1. गोविन्द मेरी यह प्रार्थना है 

गोविन्द मेरी यह प्रार्थना है, भूलूँ ना मैं नाम कभी तुम्हारा,
निष्काम होके दिन रात गाऊँ, गोविन्द दामोदर माधवेति,
गोविन्द दामोदर माधवेति, हे कृष्ण हे यादव हे सखेति……..
प्यारे ज़रा तो मन में विचारो, क्या साथ लाए क्या ले चलोगे,
साथी ना कोई हरि को पुकारो, गोविन्द दामोदर माधवेति,
गोविन्द दामोदर माधवेति, हे कृष्ण हे यादव हे सखेति……..
नाता भला क्या जग से हमारा, आए यहाँ क्यूँ क्या कर रहे हो,
सोचो विचारो हरि को पुकारो, गोविन्द दामोदर माधवेति,
गोविन्द दामोदर माधवेति, हे कृष्ण हे यादव हे सखेति……..
देहान्त काले तुम सामने हो, बंसी बजाते मन को लुभाते,
कहता यही मैं तन नाथ त्यागूँ, गोविन्द दामोदर माधवेति,
गोविन्द दामोदर माधवेति, हे कृष्ण हे यादव हे सखेति………
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥ ॥
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी…॥

2. मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है

मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है,
करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है।
पतवार के बिना ही मेरी नाव चल रही है, हैरान है जमाना मंजिल भी मिल रही है,
करता नहीं मैं कुछ भी, सब काम हो रहा है।
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है।
तुम साथ हो जो मेरे किस बात की कमी है, किसी और चीज की भी दरकार अब नहीं है,
तेरे साथ से गुलाम अब गुलफाम हो रहा है।
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है।
मैं तो नहीं हूँ काबिल तेरा पार कैसे पाऊँ, टूटी हुई जुबां से गुणगान कैसे गाउँ,
तेरी प्रेरणा से ही ये सब काम हो रहा है।
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है।

3. राधा ढूंढ रही, किसी ने मेरा श्याम देखा

राधा ढूंढ रही, किसी ने मेरा श्याम देखा।
राधा तेरा श्याम, हमने वृन्दावन में देखा -2,
रास रचाते हुए, हो राधा तेरा श्याम देखा।
राधा तेरा श्याम हमने, गोकुल में देखा -2,
गइयाँ चराते हुए, ओ राधा तेरा श्याम देखा ।।
राधा तेरा श्याम, हमने बंसीवट पे देखा -2,
बंसी बजाते हुए, हो राधा तेरा श्याम देखा।
राधा तेरा श्याम हमने गोपी के घर देखा -2,
माखन चुराते हुए, हो राधे तेरा श्याम देखा।
राधा तेरा श्याम हमने गोवर्धन में देखा -2,
परवत उठाते हुए, हो राधा तेरा श्याम देखा।
राधे तेरा श्याम हमने बरसाने में देखा -2,
होरी मचाते हुए हो राधा तेरा श्याम देखा।

4. कभी राम बनके, कभी श्याम बन के

कभी राम बनके, कभी श्याम बन के, चले आना प्रभु जी चले आना।
तुम राम रूप में आना -2
सीता साथ लेके, धनुष हाथ लेके, चले आना प्रभु जी चले आना॥
तुम श्याम रूप में आना -2
राधा साथ लेके, मुरली हाथ लेके चले आना, प्रभु जी चले आना॥
तुम शिव के रूप में आना -2
गौरा साथ लेके, डमरू हाथ लेके, चले आना प्रभु जी चले आना॥
तुम विष्णु रूप में आना -2
लक्ष्मी साथ लेके, चक्र हाथ लेके, चले आना प्रभु जी चले आना॥
तुम गणपति रूप में आना -2
रिद्धी साथ लेके, सिद्धी साथ लेके चले आना, प्रभु जी चले आना॥
कभी राम बनके, कभी श्याम बन के, चले आना प्रभु जी चले आना।

5. अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो

अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो, कि दर पै सुदामा गरीब आ गया है,
भटकते -2 न जाने कहाँ से तुम्हारे महल के करीब आ गया है,
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो –
न सर पै है पगड़ी, न तन पै है जामा, बता दो कन्हैया को नाम है सुदामा,
एक बार मोहन से जाकर के कह दो, कि मिलने सखा बदनसीब आ गया है।
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो –
सुनते ही दौड़े चले आये मोहन, लगाया गले से सुदामा को मोहन,
हुआ रुक्मणी को बहुत ही अचम्भा-2, ये मेहमान कैसा अजीब आ गया है।
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो –
बराबर पै अपने सुदामा बैठाये, चरण आँसुओं से श्याम ने धुलाए,
न घबराओ प्यारे जरा तुम सुदामा, खुशी का समा अब करीब आ गया है।
अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो, कि दर पै सुदामा गरीब आ गया है।

6. जग में सुन्दर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम

जग में सुन्दर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम,
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम श्याम।
माखन ब्रज में एक चुरावे, एक बेर शबरी के खावे,
प्रेम भाव से भरे अनोखे, दोनों के हैं काम।
एक कंस पापी को मारे, एक दुष्ट रावण संहारे,
दोनों दीन के दुख हरते हैं, दोनों बल के धाम।
एक ह्रदय में प्रेम बढावे, एक ताप संताप मिटावे,
दोनों सुख के सागर है, और दोनों पूरण काम।

7. कृष्ण जिनका नाम है, गोकुल जिनका धाम है

कृष्ण जिनका नाम है, गोकुल जिनका धाम है,
ऐसे श्री भगवान को, बारंबार प्रणाम है।
राधा जिनकी प्यारी है, मोहन विपिन बिहारी है,
ऐसे श्री घनश्याम को बारंबार प्रणाम है।
यशोदा जिनकी मैया है, नंद जी बापैया है,
ऐसे श्री गोपाल को, बारंबार प्रणाम है।
लूट लूट दधि माखन खायो, ग्वाल-बाल संग धेनु चरायो,
ऐसे लीला धाम को, बारंबार प्रणाम है।
द्रुपद सुता की लाज बचायो, ग्राह से गज को फ़ंद छुड़ायो,
ऐसे किरपा धाम को, बारंबार प्रणाम है।
कृष्ण जिनका नाम है, गोकुल जिनका धाम है,
ऐसे दीनानाथ को, बारंबार प्रणाम है।

8. छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल

छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल। छोटो सो मेरो मदन गोपाल॥
आगे आगे गैया पीछे पीछे ग्वाल। बीच में मेरो मदन गोपाल॥
छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल। छोटो सो मेरो मदन गोपाल॥
कारी कारी गैया, गोरे गोरे ग्वाल। श्याम वरण मेरो मदन गोपाल॥
छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल। छोटो सो मेरो मदन गोपाल॥
घास खाए गैया, दूध पीवे ग्वाल। माखन खावे मेरो मदन गोपाल॥
छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल। छोटो सो मेरो मदन गोपाल॥
छोटी छोटी लकुटी, छोले छोटे हाथ। बंसी बजावे मेरो मदन गोपाल॥
छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल। छोटो सो मेरो मदन गोपाल॥
छोटी छोटी सखियाँ, मधुबन बाग। रास राचावे मेरो मदन गोपाल॥
छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल। छोटो सो मेरो मदन गोपाल॥

9. अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम।
कौन कहता हे भगवान आते नहीं, तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम।
कौन कहता है भगवान खाते नहीं, बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम।
कौन कहता है भगवान सोते नहीं, माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम।
कौन कहता है भगवान नाचते नहीं, गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं।
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम।

