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आप ही की जूतियों का सदका है

एक बार एक मुसलमान मसखरे ने दोस्तों को की दावत दी। जब सब लोग आकर भीतर बैठे तो उसने नौकर से चुपचाप उन सब के जूते बेच आने के लिए कहा। नौकर ने वैसा ही किया और दाम मालिक को लाकर दे दिए। दोस्तों ने दावत बहुत पसंद की और कहना शुरू किया – भाई आपने बड़ी तकलीफ की। दावत तो कमाल की थी। इस पर मसखरे ने हाथ जोड़कर कहा -यह सब आपकी ही जूतियों का सदका है। मैं भला किस लायक हूं।