1. गाड़ी वाले दुपट्टा उड़ा जाए रे

(लोकगीतों की नायिका सब से संवाद करती हुई चलती है. यहाँ वह गाड़ी हाँकने वाले से बतिया रही है. हो सकता है कि इस काव्यकथा का  नायक ही गाड़ी हाँक रहा हो)

गाड़ी वाले दुपट्टा उड़ा जाए रे
जरा धीरे चलो जरा हौले चलो
सिर पर घड़ा घड़े पर गागर
सिर पर घड़ा घड़े पर गागर
गाड़ी वाले कमर बल खाए रे जरा धीरे चलो जरा हौले चलो
सावन गरजे भादो बरसे
सावन गरजे भादो बरसे
गाड़ी वाले चुनर भीगी जाए रे जरा धीरे चलो जरा हौले चलो

(गोपी अपनी  सास से कह रही है कि पानी भरने कैसे जाऊँ, मैं कमजोर हूँ गगरी कैसे उठाऊँ. ऊपर से वहाँ रसीले नैनों वाला छेड़ता भी है.  सास कहती है कि छोटी ननद को साथ ले जा. पनघट पर पहुँचते ही , कदम्ब की छाँव में बैठे छलिया ने  बाँह पकड़ ली. दुष्ट  ननदी  ने घर जा कर सास से चुगली कर दी कि भाभी का तो कोई यार है. सास ने बलम को सिखाया तो उसने थप्पड़ घूंसे लगाए. इस दुष्ट ननदी को जल्दी शादी कर के भेज दूँगी और फिर उसका नाम भी न लूंगी).

2. सासुल पनियाँ कैसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना

सासुल पनियाँ कैसे जाऊँ रसीले दोऊ नैना।
मोरी बारी है उमरिया, मैं कैसे धरूं गगरिया,
मेरी पतली कमर बल खाए, रसीले दोऊ नैना,
सासुल पनियाँ…
बहू ओढ़ो चटक चुनरिया, और सिर पर धरो गगरिया,
छोटी ननदी ले लो साथ, रसीले दोऊ नैना,
सासुल पनियाँ…
वह बैठा कदम की छइयाँ, झट आकर पकड़ी बइयाँ,
बीबी घर मत कहियो जाय, रसीले दोऊ नैना,
सासुल पनियाँ ——-
वह ननदी असल छिनरिया, घर आके कह दीं बतियाँ,
अम्मा भाभी का कोऊ यार, रसीले दोऊ नैना,
सासुल पनियाँ ——-
सासुल ने बलम सिखाये, उन्ने थप्पड़ चार लगाए,
संग घूँसे भी बरसाए, रसीले दोऊ नैना,
सासुल पनियाँ ——-
फागुन में ब्याह करूँगी, और जेठ में गौना दूँगी,
ननदी फिर ना लूँगी नाम, रसीले दोऊ नैना,
सासुल पनियाँ ——-

(नायिका अपने पति से चुनरी लाने की मांग कर रही है, लेकिन चुनरी पहनती है तो नजर लग जाती है. नजर उतारने के लिए वैद्य बुलाए गए वो ननदी को लेकर भाग गए)

3.चले जाना बजरिया ओ राजा जी

चले जाना बजरिया ओ राजा जी-2
झाँसी शहर की लागी बजरिया, ले दो ले दो चुनरिया ओ राजा जी –
चुनरी पहन गोरी अंगना में बैठी, लागी लागी नजरिया ओ राजा जी –
दिल्ली शहर से वैद्य बुलाओ, झारो-2 नजरिया ओ राजा जी –
दिल्ली शहर के वैद्य हरामी, मांगे-2 ननदिया ओ राजा जी –
बारी सी ननदी जनम की चंचल, भागी-2 वैद्य लेके ओ राजा जी

(गुलाबी चुनर ओढ़ने से नजर लगने का डर है. सास  को बैर है इस लिए  तरह तरह के काम करने को कह रही है. नाजुक बहू जो भी  काम करेगी में उस में  कुछ न कुछ खतरा है, इसकी काम करे भी कैसे)

4.हमरी गुलाबी चुनरिया, लग जइहै नजरिया

हमरी गुलाबी चुनरिया, लग जइहै नजरिया-2
सासू हमारी जनम की वैरिन, हमसे बनवावे रसोइया,
लग जइहै नजरिया
सासू कहें बहू खाना बना लो, हमरी तो जल गई उंगलिया
लग जइहै नजरिया
सासू कहे बहू पनिया भर लो, हमरी लचक गई कमरिया
लग जइहै नजरिया
सासू हमारी कहे झाडू लगा लो, हमरी तो मुड़ गई कलइया,
लग जइहै नजरिया

सूरज के सामने जाने में इस बात का खतरा है कि बिंदिया का रंग उड़ जाएगा. बिंदिया पहन के निकलीं तो ससुर की नज़र लग गई, ननदी अलग बिंदिया के लिए ललचा रही है. पिया के मन को बिंदिया भा गई तो क्या हुआ यह बताने में लाज आ रही है.

5.सूरज मुख न जइवे, न जइवे, हाय राम बिंदिया के रंग उड़ जाये

सूरज मुख न जइवे, न जइवे, हाय राम बिंदिया के रंग उड़ जाये
हाय मोरी बिंदिया
लाख टका की मोरी बिंदिया, ओ मोरी बिंदिया,
वो तो ससुरा की लागी नजरिया, कि हाय मोरी बिंदिया
बिंदिया पहन के निकसी अंगनवाँ, निकसी अंगनवा,
वो तो नन्दी के जिया ललचाये कि हाय मोरी बिंदिया………
बिंदिया पिया के ऐसे मन भाये, ऐसे मन भाये
हमसे कहयो न जाये कि हाय मोरी बिंदिया

पिया को बुलाते हुए नायिका कह रही है कि उसके बिना कोई भी गजरा, कोई भी जेवर और कोई भी श्रृंगार अच्छा नहीं लगता. 

6.चले आओ सैया रंगीले, मैं वारी रे

चले आओ सैया रंगीले, मैं वारी रे – 2
सजन मोहे तुम बिन भाये न गजरा, भाए न गजरा
न मोतिया, चमेली न जूही न माँगरा,
चले आओ सैया रंगीले, मैं वारी रे – 2
सजन मोहे तुम बिन भाये न जेवर जी भाये न जेवर रे,
न झुमके, न कंगन, न झूमर न झांझर रे, चले…
सजन मोहे तुम बिन भाये न श्रृंगार, जी भाये न श्रृंगार
चले आओ सैया रंगीले, मैं वारी रे – 2

पिया दूर बसा हो तो सलोनी नायिका के नखरे कौन उठाएगा. 

7.दुपट्टा मेरा रेशमी कोई गोटा लगा देना

दुपट्टा मेरा रेशमी कोई गोटा लगा देना – 2
सोने की थाली में भोजन परोसा
खिलैया मेरा दूर बसे, कोई आके खिला देना
दुपट्टा मेरा रेशमी –
चांदी के लोटा में पानी भरायो
पिलैया मेरा दूर बसे, कोई आके पिला देना
दुपट्टा मेरा रेशमी –
लौंगा इलायची के बीड़ा लगाये
रचैया मेरा दूर बसे, कोई आके रचा देना
दुपट्टा मेरा रेशमी
बेला चमेली की सेजा सजायी
सुलइया मेरा दूर बसे, कोई आके सुला देना
दुपट्टा मेरा रेशमी –

कंगना और नाक की कील तो आंगन और छत पर गिरीं हैं इसलिए उन्हें तो सास, ननद और जेठानी से झगड़ कर ले लूंगी, लेकिन बिंदिया तो सेज पर गिरी है, उसे तो हंस के ही मांगूंगी.

8.कहाँ गिरा कंगना, और कहाँ गिरी किलिया

कहाँ गिरा कंगना, और कहाँ गिरी किलिया,
कहाँ गिरी रे सिर माथे की बिंदिया-
आंगन में गिरा कंगना, और छत पै गिरी किलिया,
सेजो पै गिरी रे सिर माथे की बिंदिया
कैसे मांगू कंगना, और कैसे मांगू किलिया
कैसे मांगू रे सिर माथे की बिंदिया
लड़के मांगू कंगना, झगड़ के माँगू किलिया
हंस के मांगू रे सिर माथे की बिंदिया

भैया बुलाने आये हैं. लाड़ली का मन पीहर जाने को कर रहा है.  पर बलम हैं कि भेजने को राजी नहीं हैं. उनकी भी क्या गलती है. सावन में वियोग कैसे सहेंगे. लाडली तरह तरह से समझा रही हैं, मसलन – खाना होटल में खा लेना, हमारी फोटो से मन लगा लेना वगैरा वगैरा- 

9.बीरन आये है लिवइआ, भेज दो बलम

बीरन आये है लिवइआ, भेज दो बलम, पीहर भेज दो बलम
सावन में हम पीहर जइवे, भादो में आ जइवे,
नहीं तो रोयेगी मेरी मइया, भेज दो बलम
जब बालम हम पीहर जइवे, तुम भूखे मत रहियो- 2
होटल खुले हैं बजरिया, भेज दो बलम
जब बालम हम पीहर जैवे, सर पै हाथ रख दइयो
फोटो टंगी है अटरिया, भेज दो बलम

पति को पायल मंगाने के लिए मना रही हैं और साथ ही पायल को देख कर जो लोग जलेंगे उन का इलाज भी बता रही हैं. 

10.मेरे पैरों की पायल मंगा दो पिया

मेरे पैरों की पायल मंगा दो पिया-2
मेरी पायल को देख देख, सासू जलें,उनका खाना अलग करवा दो पिया,
मेरे पैरों कि पायल –
मेरी पायल को देख देख नन्दी जले,उन्हें ससुरे की गैल बता दो पिया।
मेरे पैरों कि पायल –
मेरी पायल को देख देख देवर जले,उन्हें छोटी सी गुड़िया मंगा दो पिया।
मेरे पैरों कि पायल –

बंगलौरी चूड़ियाँ पहन कर बहूरानी सब से दो दो हाथ करने का हौसला रखती हैं.  हर किसी से लड़ने को अलग अलग पैंतरा है इन के पास.

11.चूड़ियाँ बंगलौरी बंगलौरी मेरे हाथों में –

चूड़ियाँ बंगलौरी बंगलौरी मेरे हाथों में –
सास बहू में हुई लड़ाई रसोई के बीच में
लड़ ले सासू लड़ ले,ये बेलन मेरे हाथ में।
चूड़ियाँ बंगलौरी बंगलौरी मेरे हाथों में –
ननद भाभी में हुई लड़ाई आंगन के बीच में,
लड़ले ननदी लड़ ले, ये चुटिया मेरे हाथ में
चूड़ियाँ बंगलौरी बंगलौरी मेरे हाथों में –
मिया बीबी में हुई लड़ाई सेजों के बीच में
लड़ ले बालम लड़ ले ये लालन मेरी गोद में
चूड़ियाँ बंगलौरी बंगलौरी मेरे हाथों में –
देवर भाभी में हुई लड़ाई कमरे की बीच में
लड़ ले देवर लड़ ले, ये साजन मेरे साथ में
चूड़ियाँ बंगलौरी बंगलौरी मेरे हाथों में –

पति पत्नी की मजेदार नोंक झोंक.  पत्नी दहेज़ के रुपयों का ताना दे रही है तो पति उसके मैके के साधारण रहन सहन का.

12.हमसे न अंखिया दिखाव मोरे सैंया.

