेश. दरवेश – साधु. खुद मंगते (मांगने वाले) हैं और द्वार पर फकीर को भिक्षा देने के लिए बुलाया हुआ है. झूठी शान दिखाने वालों के लिए.

आप मियां मर गए, द्वारे खूंटा गाड़ गए. जब किसी आदमी के मरने के बाद भी उसके द्वारा उत्पन्न की गई बाधायें, बनाये गये अनर्गल नियम, लोगों के रास्ते के रुकावट हों.

आप मिले तो दूध बराबर, मांग मिले तो पानी, कंह कबीर वह खून बराबर, जा में एंचातानी. जो अपने आप मिल जाए वह कीमती चीज़ है (दूध की तरह), जो मांग कर मिले वह पानी की तरह साधारण और जिसके मिलने में झंझट हो वह खून के बराबर है.

आप रहें उत्तर, काम करें पच्छम. बेतरतीब काम करने वाले के लिए.

आप लगावे आप बुझावे, आप ही करे बहाना, आग लगा पानी को दौड़े, उसका कौन ठिकाना. बहुत कुटिल व्यक्ति के लिए (जैसे आजकल के कुछ नेता, खुद दंगा कराते हैं और फिर खुद उसको नियंत्रित करने का श्रेय लेते हैं).

आप लिखे खुदा पढ़े. बहुत खराब लिखावट वालों के लिए.

आप सुखी जग सुखी. जब आप स्वयं सुखी होते हैं तो सारा संसार सुखी लगता है.

आप से आवे तो आने दे. जो चीज़ बिना प्रयास किए मिल रही हो उसे मना मत करो. सन्दर्भ कथा – किसी मियाँ ने पक्षियों का मांस न खाने की कसम खा रखी थी. एक दिन उसकी औरत ने बहुत सा घी-मसाला डालकर मुर्गी पकाई. मियाँ को जब यह बात मालूम हुई तो बड़ा नाराज हुआ, किंतु बाद में बहुत कहने पर थोड़ा शोरबा लेने के लिए राज़ी हो गया. औरत ने सावधानी से बोटियों को अलग करके शोरबा परोसना शुरू किया, लेकिन परोसते समय एक बोटी नीचे गिरने लगी. औरत ने उसे रोकना चाहा. इस पर मियाँ ने कहा – आप से आवे तो आने दे. कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि अपने आप आ रही वस्तु के लिए मना नहीं करना चाहिए लेकिन इसे उन लोगों का मजाक उड़ाने के लिए प्रयोग करते हैं जो ईमानदार होने का ढोंग करते हैं और भ्रष्टाचार करने से नहीं चूकते.

आप हारे और बहू को मारे. अपनी हार या असफलता का गुस्सा पत्नी/बहू पर निकालना.

आप ही उलझाए और आप ही सुलझाए. जो खुद ही समस्या पैदा करे और खुद उसका हल ढूँढे.

आप ही गावे और आप ही बजावे. जिसे सारा काम खुद करना पड़े उस के लिए.

आप ही मारे, आप ही चिल्लाए. धूर्त व्यक्ति, स्वयं किसी को मार रहा है और पीड़ित होने का दिखावा कर रहा है (जैसे समाज के कुछ विशेष वर्ग जो स्वयं दंगा करते हैं और अपने को ही पीड़ित बताते हैं).

आपकी अकल घोड़े से भी तेज दौड़ती है. अपने आप को बहुत अक्लमंद समझने वाले पर व्यंग्य.

आपकी ही जूतियों का सदका है. सदका – खैरात. विनम्रता पूर्वक दूसरे को बड़ा बताना. इसको अधिकतर मजाक में प्रयोग करते हैं. सन्दर्भ कथा – एक बार एक मुसलमान मसखरे ने दोस्तों को की दावत दी. जब सब लोग आकर भीतर बैठे तो उसने नौकर से चुपचाप उन सब के जूते बेच आने के लिए कहा. नौकर ने वैसा ही किया और दाम मालिक को लाकर दे दिए. दोस्तों ने दावत बहुत पसंद की और कहना शुरू किया, भाई आपने बड़ी तकलीफ की. दावत तो कमाल की थी. इस पर मसखरे ने हाथ जोड़कर कहा, यह सब आपकी ही जूतियों का सदका है. मैं भला किस लायक हूं.

