गालियाँ (गारी) (गार)

गालियाँ (गार)

1. बन्ना राजा के बंगले में चोरी हुई

बन्ना राजा के बंगले में चोरी हुई, उस चोरी में बन्ने का क्या क्या गया -2
उस चोरी में बन्ने की दादी गई-2
चलो अच्छा हुआ, चलो अच्छा हुआ,
चलो अच्छा हुआ, घर की बुढ़िया गई।
बन्ने राजा के बंगले में चोरी हुई, उस चोरी में बन्ने का क्या क्या गया -2,
उस चोरी में बन्ने की मम्मी गई -2
चलो अच्छा हुआ, चलो अच्छा हुआ,
चलो अच्छा हुआ, घर की बक बक गई।
बन्ने राजा के बंगले में चोरी हुई, उस चोरी में बन्ने का क्या क्या गया -2,
उस चोरी में बन्ने की बहना गई -2
चलो अच्छा हुआ, चलो अच्छा हुआ,
चलो अच्छा हुआ, घर की चुगली गई।
बन्ने राजा के बंगले में चोरी हुई, उस चोरी में बन्ने का क्या क्या गया -2,
उस चोरी में बने की भाभी गई -2
चलो अच्छा हुआ, चलो अच्छा हुआ,
चलो अच्छा हुआ, घर का झगड़ा गया।
बन्ने राजा के बंगले में चोरी हुई, उस चोरी में बन्ने का क्या क्या गया -2,
उस चोरी में बन्ने के ताऊ गये -2
चलो अच्छा हुआ, चलो अच्छा हुआ,
चलो अच्छा हुआ, घर की हुकमत गई।
बन्ने राजा के बंगले में चोरी हुई, उस चोरी में बन्ने का क्या क्या गया -2,
उस चोरी में बन्ने का भतीजा गया -2
चलो अच्छा हुआ, चलो अच्छा हुआ,
चलो अच्छा हुआ, घर का रोना गया।

2. इस घर मेरा गुजारा नहीं नन्दी

इस घर मेरा गुजारा नहीं नन्दी
इस घर के मेरे ससुर बुरे हैं,
जितनी बार घूंघट काडू फिर भी कहे देखा मुँह देखा मेरी नन्दी।
इस घर मेरा गुजारा नहीं नन्दी।
इस घर की मेरी सास बुरी है,
जितनी बार कचरा काडू फिर भी कहे गंदा हाय गंदा मेरी नन्दी।
इस घर मेरा गुजारा नहीं नन्दी।
इस घर की मेरी जिठनी बुरी हैं,
जितनी बार बर्तन मांजू फिर भी कहे गन्दे हाय गन्दे मेरी नन्दी।
इस घर मेरा गुजारा नहीं नन्दी।
इस घर के मेरे देवर बुरे हैं,
जितनी बार हँस कर बोलूं, फिर भी कहे सूजा मुँह सूजा मेरी नन्दी।
इस घर मेरा गुजारा नहीं नन्दी।

3. हर माल मिलेगा ढाई आना, बड़ा सस्ता बाजार है

हर माल मिलेगा ढाई आना, बड़ा सस्ता बाजार है.
संतरा मुसम्मी, बन्ने की मम्मी,
हर माल मिलेगा ढाई आना, बड़ा सस्ता बाजार है.
डोसा समौसा बन्नी के मौसा,
हर माल मिलेगा ढाई आना, बड़ा सस्ता बाजार है.
कपड़ा गहना, बन्ने की बहना,
हर माल मिलेगा ढाई आना, बड़ा सस्ता बाजार है.
गुलाब जामुन, मालपुआ, बन्ने की बुआ,
हर माल मिलेगा ढाई आना, बड़ा सस्ता बाजार है.
चीकू शरीफा, बन्ने के फूफा,
हर माल मिलेगा ढाई आना, बड़ा सस्ता बाजार है.
बर्गर पीजा, बन्ने के जीजा,
हर माल मिलेगा ढाई आना, बड़ा सस्ता बाजार है.

