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चोर चोरी से जाए, हेराफेरी से न जाए

एक चोर अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए साधु हो गया। पर उसकी पुरानी आदत ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। रात में अपने सब साथियों के सो जाने पर चोरी करने की प्रबल इच्छा उसके मन में जाग्रत हो उठती। तब वह अपने एक साथी के सिर के नीचे की गठरी निकालकर दूसरे के सिर के नीचे और दूसरे की पहले के नीचे रख देता। इस प्रकार चोरी करने की अपनी इच्छा पूरी कर लेता। एक दिन किसी ने उसे ऐसा करते पकड़ लिया। जब उस से ऐसा करने का कारण पूछा गया तो उस ने कहा – चोर चोरी से जाए, हेराफेरी से न जाए। (हेराफेरी – चीजों को इधर से उधर करना।)

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