आपके चेहरे पर लगी कालिख औरों को दिखती है आपको नहीं. अपने चरित्र पर धब्बा स्वयं को नहीं दिखता, औरों को दिखता है.

आपके नौकर हैं, न कि बैंगनों के. जैसा राजा बोलता है वैसा ही चाटुकार बोलते हैं. सन्दर्भ कथा – एक दिन किसी राजा ने अपने दरबारियों के सामने कहा कि बैंगन की तरकारी बहुत अच्छी होती है, वैद्यक में इसकी बड़ी प्रशंसा लिखी है. उसके खाने से तंदुरुस्ती बढ़ती है. दरबारियों ने कहा, जी हाँ हुजूर, तभी तो उसके सिर पर ताज धरा हुआ है. इसके बाद एक दिन फिर राजा ने कहा, भाई बैंगन तो बड़ी खराब चीज है. भूख मारता है, और वादी भी करता है. दरबारियों ने कहा, जी हाँ हुजूर, तभी तो इसका नाम बेगुन (बिना गुण वाला) रखा गया है. राजा बोला – उस दिन तो तुम बैंगनों की बड़ी प्रशंसा कर रहे थे, और आज निंदा करने लगे, ऐसा क्यों? इस पर दरबारियों ने जवाब दिया, हुजूर, हम आपके नौकर हैं, न कि बैंगनों के.

आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए. जो आपका आदर न करे आपको भी उसका आदर नहीं करना चाहिए. रूपान्तर – आप को जो चाहे बा को चाहिए हजार बार, आपको न चाहे बा के बाप को न चाहिए. 

आपज करियो कामड़ा, दई न दीजै दोस. अपने किये हुए अनर्थ के लिए दैव को दोषी नही ठहराना चाहिए.

आपत काल में सब जायज़. जब जान पर संकट आ पड़ा हो तो अपनी सुरक्षा के लिए सब कुछ जायज़ है.

आपन आपन सब कोय कहें, दुख में नहीं संगाती. संगाती – साथ देने वाला. अपनी ही अपनी परेशानी सब कहते हैं. दुख के समय में कोई बात भी नहीं पूछता कि तुम्हें क्या कष्ट है.

आपन चूक केहि ते कहै, पेट मरोड़ा दे दे रहै. अपने द्वारा की गई गलती, अपनी चूक भला किससे कही जा सकती है. उसको सोच सोच कर बार बार मन में हूक उठती है.

आपन तिरिया मने ना भावे, आन की मेहर मीठी-मीठी. तिरिया – स्त्री, आन – अन्य, दूसरा, मेहर – स्त्री, पत्नी.  जब किसी व्यक्ति को अपने घर के प्राणी से दूसरे के घर के लोग अधिक भले और सुन्दर प्रतीत हों.

आपन दे के बुड़बक बने के. आपन – अपना, बुड़बक – मूर्ख. अपना धन या वस्तु किसी को मंगनी या उधार देने वाला व्यक्ति बाद में पछताता है और मूर्ख कहलाता है.

आपन देखे जल मरे, पराया देख जुड़ाय. जुड़ाय- प्रसन्न हो. जब किसी व्यक्ति को अपनों को देखकर तो आग लग जाती हो मगर दूसरों को देख कर खुशी व अपनापन उमड़ पड़ता हो.

आपन मामा मर मर गए, जुलहा धुनिया मामा भए. (भोजपुरी कहावत) अपने मामा मर गए उन्हें कभी पूछा नहीं, अब बेकार के लोगों से संबंध बनाते घूम रहे हैं.

आपन हाथ आपनी कुल्हाड़ी, जान बूझ के पैर में मारी. अपने हाथों अपना नुकसान कर के दुखी होना.

आपबीती कहूँ कि जग बीती. दुनिया के बारे में क्या कहूँ, जो मुझ पर बीती है सो कहता हूँ.

आपम धाप कड़ाकड़ बीते, जो मारे सो जीते. एक तरह से बच्चों की कहावत. अर्थ है कि जो आगे बढ़ के मारता है वही जीतता है.

आपसे गया तो जहान से गया. जो अपनी नज़रों से गिर गया वह दुनिया की नज़रों से गिर जाता है.