10. जीवन का मैं ने सौंप दिया सब भार तुम्हारे हाथों में

जीवन का मैं ने सौंप दिया सब भार तुम्हारे हाथों में,
है जीत तुम्हारे हाथों में, और हार तुम्हारे हाथों में।
मेरा निश्चय है एक यही, इक बार तुम्हे पा जाऊँ मैं,
अर्पण कर दूँ जीवन भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में।
यदि मानुष का मुझे जन्म मिले, तो चरणों का मैं पुजारी बनूँ,
उद्धार पतन अब मेरा है सरकार तुम्हारे हाथों में।
जब-2 धरती पर आना हो, निष्काम भाव से कर्म करूँ,
फिर अंत समय में प्राण तजूँ भगवान तुम्हारे हाथों में।
मुझ में तुम में है भेद यही, मैं नर हूँ तुम नारायण हो,
मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में।
हम तुमको कभी नहीं भजते, फिर भी तुम हमें नहीं तजते,
अपकार हमारे हाथों में, उपकार तुम्हारे हाथों में।
कल्पना बनाया करती है इक सेतु विरह के सागर पर,
जिससे हम पहुँचा करते हैं उस पार तुम्हारे हाथों में।

11. मनिहारी का वेश बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया

मनिहारी का वेश बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का वेश बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
झोली कांधे धरी उसमें चूड़ी भरी, गलियों में शोर मचाया,
श्याम चूड़ी बेचने आया।
राधा ने सुनी ललिता से कही, मोहन को तुरत बुलाया,
श्याम चूड़ी बेचने आया।
चूड़ी लाल नहीं पहनूँ, चूड़ी हरी नहीं पहनूँ, मोहे श्याम रंग है भाया,
श्याम चूड़ी बेचने आया।
राधा पहनन लगी श्याम पहनाने लगे, राधा ने हाथ बढ़ाया,
श्याम चूड़ी बेचने आया।
राधा कहने लगी, तुम हो छलिया बड़े, धीरे से हाथ दबाया,
श्याम चूड़ी बेचने आया।

इस गीत को इस प्रकार से भी गाया जाता है 

नटवर नै भेस बनाया, ब्रज चूड़ी बेचने आया
कोई चूड़ी पहन लो छोरियो ऽ ऽ
सखियों ने सुना राधा से कहा
राधा ने झट बुलवाया, ब्रज चूड़ी बेचने आया।
राधा पहरन लगी, स्याम पहराने लगे
बा ने कसकर हाथ दबाया, ब्रज चूड़ी बेचने आया ।
राधा जान गई, कोई छलिया है ये
छलिए ने छल दिखलाया , ब्रज चूड़ी बेचने आया ।
नटवर नै भेस बनाया……

12. आओ हमरी नगरिया, ए भोले भंडारी

आओ हमरी नगरिया, ए भोले भंडारी।
माथे पे तुम्हरे चन्दा विराजे, गंगा की छवि न्यारी।
आओ हमरी नगरिया, ए भोले भंडारी।
गले में तुम्हरे नाग विराजे, भभुती की छवि न्यारी।
आओ हमरी नगरिया, ए भोले भंडारी।
हाथन में तिरसूल विराजे, डमरू की धुन प्यारी।
आओ हमरी नगरिया, ए भोले भंडारी।
अंगन में बाघम्बर सोहै, नन्दी बनी सवारी।
आओ हमरी नगरिया, ए भोले भंडारी।
दुखियों का दुःख हरने वाले, विपदा हरो हमारी।
आओ हमरी नगरिया, ए भोले भंडारी।

13. आये हैं तेरे द्वार, उबार लेउ गणपति देवा 

आये हैं तेरे द्वार, उबार लेउ गणपति देवा।
जन का करो कल्याण, उबार लेउ गणपति देवा॥
यह संसार है दुःख का सागर, करदेउ बेड़ा पार। उबार लेउ गणपति देवा।
विघ्न विनाशक, जग – रखवाले, हर लो दुःख हमार। उबार लेउ गणपति देवा।
मात-पिता के तुम हो दुलारे, भक्तों को दे दो प्यार। उबार लेउ गणपति देवा।
दीन दुखारे शरण तुम्हारे, तुम हो जगत् आधार, उबार लेउ गणपति देवा।

14. श्याम रे आइ जइयो

राधा रंगीली मेरो नाम, श्याम रे आइ जइयो
जमुना किनारे मेरौ गाँव श्याम रे आ जइयो॥

जमुना किनारे मेरी ऊँची हवेली, मैं ब्रज की गोपिका नवेली
बरसानो मेरो गाम, कि बंसी बाजाइ जइयो