पत्नी –  हमसे न अंखिया दिखाव मोरे सैंया.
दयजे में तुमने रूपइया गिनवाय लये,
रुपइया गिनवाय के तुम काहे बिकाय गये,
खरी खोटी अब न सुनाव मोरे सैंया,
हमसे न अंखिया दिखाव मोरे सैंया.
चौका न करिहों, मैं बर्तन न करिहों,
एक हमे नौकर लगाओ मोरे सैया.
हमसे न अंखिया दिखाव मोरे सैंया.
पति –  हमसे न अंखिया दिखाव मोरी गोरी
मैके में पहनत थी लाली चुनरिया
हमसे न माँगो जरीदार लंहगा,
पत्नी – हमसे न अंखिया दिखाव मोरे सैंया.
पति – मैंके में खाती थी ज्वार और बाजरा,
हमसे न होटल कहो मोरी गोरी.
पत्नी – हमसे न अंखिया दिखाव मोरे सैंया.
पति – मैके में घूमीं गोरी खेत और गलियाँ,
हमसे न मार्केट कहो मोरी गोरी,
पत्नी – हमसे न अंखिया दिखाव मोरे सैंया.

मर्दों को पैदल चलने का शौक होता है. वे यह नहीं समझ सकते कि जनानियों को पैदल चलने में कितनी दिक्कत होती है.

13.रिक्सा बलम नहीं लाये

तर्ज – जब से बलम घर आये
रिक्सा बलम नहीं लाये, पैदल चला नहीं जाये –
जेठ मास की तेज दुपहरी, सजना तुम हो बड़े बेदर्दी
कोमल बदन कुम्हलाये, पैदल चला नहीं जाये –
रात को कहते तुझे पिक्चर दिखाऊँगा,
तेरे खातिर सवारी मंगाऊंगा,
सुबहा को ये पलट जाये, पैदल चला नहीं जाये –

नखरे और मीठी मीठी नोंक झोंक लोकगीतों के प्रिय विषय हैं. देखिए  वयस्कों के जमघट में गाया जाने वाला  एक ऐसा ही लोकगीत.

14.सितारे झड़ जायेंगे कहा मानो 

सितारे झड़ जायेंगे कहा मानो-2
ओ राजा मेरे नयनो को हाथ न लगाना,
ये कजरा बह जायेगा, कहा मानो –
ओ राजा मेरे कन्धों को हाथ न लगाना
ये अंचरा उड़ जायेगा, कहा मानो –
ओ राजा मेरी अंगिया में हाथ न लगाना,
ये जुबना बिगड़ जायेगा, कहा मानो –
ओ राजा मेरी कमर में हाथ न लगाना,
भरतपुर लुट जायेगा, कहा मानो-

कुछ लोकगीत नाचने गाने वालियों की महफ़िल के लिए भी बने हैं. 

15. कसम तुम को राजा तुम कहा मानो

कसम तुम को राजा तुम कहा मानो
के राजा मेरे बालों को हाथ न लगाना,
नागिन से लिपट जाएँगे, कहा मानो,
कसम तुम को ——-
के राजा मेरी बिंदिया को हाथ न लगाना,
हाथ से चिपट जाएगी, कहा मानो,
कसम तुम को ——-
के राजा मेरे झुमकों को हाथ न लगाना,
के मोती बिखर जाएँगे, कहा मानो,
कसम तुम को ——-
के राजा मेरी तिलड़ी को हाथ न लगाना,
के लड़ियाँ उलझ जाएँगी, कहा मानो,
कसम तुम को ——-
के राजा मेरी तगड़ी को हाथ न लगाना,
कमरिया लचक जाएगी, कहा मानो,
कसम तुम को ——-
के राजा मेरे कंगन को हाथ न लगाना,
के कंगन चुभ जाएगा, कहा मानो,
कसम तुम को ——-
के राजा मेरी पायल को हाथ न लगाना,
के घुँघरू बिखर जाएँगे, कहा मानो,
कसम तुम को ——-
के राजा मेरी साड़ी को हाथ न लगाना,
सितारे झड़ जाएँगे, कहा मानो,
कसम तुम को ——-
के राजा मेरी चोली को हाथ न लगाना,
लाज से मर जाऊँगी, कहा मानो,
कसम तुम को ——-
(तिलड़ी – तीन लड़ियों वाला हार)

स्त्रियों की आपसी हंसी मजाक में हास्य के साथ थोड़ी अश्लीलता भी होती है, लेकिन लोकगीतों में सब चलता है.

16.इसी दम पे गुलूबंद गढ़इ दे बलमा

इसी दम पे गुलूबंद गढ़इदे बलमा।
पाँच तोला सोना मंगाइ दे बलमा, जिसमें हरवा भी हो
जिसमें झुमकी भी हो,
फिर सेजो पे चमाचम होय बलमा, इसी दम पे –
एक पाव चाँदी मंगाइ दे बलमा,जिसमें पायल भी हो
जिसमें लच्छे भी हो,
फिर सेजों पर छमाछम होय बलमा, इसी दम पे –
एक सेर मिठाई मंगाइ दे बलमा, जिसमें लड्डू भी हों, जिसमें पेडे भी हों,
फिर सेजों पे गपागप होय बलमा, इसी दम पे –
एक थान रेशम मंगाइ दे बलमा, जिसमें गद्दा भी हो और रजाई भी हो,
फिर सेजों पे कशमकश होय बलमा, इसी दम पे –

स्त्रियों की आपसी हंसी मजाक में सबसे अधिक खिंचाई बुद्धू बालमा की ही होती है.

17.हमार बलमा मोटर गाड़ी चलावै

हमार बलमा मोटर गाड़ी चलावै-2
सबकी गाड़ी में हार्न बजत है, हमार बलमा सीटी दे दे चलावे,
(हमार बलमा टूटी थाली बजावे)
हमार बलमा मोटर गाड़ी चलावै।
सबकी गाड़ी में लाइट जलत है, हमार बलमा लालटेन ले चलावे,
हमार बलमा मोटर गाड़ी चलावै।
सबकी गाड़ी में बैटरी लगत है, हमार बलमा धक्का दे दै चलावे,
हमार बलमा मोटर गाड़ी चलावै।
सबकी गाड़ी में गद्दी बिछत है, हमार बलमा टाट पट्टी बिछावे,
हमार बलमा मोटर गाड़ी चलावै।
सब की मोटर में बीबी बैठत है, हमार बलमा दूजी औरत बिठावे,
हमार बलमा मोटर गाड़ी चलावै।

छत के ऊपर बनी कोठरी में ही लोकगीतों की नायिका अपने पति को प्रेमपाश में फंसा कर उँगलियों पर नचाती है और घर के सारे सदस्यों की खबर लेती है.

18. कोठे ऊपर कोठरी मैं उस पर रेल चला दूंगी

कोठे ऊपर कोठरी मैं उस पर रेल चला दूंगी
जो मेरी सासु प्यार करेगी सब तीरथ करवा दूंगी
जो मेरी सासु लड़े लड़ाई रोटी को तरसा दूंगी
कोठे ऊपर कोठरी मैं उस पर रेल चला दूंगी
जो मेरी जिठनी प्यार करेगी सारा काम करा दूंगी
जो मेरी जिठनी लड़े लड़ाई दो चूल्हे करवा दूंगी
कोठे ऊपर कोठरी मैं उस पर रेल चला दूंगी
जो मेरा देवर प्यार करेगा बी ए पास करा दूंगी
जो मेरा देवर करे लड़ाई मूंगफली बिकवा दूंगी
कोठे ऊपर कोठरी मैं उस पर रेल चला दूंगी
जो मेरी ननदी प्यार करेगी जल्दी व्याह कर दूंगी
जो मेरी ननदी लड़े लड़ाई गौने को तरसा दूंगी
कोठे ऊपर कोठरी मैं उस पर रेल चला दूंगी

नन्दोई के साथ हंसी ठिठोली करना सलहज का जन्मसिद्ध अधिकार है. इस सारे प्रकरण में सब से ज्यादा बुद्धू बेचारा पति ही बनता है.

19.प्यारे नन्दोइया सरौता कहाँ छोड़ आये

प्यारे नन्दोइया सरौता कहाँ छोड़ आये-2
नन्दी खाये डली सुपाड़ी और कत्था नन्दोइया,
मैं तो खाऊ पान के बीड़े, चूना खाये सैयां। सरौता कहाँ..
नन्दी देवर नीबू खायें, और चीकू नन्दोइया,
मैं खाऊँ बम्बई के केले, छिलके खाये संइया। सरौता कहाँ..
नन्द बेचारी बस में धूमे, और पैदल नन्दोइया,
मैं घूमू मोटर गाड़ी में पीछे भागे संइया। सरौता कहाँ..
नन्दी खाये खील बताशे, और लड्डू नन्दोइया,
मैं खाऊं रबड़ी के दौने, पत्तल चाटे सइयाँ। सरौता कहाँ..
ननद बेचारी मैके जाये, और दफ्तर नन्दोइया,
मैं सखियों संग मौज मनाऊं, बच्चे पाले सँया। सरौता कहाँ ..

(इसी शीर्षक से एक अलग गीत यह भी है)

सरौता कहाँ भूल आए प्यारे नन्दोइया ?

सो मेरी सखी लड्डू कचौरी किसको,
वो बाहर नन्दोइया खड़े जी जरा उनको।
सो मेरी बहना सूखे से टुकड़े किसको,
वो घर में मियाँ मोधू पड़े जी जरा उनको।

सो मेरी सखी शरबत के प्याले किसको,
वो बाहर नन्दोइया खड़े जी जरा उनको।
सो मेरी बहना खारा सा पानी किसको,
वो घर में मियाँ मोधू पड़े जी जरा उनको |

सो मेरी सखी पानों के बीड़े किसको,
वो बाहर नन्दोइया खड़े जी जरा उनको।
सो मेरी बहना पीपल के पत्ते किसको,
वो घर में मियाँ मोधू पड़े जी जरा उनको।

सो मेरी सखी मलमल के कुरते किसको,
वो बाहर नन्दोइया खड़े जी जरा उनको।
सो मेरी बहना फटा पजामा किसको,
वो घर में मियाँ मोधू पड़े जी जरा उनको।

सो मेरी सखी तकिए और तोशक किसको,
वो बाहर नन्दोइया खड़े जी जरा उनको।
सो मेरी बहना टूटी खटोली किसको,
वो घर में मियाँ मोधू पड़े जी जरा उनको।

20.मेरे बलमा की ऊँची अटरिया

मेरे बलमा की ऊँची अटरिया, मिलन जाने कब होगा।
पहन ओढ़ गोरी आंगन में बैठी, मैके से आये गये नऊआ,
मिलन जाने..
खिला पिला मैने नऊआ बिदा किये, आय गये मैके से बम्हना,
मिलन जाने..
पैसा रूपया दे मैंने बम्हन विदा किये, इतने में आय गये वीरा,
मिलन जाने..
जब तक बीरन तुम मोटर ले आओ, हो आऊँ सैंया की अटरिया,
मिलन जाने..
जब तक अटरिया की सीढ़ी चढ़ी मैंने, आय गई मोटर बैरनिया,
मिलन जाने..
बीरन संग मैं मोटर में बैठी, छज्जे से झाँक रहे सैयां,
मिलन जाने..