आपा तजे तो हरि को भजे. अहं को छोड़ोगे तभी प्रभु को पा सकते हो.

आपुन ठाड़े गैल में, करें और की बात. स्वयं तो दुनिया से जाने की तैयारी में हैं दूसरों की चिन्ता करते हैं

आपे आपे जगत व्यापे, न कोई माई न कोई बापे. सब अपनी अपनी समस्याओं में व्यस्त हैं, माँ बाप की चिंता करनेवाला कोई नहीं है. भोजपुरी में इस प्रकार कहा गया है – आपे आपे लोग सियापे, केकर माई केकर बापे.

आपे कूटे आपे खाय, घर मेहरी नहिं आंगन माय. जिस बेचारे आदमी के घर में माँ और पत्नी न हो उसे खाना बनाने का प्रबंध स्वयं ही करना पड़ता है.

आफत में औ दुख में, बुध नहिं तजें उछाह. बुद्धिमान लोगों का उत्साह दुख और संकट में भी कम नहीं होता.

आब गई, आदर गया, नैनन गया सनेह, यह तीनों तब ही गये, जबहिं कहा कुछ देह. जब आप किसी से कुछ मांगते हैं तो आपका सम्मान और आपसी प्रेम ख़त्म हो जाते हैं.

आबरू जग में रहे तो जान जाना पश्म है. सम्मान की रक्षा के लिए प्राण भी चले जाएं तो कोई बात नहीं. पश्म – तुच्छ वस्तु. पश्म का शाब्दिक अर्थ है जननेंद्रियों के बाल.

आबरू जग में रहे तो जानिए. सभी लोग चाहते हैं कि संसार में उनकी इज्जत बनी रहे.

आबरू वाला रोवे, बेआबरू वाला हंसे. जिसे अपना सम्मान प्यारा हो उसे ही सारे कष्ट उठाने पड़ते हैं, बेशर्म तो केवल मौज उड़ाता है.

आबरू वाले की हर तरफ मौत. इज्जतदार व्यक्ति को हर समय मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.

आबे दरिया बहे तो बेहतर, इन्सां रवाँ रहे तो बेहतर. नदी का जल बहता रहे, तो अच्छा और मनुष्य चलता
रहे तो ही अच्छा.

आभ चमक्के बीजली, गधी मरोड़े कान. बिजली चमकने से गधी को बहुत डर लग रहा है. अज्ञानी लोग व्यर्थ की बातों से डरते हैं.

आम आयें चाहें जाए लबेदा. लबेदा – मोटा डंडा. बहुत से लोग डंडा फेंक कर आम तोड़ने की कोशिश करते हैं. (इस में इस बात का डर होता है कि डंडा खो सकता है). जो व्यक्ति छोटे लाभ के लिए बड़ा खतरा उठाने के लिए तैयार हो उसके लिए.

आम उखड़ले दोबर, कटहल उखड़ले गोबर. आम का पौधा एक जगह से उखाड़ कर दूसरी जगह रोपने से दुगने फल देता है जबकि कटहल का पेड़ ऐसा करने से बेकार हो जाता है. कहावतों में खेती और बागवानी से संबंधित छोटी छोटी बातों को इस प्रकार आसान तरीके से समझाया गया है.

आम का बौर कलार की माया, जैसे आया वैसे गँवाया. कलार – शराब बेचने वाला. आम का पेड़ आरम्भ में बौर से लद जाता है पर बाद में सब बौर झड़ जाती है, उसी प्रकार शराब बेचने वाला खूब धन कमाता है पर अंत में सब गँवा देता है.

आम की तरह फलो, दूब की तरह फैलो. स्त्रियां बेटी-बहुओं को आशीर्वाद देते समय कहती हैं – ईश्वर करें जैसे आम में फल लगते हैं, उसी तरह फलो – फूलो और दूब जैसे धरती पर फैल जाती है, वैसे ही तुम भी फैलो.

आम के आम गुठलियों के दाम. दोहरा लाभ.

आम के बारह आना, गुठली के अठारह आना. मूल उत्पाद की कीमत कम और अपशिष्ट की अधिक.

