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तबेले की बला बंदर के सर

पुराने लोग मानते थे कि तबेले में घोड़ों के साथ बन्दर पाले जाएं तो घोड़ों पर आने वाली बला बंदरों पर आ जाती है. इस के पीछे एक कहानी भी है. एक राजा की घुड़साल के पास बहुत से बन्दर रहते थे. उन में से कुछ युवा बन्दर बहुत शैतान थे. वे सैनिकों का सामान चुरा कर भाग जाया करते थे. सयाने बन्दर उन्हें बहुत समझाते थे कि राजा के आदमियों से पंगा मत लो, पर वे एक न मानते थे. एक बार एक शैतान बन्दर कहीं से जलती हुई लकड़ी उठा लाया और फूस की झोंपड़ी के पास गिरा दी. उससे अस्तबल में आग लग गई और बहुत से अच्छी नस्ल के कीमती घोड़े जल गए. घोड़ों के वैद्य ने बताया कि घोड़ों के घावों को ठीक करने के लिए बन्दर के मांस का लेप करना होगा. इस इलाज के चक्कर में बेचारे बहुत से बन्दर मुफ्त में मारे गए. तभी से यह कहावत बनी.

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