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सौ बार चोर की, एक बार शाह की

चोर कितनी भी चोरियाँ कर ले अंततः पकड़ा जाता है. एक लड़का किसी बनिए की दूकान पर नौकर था. उसे रोज घड़े में से गुड़ चुराकर खाने की आदत पड़ गई थी. एक दिन बनिए ने अनुभव किया कि कोई गुड़ चुराकर खा लेता है, क्योंकि घड़ा बहुत खाली था. चोर को पकड़ने की गरज़ से उसने गुड़ के घड़े को अलग रख दिया और उसके स्थान पर बिरोजे से भरा एक दूसरा घड़ा रख दिया. दूसरे दिन रोज की तरह लड़का वहां पहुंचा और गुड़ के धोखे बिरोजा निकालकर मुँह में रख लिया, जिससे उसका मुंह चिपक गया. इस तरह बनिये को चोर का पता चल गया और लड़के की उसने खूब मरम्मत की.

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