आम खाने से काम, पेड़ गिनने से क्या फायदा. व्यक्ति को अपने काम से काम रखना चाहिए व्यर्थ की नुक्ताचीनी में नहीं पड़ना चाहिए.

आम खाय पाल का, खरबूजा खाय डाल का, पानी पिए ताल का. अर्थ स्पष्ट है.

आम टूट मस्तक पर पड़े, याको को जतन कहा कोऊ करे. आलसी व्यक्ति आम के पेड़ के नीचे लेटा है. एक आम टूट कर उसके मस्तक पर गिरता है अब वह चाहता है कि कोई उस को मुँह में आम निचोड़ दे.

आम पाल के, कटहल डाल के. आम पाल में अच्छा पकता है और कटहल डाल पर.

आम फले झुक जाए, अरंड फले इतराए. (आम फले नीचे झुके, ऐरण्ड ऊँचो जाए). समझदार व्यक्ति सफलता पाने पर विनम्र हो जाता है, छोटी बुद्धि वाला व्यक्ति सफलता पाने पर घमंड करने लगता है.

आम फले परवार सों, महुआ फले पत खोय, वा को पानी जो पिए, अकल कहाँ से होय. यहाँ पत का अर्थ पत्ते भी है और इज्जत भी. आम पत्तों सहित फल देता है लेकिन महुए पर पत्ते झड़ने के बाद (अर्थात प्रतिष्ठा खोने के बाद) फल आता है. महुए का पानी (अर्थात महुए की शराब) जो पियेगा, उसकी अक्ल तो खराब होनी ही है.

आम बोओ आम खाओ, इमली बोओ इमली खाओ. जैसा करोगे वैसा ही फल पाओगे. इंग्लिश में कहावत है As you sow, so shall you reap.

आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया. आय से अधिक खर्च होना. जिन लोगों की आय तो सीमित है पर वे दिखावे के लिए खर्च अधिक करते हैं उनको सीख देने के लिए यह सरल गणित समझाई गई है. कुछ लोग इसके आगे भी बोलते हैं – नतीज़ा ठन ठन गोपाल. कुछ लोग बोलते हैं – महीने के अंत में मैया मैया.

आमदनी के सिर सेहरा. जिस व्यक्ति की आमदनी (आय) अच्छी हो उसी को श्रेष्ठ माना जाता है.

आमों की कमाई, नीबुओं में गँवाई. एक स्रोत से कमाया और दूसरे में उतना नुकसान कर बैठे.

आम्बा, नीबू, बनिया, ज्यों दाबो रस देयं, कायस्थ, कौआ किरकिटा (चींटी) मुर्दा हूँ से लेय. आम, नीबू और बनिया दबाने से रस देते हैं, कायस्थ, कौआ और चींटी मुर्दे को भी नोंच लेते हैं. बनिए डरने पर पैसा निकालते हैं, कायस्थ कानून में फंसा कर मरे हुए से भी कमा लेते हैं. रूपान्तर –  आम ईख नीबू वणिक, दाबे ही रस देंय. 

आया कनागत बंधी आस, बामन उछलें नौ नौ बांस. श्राद्ध पक्ष आने पर ब्राह्मण बहुत प्रसन्न होते हैं. कुछ लोग इसके आगे भी बोलते हैं – गया कनागत गई आस, बामन रोवें चूल्हे पास. कनागत – श्राद्ध पक्ष.

आया कर तू जाया कर, कुंडी मत खड़काया कर. किसी चरित्रहीन स्त्री का अपने यार से कथन. कोई सरकारी मुलाजिम रिश्वत खा कर अगर यह कहे कि तुम चुपचाप यह गलत काम कर लो तो यह कहावत कही जाएगी.

आया कातिक उठी कुतिया. निर्लज्ज और कामातुर स्त्री के लिए उपेक्षापूर्ण कथन.