4. स्वागत में गाली सुनाओ सखियाँ, सुनाओ सखिया

स्वागत में गाली सुनाओ सखियाँ, सुनाओ सखिया, हाँ हाँ स्वागत में गालियाँ सुनाओ
बारातियों के सर पर टोपी नहीं है,
उनके चोटी और जूड़ा बनाओ सखियाँ,
स्वागत में गालियाँ सुनाओ सखियाँ
बारातियों के अंग में कुर्ता नहीं है, शर्ट भी नहीं है,
उन्हें चोली और चुनरी ओढ़ाओ सखियाँ, ओढाओ सखियाँ,
स्वागत में गालियाँ सुनाओ सखियाँ
बारातियों के माथे पर चंदन नहीं है -2
उन्हें टिकुली और बिन्दी लगाओ सखियाँ, लगाओ सखियाँ,
स्वागत में गालियाँ सुनाओ सखियाँ
बारातियों के पैरों में सैंडिल नहीं है, मोजा नहीं हैं,
उन्हें पायल और बिछियाँ पहनाओं सखियाँ, पहनाओं सखियाँ,
स्वागत में गालियाँ सुनाओ सखियाँ

5. समधी देखो कैसा सुहाना बना

समधी देखो कैसा सुहाना बना – 2
ऐसा समधी का पेट, जैसे इंडिया का गेट
ससुरा देखो कैसा सुहाना बना
जैसे चाचा की मूँछ वैसे कुत्ते की पूँछ
जेठा देखो कैसा सुहाना बना
जैसे देवर के गाल वैसे दो टमाटर लाल
देवरा देखो कैसा सुहान बना
फूफा की चाँद है ऐसी सफाचट, जिसपे रोटी बने फटाफट
फूफा देखो कैसा सुहाना बना

6. मैं का करूँ भाई, मुझे मिली न लुगाई

मैं का करूँ भाई, मुझे मिली न लुगाई-2
दौड़े -2 समधी कुम्हरा के गये थे, माटी की कुम्हार ने बना दी लुगाई.
माटी की लुगाई मैंने अंगना में रखी,
बरस गया पानी वो घुल गई लुगाई।
दौड़े-2 समधी सुनरा कर गए थे, सोने की सुनार ने बना दी लुगाई,
सोने की लुगाई मैंने बक्सा में रखी,
आ गये चोर वो ले गये लुगाई।
दौड़े-2 समधी हलवाई के गये थे, चीनी की हलवाई ने बना दी लुगाई,
चीनी की लुगाई मैने बैठक में सजाई,
आ गये मेहमान मेरी खा गये लुगाई।
दौड़े-2 समधी बढ़ई के गये थे, लकड़ी की बढ़ई ने बना दी लुगाई,
लकड़ी की लुगाई रसोई मे बिठाई,
अग्नी के झोंके से वो जल गई लुगाई।
दौड़े-2 समधी बुक सेलर के गये थे, कागज की बुक सेलर ने दे दी लुगाई
कागज की लुगाई जो छत पे बिठाई,
आंधी के झोंके मे उड़ गई लुगाई।
मैं का करूँ भाई, मुझे मिली न लुगाई।

7. समधी पे आया बुढ़ापा दगा दे गई जवानी

समधी पे आया बुढ़ापा दगा दे गई जवानी।
पहला बुढ़ापा उनकी आँखों पे आया, समधिन ने चश्मा लगवाया,
दगा दे गई जवानी।
दूजा बुढ़ापा उनके बालों पे आया, समधिन ने खिजाब लगवाया,
दगा दे गई जवानी।
तीजा बुढापा उनकी कमर पे आया, समधिन ने लट्ठ दिलवाया,
दगा दे गई जवानी।
चौथा बुढ़ापा उनके दांतों पे आया, समधिन ने डेनटिस्ट बुलाया,
दगा दे गई जवानी।
पंचवा बुढ़ापा उनके दिल पे आया, समधिन ने दूजा ब्याह रचाया,
दगा दे गई जवानी।

8. मैंने रात कहरवा खुब सुना

मैंने रात कहरवा खूब सुना।
सासू जी मुझसे कहके गईं, सासू जी मुझसे कहके गईं
बहू, आँगन में झाड़ू दे देना
पर मैं अलबेली भूल गई, री मैं अलबेली भूल गई,
मैंने आँगन में कूड़ा डाल दिया ।
सासू जी मुझसे कहके गईं, सासू जी मुझसे कहके गईं
बहू, चूल्हे में आग जला देना
मैं अलबेली भूल गई री, मैं अलबेली भूल गई,
मैंने चूल्हे में पानी डाल दिया ।
सासू जी मुझसे कहके गईं, सासू जी मुझसे कहके गईं
बहू, गइया को खूँटी से बाँध देना
मैं अलबेली भूल गई री, मैं अलबेली भूल गई,
मैंने देवर को खूँटी से बाँध दिया ।
सासू जी मुझसे कहके गईं, सासू जी मुझसे कहके गईं
री बहू, जोगी को भिक्षा दे देना
मैं अलबेली भूल गई री, मैं अलबेली भूल गई,
मैंने जोगी को ननदी दे डाली।
मैंने रात कहरवा खूब सुना।

