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अपने किए का क्या इलाज

एक किसान को पास के जंगल में रहने वाली एक लोमड़ी पर बड़ा गुस्सा आता था क्योंकि वह अकसर घात लगा कर उसकी मुर्गियों को खा जाती थी। एक दिन किसान ने शिकंजा लगा कर उस लोमड़ी को पकड़ लिया। खूब कड़ी सजा देने के इरादे से किसान ने उसकी पूंछ में ढेर सा फटा-पुराना कपड़ा लपेटा, उस में मिटटी का तेल डाला और आग लगाकर उसे छोड़ दिया। लेकिन ये क्या! लोमड़ी तेजी से किसान के खेत की तरफ भागी। खेत में गेहूं की पकी फसल कटने को तैयार थी। लोमड़ी की पूंछ से फसल में आग लग गई और पूरी फसल जलकर खाक हो गई। अब तो किसान ने सिर पीट लिया, पर दोष किसे दे? इस तरह यह कहावत बन गई ‘अपने किए का क्या इलाज यानी खुद ने ही जब वह काम किया हो, तब दोष किसे दिया जाए।

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