आया कुत्ता खा गया तू बैठी ढोल बजा. लापरवाही में गृहस्थी का नुकसान करने वाली महिलाओं के लिए. यह कहावत अमीर खुसरो की एक कहानी पर आधारित है. सन्दर्भ कथा – लापरवाही में गृहस्थी का नुकसान करने वाली महिलाओं के लिए यह कहावत कही जाती है. यह कहावत अमीर खुसरो की एक कहानी पर आधारित है जिसमें वह एक ही कविता में चार महिलाओं की कविता सुनाने की फरमाइश पूरी करते हैं. एक बार अमीर खुसरो को कहीं जाते हुए प्यास लग आई तो वह एक कुँए के पास पहुँछे. वहाँ पानी भर रही स्त्रियों से उन्हों ने पीने को पानी माँगा. उन में से एक ने उन्हें पहचान लिया और वे सब उन से कविता सुनाने की जिद करने लगीं. उन में से एक ने खीर पर, दूसरी ने चरखे पर, तीसरी ने कुत्ते पर और चौथी ने ढोल पर कविता सुनाने के लिए कहा. इस पर उन्होंने यह कविता सुनाई – खीर पकाई जतन से, चरखा दिया जला, आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजा और चारों को एक साथ निबटा दिया.

आया चैत फूले गाल, गया चैत फिर वही हवाल. चैत में फसल आदि कटने से किसान भरपेट खाना खाता है और प्रसन्न व स्वस्थ हो जाता है. महीना बीतते बीतते लगान और उधारी चुका कर फिर वैसे का वैसा हो जाता है. रूपान्तर – आया अगहन फूले गाल, माघ महीना फिर वहि हाल. अगहन में धान कटता है इसलिए.

आया तो नोश, नहीं तो फरामोश. नोश – ग्रहण करना. मिल गया तो खा लेंगे नहीं तो भूल जाएंगे(फरामोश).

आया तो लाख का, नहीं आया तो सवा लाख का. कोई बड़ा मेहमान घर में आने वाला हो तो उस के आने पर अन्य लोगों के बीच आपका मान बढ़ जाता है और वह न आए तो चैन की सांस आती है.

आया बुढ़ापा आया बुढ़ापा, सौ तकलीफें लाया बुढ़ापा. बुढ़ापा अपने साथ बहुत सी परेशानियाँ ले कर आता है.

आया ब्याज कमाने को, मूल गंवा कर जाय.  कोई लाभ कमाने की इच्छा से आए और घाटा उठा कर जाए तो.

आयु तो बढ़े, पर रँड़ापा तो रोको. सभी चाहते हैं कि आयु लंबी हो जाए पर जीवन सुख से न बीते तो दीर्घायु किस काम की. पुरुष की आयु बढ़ने के साथ पत्नी की आयु भी बढनी चाहिए नहीं तो वह विधुर हो जाएगा.

आये बहन का भाई, भीतर जाय दनदनाई. भाई जब अपनी बहन की ससुराल जाता है तो बेरोक-टोक सीधा बहन के पास चला जाता है, किसी से कुछ पूछने की जरूरत नहीं समझता.

आये हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर, (एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बँधा जंजीर). सभी लोगों को इस दुनिया से जाना है चाहे वह सिंहासन पर बैठा राजा हो या जंजीरों में बंधा फकीर. अर्थ यह है कि हमें अपने पद और धन का अहंकार नहीं करना चाहिए.

आयो रात, गयो परभात – रात में आया और सुबह ही चला गया. यदि कोई बिना रुके तुरंत चला जाए.

आर वाले कहें पार वाले अच्छे, पार वाले कहें आर वाले अच्छे. जो नदी के इस पार हैं उन्हें उस पार के लोग सुखी दिखाई देते हैं और जो इस पार हैं उन्हें इस पार वाले. हर व्यक्ति को दूसरे लोग अपने से अधिक सुखी दिखाई देते हैं. इंग्लिश में कहते हैं – The grass is always greener on the other side of the court.

आरंभ सही तो आधा काम हुआ समझो. जिस कम की शुरुआत बिल्कुल ठीक हो वह बहुत शीघ्र पूरा हो जाता है. इंग्लिश में कहावत है – Well begun is half done.

आरत कहा न करे कुकरमा. आरत – आर्त, कुकरमा – कुकर्म. आर्त व्यक्ति (अत्यधिक कष्ट में पड़ा हुआ व्यक्ति) कुछ भी गलत काम कर सकता है.

आरत के हित रहे न चेतू, फिर फिर कहेऊ आपनो हेतु. आर्त (पीड़ित) व्यक्ति कुछ उचित अनुचित नहीं सोचता, लौट फेर कर केवल अपने हित की बात ही कहता है.

