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जा को रखवाल गोपाल धनी, ता को बलदाऊ कहा करिहैं.

गदा युद्ध के नियमों के अनुसार जांघ पर गदा मारना निषिद्ध होता है, लेकिन एक तो भीम ने द्रौपदी के चीरहरण के समय प्रतिज्ञा की थी कि वह दुर्योधन की जंघा तोड़ कर उसका वध करेंगे और दूसरे गांधारी के वरदान के कारण दुर्योधन की जांघ के अलावा सारा शरीर पत्थर के समान कठोर जो चुका था, इसलिए दुर्योधन का वध उसकी जंघा तोड़ कर ही किया जा सकता था। इसलिए भीम ने जंघा तोड़ कर ही दुर्योधन का वध किया। दुर्योधन बलराम का प्रिय शिष्य था इसलिए बलराम बहुत कुपित हुए और भीम का वध करने पर उतारू हो गए। इस पर कृष्ण ने उन्हें उलाहना दे कर शांत कराया। इसी पर यह कहावत बनी।

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