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आज नहीं कल

एक मियाँ प्रतिदिन रात में एक पेड़ के नीचे जाकर ईश्वर से प्रार्थना किया करता था कि ‘ऐ खुदा ! मुझे अपनी मुहब्बत में खेंच।’ उसकी यह बात किसी मसखरे ने सुन ली और मजा लेने के लिए वह एक रात पहले से ही पेड़ पर चढ़ कर बैठ गया. जब उस मुसलमान ने पेड़ के मीचे आ कर वही वाक्य दोहराया तो उस ने पेड़ पर से रस्से का फंदा नीचे गिराकर उसे ऊपर खींचना शुरू कर दिया। मियाँ घबरा कर बोला ‘ऐ खुदा आज नहीं कल’।