आरती वक्त सोवे, भोग वक्त जागे. स्वार्थी व्यक्ति के लिए जिसे पूजा आरती से कोई मतलब नहीं, केवल खाने पीने से मतलब है.

आरसी न फ़ारसी, निकाल सोंटा झारसी. जानता कुछ नहीं है केवल ढोंग कर रहा है, डंडा निकालो और इसका सारा ज्ञान झाड़ दो.

आराम बड़ी चीज़ है, मुँह ढक के सोइए. आलसी लोगों का ध्येय वाक्य. पूरी कहावत इस प्रकार है – किस किस को याद कीजिए, किस किस को रोइए, आराम बड़ी चीज़ है, मुँह ढक के सोइए.

आरोग्य महा भाग्य.  निरोगी काया बड़े भाग्य से मिलती है.

आल तू जलाल तू, आई बला को टाल तू. कोई परेशानी आ पड़ने पर ईश्वर से सहायता मांगने के लिए. जलाल – ईश्वर का तेज (उर्दू)

आलमगीर सानी, चूल्हे आग न घड़े पानी. औरंगजेब के जमाने में प्रजा बड़े कष्ट में थी उसी पर कहावत.

आलस कबहु न करिए यार, चाहें काम परे हों हजार, मल की शंका तुरत मिटावे, वही सभी सुख पुनि पुनि पावे. मलत्याग की इच्छा होते ही तुरंत उसके लिए चले जाना चाहिए, तभी स्वास्थ्य ठीक रहता है.

आलस नींद किसाने नासे, चोरे नासे खांसी, अँखियाँ कीच बेसवा नासे, साधु नासे दासी. किसान को आलस्य, चोर को खांसी, वैश्या को आँखों की कीचड़ (अर्थात गंदा रहना) और साधु को दासी नष्ट कर देते हैं. 

आलस नींद मर्द को खोवे, चोर को खोवे खांसी, टक्को ब्याज मूल को खोवे, रांड को खोवे हांसी. किसान को निद्रा व आलस्य नष्ट कर देता है, खांसी चोर का काम बिगाड़ देती है, ब्याज के लालच से मूल धन भी है डूब जाता है और हंसी मसखरी विधवा को बिगाड़ देती है.

आलस, निद्रा और जम्हाई, ये तीनों हैं काल के भाई. अधिक आलस्य और अधिक निद्रा रोग को बुलावा देते हैं.

आलसी के ढेर उपाय. आलसी व्यक्ति काम न करने के ढेर सारे बहाने जानता है.

आलसी को कुत्ता मोटो, मेहनती को बैल मोटो. आलसी आदमी खाने के सामान को ठीक से नहीं रखता इसलिए कुत्ते को खूब खाने को मिलता है, मेहनती आदमी अपने बैल को बड़े प्यार से खिलाता है.

आलसी गिरा कुएं में, कहा यहाँ ही भले. आलस की पराकाष्ठा.

आलसी बटाऊ असगुन की बाट जोहे. आलसी यात्री इस बात का इंतज़ार करता रहता है कि कोई अपशकुन हो जाए और उसे जाना न पड़े.

आलसी बैल फुन्कारे बहुत. आलसी बैल काम नहीं करना चाहिता इसलिए बहुत फुफकारता है.

आलसी मर्द की नार चंचल. आम तौर पर देखा गया है कि आलसी पुरुषों की पत्नियां चंचल होती हैं.

आलसी सदा रोगी. आलसी आदमी कभी स्वस्थ नहीं रह सकता.

आलस्य दरिद्रता का मूल है. (दरिद्रता को मूल एक आलस बखानिए). बिलकुल स्पष्ट एवं सत्य. इंग्लिश में कहावत है – Idleness is the root of all evils.