इस गीत को इस प्रकार से भी गाया जाता है –

मेरे सइयाँ की ऊँची अटरिया
मेरे सइयाँ की ऊँची अटरिया, मिलन जाने कब होगा,
मिलन जाने ओ हो, मिलन जाने कब होगा।
कर सिंगार मैं जाने लागी,
आ गईं उनकी अम्मा, मिलन जाने ——-
पैर दबा मैंने अम्मा विदा कीं,
आ गई ननद बिजुलिया, मिलन जाने ——-
चुनरी दे मैंने ननदी विदा की,
आ गए देवर खिलड़िया, मिलन जाने ——-
गेंद-बल्ला दे मैंने देवर विदा किए,
पीहर से आ गया नउआ, मिलन जाने ——-
लड्डू-पूड़ी दे मैंने नउआ विदा किया,
इतने में आ गए भईया , मिलन जाने ——-
चुनरी ओढ़ मैं डोले में बैठी,
टप-टप रोवें सइयाँ, मिलन जाने ——-

21.मैं ससुराल नहीं जाऊँगी डोली रख दो कहारों

मैं ससुराल नहीं जाऊँगी डोली रख दो कहारों,
साल दो साल नही जाऊंगी डोली रख दो कहारों।
पहला संदेशा ससुर जी का आया, अच्छा बहाना ये मैंने बनाया,
बुड्ढे के साथ नहीं जाऊँगी, डोली रख दो कहारों।
दूजा संदेशवा सास जी का आया, बुढ़िया ने हाय मुझे कितना सताया,
इस बुढ़िया को अब मैं सताऊँगी, डोली रख दो कहारों।
तीजा संदेशवा ननदिया का आया, इसने इशारो में मुझको नचाया।
उंगली पे इसको नचाऊँगी, डोली रख दो कहारों।
चौथा संदेशवा नन्दोइ का आया, मैं चल पड़ी थी मगर याद आया,
इतनी जल्दी मैं कैसे मान जाऊँगी डोली रख दो कहारों।
पंचवा संदेशा मेरे पियाजी का आया, कोई बहाना न फिर याद आया,
नंगे पांव दौड़ी चली जाऊँगी, मैके में लौट के न आऊँगी।
डोली ले लो कहारों।

(इस गीत को इस प्रकार से भी गाया जाता है)

बिना डोली के आए भौजी हम न जाएँ जी।
पहला बुलावा ससुर जी का आया,
ऐसे बुड्ढे के संग भौजी हम न जाएँ जी, बिना डोली ——-
दूजा बुलावा जेठ जी का आया,
ऐसे मुछन्दर के संग भौजी हम न जाएँ जी, बिना डोली ——-
तीजा बुलावा देवर जी का आया,
ऐसे छोरा के संग भौजी हम न जाएँ जी, बिना डोली ——-
चौथा बुलावा नंदोई जी का आया,
ऐसे छलिया के संग भौजी हम न जाएँ जी, बिना डोली ——-
पाँचवा बुलावा बलम जी का आया,
अपने रसिया के संग भौजी अभी जाएँ जी,
अपने राजा के संग बिना डोली जाएँ जी।

22.हम बार-बार बगिया ना जैबै राजा

हम बार-बार बगिया ना जैबै राजा।
वहि बगिया में ससुर जी का डेरा, हम बार-बार पइयाँ न पड़िहें राजा।
हम बार-बार बगिया ना जैबै राजा।
वहि बगिया में जेठ जी का डेरा, हम बार-बार घुँघटा ना कढ़िबे राजा।
हम बार-बार बगिया ना जैबै राजा।
वहि बगिया में देवर जी का डेरा, हम बार-बार खेलवा ना खेलबै राजा।
हम बार-बार बगिया ना जैबै राजा।
वहि बगिया में ननदी का डेरा, हम बार-बार झगड़ा ना सहिबै राजा।
हम बार-बार बगिया ना जैबै राजा।
वहि बगिया में नंदोई जी का डेरा, हम बार-बार नखरे ना सहिबै राजा।
हम बार-बार बगिया ना जैबै राजा।
वहि बगिया में बलम तुम्हरा भी डेरा, हम बार-बार सेजिया ना जैबै राजा।
हम बार-बार बगिया ना जैबै राजा ।

23.आपन देंहियाँ सँभारौं कि तौहे बलमा

आपन देंहियाँ सँभारौं कि तौहे बलमा
रोटिया सेंकन गयी, संग गये बलमा।
आपन रोटिया सँभारौं कि तोहैं बलमा।
आपन देंहियाँ सँभारौं कि तौहें बलमा।
पनिया भरन गयी, संग गये बलमा।
आपन गगरी सँभारौं कि तोहैं बलमा।
आपन देंहियाँ सँभारौं कि तौहे बलमा।
कपड़ा धोवन गयी, संग गये बलमा।
आपन धोतिया सँभारों कि तोहैं बलमा
आपन देंहियाँ सँभारौं कि तौहे बलमा।
सेजिया सोवन गयी, संग गये बलमा।
आपन तकिया सँभारों कि तोहें बलमा।
आपन देंहियाँ सँभारौं तोहें बलमा॥

24.मैं अगरवालिन, बलम मोर बनिया

मैं अगरवालिन, बलम मोर बनिया।
मैं गई कुइयाँ, संग गये बलमा, मैं बैठी ताकूँ, बलम भरें पनिया।
मैं अगरवालिन, बलम मोर बनिया।
रोटिया सेंकन गयी, संग गये बलमा, मैं बैठी ताकूँ, बलम सेंकैं रोटिया।
मैं अगरवालिन, बलम मोर बनिया।
सेजिया सोवन गयी, संग गये बलमा, मैं लेटी सोऊँ, बलम हाँके बेनिया।
मैं अगरवालिन, बलम मोर बनिया।

25.गोरिया चली नैहर को, बलम सिसकी लैके रोवें

गोरिया चली नैहर को, बलम सिसकी लैके रोवें।
बागों में रोवें, बगीचों में रोवें,
डलिया पे सिर देइ मारैं, बलम सिसकी लैके रोवें।
तालों पे रोवैं, तलैयों पे रोवैं,
गगरी पे सिर देइ मारैं, बलम सिसकी लैके रोवें।
महला पे रोवें दुमहला पे रोवैं,
डेवढ़ी पे सिर देइ मारैं, बलम सिसकी लैके रोवें।
पढ़तउ कि रोवें पढ़उतउ कि रोवैं,
पटिया पे सिर देइ मारैं, बलम सिसकी लैके रोवें।
सेजिया पे रोवें, सेजरिया पे रोवैं,
तकिया पे सिर देइ मारैं, बलम सिसकी लैके रोवें।
गोरिया चली नैहर को, बलम सिसकी लैके रोवें।

(इस गीत को इस प्रकार से भी गाया जाता है)

गोरी चली नैहर को, चली नैहर को,
बलम सिसकी ले के रोवें।

सेजों पे रोवें, अटरिया पे रोवें,
तकिए पे सिर दे मारें, बलम सिसकी ——–

कोठे पे रोवें, और आँगन में रोवें,
चौखट पे सिर दे मारें, बलम सिसकी ——–

तालों पे रोवें, तलइयों पे रोवें,
धोबी के कन्धा पे सुबकें, बलम सिसकी ——–

बागों में रोवें, बगीची में रोवें,
पेड़ों से लिपट के रोवें, बलम सिसकी ——–

26.नाजुक नरम कलाई रे, पनिया कैसे लाऊँ 

नाजुक नरम कलाई रे, पनिया कैसे लाऊँ ।
अपने ससुर जी की बड़ी दुलारी, आँगन कुइयाँ खनाई रे
पनिया कैसे लाऊँ।
सासू हमारी जनमवा की बैरी, आँगन कुँइयाँ पटाई रे
पनिया कैसे लाऊँ।
अपने जेठ जी की बड़ी दुलारी, रेशम की रस्सी मंगाई रे
पनिया कैसे लाऊँ।
हमरी जेठानी जनमवा की बैरी, रेशम की रस्सी जलाई रे
पनिया कैसे लाऊँ।
अपने देवर जी की बड़ी पियारी,सोने का कलश मँगाई रे
पनिया कैसे लाऊँ।
हमरी देवरानी जनमवा की बैरी, सोने का कलश बिकवाई रे
पनिया कैसे लाऊँ।
अपने बलम जी की बहुत पियारी, सौ-सौ कहार लगवाई रे
पनिया कैसे लाऊँ।
नाजुक नरम कलाई रे, पनिया कैसे लाऊँ ॥

इस गीत को इस प्रकार भी गाया जाता है 

मोती भरी मांग मोरी सास रानी पानी को भेजें.
जाय कहियो मोरे प्यारे ससुरजी से,
अंगना में कुइयाँ खनाय दें, बहू रानी पानी को जइहैं.
जाय कहियो मोरे प्यारे जेठजी से,
सोने का गगरी मंगा दे, छोटी रानी पानी को जैइहैं.
जाय कहियो मोरे प्यारे देवर जी से,
रेशम की रस्सी मंगा दें, भौजी रानी पानी को जइहैं.
जाय कहियो मोरे प्यारे सैंया जी से,
गगरी में हाथ लगाइ दें, तोरी रानी पानी को जइहैं.

27.हम तुम दोनों रहेंगे, सदा घुंघरू बजेंगे

हम तुम दोनों रहेंगे, सदा घुंघरू बजेंगे,
दुल्हा-दुल्हन बनेगें, सदा घुंघरू बजेंगे.
तुम्हारा भाई हमारा साला, अड़ियल टट्टू दिल का काला,
डंडा मारा करेंगे, हम तुम दोनों रहेंगे.
तुम्हारा भाई हमारा जेठ, उसका भटके जैसा पेट,
मटका फोड़ा करेंगे, हम तुम दोनों रहेंगे
तुम्हारी बहन तिरही आड़ी, जैसे बेपहिये की गाड़ी,
धक्का मारा करेंगे, हम तुम दोनों रहेंगे.
तुम्हारी बहन हमारी साली, वो तो फूलों की है डाली
खुश्बू सूंघा करेगें, हम तुम दोनों रहेंगे.
तुम्हारी मां हमारी सास, वो तो चूल्हे की है राख,
बर्तन मांजा करेंगें, हम तुम दोनों रहेंगे.
हमारी माँ तुम्हारी सास, वो तो मैके की है आस
मैके जाया करेंगे हम तुम दोनों रहेंगे.

28.क्या सासू जी लटको झटको, क्या मटकावो कूल्हे

क्या सासू जी लटको झटको, क्या मटकावो कूल्हे,
डोले में से जब उतरूंगी, अलग करूंगी चूल्हे।
कौन करेगा चौका बरतन कौन भरेगा पानी,
कौन करेगी मेरी रसोई, मैं तो घर की रानी।
ससुर करेगा चौका बर्तन, जेठ मरेगा पानी,
नन्द करेगी मेरी रसोई, मैं तो घर की रानी।

29. नई झुलनी के छैया बलम दुपहरिया बिताय लो

नई झुलनी के छैया बलम दुपहरिया बिताय लो।
चार महीना के बरखा परत है,
भीगे रे हमरी चुनरिया, बलम तनि बंगला छवाई दो।
नई झुलनी के छैया –
चार महीना के गर्मी पड़त हैं,
टप टप चुए रे पसीना, बलम तनि पंखा डुलाय दो।
नई झुलनी के छैया –
चार महीना के जाड़ा पड़त है,
थर थर काँपे बदनवा बलम तनि गलवा लगाय लो,
नई झुलनी के छैया –

30.बलम हमका लइ ना गये

बलम हमका लइ ना गये।
चार महीना की गरमी पड़त है,
टप -टप चुवत पसिनवा, बलम हमका लइ ना गये।
चार महीना का बरखा पड़त है,
टप-टप चुवत बँगलवा, बलम हमका लइ ना गये।
चार महीना का जाड़ा पड़त है,
थर-थर काँपै बदनवा, बलम हमका लइ ना गये।

31.भूसा बिकाय मोहे लाए दियो लटकन

भूसा बिकाय मोहे लाए दियो लटकन।
भूसा बिक जइहैं तो बैल क्या खइहैं -2
बैला बिकाय मोहे लाए दियो लटकन।
बैल बिक जइहैं तो खेती कैसे हुइहैं -2
खेतवा बिकाय मोहे लाए दियो लटकन।
खेत बिक जइहैं तो हम क्या खइहैं -2
आपहिं बिकाय मोहे लाए दियो लटकन।
भूसा बिकाय मोहे लाए दियो लटकन।

32.डू नॉट टच माई अंचरवा मोहन रसिया

डू नॉट टच माई अंचरवा मोहन रसिया।
आई एम द डॉटर ऑफ़ वृन्दावन की,
यू आर द सन ऑफ़ गोकुल रसिया।
आई एम द ब्यूटीफुल फेयर कलर की,
यू आर द हैंडसम काले साँवरिया।
आई एम गोइंग फॉर पनिया भरन को,
यू आर कमिंग टू मिलन रसिया।

33. मैं तो चंदा जैसी नार, राजा क्यों लाए सौतिनिया 

मैं तो चंदा जैसी नार, राजा क्यों लाए सौतिनिया।
जो मैं होती अंधी कानी तो लाते सौतिनिया,
मेरे हिरनी जैसे नैन राजा क्यों लाए सौतिनिया।
मैं तो चंदा जैसी ———-
जो मैं होती लँगड़ी लूली तो लाते सौतिनिया,
मेरी हंसनी जैसी चाल राजा क्यों लाए सौतिनिया।
मैं तो चंदा जैसी ———-
जो मैं होती गाँव गँवारन तो लाते सौतिनिया,
मैं तो B.A , M.A पास राजा क्यों लाए सौतिनिया।
मैं तो चंदा जैसी ———-
जो मैं होती बाँझ बँझारन तो लाते सौतिनिया,
मेरे दो दो सुंदर लाल राजा क्यों लाए सौतिनिया।
मैं तो चंदा जैसी ———-

34. मोरी कदर न जानी रे अनाड़ी बलमा

मोरी कदर न जानी रे अनाड़ी बलमा
हमने कहा था राजा पान ले के आना,
उन्ने पीपलिया हिला दी रे अनाड़ी बलमा, मोरी कदर ———
हमने कहा था राजा कत्था ले के आना,
उन्ने कलकत्ता पहुँचाय दई रे अनाड़ी बलमा, मोरी कदर ———
हमने कहा था राजा चूना ले के आना,
उन्ने जूनागढ़ पहुँचाय दई रे अनाड़ी बलमा, मोरी कदर ———
हमने कहा था राजा छाली ले के आना,
उन्ने गूलरिया हिला दई रे अनाड़ी बलमा, मोरी कदर ———
हमने कहा था राजा पंखा ले के आना,
उन्ने छप्परिया हिला दई रे अनाड़ी बलमा, मोरी कदर ———
हमने कहा था राजा मेले ले के जाना,
उन्ने मूड़रिया हिला दई रे अनाड़ी बलमा, मोरी कदर ———

35.छोटे से हमारे बालमा, गोदी के हमारे बालमा

छोटे से हमारे बालमा, गोदी के हमारे बालमा।
चलता मुसाफिर यूँ कहे, गोदी का तुम्हारा क्या लगे,
मारे सरम के मर गई, गोदी से पटक दिये बालमा।
खेतों में पटक दई गागरी, रेती में पटक दिये बालमा,
खेतों में बिखर गई गागरी, रेती में सुबक रहे बालमा।
मारे सरम के मर गई, गोदी में उठा लिए बालमा,
चलता मुसाफिर कुछ भी कहे, गोदी के हमारे बालमा।

36.हय आने दो, हय आने दो परदेसी बलम को

हय आने दो, हय आने दो परदेसी बलम को,
एक एक की दो दो लगा दूँगी।
आप तो लूँगी रेसम की साड़ी, सइयाँ को सूट सिला दूँगी,
सास मरी को, हय सास मरी को, फटी सी साड़ी,
ऊपर से पैबंद लगा दूँगी, हय आने दो ——-
आप तो खाऊँ लड्डू पेड़े, सइयाँ को रबड़ी खिला दूँगी,
सास मरी को, हय सास मरीg को, रूखी सूखी रोटी,
ऊपर से नोन लगा दूँगी, हय आने दो ——-
आप तो पीऊँ सोडा लेमन, सइयाँ को कोक पिला दूँगी,
सास मरी को, हय सास मरी को, तत्ता सा पानी,
ऊपर से मिर्ची मिला दूँगी, हय आने दो ——-
आप रहूँगी कोठी बँगला, सइयाँ को संग बुला लूँगी,
सास मरी को, हय सास मरी को, टूटी झोंपड़िया,
ऊपर से छप्पर छवा दूँगी, हय आने दो ——-

37.दुखड़ा कासे कहूँ मोरी गुइयाँ

दुखड़ा कासे कहूँ मोरी गुइयाँ
दुखड़ा कासे कहूँ मोरी गुइयाँ, अरे सइयाँ बड़े जलइया।
पाँच बरस की मैं ब्याह को आई,
ढाई, ढाई, अरे ढाई बरस के सइयाँ, दुखड़ा कासे ——-
तेल लगाऊँ, फुलेल लगाऊँ,
थपक थपक मैं सइयाँ को सुलाऊँ, दुखड़ा कासे ——-
थपकत थपकत आँख मोरी लग गई,
अरे सइयाँ को, सइयाँ को लै गई बिलइया, दुखड़ा कासे ——-
आँगन में ढूँढ आई, चौतरे पे देख आई,
नाली में, अरे नाली में करें छपक छइयाँ, दुखड़ा कासे ——-

38.मैं रेशम का तार री ननदिया, मैं सोने का तार री ननदिया

मैं रेशम का तार री ननदिया, मैं सोने का तार री ननदिया।
मेरे ससुर के सात हैं बेटे, मैं काले को ब्याही री ननदिया।
दिल्ली शहर में लागी बजरिया, काले को बेचन गई री ननदिया।
मैं रेशम का तार ——
गाजर-मूली सब कोई लेवे, काले को कोई ना लेवे री ननदिया।
वहीं छोड़ मैं घर को चल दी, पीछे से फुदकता आया री ननदिया।
मैं रेशम का तार ——
अट्टे के ऊपर छोटी अटरिया, उसी में बन्द कर आई री ननदिया।
सुबह सवेरे ताला खोला,व काले से गोरा पाया री ननदिया।
मैं रेशम का तार ——

39.बड़े गज़ब की बात

बड़े गज़ब की बात,
बलम को लै गई बिलइया रात।
ना थे भूखे, ना थे प्यासे, सोए थे खाकर भात,
बलम को लै गई बिलइया रात।
ना थे छोटे, ना थे मोटे, छह बच्चों के बाप,
बलम को लै गई बिलइया रात।
ना थे इकले, ना थे दुकले, सोई थी लेकर साथ,
बलम को लै गई बिलइया रात।
ना थे भूखे, ना थे प्यासे, सोए थे खाकर भात,
बलम को लै गई बिलइया रात।

40.अटरिया पे चोर बीबी दीवा जलइओ

अटरिया पे चोर बीबी दीवा जलइओ।
मेरा बलम तो लम्बा लम्बा,
यह नाटा नाटा कौन, बीबी दीवा जलइओ, अटरिया पे ——-
मेरा बलम तो गोरा गोरा,
यह काला काला कौन, बीबी दीवा जलइओ, अटरिया पे ——-
मेरा बलम तो दुबला पतला,
यह मोटा मोटा कौन, बीबी दीवा जलइओ, अटरिया पे ——-
मेरे बलम की तो मूँछें नहीं हैं,
यह मूँछों वाला कौन, बीबी दीवा जलइओ, अटरिया पे ——-
मेरे बलम की तो बाँकी चितवन,
यह ऐंचकताना कौन, बीबी दीवा जलइओ, अटरिया पे ——-
मेरे बलम तो गए नौकरी,
नन्दोई जैसा कौन, बीबी सोटा लगइओ, अटरिया पे ——-
(बहुत से हिन्दी भाषी क्षेत्रों मे ननद को बीबी या बीबीजी कहने का रिवाज है)

41.क्या क्या बनाऊँ साग सब्जी बताते जाना

क्या क्या बनाऊँ साग सब्जी बताते जाना।
कद्दू तो राजा मेरे मैं ना बनाऊँगी, ना ही बनाऊँगी घुँइयाँ,
मोटा सा कद्दू मुझे सुसर लगत है, घुँइयाँ लगे सासुलिया,
बताते जाना।
बैंगन तो राजा मेरे मैं ना बनाऊँगी, ना ही बनाऊँगी भिंडी,
काला सा बैंगन मोहे जेठ लगत है, भिंडी लगे जेठनिया, बताते जाना।
आलू तो राजा मेरे मैं ना बनाऊँगी, ना ही बनाऊँगी तोरी, बताते जाना।
गोल बेडौल आलू देवर लगत है, तोरी लगे देवरनिया, बताते जाना।
चटनी टमाटर की मैं ना बनाऊँगी, ना ही बनाऊँगी मिर्ची, बताते जाना।
लाल टमाटर नन्दोई लगत है, मिर्ची लगे नन्दुलिया, बताते जाना।

42.छोटी मिरच बड़ी तेज सजना, मोहे छोटी न जानो

छोटी मिरच बड़ी तेज सजना, मोहे छोटी न जानो।
जैसे सड़क पर कार चलत है,
ऐसे चलाय दऊँ तोहे सजना, हाँ हाँ तोहे सजना,
मोहे छोटी न जानों।
जैसे गगन में पतंग उड़त है,
ऐसे उडाय दऊँ तोहे सजना, हाँ हाँ तोहे सजना,
मोहे छोटी न जानों।
जैसे हाट में ककरी बिकत है,
ऐसे बेच आऊँ तोहे सजना, हाँ हाँ तोहे सजना,
मोहे छोटी न जानों।

43.वो रतियाँ खेली घनसारी, बलम तोसे हार गई

वो रतियाँ खेली घनसारी, बलम तोसे हार गई।
टीका भी हारी राजा, झूमर भी हारी,
हार गई छल्ला निशानी, बलम तोसे हार गई।
माला भी हारी राजा, झुमके भी हारी,
हार गई पायल निशानी, बलम तोसे हार गई।
तगड़ी भी हारी राजा, गुच्छा भी हारी,
हार गई कंगन निशानी, बलम तोसे हार गई।
लहँगा भी हारी राजा, चूनर भी हारी,
हार गई अँगिया निशानी, बलम तोसे हार गई।
छल से भी हारी राजा, बल से भी हारी,
हारी मैंने बारी जवानी, बलम तोसे हार गई।
(घनसारी – बादल के समान काली)

44.ले लो बलम गोदी ले लो, तुम्हारी सजनी डूबी जाय

ले लो बलम गोदी ले लो, तुम्हारी सजनी डूबी जाय
जब नदिया पैरों तक आई, ले लो बलम गोदी ले लो,
हमारी पायल भीजी जाय, नदिया गहरी ——-
जब नदिया घुटनों तक आई, ले लो बलम गोदी ले लो,
हमारा लहँगा भीजा जाय, नदिया गहरी ——-
जब नदिया मेरी कमर पे आई, ले लो बलम गोदी ले लो,
हमारी चुनरी भीजी जाय, नदिया गहरी ——-
जब नदिया गरदन तक आई, ले लो बलम गोदी ले लो,
हमारा नेकलेस भीजा जाय, नदिया गहरी ——-
जब नदिया मेरे सिर तक आई, ले लो बलम गोदी ले लो,
तुम्हारी सजनी डूबी जाय, नदिया गहरी ——-

45.काहे को देओ पिया गारी रे, पिया गारी रे, जरा धीरे पुकारो

काहे को देओ पिया गारी रे, पिया गारी रे, जरा धीरे पुकारो।
सास भी जागै ननदिया भी जागै ,
कैसे आऊँ चितसारी रे, चितसारी रे, जरा धीरे पुकारो।
माँ भी सो गई बहनिया भी सो गई ,
छमछम आओ चितसारी, रे चितसारी, जरा धीरे पुकारो।
उँगली पकड़कर पहुँचा जो पकड़ा,
फट गई रेशम सारी रे, हाँ हाँ सारी रे, जरा धीरे पुकारो।
एक के बदले दो दो दिला दूँ, एक के बदले साड़ी दो दो दिला दूँ,
कंठ से लग जाओ प्यारी, रे जरा प्यारी रे, जरा धीरे पुकारो।
(चितसारी = चित्रशाला का अपभ्रंश, अटारी जिसकी दीवारों पर चित्र बने या लगे हों।)

46.जीजी से कर के बहाना, जीजाजी मेरे कमरे में आना

जीजी से कर के बहाना, जीजाजी मेरे कमरे में आना।
मेरे कमरे की, खिड़की खुली है, चुपके से चले आना,
जीजाजी मेरे ——–
सोने की थाली में, छै रस व्यंजन, खा के खिला के चले जाना,
जीजाजी मेरे ——–
आले का लोटा, हिमाले का पानी, पी के पिला के चले जाना,
जीजाजी मेरे ——–
मघई पान का, बीड़ा लगाया, चब के चबा के चले जाना,
जीजाजी मेरे ——–
दीपक की जोत में, चौपड़ बिछाई, जीत हार कर जाना,
जीजाजी मेरे ——–
लाल पलंग पर धौरी चद्दर, सो के सुला के चले जाना,
जीजाजी मेरे ——–

47.ससुर घर मन ना लगे मोरी गुइयाँ

ससुर घर मन ना लगे मोरी गुइयाँ।
सो मोरी गुइयाँ, सुसरे की बड़ी-बड़ी मूंछें
मैं कैंची से काट आई हो मोरी गुइयाँ ॥ ससुर घर ———-
सो मोरी गुइयाँ, सासुल का रेशम का बटुआ
मैं चूल्हे में झोंक आई, हो मोरी गुइयाँ ॥ ससुर घर ———-
सो मोरी गुइयाँ, जेठा की बड़ी-बड़ी बहियाँ
मैं स्याही बखेर आई, हो मोरी गुइयाँ ॥ ससुर घर ———-
सो मोरी गुइयाँ, जिठनी की पचरंग चुनरी
मैं कूएँ में डाल आई, हो मोरी गुइयाँ ॥ ससुर घर ———-
सो मोरी गुइयाँ, देवर की बड़ी-बड़ी फुटबलिया
मैं हवा निकाल आई, हो मोरी गुइयाँ ॥ ससुर घर ———-
सो मोरी गुइयाँ, ननदी की छोटी-छोटी गुड़ियाँ
पड़ोसी के फैक आई हो मोरी गुइयाँ ॥ ससुर घर ———-

48.चुनर हमने दे डाली रे, जब माँगन को आया फकीरा

चुनर हमने दे डाली रे, जब माँगन को आया फकीरा।
ससुर सुनेगा हम्ररा क्या रे करेगा,
सास हमने दे डाली रे, जब माँगन को आया फकीरा।
ससुर सुनेगा, अपना करम ठोकेगा,
तुझमें बजाएगा डंडा,
सास तूने दे डाली रे, जब माँगन को आया फकीरा ॥ चुनर हमने —-
जेठ सुनेगा हम्ररा क्या रे करेगा,
जिठानी हमने दे डाली रे, जब माँगन को आया फकीरा।
जेठ सुनेगा, अपना सिर कूटेगा,
तुझमें बजाएगा डंडा,
जिठानी तूने दे डाली रे, जब माँगन को आया फकीरा ॥ चुनर हमने —-
राजा सुनेंगे हम्ररा क्या रे करेंगे,
ननद हमने दे डाली रे, जब माँगन को आया फकीरा ॥ चुनर हमने —-
राजा सुनेंगे, दूजा ब्याह करेंगे,
तुझे पठा देंगे पीहर,
ननद तूने दे डाली रे, जब माँगन को आया फकीरा ॥ चुनर हमने —-

49.मैं उल्टा पुल्टा कर आई नींद के मारे

मैं उल्टा पुल्टा कर आई नींद के मारे।
हमरे बलम जी ने कंघा माँगा,
मैं शीशा पकड़ा आई नींद के मारे ॥ मैं उल्टा पुल्टा —-
हमरे बलम जी ने कुरता माँगा,
मैं लहँगा पकड़ा आई नींद के मारे ॥ मैं उल्टा पुल्टा —-
हमरे बलम जी ने टोपी माँगी,
मैं चोली पकड़ा आई नींद के मारे ॥ मैं उल्टा पुल्टा —-
हमरे बलम जी ने ललना माँगा,
मैं गुड़िया पकड़ा आई नींद के मारे ॥ मैं उल्टा पुल्टा —-

50.जो मन में आए सोई ले ले ननदिया

जो मन में आए सोई ले ले ननदिया
तेरा जिया चाहे सोई ले ले ननदिया—2

बरतन नहीं दूँगी मेरे चौके का सिंगार हैं
बरतन में से चम्मच दूँगी —-2, डंडी लूँगी तोड़ ननदिया ॥
तेरा——
कपड़े नहीं दूँगी मेरे बक्सों का सिंगार हैं
कपडों में से अँगिया दूँगी—- 2, बंद लूँगी तोड़ ननदिया ॥
तेरा —–
गहने नहीं दूँगी मेरे तन का सिंगार हैं
गहनों में से आरसी दूँगी — 2, छल्ला लूँगी तोड़ ननदिया ॥
तेरा –

51.मेरा नौं डांडी का बीजना, मेरे ससुर ने दिया गड़वाय  

मेरा नौं डांडी का बीजना, मेरे ससुर ने दिया गड़वाय,
झनाझन बाजे बीजना जी मेरा नौं डांडी का बीजना
मेरी सास कहे बहू पीस ले,
मेरे राजा जी हिलावे हाथ, छाले पड़ जाए हाथ में
अरे छाले पड़ जाए हाथ में
मेरा नौ डांडी का बीजना, मेरे जेठा जी ने दिया गड़वाय
झनाझन बाजे बीजना
मेरी जिठानी कहे बहू छान ले,
मेरे राजा जी हिलावे हाथ, काली पड़ जाए धूप में
अरे काली पड़ जाए धूप में
मेरा नो डांडी का बीजना मेरे देवर ने दिया गढ़वाय झनाझन बाजे बीजना
मेरी देवरानी कहे दीदी गूँध ले,
मेरे राजा जी हिलावे हाथ उंगली मुड़ जाए चून में
अरे उंगली मुड़ जाय चून में
झनाझनबाजे बीजना मेरा नौं डांडी का बीजना

52. हाय लग न जाए नज़रिया हमको

हय लग न जाए नजरिया हमको।
हमरे ससुर ने गहने गढ़वाए,
हय सब से भारी तगरिया हमको॥
हय लग न जाए —
हमरे जेठ ने कपड़े बनवाए,
हय फूलन वारी चुनरिया हमको॥
हय लग न जाए —
हमरे देवर ने महल बनवाए,
हय खिड़की वारी अटरिया हमको॥
हय लग न जाए —
हमरे बलम ने सेज सजाई,
हय रेसम वारी चदरिया हमको॥
हय लग न जाए —

53. तगरी सोने की

तगरी सोने की, हय हय तगरी सोने की
दइयो बनवाय, तगरी सोने की।
मैं तो गई हाथरस मंडी, मैंने एक जनी पे देखी,
मेरो वाई दिन से, हय वाई दिन से
जिया ललचाय, तगरी सोने की।
पिया दिल्ली शहर को जइयो, अच्छो सो सोनो लइयो,
अरे मेरठ में, अजी मेरठ में
दइयो गढ़वाय, तगरी सोने की।
मैं तो तगरी पहन भई ठारी, मेरे दुनिया परी अगारी,
मेरो वाई दिन से, हय वाई दिन से
जिया घबराय, तगरी सोने की।
पिया शहर आगरे जइयो, व्हाँ से स्यानों वैदा लइयो,
मेरी दइयो जी, एजी दइयो जी
नबज़ दिखवाय, तगरी सोने की।

54. उढ़वाय देओ चुनरिया

उढ़वाय देओ चुनरिया हाय रे पिया,
तेरा दिल तो हजरिया, हाय रे पिया।
चुनरी ओढ़ मैं अंगना में ठाड़ी,
मोहे लग गई नजरिया, हाय रे पिया।
दिल्ली शहर से वैदा बुलवाओ,
दिखवाय देओ नबजिया, हाय रे पिया।
वैदा को लड़का बड़ो रंगीलो,
उन्ने माँगी ननदिया, हाय रे पिया।
सइयाँ हमारे बड़े भोले भाले,
विन्ने दै दई ननदिया, हाय रे पिया।
देवर हमारे बड़े नटखटिया,
विन्ने छीन लइ ननदिया, हाय रे पिया।

55. लटकनिया हमारी गली में गिरी

लटकनिया हमारी गली में गिरी।
मैने तो जानी बागन में गिरी,
वो तो मालिन बिचारी को चोरी लगी ॥
लटकनिया हमारी —-
मैने तो जानी तालन पे गिरी,
वो तो धोबिन बिचारी को चोरी लगी ॥
लटकनिया हमारी —-
मैने तो जानी कुअटन पे गिरी,
वो तो धीमरी बिचारी को चोरी लगी ॥
लटकनिया हमारी —-
मैने तो जानी महलन में गिरी,
वो तो ननदी बिचारी को चोरी लगी ॥
लटकनिया हमारी —-
मैने तो जानी सेजन पे गिरी,
वो तो राजा जी बोले गली में मिली ॥
लटकनिया हमारी —-

56. ननदिया चली गयी सुनो पिया लड़ के

ननदिया चली गयी सुनो पिया लड़ के
जिठानी को सौ रुपये सासुल को दो सौ
ननदिया को दिए पिया छह सौ रुपये गिन के
ननदिया चली गईं सुनो पिया लड़ के
सासुल को कंगन दिए जिठानी को झाले
ननदिया को दिया पिया हार हीरे जड़ के
ननदिया चली गईं सुनो पिया लड़ के
जिठानी को सूट दिया सासुल को साड़ी
ननदिया को दिया पिया लहंगा मोती जड़ के
ननदिया चली गईं सुनो पिया लड़ के

57. काला री बालम मेरा काला

काला री बालम मेरा काला ।
जेठ गए दिल्ली ससुर बम्बई,
काला गया री कलकत्ता नगरिया ,
काला री बालम मेरा काला ।
जेठ लाए लड्डू ,ससुर लाए बर्फ़ी,
काला लाया री काली गाजर का हलुआ,
काला री बालम मेरा काला ।
जेठ लाए साड़ी ,ससुर लाए लहँगा,
काला लाया री ,काली साटन की अँगिया,
काला री बालम मेरा काला ।
जेठ लाए गुड्डा ,ससुर लाए गुड़िया
काला लाया री ,काली कुतिया का पिल्ला ,
काला री बालम मेरा काला ।

