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लाल बुझक्कड़ बूझिए और न बूझा कोय, हो न हो अल्लाह की सुरमादानी होय

 एक गाँव के लोगों ने कभी ओखली मूसल नहीं देखा था. एक बार सुबह सुबह गाँव का कोई व्यक्ति गाँव के बाहर गया तो उसे वहाँ ओखली मूसल रखा दिखाई दिया. वह चक्कर में पड़ गया कि यह क्या चीज़ हो सकती है. उसने अन्य गाँव वालों को इकठ्ठा किया और सब के सब यह कयास लगाने लगे कि यह क्या हो सकता है. कोई हल न निकलने पर लाल बुझक्कड़ बुलाए गए. उनहोंने बहुत बारीकी से निरीक्षण कर के और बहुत सोच कर यह राय दी कि हो न हो यह अल्लाह मियाँ की सुरमे दानी होगी.

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