आला दे निवाला. एक कहानी है कि एक राजा ने किसी भिखारी की बहुत सुंदर लड़की से शादी कर ली. महल में उस लड़की का भीख मांगने का मन करता था. तो वह चुपचाप दीवार में बने आले में रोटी का टुकड़ा रख कर उससे भीख मांगती थी. कहावत का अर्थ है कि आदमी की बुनियादी आदतें नहीं छूटतीं. सन्दर्भ कथा 29. एक कहानी है कि एक राजा ने किसी भिखारी की बहुत सुंदर लड़की से शादी कर ली. वह लड़की रानी बन कर महल में तो आ गई पर भीख मांगे बिना उस को रोटी नहीं पचती थी. सब दस दासियों और अन्य रानियों के सामने वह ऐसा कोई काम भी नहीं कर सकती थी. तो उस ने चुपचाप भीख मांगने का एक तरीका निकाला. वह अपना कमरा बंद कर के दीवार में बने आले में रोटी का टुकड़ा रख देती और ‘आला दे निवाला’ कह कर उस से रोटी का टुकड़ा मांग कर खाती थी. कोई नीची मानसिकता वाला व्यक्ति यदि उच्च पद पर आसीन हो जाए और फिर भी ओछी हरकतें करे तो उस का मजाक उड़ाने के लिए यह यह कहावत कही जाती है. जात सुभाय न जाय कभी, माँगना ही भावै, रानी हो गई डोमनी, आले धर खावे.

आवत आवत सब भले आवत भले न चार, विपत बुढ़ापा आपदा और अचीती धार. अचीती धार – अनायास संकट. और सब चीजों का आना अच्छा लगता है, इन चार के अलावा – विपत्ति, बुढ़ापा, बड़ी आपदा और अनायास संकट.

आवत बरसे आदरा, जावत बरसे हस्त, केतनो राजा डांड़े बांधे, सुखी रहे गिरहस्त. आद्रा नक्षत्र के आरम्भ और हस्ति के अंत में यदि वर्षा हो तो खूब अनाज होता है. राजा कितना भी कर ले ले किसान सुखी रहता है.

आवतो नहिं लाजे तो जावतो क्यूँ लाजे. (राजस्थानी कहावत) वैश्या के घर, या किसी भी गलत स्थान पर आते समय लाज नहीं आई तो जाते समय क्यों आ रही है. 

आवश्यकता आविष्कार की जननी है. जिस चीज़ की आवश्कता होती है उसे बनाने के लिए मनुष्य प्रयास करता है. इंग्लिश में कहावत है – necessity is the mother of invention.

आवश्यकता कोई क़ानून नहीं जानती. अर्थ स्पष्ट है. इंग्लिश में कहावत है – necessity knows no rules.

आवा का आवा ही कच्चा रह गया. कुम्हार के आवे में सारे ही बर्तन कच्चे रह गए. किसी घर या समाज में सारे सदस्य मूर्ख हों तो.

आवाज़े खलक को नक्कारा ए खुदा समझो. जनता की आवाज को ईश्वर की आज्ञा मानो.

आवे के अबेर, जावे के सवेर, खावे के कलेवा, तीन तीन बेर. कामचोर नौकर के लिए जो देर से आता है, जल्दी जाना चाहता है और तीन तीन बार नाश्ता मांगता है.

आवे तो भावे न, जावे तो मन पछतावे. कुछ चीजें ऐसी होती हैं कि जो हमारे पास आती हैं तो हम उनका महत्व नहीं समझते, पर हाथ से चली जाती हैं तो हम पछताते हैं.

आवे न जावे बृहस्पति कहावे. आता जाता कुछ नहीं है और खुद को बड़ा विद्वान घोषित करते हैं.

आवै कातिक जाय असाढ़, का करै गंधक हरताल. जाड़े और गर्मी में त्वचा की खुश्की के कारण कुछ लोगों को खुजली की बीमारी होती है. यह गंधक इत्यादि लगाने से नहीं जाती बल्कि वर्षा आरम्भ होने पर ही जाती है.

आशा अमर धन. आशावादी दृष्टिकोण व्यक्ति की ऐसी पूँजी है जो कभी समाप्त नहीं होती.

आशा जिए, निराशा मरे (आशा ही जीवन है). आशा और सकारात्मक सोच से ही आदमी जीवित रहता है, निराशा और नकारात्मक सोच मृत्यु को बुलावा देती हैं.

आशा, मान, महत्त्व अरु बालपने को नेहु, ये सबरे तबही गए जबहि कहा कछु देहु. जैसे ही आप किसी से कुछ मांगते हैं, वैसे ही उससे की हुई आशा, आपका सम्मान, महत्व और पुराने से पुराना प्रेम समाप्त हो जाता है.