58. कजरा बिकन को आया रे, कजरा ले लो कजरा

कजरा बिकन को आया रे, कजरा ले लो कजरा।
द्योरानी जेठानी ने धेले का लीना,
सासुल ने रुपया निकाला रे, कजरा ले लो कजरा।
द्योरानी जेठानी ने डिबिया में रक्खा,
सासुल ने मटका सँभाला रे, कजरा ले लो कजरा।
द्योरानी जेठानी ने सलाई से साला,
सासुल ने मूसल सँभाला रे, कजरा ले लो कजरा।
द्योरानी जेठानी ने शीशे में देखा,
सासुल ने बुड्ढा बुलाया रे, कजरा ले लो कजरा।

59. अटरिया से उतरे जी हमरे साँवरिया

अटरिया से उतरे जी हमरे साँवरिया,
वो चुपके चुपके बोल गए हमरे साँवरिया।

सास मुझसे पूछे, ननद मुझसे पूछे,
तुम्हें क्या कह गए तुम्हरे साँवरिया।
पीसन को मना कर गए, पोवन को मना कर गए,
खाने को हमसे कह गए, हमरे साँवरिया, अटरिया से ———-

जिठानी मुझसे पूछे द्योरानी मुझसे पूछे,
तुम्हें क्या कह गए तुम्हरे साँवरिया।
चौके को मना कर गए, बरतन को मना कर गए,
बैठन को हमसे कह गए, हमरे साँवरिया, अटरिया से ———-

अड़ोसन मुझसे पूछे पड़ोसन मुझसे पूछे,
तुम्हें क्या कह गए तुम्हरे साँवरिया।
झाड़ू को मना कर गए, पोंछे को मना कर गए,
सोने को हमसे कह गए, हमरे साँवरिया, अटरिया से ———-

60. हुई कैसी तबाही राम कैसे बताऊँ 

हुई कैसी तबाही राम कैसे बताऊँ।
पहली बार मैं सास के आई, मुझे अट्टे पे सुलाया राम कैसे बताऊँ

अट्टे पे सुलाया मुझे अट्टे पे सुलाया, मुझे भूख लग आई राम कैसे बताऊँ
भूख लग आई मुझे भूख लग आई, वो तो बर्फी ले के दौड़े राम कैसे बताऊँ
बर्फी ले के दौड़े वो तो बर्फी ले के दौड़े, मैंने एक टुकड़ा खाया राम कैसे बताऊँ ।

एक टुकड़ा खाया मैंने एक टुकड़ा खाया, मुझे प्यास लग आई राम कैसे बताऊँ
प्यास लग आई मुझे प्यास लग आई, वो तो शरबत ले के दौड़े राम कैसे बताऊँ
शरबत ले के दौड़े वो तो शरबत ले के दौड़े, मैंने एक घूँट पिया राम कैसे बताऊँ

एक घूँट पिया मैंने एक घूँट पिया, मुझे ठंड लग आई राम कैसे बताऊँ
ठंड लग आई मुझे ठंड लग आई, वो तो कंबल ले के दौड़े राम कैसे बताऊँ
कंबल ले के दौड़े वो तो कंबल ले के दौड़े, मैंने एक कोना ओढ़ा राम कैसे बताऊँ ।

एक कोना ओढ़ा मैंने एक कोना ओढ़ा, मुझे गर्मी लग आई राम कैसे बताऊँ
गर्मी लग आई मुझे गर्मी लग आई, वो तो पंखा ले के दौड़े राम कैसे बताऊँ
पंखा ले के दौड़े वो तो पंखा ले के दौड़े, मुझे नींद लग आई राम कैसे बताऊँ

नींद लग आई मुझे नींद लग आई, वो तो डंडा ले के दौड़े राम कैसे बताऊँ
डंडा ले के दौड़े वो तो डंडा ले के दौड़े, मैं ज़ोरों से चिल्लाई राम कैसे बताऊँ
ज़ोरों से चिल्लाई मैं तो ज़ोरों से चिल्लाई, मुझे सास बचाने आई राम कैसे बताऊँ
हुई कैसी तबाही राम कैसे बताऊँ।

61. कदर मोरी ना जानी, ओ राजा जानी 

कदर मोरी ना जानी, ओ राजा जानी।
जो राजा तुझे खाने का शौक है, आ जा रसोई के बीच,
करूँ तेरी मेजबानी, ओ राजा जानी।
जो राजा तुझे पीने का शौक है, आय जा जमुना के तीर,
पिलाऊँ तुझे ठंडा पानी, ओ राजा जानी।
जो राजा तुझे चौपड़ का शौक है, आ जा हवेली के बीच,
खिलाऊँ तुझे दिलजानी, ओ राजा जानी।
जो राजा तुझे पढ़ने का शौक है, आ जा तू आँगन के बीच,
करा दूँ तुझे याद नानी, ओ राजा जानी।
जो राजा तुझे कुश्ती का शौक है, आ जा अखाड़े के बीच,
दिखाऊँ तुझे पहलवानी, ओ राजा जानी।
जो राजा तुझे लड़ने का शौक है, आ जा कचहरी के बीच,
कराऊँ तुझे काला पानी, ओ राजा जानी।
जो राजा तुझे तलब लगी है, आ जा अटरिया के बीच,
कराऊँ तुझे मनमानी, ओ राजा जानी।

62. लै चल मेले में भरतार, पड़ूँ मैं तोरे पइयाँ 

लै चल मेले में भरतार, पड़ूँ मैं तोरे पइयाँ

पड़ूँ मैं तोरे पइयाँ, और करूँ निहोरे सइयाँ,
लै चल मेले में भरतार, पड़ूँ मैं तोरे पइयाँ

मैं ठाड़ी हुकम चलाऊँ, तेरे घर की नार कहाऊँ,
मैंने कर लियो साज सिंगार, अब देर करो मत सइयाँ,

मेरी गाँठ न फूटो धेला, बिन पैसन कैसो मेला,
का पे माँगन जाऊँ उधार, हठ छोड़ दे मोरी गुइयाँ।

तेरी गरज पड़े तो अइयो, चल छोड़ दै मेरी बहियाँ।
तुम्हें छोड़ के पीहर जाऊँ, फिर लौट कभी ना आऊँ,

क्यों रूठ गई मेरी प्यारी, कर मेले की तैयारी,
तोपे तन मन दऊँ निसार, मैं लै लऊँ तेरी बलइयाँ,

63. मोरा सैयाँ अभागा न जागा  

मोरा सैयाँ अभागा न जागा
नकबेसर कागा ले भागा, हाय सैंयां अभागा ना जागा,

उड़-उड़ कागा मोरी बिन्दिया पे बैठा
अरे मोरे माथे का सब रस ले भागा,
नकबेसर कागा ले भागा, अरे मोरा सैंयाँ अभागा ना जागा,

उड़-उड़ कागा मोरी नथुनी पे बैठा
मोरे होंठ्वा का सब रस ले भागा,
नकबेसर कागा ले भागा, जुल्मी सैंयाँ अभागा ना जागा,

उड़-उड़ कागा मोरे करधन पे बैठा
पापी जोबना का सब रस ले भागा मोरा
अरे नकबेसर कागा ले भागा, मोरा सैंयां अभागा ना जागा

64. चूनर जयपुर की पचरंगी, मोकू लाय दे लांगुरिया 

चूनर जयपुर की पचरंगी, मोकू लाय दे लांगुरिया,
ला दे लांगुरिया, कै मोकू लाय दे लांगुरिया,
चूनर जयपुर की पचरंगी ….
चारो कोने चार रंग के, बीच लहरिया होय,
कभी न फीकी पड़े, धुबनिया चाहे जितनी धोय,
चूनर जयपुर की पचरंगी….
ऐसी चूनर होय के जामें, चंदा तारे चमकें,
हीरा पन्ना जड़ी किनारी, मोती दम दम दमकें,
चूनर जयपुर की पचरंगी….
चूनर ओढ़ चलूँ तेरे संग में, मैया के दरबार,
मैं नाचूँ और तोय नचाऊँ, छमछम सौ सौ बार,
चूनर जयपुर की पचरंगी….

65. अँगना में राजा कुआँ खुदवइयो 

अँगना में राजा, कुआँ खुदवइयो
ऐसो कुआँ खुदवइयो मोरे राजा
जिसके हों राजा, ऊँचे नीचे पाट
एक लंग राजा हम पनिया भरत हों
दूजी लंग राजा तुम, मल मल न्हाओ

ऐसी बगिया लगवइयो मोरे राजा
जिसमें हों राजा, अमवा अनार
एक लंग बोलें राजा मोर पपीहरा
दूजी लंग राजा, कोयलिया कुकाय

ऐसी मेहँदी मँगाओ मोरे राजा
छुअत हथेली, चुए रंग लाल
एक लंग काढूँ राजा लहर लहरिया
दूजी लंग राजा, नाम तुम्हार

ऐसी चुड़ियाँ मँगाओ मोरे राजा
जिनपे हो राजा, अजब बहार
एक लंग दीखेँ राजा रंग बिरंगी
दूजी लंग राजा, झलक तुम्हार

ऐसी चूनर मँगाओ मोरे राजा
जिसके होंए राजा, झिलमिल तार
एक लंग राजा तोसे नैना मिलत हों
दूजी लंग राजा छुपे मुखड़ा हमार

66. कोऊ दिन उठ गयो मेरा हाथ 

कोऊ दिन उठ गयो मेरा हाथ,
बलम तोहे ऐसा मारूंगी,
ऐसा मारूंगी बलम तोहे ऐसा मारूंगी,
चिमटा मारूं बेलन मारूं फुंकनी मारूंगी,
जो बालम तेरी मैया बचावै,
वाकी चुटिया उखाड़ूंगी,
थाली मारूं कटोरी मारूं चमचा मारूंगी,
जो बालम तेरी बहना बचावै,
वाकी चुनरी फाड़ूंगी,
लाठी मारूं डंडा मारूं झाडू मारूंगी,
जो बालम तेरो भैया बचावै,
वाकी मूंछे उखाड़ूंगी
कोऊ दिन उठ गयो मेरा हाथ,
बलम तोहे ऐसा मारूंगी

इस गीत को इस प्रकार से भी गाया जाता है –

किसी दिन उठ गया जो मेरा हाथ, बलम ऐसा मारूंगी
कभी देखा जो सौतन के साथ बलम ऐसा मारूंगी
अब तक देखी प्रेम नजरिया, अब गुस्सा भी देख सांवरिया
मैं तो गिरूंगी बनके बिजुरिया,
जरा होने तो दे बरसात, बलम ऐसा मारूंगी
देर से आना जल्दी जाना, रोज बनाना एक बहाना
कल देखूंगी आज तो माना,
कल भी हुई जो यही बात बलम ऐसा मारूंगी

67. मैं अलबेली गुदाय आई गुदना 

मैं अलबेली गुदाय आई गुदना
मैं जो गई पानी भरने संग गए सजना, टूट गयी रस्सी लटक गये सजना
मैं अलबेली…
मैं जो गई रोटी करने संग गए सजना, फूल गई रोटी पिचक गए सजना
मैं अलबेली…
मैं जो गई चोटी करने संग आये सजना, टूट गई कंघी चटक गए सजना
मैं अलबेली…