9. मैं अंगरेजी पढ़ी लिखी मेरी कदर बिगड़ गई मम्मी जी

मैं अंगरेजी पढ़ी लिखी मेरी कदर बिगड़ गई मम्मी जी।
सासो कहे बहू बर्तन बर्तन माजो, बर्तन मांजे मम्मी जी,
बर्तन मांजते जग टूट गया हैंडिल रह गया मम्मी जी।
मैं अंगरेजी –
सासो कहे बहू खाना बनाओ, खाना बनाया मम्मी जी,
खाना बनाते रोटी जल गई भूखी रह गई मम्मी जी।
मैं अंगरेजी –
सासो कहे बहू प्रेस करो, कपड़े प्रेस किए मम्मी जी,
प्रेस करते साड़ी जल गई, पल्लू रह गया मम्मी जी।
मैं अंगरेजी –
सासो कहे बहू पैर दबाओ, पैर दबाने जो मैं चली,
पैर के बदले गर्दन दब गई, ये क्या हो गया मम्मी जी।
मैं अंगरेजी –

10. आज मेरी नन्दी बिकाय कोई ले ले

आज मेरी नन्दी बिकाय कोई ले ले।
रूपइया में ले लो अठन्नी में ले लो, अगर मन चाहे चवन्त्री में ले लो,
आज मेरी नन्दी बिकाय कोई ले ले।
चवन्नी में ले लो दुअन्नी में ले लो, अगर मन चाहे इकन्नी में ले लो।
आज मेरी नन्दी बिकाय कोई ले ले।
इकन्नी में ले लो, अधन्नी में ले लो, अगर मन चाहे खोटे सिक्के में ले लो.
आज मेरी नन्दी बिकाय कोई ले ले।

11. हम घर न थे समधन रानी आय गई

हम घर न थे समधन रानी आय गई।
हम घर होते तो मिर्चा मंगाते, मिर्चा के बीजों के लड्डू बनाते,
वही लड्डू समधन को खिलाते, हम घर नहीं थे समधन रानी आय गई।
हम घर होते तो केले मंगाते, केले के छिलकों का लहंगा सिलाते,
वही लंहगा समधन को पहनाते, हम घर नहीं थे समधन रानी आय गई।
हम घर होते तो बिच्छू मंगाते, बिच्छू के लहंगा मैं बूटा बनाते,
वही लंहगा समधन को पहनाते, हम घर नहीं थे समधन रानी आय गई।
हम घर होते तो सांप मंगाते, सांप का लंहगा में नारा डरवाते,
वही लहंगा समधन को पहनाते, हम घर नहीं थे समधन रानी आय गई।

इस गीत को इस प्रकार भी गाया जाता है 

मैं घर ना थी समधन मेरी आईं
मैं घर होती तो मूली मँगवाती, मूली के पत्तों की, चोली बनवाती,
मैं घर ना थी समधन मेरी आईं
मैं घर होती तो बिच्छू मँगवाती, समधन की चोली में, बूटी टँकवाती,
मैं घर ना थी समधन मेरी आईं
मैं घर होती तो गोभी मँगवाती, गोभी के पत्तों की चुनरी बनवाती,
मैं घर ना थी समधन मेरी आईं
मैं घर होती ततइया मँगवाती, समधन की चुनरी में बेल लगवाती,
मैं घर ना थी समधन मेरी आईं
मैं घर होती तो अरबी मँगवाती, अरबी के पत्तों का, लहँगा बनवाती,
मैं घर ना थी समधन मेरी आईं
मैं घर होती तो साँप मँगवाती, समधन के लहँगे में नाड़ा डलवाती,
मैं घर ना थी समधन मेरी आईं
मैं घर होती तो बन्दर बुलवाती, समधन के गाल बंदर से कटवाती,
मैं घर ना थी समधन मेरी आईं
मैं घर होती तो गधइया बुलवाती, समधन को गधइया की सवारी करवाती,
मैं घर ना थी समधन मेरी आईं
मैं घर होती तो जूते मँगवाती, समधन को जूतों की माला पहनाती,
मैं घर ना थी समधन मेरी आईं

 

12. मैं सासू घर देखि आई, आज मेरी गुइयाँ

मैं सासू घर देखि आई, आज मेरी गुइयाँ।
हमरे ससुर जी की बड़ी बड़ी मोछियां,
मैं नोच नाच फेंक आई, आज मेरी गुइयाँ।
मैं सासू घर देखि आई, आज मेरी गुइयाँ।
हमरे जेठ जी की बड़ी-बड़ी धोतिया,
मैं फाड़ फूड़ फेंक आयी, आज मेरी गुइयाँ।
मैं सासू घर देखि आई, आज मेरी गुइयाँ।
हमरे देवर जी के बड़ी-बड़ी जुलफें,
मैं कैंची से काटि आयी, आज मेरी गुइयाँ।
मैं सासू घर देखि आई, आज मेरी गुइयाँ।
हमरे बलम जी की, बड़ी-बड़ी अँखियाँ,
मैं नयना लड़ाइ आई, आज मेरी गुइयाँ।
मैं सासू घर देखि आयी, आज मेरी गुइयाँ।

13. पुदीने वाला आया है, ओ सासू रानी

पुदीने वाला आया है, ओ सासू रानी।
पुदीने वाले के पगड़ी नहीं है, ससुर जी की दे दो, ओ सासू रानी।
पुदीने वाले के कुर्त्ता नहीं है, जेठ जी का दे दो, ओ सासू रानी।
पुदीने वाले के धोती नहीं है, देवर जी की दे दो, ओ सासू रानी।
पुदीने वाले के बीबी नहीं है, ननद जी को दे दो, ओ सासू रानी।

14. तुम लगो हमारे समधी जी तुम्हें गाली कैसे गाऊँ

तुम लगो हमारे समधी जी तुम्हें गाली कैसे गाऊँ।
गाली कैसे गाऊँ, तुम्हें कमरे में बिठाऊँ,
कमरे में बिठाऊँ तुम्हें मूसल से धमकाऊँ,
तुम लगो हमारे समधी जी तुम्हें गाली कैसे गाऊँ।
गाली कैसे गाऊँ, तुम्हें चौक में बिठाऊँ,
चौक में बिठाऊँ तुम्हें सोटे से धमकाऊँ,
तुम लगो हमारे समधी जी तुम्हें गाली कैसे गाऊँ।
गाली कैसे गाऊँ, तुम्हें बाग में बिठाऊँ,
बाग में बिठाऊँ तुम्हें झाडू से धमकाऊँ,
तुम लगो हमारे समधी जी तुम्हें गाली कैसे गाऊँ।
गाली कैसे गाऊँ तुम्हें आँखों से समझाऊँ,
तुम लगो हमारे समधी जी तुम्हें गाली कैसे गाऊँ।

15. खो गई खो गई रे, अरे हाँ खो गई खो गई रे

खो गई खो गई रे, अरे हाँ खो गई खो गई रे,  समधन दिल्ली के बाज़ार में
समधी भी ढूँढें, बाराती भी ढूँढें,  पा गई, पा गई रे, अरे हाँ पा गई, पा गई रे
हलवाई की दुकान पर, रबड़ी खा रही थी, हलवाई की दुकान पर
खो गई खो गई रे, – – –
भईया भी ढूँढें, और जीजा भी ढूँढें, पा गई,
पा गई रे, अरे हाँ पा  गई, पा गई रे,
पनवाड़ी की दुकान पर, बीड़ा चब रही थी, पनवाड़ी की दुकान पर।
खो गई खो गई रे,
बेटा भी ढूँढें, भतीजे भी ढूँढें, पा गई, पा गई रे, अरे हाँ पा गई, पा गई रे,
फ़ल वाले की दुकान पर,  केले खा रही थी, फ़ल वाले की दुकान पर।
पोता भी ढूँढें, पतोहू भी ढूँढें, पा गई, पा गई रे, अरे हाँ पा गई, पा गई रे,
भड़भूँजे की दुकान पर, चने चाब रही थी, भड़भूँजे की दुकान पर।

16. समधी हो गए रे नचनिया, कैसे सपरी

समधी हो गए रे नचनिया, कैसे सपरी
केश काढ़ चोटी गुँथवाएँ, बिंदी माथ लगाएँ, नैन में कजरा, नाक में नथनी, गले में माला डालें,
नाचें-गाएँ लचकनिया, कैसे सपरी। समधी हो गए रे
पैंट के ऊपर लहँगा पहनें, चोली गोटे वाली, उसके ऊपर ओढ़ चुनरिया, चाल चलें मतवाली,
बाजें पैरों में पैंजनियाँ, कैसे सपरी। समधी हो गए रे
लखनऊ का खुद को बतलाएँ, नाम बताएँ चमेली, भरी सभा में छमछम नाचें, जैसे नार नवेली,
बल खाए रे कमरिया, कैसे सपरी। समधी हो गए रे
हाथ में इनके कंगन सोहें, और अँगूठी चार, भरे बाज़ार में समधी, कुँजड़न से जतलावें प्यार,
इनके बिगड़े हैं चलनवा, कैसे सपरी। समधी हो गए रे

17. देखो समधन रानी जी, किस ठाठ बाट से आई हैं

देखो समधन रानी जी, किस ठाठ बाट से आई हैं
आँख का काजल गालों तक, और होंठ की लाली कानों तक,
लाल चुनरिया धरती तक, वो सड़क झाड़ती आईं हैं।
देखो समधन ……..
समधन जी की खातिर मैंने, कुर्सी मेजें लगवाईं,
समधन रानी बैठना  न जानें, फिर दरियाँ बिछवाईं हैं।
देखो समधन ——-
समधन जी की खातिर मैंने, कोल्ड ड्रिंक थीं मँगवाईं,
समधन रानी पीना न जानें, फिर लस्सी मँगवाईं हैं।
देखो समधन……….
समधन जी की खातिर मैंने, बढ़िया बिस्कुट मँगवाईं,
समधन रानी खा ना जानें, फिर रोटी सिकवाईं हैं।
देखो समधन——
समधन जी की खातिर मैंने, पान इलायची मँगवाईं,
समधन रानी खा ना जानें, फिर छाली मँगवाईं हैं।
देखो समधन——–
समधन जी की खातिर मैंने, घुँघरू ढोलक मँगवाईं,
समधन रानी बजाना न जानें, फिर ताली बजवाईं हैं।
देखो समधन——-
समधन जी की खातिर मैंने, समधी जी बुलवाए हैं,
उनको तो वो कुछ भी ना मानें, फिर अपने भिजवाए हैं।
देखो समधन——–

18. गंगा कैसी बहे, हमें देखने का चाव

गंगा कैसी बहे, हमें देखने का चाव, धारा कैसी बहे, हमें देखने का चाव।
जब समधन जी न्हाने निकरीं, जब समधन जी,
संग चले सब, संग चले सब यार। गंगा कैसी बहे……..
जब समधनजी को जाड़ा लागा, जब समधन जी को,
लिपट गए सब, लिपट गए सब यार। गंगा कैसी बहे…….
जब समधन जी को गरमी लागी, जब समधन जी को,
पंखा झलें सब पंखा झलें सब यार, गंगा कैसी बहे…….
न्हाय धोय जब बाहर निकरीं, न्हाय धोय जब,
दरशन कर रहे, दरशन कर रहे यार। गंगा कैसी बहे…….
जब समधन जी को भूख लगी तब, जब समधन जी को,
भोग लगावें, भोग लगावें सब यार। गंगा कैसी बहे……

19. ओ जी जमाई राजा, बताओ तो कहाँ गए थे

  ओ जी जमाई राजा, बताओ तो कहाँ गए थे।
अपनी अम्मा को बेचन गए थे, कि निबुआ डोल गया।
चली ज़ोर की हवा, कि निबुआ डोल गया।
अम्मा उतारी मीना बाजार में, अम्मा उतारी जौहरी बाजार में,
गाहक परखन लागे, कि निबुआ डोल गया।
जार जार रोवे समधी हमारे, जार जार रोवे समधी बिचारे
माल पराया हुआ, कि निबुआ डोल गया।