आषाढ़ करै गांव गौतरी, कातिक खेलय जुआ, पास-परोसी पूछै लागिन, धान कतका हुआ. गौतरी – मेहमानी. जो किसान आषाढ़ महीने में गांव-गांव मेहमानी करते हुए घूमता रहा और कार्तिक महीने में जुआ खेलता रहा, उस से उसके पड़ोसी व्यंग्य करते हुये पूछते हैं – कितना धान हुआ?

आषाढ़ माह जो दिन में सोय, ओकर सिर सावन में रोय. (भोजपुरी कहावत) आषाढ़ में दिन में सोना हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है. आषाढ़ में दिन में सोने से सावन में सिर में पीड़ा होती है.

आस पराई जो तके, जीवत ही मर जाए. प्रत्येक व्यक्ति को प्रयास यही करना चाहिए कि अपना काम अपने आप ही करे. दूसरे का आसरा देखने वाले को अक्सर धोखा खाना पड़ता है.

आस पास बरसे, दिल्ली पड़ी तरसे. कहीं पर बहुतायत कहीं पर अभाव.

आसन दृढ़, आहार दृढ़, निद्रा दृढ़ जो होय, कहे भद्र रिषि वह कभी मरे न बूढ़ा होय. आसन – योग व्यायाम. जो नियमित व्यायाम करे, संतुलित व पौष्टिक आहार ले और पर्याप्त नींद ले वह सदा स्वस्थ रहता है.

आसन बड़ा कि भक्ति. जिस  मठ मन्दिर का नाम बहुत प्रसिद्द हो जाता है वहाँ जाना चाहिए या जहाँ अधिक भक्ति और ज्ञान मिले वहाँ.

आसन बासन डासन जरूर दो. घर आए अतिथि को आसन (बैठने का स्थान), बासन (बर्तन, यानी खाने-पीने की व्यवस्था) और डासन (बिछौना, यानी सोने की व्यवस्था) अवश्य देना चाहिए.

आसन मारे क्या भया, मुई न मन की आस. मन से लोभ नहीं गया तो आसन मार कर बैठने से क्या लाभ होगा.

आसमान के फटे को कहाँ तक थेगली (पैबंद) लगे. बहुत बिगड़ा हुआ काम कहाँ तक संभाला जा सकता है.

आसमान पर थूको तो मुँह पर ही आता है. किसी सज्जन और सच्चरित्र व्यक्ति पर लांछन लगाने वाला व्यक्ति अंत में स्वयं ही अपमानित होता है.

आसमान से गिरे खजूर में अटके. किसी एक परेशानी से निकल कर दूसरी में पड़ जाना. कुछ लोग इसके आगे भी बोलते हैं – खजूर से निकले बबूल में लटके.

आसरे से सासरा लगे. लाभ की आशा से ही ससुराल का महत्व है.

आसा का मरे, निरासा का जिये. अधिक आशा करने से आदमी मरता है, परन्तु किसी से कोई आशा न रखे, तो सुखी रहता है.

आसा की बेल पहाड़े चढ़त. आशा की बेल पहाड़ पर चढ़ती है. आशा में बड़ी शक्ति है.

आसा त्रिसना लोक नसाय. आशा और तृष्णा संसार का नाश करती हैं.

आसा पे आसमान टंगा. आशा के बल पर ही आसमान टँगा है.

आसा में भगवान का वासा. ईश्वर आशावादी व्यक्ति की ही सहायता करते हैं.

आसानी से मिला आसानी से गया. सेंत में मिली चीज सेंत में ही जाती है.

आसिन महीना बहे ईसान, थर थर कांपें गाय किसान. आश्विन महीने में ईशान कोण से हवा चले और अधिक  वर्षा हो तो मनुष्य और पशुओं को जाड़ा लगने लगता है.

आहार चूके वह गया, व्यौहार चूके वह गया, दरबार चूके वह गया, ससुरार चूके वह गया.  खाने पीने में, लोक व्यवहार में, दरबार में और ससुराल में जो संकोच करता है वह नुकसान में रहता है.

आहारे व्योहारे लज्जा न कारे. खाने में और लोक व्यवहार में लज्जा नहीं करनी चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *