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पढ़े तो हैं पर गुने नहीं

पढ़े तो हैं पर गुने नहीं. (गुनना – व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करना). शिक्षा ली हो पर व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त न किया हो तो वह शिक्षा किसी काम की नहीं होती. किसी राज पुरोहित का बेटा काशी से बहुत सारी विद्याएँ पढ़ कर आया. राजा ने उस की योग्यता की परीक्षा लेने के लिए अपनी मुट्ठी में कोई चीज़ बंद कर ली और पूछा, बताओ मेरी मुट्ठी में क्या है. उसने अपनी विद्या के बल पर बताया, कोई सफ़ेद पत्थर की गोल चीज़ है जिसके बीच में छेद है. राजा ने कहा, क्या हो सकता है? वह बहुत देर तक सोचता रहा कि ऐसी चीज़ क्या हो सकती है जो पत्थर की हो, सफेद हो और जिसके बीच में छेद भी हो.  फिर बोला – आपके हाथ में चक्की का पाट होगा. राजा हँस पड़ा. उस ने मुट्ठी खोली, उस में एक मोती था. कोई पढ़ा लिखा व्यक्ति बहुत मूर्खता पूर्ण और अव्यवहारिक बात करे तो यह कहावत कही जाती है.

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