20. घर घर बजत बधइया, आए हैं लाला

घर घर बजत बधइया, आए हैं लाला।
सगरे बराती जेवन बैठे, ढाई सेर के खउआ, आए हैं लाला।
मंडप के नीचे समधी जी बैठे, जैसे बरात के नउआ, आए हैं लाला।
समधी की बोली ऐसे लागे, जैसे बोले कउआ, आए हैं लाला।
देखन में समधी ऐसे लागें, जैसे कोई हउआ, आए हैं लाला।

21. हमारी गली आ जाना, प्यारे समधी जी

  हमारी गली आ जाना, प्यारे समधी जी।
महलों बुलाऊँ, चक्की चलवाऊँ,
पीसोगे मोटा तो मारूँगी सोटा, अरे, मारूँगी हंटर घुमाय,
हमारी गली…….
बागों बुलाऊँ, घास खुदवाऊँ,
छोड़ोगे काँटा तो मारूँगी चाँटा, देऊँगी खुरपी थमाय,
हमारी गली…….
कुआँ बुलाऊँ, पानी भरवाऊँ,
जो छलकेगी गगरी तो मारूँगी कंकरी, देऊँगी पूरो  भिजाय,
हमारी गली……
पथनौरे बुलाऊँ, गोबर थपवाऊँ,    (पथनौरा – वह स्थान जहाँ उपले थापने के लिए गोबर इकठ्ठा किया जाता है)
देऊँगी उपले थमाय, हमारी गली……

22. पूछो पूछो कहाँ पे बारात रुकी है

पूछो पूछो कहाँ पे बारात रुकी है।
लड़की वाले पूछ रहे हैं, कहाँ बन्ने के भैया,
जनवासे में खड़े खड़े, वो करते ता ता थईया,
पूछो पूछो…….
लड़की वाले पूछ रहे हैं, कहाँ बन्ने के मौसा,
उस कोने में खड़े खड़े, वो उड़ा  रहे समोसा।
पूछो पूछो……..
लड़की वाले पूछ रहे हैं, कहाँ बन्ने के मामा,
छत के ऊपर खड़े खड़े, वो बाँध रहे  पाजामा।
पूछो पूछो……..
लड़की वाले पूछ रहे हैं, कहाँ बन्ने की बूआ,
छुप छुपकर वो ठूंस रहीं हैं, दे पूए पे पूआ।
पूछो पूछो……..
लड़की वाले पूछ रहे हैं, कहाँ बन्ने की बहना,
ताका झाँकी करती डोलें नहीं किसी से कहना।
पूछो पूछो ……
लड़की वाले पूछ रहे हैं, कहाँ बन्ने की अम्मा,
चौराहे पर खड़ी खड़ी, वो देवें सबको चुम्मा।
पूछो पूछो……

23.

 इस गीत को एक महिला गाती है। 

“वाह वाह” और “जरूर” यह दो टुकड़े शेष सब मिलकर बोलती हैं।
ठठेरे आयेंगे, ———- वाह वाह !
ठठेरे आयेंगे, ———- वाह वाह
सवेरे आयेंगे, ———- वाह वाह
दूर से आयेंगे, ———- वाह वाह
बदलने आयेंगे, ———- वाह वाह
समधन जी को बदलाना, जरूर !
आनन बदलाना, फानन बदलाना, समधन जी को बदलाना, जरूर !
काली से गोरी करवा लेना, जरूर !
मोटी से पतली करवा लेना, जरूर !
छोटी से लम्बी करवा लेना, जरूर !मटक्को को सीधी करवा लेना, जरूर !
नखरो का नखरा झड़वा लेना, जरूर !
ठठेरे आयेंगे, ———- वाह वाह !

24. सासू लड़ मत लड़ मत, न्यारी कर दे

सासू लड़ मत लड़ मत, न्यारी कर दे।
तोसे टीका नहीं माँगूँ, तोसे हरवा नहीं माँगूँ,
मेरे बाप का जेवर मेरे आगे कर दे।
तोसे कुरसी नहीं माँगूँ, तोसे मेज नहीं माँगूँ,
मेरे बाप का फर्नीचर मेरे आगे कर दे।
तोसे जेठ नहीं माँगूँ, तोसे देवर नहीं माँगूँ,
मेरे बाप का जमाई मेरे आगे कर दे।
तोसे ननदी नहीं माँगूँ, तोसे नंदोई नहीं माँगूँ,
मेरे बाप का धेवता मेरे आगे कर दे।