68. सास तो दुबली हो गई, बहुओं के आने से 

सास तो दुबली हो गई, बहुओं के आने से।
सास तूने क्या खाया था, जेठा के होने में,
बहू री मैंने गन्ने खाये, लाला के होने में,
तभी तो वो लंबे हो गए, गन्नों के खाने से ॥
सास तो दुबली —
सास तूने क्या खाया था, दिवरा के होने में,
बहू री मैंने जामुन खाये, लाला के होने में,
तभी तो वो काले हो गए, जामुन के खाने से ॥
सास तो दुबली —-
सास तूने क्या खाया था, ननदी के होने में,
बहू री मैंने मिर्चें खाईं, लाली के होने में,
तभी तो वो ततैया हो गई, मिरची के खाने से ॥
सास तो दुबली —-
सास तूने क्या खाया था, राजा के होने में,
बहू री मैंने गोले खाये, लाला के होने में,
तभी तो वो भोले हो गए, गोलों के खाने से ॥
सास तो दुबली –

69. बुरा हाल है राजा जी का, जिनकी दो दो घर वाली 

बुरा हाल है राजा जी का, जिनकी दो दो घर वाली।
खेतों में से राजा आए, बुला रही ऊपर वाली,
सीढ़ी लगा के लागे चढ़ने, खींच रही नीचे वाली।
वो क्या तुमरी लगे लुगाई, मैं क्या लगूँ मह्तारी,
ऊपर देखें नीचे देखें, भैकलयाए राजा जी,
बुरा हाल है ——-
(इसी प्रकार बागों से, तालों से, हाट से)
(भैकलयाए – घबराए हुए, जिसकी समझ में कुछ न आ रहा हो)

इसी थीम पर एक और लोकगीत है 

70. वो क्या करें जिनकी दो दो नारी 

वो क्या करें जिनकी दो दो नारी।
बड़की कहे हम जयपुर को जाएँगे, छुटकी करे दिल्ली की तैयारी।
वो क्या करें जिनकी दो दो नारी
बड़की कहे हम मेले को जाएँगे, छुटकी करे पीहर की तैयारी।
वो क्या करें जिनकी दो दो नारी
बड़की कहे रोटी छुटकी बनावे, छुटकी कहे आज बड़की की बारी।
वो क्या करें जिनकी दो दो नारी
बड़की कहे मोरे सइयाँ छबीले, छुटकी कहे मोरे सइयाँ अनाड़ी।
वो क्या करें जिनकी दो दो नारी

(दो तक तो बात फिर भी ठीक थी, जिन की तीन पत्नियां हों उन का हाल तो और भी बुरा है. देखिए -)

71. तीन तिरियों के बीच, फँस गए लाला जी 

तीन तिरियों के बीच, फँस गए लाला जी।
बड़ी कहे मैं लड्डू खाऊँ, बिचली कहे मैं पेड़ा खाऊँ,
सुन लो छोटी के बोल, समोसा खाऊँगी,
तीन तिरियों के ——
बड़ी कहे मैं शरबत पीऊँ, बिचली कहे मैं लेमन पीऊँ,
सुन लो छोटी के बोल, मैं बीअर पीऊँगी,
तीन तिरियों के ——
बड़ी कहे मैं लहँगा पहरूँ, बिचली कहे मैं साड़ी पहरूँ,
सुन लो छोटी के बोल, मैं गाउन पहरूँगी,
तीन तिरियों के ——
बड़ी कहे मैं मेला जाऊँ, बिचली कहे मैं सर्कस जाऊँ,
सुन लो छोटी के बोल, मैं सिनमा जाऊँगी,
तीन तिरियों के ——
बड़ी कहे मैं गंगा न्हाऊँ, बिचली कहे मैं जमुना न्हाऊँ,
सुन लो छोटी के बोल, त्रिवेणी न्हाऊँगी,
तीन तिरियों के ——
बड़ी कहे मैं खटिया सोऊँ, बिचली कहे मैं पलका सोऊँ,
सुन लो छोटी के बोल, सजन संग सोऊँगी,
तीन तिरियों के ——

72. करेजा पे लाग रही, मेरो जिया जाने 

करेजा पे लाग रही, मेरो जिया जाने।
सो मोरी सखी, राजा गए बंबई को,
झरोखों से झाँक रही मेरो जिया जाने।
सो मोरी सखी, राजा ने भेजी एक पाती,
मैं खड़ी खड़ी बाँच रही मेरो जिया जाने।
सो मोरी सखी, राजा ने भेजी एक साड़ी,
मैं दुलहन सी लाग रही मेरो जिया जाने।
सो मोरी सखी, राजा ले आए सौतिनिया,
मैं जल भुन के राख़ भई, मेरो जिया जाने।
सो मोरी सखी, सौतन ने जायो एक लल्ला,
मैं कूँआ में फेंक आई, मेरो जिया जाने।

73. ए धना चली अइयो अटरिया 

ए धना चली अइयो अटरिया, (धना – पत्नी के लिए संबोधन)
काहे के डंडा, काहे की सीढ़ी,
सोने के डंडा, चांदी की सीढ़ी,
काहे को पलका, काहे के तकिए,
चन्दन को पलका, रेशम के तकिया,
काहे की पिया धौरी रजइया।
मखमल की धना धौरी रजइया,
ए धना ——
दूध को बेला लै पान को बीड़ा,
कैसे आऊँ पिया तोरी अटरिया।
हाय सटासट चढ़ियो अटरिया,
ए धना ——
सास भी जागे, ननद भी जागे,
डर लागे कैसे आऊँ अटरिया।
घुँघटा कर चली अइयो अटरिया,
ए धना ——

74. फूल की थाली में जेवना लेकर आई

फूल की थाली में, जेवना लेकर आई।
दूध लाई बेले में, बूरे की बुरक लगाई।

पहले तो तुझे देखूँगा, गोरी है या काली।
मेरा तो क्या देखोगे, चन्दा सी उजियारी,
दूध लाई ——-
पहले तो तुझे नापूँगा, लम्बी है या छोटी।
मेरा तो क्या नापोगे, तुम्हरे जोड़ की आई,
दूध लाई ——-
अभी तो तुझे देखूँगा, पतली है या मोटी।
मेरा तो क्या देखोगे, साँचे की गढ़ी गढ़ाई,
दूध लाई ——-
अभी तो तुझे देखूँगा, कैसी सजी सजाई।
मेरा तो क्या देखोगे, तुम से माँग भराई,
दूध लाई ——-
(फूल – एक मिश्रधातु जिसमें चार भाग सीसा और एक भाग टिन होता है)

75.सावन झिर लागी, ओ धीरे- धीरे 

सावन झिर लागी, ओ धीरे- धीरे।
ओ राजा मोरे, मैं खड़ी खिरकिन में,
नजर मोहे लागी ओ धीरे- धीरे,
सावन झिर लागी – – –
ओ राजा मोरे मैं गई बगियन में
चुनर मोरी भीगे ओ धीरे- धीरे,
सावन झिर लागी – – –
ओ राजा मोरे खोलो न किवरिया,
डर मोहे लागे ओ धीरे- धीरे,
सावन झिर लागी – – –
ओ राजा मोरे मैं गई सेजियन पै,
सौत मौरी तरसे ओ धीरे- धीरे,
सावन झिर लागी – – –

76. तुम खाय लेओ कुमर कलेऊ

तुम खाय लेओ कुमर कलेऊ, लला मत सरमाओ।
पूड़ी लेओ कचौड़ी ले लेओ, ले लेओ लड्डू पेड़ा,
रबड़ी लेओ जलेबी ले लेओ, ले लेओ बालूसाई,
लला मत सरमाओ।
साग अचार रायता ले लेओ, ले लेओ सौंठ पड़ाके,
कचरी पापड़ मठरी ले लेओ, ले लेओ मोठ मँगौरी,
लला मत सरमाओ।
खाँड बताशे मिशरी ले लेओ, ले लेओ दूध मलाई,
आम अनार अंगूर ऊ ले लेओ, ले लेओ बेर नरंगी,
लला मत सरमाओ।
चाय कौफ़ी एस्प्रेसो ले लेओ, आइसक्रीम और कुल्फी,
सौंफ सुपारी ईलाइची ले लेओ, ले लेओ पान के बीड़ा,
लला मत सरमाओ।

77. किसने किया रे पानी में बिछौना 

किसने किया रे पानी में बिछौना
हमने किया रे पानी में बिछौना
ससुर हमारे, चौधरी और सास बड़ी तेताल
ओ हो रे दिन रात लड़त हैं, दइया रे दिन रात लड़त हैं,
किसने ——-
जेठ हमारे, पातले और पतली कमर बल खाय,
ओ हो रे नागिन से लिपट गए, दइया रे नागिन से लिपट गए,
किसने ——-
देवर हमारे हीजड़ा और हिजड़न के घर जायँ,
ओ हो रे ता थइया करत हैं, दइया रे ता थइया करत हैं,
किसने ——-
ननद हमारी बीजली और दमकत लचकत जायँ,
ओ हो रे काऊ छैला पे मर गईं, दइया रे किसी छैला पे मर गईं,
किसने ——-
नन्दोई हमारे बादरा और बरसत चारों ओर,
ओ हो रे मेरे अँगना बरस गए, हाँ जी हाँ मेरे अँगना बरस गए,
किसने ——-
सजन हमारे चन्द्रमा और चमकत चारों ओर,
ओ हो रे सेजों पे चमक गए, रामा रे सेजों पे चमक गए,
किसने ——-

78. तोड़न गई थी कलियाँ 

तोड़न गई थी कलियाँ, ओ मोरी गुइयाँ।
पहली कली जब तोड़न लागी,
काँटा चुभा उँगरिया ओ मोरी गुइयाँ।
दूजी कली जब तोड़न लागी,
फट गई मोर चुनरिया, ओ मोरी गुइयाँ।
तीजी कली जब तोड़न लागी,
सइयाँ ने रोकी डगरिया, ओ मोरी गुइयाँ।
चौथी कली जब तोड़न लागी,
सइयाँ ने पकड़ी कलइया, ओ मोरी गुइयाँ।
जो जो माँगा सो सो दीन्हा,
तब ही छोड़ी कलइया, ओ मोरी गुइयाँ।

79. मेरी काली मुर्गी खो गई ना, मेरा दिल ठिकाने नाहीं ना 

मेरी काली मुर्गी खो गई ना, मेरा दिल ठिकाने नाहीं ना।
सासू बोले री बहुरिया क्या पकाया खाना,
तुम रूखी सूखी खा लो ना, मेरा दिल ठिकाने नाहीं ना।
ससुर जी बोले री बहुरिया क्या पकाया खाना,
तुम बुढ़िया से बनवा लो ना, मेरा दिल ठिकाने नाहीं ना।
देवर बोले भाभी मेरी क्या पकाया खाना,
तुम अपनी जोरू लाओ ना, मेरा दिल ठिकाने नाहीं ना।
ननदी बोले री भौजाई क्या पकाया खाना,
तुम अपने घर को जाओ ना, मेरा दिल ठिकाने नाहीं ना।
साजन बोले ओ मेरी रानी क्या पकाया खाना,
तुम मुर्ग मुसल्लम खाओ ना, मैं अभी पका के लाई ना।
मेरी काली मुर्गी मिल गई ना, मेरा दिल ठिकाने आ गया ना।

80. कंगन मेरा खोया 

कंगन मेरा खोया जाने कौन डगरिया।
सोने का कंगना मेरे मन भाया, गिन गिन मोहरे मोल चुकाया,
अब ना मिलेगा ऐसा सारी नगरिया,
कंगन मेरा ——-
ननदी से पूछो देवर जी से पूछो, चौक में खड़े सिपहिया से पूछो,
पूछ के आओ राजा सारी नगरिया,
कंगन मेरा ——-
दूजा कंगन मैं गढ़वा दूँगा, हीरे मोती और लाल जड़वा दूँगा,
गोरी तुझपे वारूँ मैं मीना बजरिया,
कंगन मेरा ——-
गोरी काहे खोये कंगन की मतवारी, तू तौ बिना कंगन लगे मुझे प्यारी,
तू तो गोरी दमके जैसे बिजरी बदरिया,
कंगन मेरा ——-

