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घोड़ी के सींग थे

एक बनिये का लड़का अपने खेत की रखवाली कर रहा था कि एक चोर एक घोड़ी को चुरा कर उधर से गुजरा। पीछे-पीछे कोतवाल भी अपने सिपाहियों सहित वहाँ पहुँचा। उसने लड़के से पूछा कि क्या तुमने इधर से किसी को एक घोड़ी ले जाते हुये देखा है? लड़के ने कहा, जी हुजूर देखा है। इस पर कोतवाल ने लड़के से कहा कि तुम हमारे साथ चलो और पहचान कर बताओ। लड़के ने सोचा कि यह तो बिना बात की आफत आ गई। इसलिये उसने फौरन अक्ल लगाई और कोतवाल से कहा कि घोड़ी के बड़े-बड़े सींग थे और वह आदमी उसके सींगों में रस्सी बांध कर उसे इसी तरफ ले गया है, आप इसी रास्ते से चले जाएँ। इस पर कोतवाल ने सोचा कि लड़के ने घोड़ी नहीं, बल्कि गाय देखी है और वह अपने सिपाहियों सहित आगे बढ़ गया।
कहावत को इस आशय में प्रयोग करते हैं जहाँ कोई परिस्थिति के अनुसार  यथा सम्भव बात को इस तरह मोड़ दे कि सहज ही पीछा छूट जाए.

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