मल-मल कै स्नान कराऊँ, घिस-घिस चन्दन खौर लगाऊँ।
पूजा करूँ सुबह शाम कि माखन खाय जइयो॥

खस-खस कौ बंगला बनवाऊँ, चुन-चुन कलियाँ सेज सजाऊँ।
धीरे-धीरे दाबूँ में पाँव, प्रेम-रस पियाय जइयो॥

देखत रहूँगी बाट तुम्हारी, जल्दी अइयो कृष्णमुरारी।
झाँकी करेंगी ब्रजवाम कि हंस-मुस्काय जइयो॥

15. श्याम आप बसे हैं मथुरा में

श्याम आप बसे हैं मथुरा में,
मेरी उमर बीत गयी गोकुल में।
श्याम रस्ते में बाग लगा जाना,
फुलवा चुनूँगी अकेली, जल्दी आ जाना।
श्याम रस्ते में कदंब लगा जाना,
झूला झूलूँगी अकेली, जल्दी आ जाना।
श्याम रस्ते में गैया बँधा जाना,
दुधवा दुहूँगी अकेली, जल्दी आ जाना।
श्याम आप बसे हैं मथुरा में,

16. चोरी-चोरी चले, बड़े चोर निकले कान्हा

चोरी-चोरी चले, बड़े चोर निकले कान्हा, दिल के बड़े ही कठोर निकले।
मैया यशोदा ने तुमको पाला, नन्द बाबा ने तुमको सँभाला,
उनको भी छोड़ बड़े भोर निकले, बड़े चोर निकले।
ग्वाल-बाल मिलि गैया चरावें, तुम्हरी भी गैया सँग ले जावें,
पर, तुम तो बड़े ही छिछोर निकले, बड़े चोर निकले।
राधा प्यारी तुम्हें दिल में बसावें, संग तुम्हारे रास रचावें,
उनको भी छोड़ चितचोर निकले, बड़े चोर निकले

17. श्याम तेरी बंशी बजे धीरे-धीरे—

श्याम तेरी बंशी बजे धीरे-धीरे—2
इत मथुरा उत गोकुल नगरी, बीच में जमुना बहें धीरे-धीरे,
श्याम तेरी बंशी बजे धीरे-धीरे।
इत मनसुख और उत श्रीदामा, बीच में कान्हा चले धीरे धीरे,
श्याम तेरी बंशी बजे धीरे-धीरे।
इत गोपी उत ग्वाल सखा सब, बीच में कान्हा नचे धीरे-धीरे,
श्याम तेरी बंशी बजे धीरे-धीरे।
इत ललता उत सखी बिशाखा, बीच में राधा चले धीरे-धीरे,
श्याम तेरी बंशी बजे धीरे-धीरे।

18. बंशी वाले ने घेर लई, अकेली पनिया गई

बंशी वाले ने घेर लई, अकेली पनिया गई—2
मैं तो गई थी जमुना तट पै, कान्हा खड़ा था री पनघट पै,
बड़ी मुझको री देर भई, अकेली पनिया गई।
श्याम ने मेरी चुनरी झटकी, सर से मेरे गिर गई मटकी,
बहिंया मोरी मरोड़ दई, अकेली पनिया गई।
बड़ा नटखट है श्याम संवारिया, ले डारी मोरी कोरी चुनरिया,
गगरी मोरी फोड़ दई, अकेली पनिया गई।
लाख कही पर एक न मानी, भरने न दे वो मोहे पानी,
मारे लाज के मैं मर गई, अकेली पनिया गई।
मुरली वाले ने घेर लई, अकेली पनिया गई।

19. रुनझुन पैंयाँ धरो, मोरी अम्बे रानी

रुनझुन पैंयाँ धरो, मोरी अम्बे रानी, पायन पयलवा बाजत जाय।
मैया दुआरे एक अन्धा पुकारे,
अन्धे को नयना देउ, मोरी अम्बे रानी, अन्धा तुम्हारी छवि देखत जाय।
मैया दुवारे एक कोढ़ी पुकारे,
कोढ़ी को काया देउ, मोरी अम्बेरानी, कोढ़ी तुम्हार जस गावत जाय।
मैया दुवारे एक बाँझिन पुकारे,
बाँझिन को बालक देउ, मोरी अम्बे रानी, बाँझिन बाल खेलावत जाय।
मैया दुवारे एक गूँगा पुकारे,
गूँगे को बोली देउ, मोरी अम्बे रानी, गूँगा तुम्हार गुण गावत जाय।

20. नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा

नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
तू ही नटवर तू ही नागर, तू ही बाल मुकन्दा
भजो रे मन गोविंदा, नटवर नागर नंदा…
सब देवन में कृष्ण बड़े हैं, ज्यों तारा विच चंदा
भजो रे मन गोविंदा, नटवर नागर नंदा…
सब सखियन में राधा बड़ी हैं, ज्यों नदियां विच गंगा
भजो रे मन गोविंदा, नटवर नागर नंदा…
ध्रुव तारे प्रह्लाद उबारे, नरसिंह रूप धरंता
भजो रे मन गोविंदा, नटवर नागर नंदा…
कालीदह में नाग ज्यों नाथों, फण-फण निरत करंता
भजो रे मन गोविंदा, नटवर नागर नंदा…
वृन्दावन में रास रचायो, नाचत बाल मुकन्दा
भजो रे मन गोविंदा, नटवर नागर नंदा…
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, काटो जम का फंदा
भजो रे मन गोविंदा, नटवर नागर नंदा…
तू ही नटवर तू ही नागर, तू ही बाल मुकन्दा
भजो रे मन गोविंदा, नटवर नागर नंदा…
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा

21. भक्तों को दर्शन दे गयी रे, एक छोटी सी कन्या

भक्तों को दर्शन दे गयी रे, एक छोटी सी कन्या।
भक्तों ने पूँछा निवास तेरा कहाँ है?
ऊँचे-ऊँचे पर्वत बताय गयी रे, एक छोटी सी कन्या।
भक्तों ने पूँछा पहनावा तेरा क्या है?
लहँगा व चूनर बताय गयी रे, एक छोटी सी कन्या।
भक्तों ने पूँछा नाम तेरा क्या है?
दुर्गा व काली बताय गयी रे, एक छोटी-सी कन्या ।
भक्तों ने पूँछा भोग तेरा क्या है?
हलुवा व पूड़ी बताय गयी रे, एक छोटी सी कन्या।
भक्तों को दर्शन दे गयी रे, एक छोटी सी कन्या।

22. कैसो मांगे दान दही को, मारग रोके गिरधारी

कैसो मांगे दान दही को, मारग रोके गिरधारी,
नितप्रति निकसि जाए चोरी सों गूजर बरसाने वाली।
रोके मत गैल, बड़ो दानी भयो छैल, सुन नन्द के ठगैल, तोहे लाज न रही,
रही कुल की जो रीत, और आपस की प्रीत, ऐसी करे अनरीत, रीत तोड़ क्यों दई,
दई उलटी रीत चलाई, जाए घर पूछे महतारी।
कैसो मांगें दान दही को..
पूछों कहाँ माय, तौन लूँगा मैं छुपाय, क्यों न सूधी बतलाए, इठलावे क्यूँ घनी,
घनी देखीं बहु नार, बड़े देवकी कुमार, कहे मोहे ठग वार, मोहे लागे ठगिनी,
ठग नैना तेरे चपल, गुजरिया हिरदै की काली।
कैसो मांगें दान दही को..
कारी जायो रात यासे कारो भयो गात, दही मांग मांग खात, बात ऐंठ के करो,
तोहे कंस को न डर, रोक राखी है डगर, तोहे गोलचा दो धर, घर रोवत फिरो,
फिरो घर घर माँगत छाछ, नाथ तुम कबके बलधारी।
कैसो मांगें दान दही को..
बल देखो कहाँ मेरो, कंस मारूँगा सवेरो, नाहिं फूफा लगे तेरो, रट वाई की लगी,
लई खूब समझाए, कहे बातन बनाए, तोहे दूँगो मैं नचाए, जैसे दही में रई,
रहियत बाबा घर फिरें, तोसी सौ सौ गोबरहारी।
कैसो मांगें दान दही को..
रईयत हमारी लाल, अब बनैं भूमि पाल, जोरि दस पांच ग्वाल, बाल बांकुरे भये
भये मथुरा में आप, बंदी काटे माई बाप, भानुपुर के प्रताप, गाय चराई इंह्या रहे
रहे उलटी आंख दिखाय, कमरिया ओढ़ लई कारी
कैसो मांगें दान दही को..
कामर हमारी, तीन लोक तें हूं न्यारी, तूं तौ जानैं न गंवारी, पांवैं देव हूं न पार
पार पायो नाहिं शेष, इन्द्र अज हू महेश, मेरौ ग्वारिया को भेष, देश प्रेम को प्रचार
चट दऊंगौ कंस फछार, “श्याम” कामर में गुन भारी
कैसो मांगे दान दही को रोके मारग गिरधारी
नित प्रति निकसि गई चोरी तें गोरी बरसाने वारी

23. कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा

कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा,
वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा।
गोकुल में आया मथुरा में आ, छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा,
अरे सांवरे देख आ के ज़रा, सूनी सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका।

कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा
जमुना के पानी में हलचल नहीं, मधुबन में पहला सा जलथल नहीं,
वही कुंज गलियाँ वही गोपियां, छनकती मगर कोई झान्झर नहीं।
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा,
वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा।

24. मैं तो पूजूंगी गोरी गणेश, गजानन्द प्यारा लागे 

(तर्जः मैं तो भूल चली बाबुल का देश पिया का घर प्यारा लगे) .
मैं तो पूजूंगी गोरी गणेश, गजानन्द प्यारा लागे,
मंदिर में देखी तुम्हारी ये मूरत, सब से निराली, अलबेली सी सूरत, हो ऽ ऽ ऽ
भारत जैसा s s s , भारत जैसा ये भक्तों का देश, गजानन्द प्यारा लागे।
भोग लगाऊं, लड्डू मेवा चढ़ाऊं,
शंकर को ध्याऊं, गौरी को मनाऊं,
हो ऽ ऽ ऽ नहीं ऐसा कोई दूजा देव, गजानन्द प्यारा लागे।
बैठी हूं मैं तेरे द्वारे पे आके,
मन की आशा मेरी पूरी करा दे
हो ऽ ऽ ऽ रिद्धि सिद्धि से भर दे भण्डार, गजानन्द प्यारा लागे।

25. जिनके हृदय श्री राम बसे 

जिनके हृदय श्री राम बसे, तिन और को नाम लियो न लियो
जिनके हृदय श्री राम . . .
कोई मंदिर जाकर नमन करे, कोई घर में बैठ के भजन करे
जिन दीन दुखी संग किरपा की, तिन ईश को नाम लियो न लियो
जिनके हृदय श्री राम . . .
कोई हीरे मोती दान करे और दान का रोज बखान करे
जिन कन्या धन को दान कियो, तिन और को दान दियो न दियो
जिनके हृदय श्री राम बसे . . .
कोई काशी मथुरा गमन करे कोई हर की पौड़ी पे स्नान करे
जिन मात पिता की सेवा की तिन्ह तीरथ धाम कियो न कियो
जिनके हृदय श्री राम बसे . . .

