जैसे को तैसा मिले सुन रे राजा भील, लोहे को चूहा खा गया लड़का ले गई चील. इस के पीछे एक कहानी कही जाती है. एक व्यक्ति ने अपने किसी मित्र से लोहे के बर्तन उधार लिए. जब लौटाने का वक्त आया तो वह यह कह कर मुकर गया कि बर्तनों को चूहा खा गया. उधार देने वाला समझ गया कि मित्र के मन में खोट आ गया है, पर वह उस समय कुछ नहीं बोला. कुछ दिन बाद उस ने अपने इसी मित्र के बेटे को अपने घर बुलाया और छिपा लिया. बहुत देर तक जब लड़का घर नहीं पहुँचा तो मित्र उसे ढूँढता हुआ आया. इस व्यक्ति ने कहा कि उसके लड़के को चील ले गई है. मित्र बिगड़ कर बोला कि यह कैसे संभव है. तुम झूठ बोल रहे हो. झगड़ा बढ़ा तो बात राजा के पास पहुँची. उस समय राजा भील नाम का राजा राज्य करता था. राजा के पास पहुँच कर उस व्यक्ति ने कहा कि महाराज और कुछ नहीं जैसे को तैसा मिल गया है, जब लोहे को चूहा खा सकता है तो लड़के को चील क्यों नहीं ले जा सकती. तब से यह कहावत बोली जाने लगी.
जैसे को तैसा मिले
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