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तेरा तो घड़ा ही फूटा, मेरा तो बना बनाया घर ही ढह गया

एक तेली तेल से भरा घड़ा ले कर शहर की ओर चला तो रास्ते में एक हट्टा कट्टा शेखचिल्ली (निहायत मूर्ख आदमी) मिला. तेली थक गया था, उस ने शेखचिल्ली से कहा कि मेरा घड़ा लाद कर ले चलो तो मैं तुम्हें दो आने दूंगा (पहले के जमाने में दो आने बड़ी रकम थी). शेखचिल्ली ने घड़ा लाद लिया और जोर जोर से बोलते हुए चलने लगा, मैं इन दो आनों से अंडे खरीदूँगा, उन से मुर्गियाँ निकलेंगी, उन्हें बेच कर बकरी खरीदूँगा, फिर कई बकरियाँ हो जाएंगी तो भैंस खरीदूँगा, उस का दूध बेच कर शादी करूंगा, फिर मेरे खूब सारे बच्चे होंगे, मेरा कहना नहीं मानेंगे तो यूँ उठा के पटक दूंगा, और उसने घड़ा पटक दिया. तेली ने कहा कि तूने मेरा तेल से भरा घड़ा क्यों तोड़ दिया, तो शेखचिल्ली बोला तेरा तो घड़ा ही फूटा है, मेरा तो बना बनाया घर ही उजड़ गया. कहावत में शिक्षा दी गई है कि मूर्ख आदमी से अपना कोई काम नहीं करवाना चाहिए.

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