81. लाए महाराजा हमें तो छल बल से 

लाए महाराजा हमें तो छल बल से।
सइयाँ तेरे राज में ओ राजा तेरे राज में,
कभी न पहनीं चुड़ियाँ, कलाई भर भर के,
लाए महाराजा ——-
सइयाँ तेरे राज में ओ राजा तेरे राज में,
कभी न ओढ़ी चुनरी, गोटा जड़ जड़ के,
गोटा जड़ जड़ के, किनारी जड़ जड़ के,
लाए महाराजा ——-
सइयाँ तेरे राज में ओ राजा तेरे राज में,
कभी न चाटी चटनी, चुटकी भर भर के,
चुटकी भर भर के, उँगलियाँ भर भर के,
लाए महाराजा ——-
सइयाँ तेरे राज में ओ राजा तेरे राज में,
कभी न खाए लड्डू, दोने भर भर के,
दोने भर भर के, जी मुखडा भर भर के,
लाए महाराजा ——-

82. सइयाँ गए हैं बज़रिया 

सइयाँ गए हैं बज़रिया, हाय जिया जल क्यों न जाय
सास को लाए लड्डू, ननद को लाए पेड़ा,
हमको ले आए रे दलिया, हाय जिया जल क्यों न जाय।
सास ने खाए लड्डू, ननद ने खाए पेड़ा,
छींके पे धर दियो दलिया, हाय जिया जल क्यों न जाय।
सास को लाए लहँगा, ननद को लाए साड़ी,
हमको ले आए चुनरिया, हाय जिया जल क्यों न जाय।
सास ने पहना लहँगा, ननद ने पहनी साड़ी,
पिटरे में धर दी चुनरिया, हाय जिया जल क्यों न जाय।
सास को लाए तोता, ननद को लाए मैना,
हमको ले आए बंदरिया, हाय जिया जल क्यों न जाय।
पिंजरे बैठे तोता, छज्जे पे फुदके मैना,
आँगन में कूदे बंदरिया, हाय जिया जल क्यों न जाय।

83. सइयाँ मिले सिलबिल्ले 

सइयाँ मिले सिलबिल्ले
सइयाँ मिले सिलबिल्ले, हाय मेरो कैसो नसीब।
ठेल ठाल मैं कुअटा पे लै गई,
फोरि आए गगरी, गिराय आए मोय, मेरो कैसो नसीब।
ठेल ठाल मैं चौका में लै गई,
फोरि आए बटला, हपोस आए खीर, मेरो कैसो नसीब।
ठेल ठाल मैं पीहर लै गई,
तोरि आए रिश्ता, लिवाय लाए मोय, मेरो कैसो नसीब।
ठेल ठाल मैं सेजन पे लै गई,
तोरि आए पलका, गिराय आए मोय, मेरो कैसो नसीब।

84. अब ना जाऊँ निंबुआ तोड़ने 

अब ना जाऊँ निंबुआ तोड़ने,
काँटवा गड़ि गड़ि जाय, जियरा जरि जरि जाय।
कैसे मनाऊँ रे अपने पिया को,
रसिया रिस रिस जाय, जियरा जरि जरि जाय।
सोने की थाली में जिवना परोसे,
ना जैमे ननदी के भइया हो, जियरा जरि जरि जाय।
चाँदी की झारी, गंगा जी को पानी,
ना पीवैं ननदी के भइया हो, जियरा जरि जरि जाय।
फूलों की सेज, मोती झालर के तकिए,
ना पौढ़ें ननदी के भइया हो, जियरा जरि जरि जाय।

85. द्वारका दिखाय देओ महाराज 

द्वारका दिखाय देओ महाराज, आज मोहे द्वारका दिखाय देओ।
कबहूँ न खाए मैंने लड्डू रे पेड़ा, कबहूँ न खायो कलाकंद,
आज मोहे रेवड़ियाँ चखाय देओ,
रेवड़ियाँ चखाय देओ महाराज, आज मोहे द्वारका दिखाय देओ।
कबहूँ न न्हाई मैं तो गंगा रे जमुना,
कबहूँ न न्हाई हरद्वार, आज मोहे पोखरिया न्ह्वाय देओ,
पोखरिया न्ह्वाय देओ महाराज, आज मोहे द्वारका दिखाय देओ।
कबहूँ न पहरे मैंने टसर रे रेसम,
कबहूँ न ओढ़ो किमख़ाब, आज मोहे टाटरिया उढ़ाय देओ,
टाटरिया उढ़ाय देओ महाराज, आज मोहे द्वारका दिखाय देओ।
कबहूँ न कीनी मैंने हँसी रे दिल्लगी,
कबहूँ न कीनो रे मज़ाक, आज मोहे खेल खिलवाय देओ,
खेल खिलवाय देओ महाराज, आज मोहे द्वारका दिखाय देओ।

86. ओ राजा जी मेरा दिल तो हजरिया

ओ राजा जी मेरा दिल तो हजरिया।
दिल्ली शहर में लागी बजरिया,
ओ राजा जी मैं तो लाई चुनरिया, ओ राजा जी ——-
चुनरी पहन मैं मेले गई थी,
ओ राजा जी मुझे लागी नजरिया, ओ राजा जी ——-
मेरठ शहर से वैधा बुलाया,
ओ राजा जी झड़वाई नजरिया, ओ राजा जी ——-
झाड़-फूँक वैधा पलका पे बैठा,
ओ राजा जी उसने माँगी ननदिया, ओ राजा जी ——-
सास भी दे दी, जिठानी भी दे दी,
ओ राजा जी मैंने ना दी ननदिया, ओ राजा जी ——-
वैधा का बेटा बड़ा छलबलिया,
ओ राजा जी ले भागा ननदिया, ओ राजा जी ——-

87. बिंदिया जाने कहाँ खोई रे ननदिया 

बिंदिया जाने कहाँ खोई रे ननदिया, बिंदिया जाने कहाँ खोई।
अँगना बुहारूँ तो अँगना में देखूँ,
वहाँ न मिली तो बड़ी रोई रे ननदिया, बिंदिया जाने ——-
चौका में जाऊँ तो चौका में देखूँ ,
वहूँ न मिली तो बड़ी रोई रे ननदिया, बिंदिया जाने ——-
(इसी प्रकार अट्टा, बाग, कुँआ, ताल आदि के लिए।)

88. डाली लचकै, बाग़ में गुच्छा लटके 

डाली लचकै, बाग़ में गुच्छा लटके,
नेक पीछे हट जा बालमा, मत मारै झटके।
डाली लचकै —
प्यारी तेरे रूप की शोभा कही न जाय,
तू कुमुदिनी खिल रही, मैं भौंरा रह्यो लुभाय,
नेक हँस मुसका दै गोरकी, चमेली महकै,
डाली लचकै —
प्रिय तेरो मुख चन्द है, मेरे नयन चकोर,
चन्द्र वदन दिखलाय के, तैने लियो मेरो मन चोर,
नेक पास को आ जा गोरकी, चाँदनी चमकै,
डाली लचकै —
चन्द्रवदनि मृगलोचनी, कली खिली बिच बाग,
भँवर अभी कच्ची कली, क्यों अति को अनुराग,
नेक पीछे हट जा बालमा, तू चलियो थम कै,
डाली लचकै —
कच्ची कली अनार की, अरे क्यों मन को भरमाय,
दीखत लागे रूपसी, पर खावत में खटियाय,
नेक पीछे हट जा बालमा, मत आँखन में खटकै,
डाली लचकै ——-
प्यारी प्रीत निभाय दे, अधबिच में मत छोर,
कदवारी को तार ज्यों, टूटे पूरे ज़ोर,
नेक पास आन दै गोरकी, मत मोहे बरजै,
डाली लचकै —

89. ननदी मोय दै तीर कमान, अटा पे बुलबुल बैठी है 

ननदी मोय दै तीर कमान, अटा पे बुलबुल बैठी है,
बुलबुल बैठी है, अटा पे बुलबुल बैठी है,
ननदी मोय दै —-
सास मेरी सोय गई, ननद मेरी सोय गई, बुलबुल बैठी है,
मेरी ऊ लग गई आँख, बलम को बुलबुल लै गई रे,
ननदी मोय दै —-
सास मेरी ढूँढै, ननद मेरी ढूँढै, बुलबुल बैठी है,
मैं ऊ ढूँढूँ, गलियन बगियन बुलबुल लै गई रे,
ननदी मोय दै —-
सास मेरी रोवै, ननद मेरी रोवै, बुलबुल बैठी है,
मेरो रोवे ठेंगा, दूजा ब्याह करूँगी रे,
ननदी मोय दै —-

90. चकिया के दो पाट, तमाशा देखे लाँगुरिया 

चकिया के दो पाट, तमाशा देखे लाँगुरिया।
सासुल पीसे पीसनों, और ससुरा सोवे खाट,
निबटत जावे पीसनों, और सरकत आवे खाट,
सरकत आवे खाट, तमाशा देखे लाँगुरिया।
ननदी पीसे पीसनों, ननदोई सोवे खाट,
निबटत जावे पीसनों, और सरकत आवे खाट,
सरकत आवे खाट, तमाशा देखे लाँगुरिया।
(इसी प्रकार सब रिश्तेदारों के नाम)

91. राजधानी से बाँदी मँगा दो

राजधानी से बाँदी मँगा दो, मुझे दिल्ली से बाँदी मँगा दो
मुझे ऐसी सास नहीं भावे, जो हरदम तुमको सिखावे,
जो आधी आधी रात पिसावे, पलका से हुकुम चलावै,
राजधानी से —–
मुझे ऐसी जिठानी न भावे, जो आधी दौलत माँगे,
जो नित उठ लड़का जाये, गुड़ खा के सौंठ बतावै,
राजधानी से —–
मुझे ऐसी देवरानी न भावे, जो आधे जेवर माँगे,
चौके से नखरा झाड़े, आँगन में रार मचावै,
राजधानी से —–
मुझे ऐसी ननद नहीं भावे, जो दो की चार लगावे,
जो नित उठ पीहर आवै, बिजली सी चमकत जावै,
राजधानी से —–
मुझे ऐसी पड़ोसन न भावे, कूओं पे रार मचावै,
खिड़की से ताक लगावै, जो तुमसे नैन लड़ावै,
राजधानी से —–

92. आगरे से घाघरो मोय लाय दे भरतार

आगरे से घाघरो मोय लाय दे भरतार।
नाक को लइयो राजा मोती वारी नथनी,
कानों को लटकन लइयो भरतार।
माथे को लइयो राजा झिलमिल बिंदिया,
गले को नौलख हार भरतार,
नैनन को लइयो बरेली को सुरमा,
लइयो कलाई को कंगन जड़ाऊ,
तारे सितारे लगवइयो भरतार।
हाथन को लइयो राजा हरी हरी चुरियाँ,
पैरन को बजनी सी पायल भरतार,
होठन को लाली लइयो भरतार।
उँगरिन को लइयो, अँगूठी नगदार।
तेरो रूप नेक ना माँगे, माँगे न हार सिंगार मोरी नार।
तेरो रूप अनूप लागे सजनी, नैनों में जब तेरे छलके प्यार।
नेक मुखड़ा मोय दिखाय, घूँघट सरकाय दे मोरी नार।