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बैरी लायो गेह में, किया कुटुम पर रोस, आप कमाया कामड़ा, दई न दीजे दोस

बैरी लायो गेह मेंकिया कुटुम पर रोसआप कमाया कामड़ादई न दीजे दोस (बैरी न्यूत बुलाइयाँ कर भायां से रोस)दई – दैव, ईश्वर; कामड़ा – दुर्भाग्य, दुर्दशा. कहावत का अर्थ है कि घर वालों से बदला लेने के लिए मैंने बैरी को घर में बुलाया था. अब मेरी बारी भी आ गई है. इस दुर्दशा को मैंने खुद बुलाया है, भाग्य का इस में दोष नहीं है. इस कहावत के पीछे एक कथा कही जाती है. एक कुएं में बहुत से मेंढक रहते थे. एक बार उनमें आपस में लड़ाई हो गई तो एक मेंढक दूसरों से बदला लेने के लिए एक सांप को बुला लाया. सांप ने एक एक कर के सब मेंढकों को खा लिया. जब अंत में उस मेंढक की बारी आई तो उस ने यह कहावत कही. पृथ्वीराज चौहान से बदला लेने के लिए जयचंद ने मोहम्मद गोरी को बुलाया. बाद में गोरी ने कन्नौज पर आक्रमण कर के जयचंद को भी मार डाला.

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