26. इकली घेरी बन में आय, श्याम तैनें कैसी ठानी रे 

इकली घेरी बन में आय, श्याम तैनें कैसी ठानी रे
श्याम मोय वृन्दान जानौ, लौट कैं बरसाने आनौ। मेरे कर जोरी की मानो।
जो मोय होय अबेर लड़े घर नन्द-जिठानी रे॥
इकली…
ग्वालिनी मैं समझाऊँ तोय, दान तू दधि कौ देजा मोय। तभी ग्वालिन जाने दऊँ तोय।
जो तू नाहीं करै होय तेरी ऐंचा-तानी रे॥
इकली…
दान हम कबहूँ नाँय दीयौ, रोक मेरौ मारग क्यों लीयौ। बहुत सौ ऊधम तुम कीयौ।
आज तलक या ब्रजमें ऐसौ कोई भयो न दानी रे॥
इकली….
ग्वालिनी बातन रही बनाय, ग्वाल बालन कू लउँ बुलाय। तेरौ सब दधि माखन लुटि जाय
इठलावै तू नारि, छाय रही तोकू ज्वानी रे॥
इकली…
कंस राजा पर करूँ पुकार, पकर बँधवाय दिवाऊँ मार। तेरी सब ठकुरई देय निकार।
जुल्म करे न डरे तके तू नारि बिरानी रे॥
इकली…
कंस का खसम लगै तेरौ, मार के कर दउँगो केरौ। वाई कूँ जन्म भयो मेरौ।
करूँ कंस निर्बंस मैंट दउँ नाम – निशानी रे॥
इकली…
आय गए इतने में सब ग्वाल, पड़े आँखन में डोरा लाल। झूम के चलें अदाँ की चाल
लुट गई ग्वालिन मारग में, घर गई खिसियानी रे॥
इकली…
करी लीला जो श्यामाश्याम, कौन वरनन कर सकै तमाम। करूँ बलिहार सभी ब्रजधाम।
कहते ”घासीराम“ नन्द कौ है सैलानी रे॥
इकली…

27. मैया कर दै मेरो ब्याह, मँगाय दै दुलहिन गोरी-सी 

मैया कर दै मेरो ब्याह, मँगाय दै दुलहिन गोरी-सी॥
गोरी गुनवारी, होय भोरी-सी बिचारी,
झलकारे नथवारी, बड़े गोप की लली।
लली ढूँढ़ दै री माय, यामें कहा तेरौ जाय,
झट दुल्हा बनाय, बात मान ले भली॥
भली छोटे हाथन बीच, रचाय दे मेंहदी थोरी-सी।
मैया कर दै मेरौ ब्याह. . . .

थोरी-सी बरात, ग्वाल-बाल पाँच सात,
मलि हरदी मो गात, सीस सेहरा बँधाय।
धाय कर पूरी रीत, गोपी गाय देंगी गीत,
दे दे नयौ पटपीत, बागौ रेशमी धराय।
धर मुकुट ब्याहिबे जाऊँ, कछाय दै कछनी कोरी-सी
मैया कर दै मेरौ ब्याह. . . .

कोरी करै बात, बुरौ बलदाऊ भ्रात,
लै न जाऊँगो बरात, राखै कबहु न मेल।
मेल राखै न कबहु, ताय भोलो कहैं तू हू,
मैया ढूँढ़ दै बहू, सब बन जाय खेल।
खेलन वा दिन घर आई, काहू की छोरी भोरी-सी।
मैया कर दै मेरौ ब्याह. . . .

भोरी ऐसी ढुँढ़वाय, ले गोदी में बिठाय,
रूठ जाऊँ ले मनाय, कर राखै मन बस।
बस बाबा ते बचाय, मेरी बियार करै आय,
हौले-हौले बतराय, आये बातन में रस।
रस-गाहक दुलहिन ‘श्याम’, प्रीत बढ़े चन्द्र चकोरी-सी।
मैया कर दै मेरौ ब्याह. . . .

28. मेरौ बारौ सो कन्हैंया कालीदह पै खेलन आयो री 

मेरौ बारौ सो कन्हैंया कालीदह पै खेलन आयो री॥
ग्वाल-बाल सब सखा संग में गेंद को खेल रचायौरी॥ मेरौ…
काहे की जाने गेंद बनाई काहे को डण्डा लायौरी॥ मेरौ…
रेशम की जानें गेंद बनाई, चन्दन को डण्डा लायौरी।मेरौ…
मारौ टोल गेंद गई दह में गेंद के संग ही धायौरी॥ मेरौ…
नागिन जब ऐसे उठि बोली, क्यों तू दह में आयौरी॥ मेरौ…
कैं तू लाला गैल भूलि गयो, कै काऊ ने बहकायौरी॥ मेरौ…
कैसे लाला तू यहाँ आयो, कैं काऊ ने भिजवायोरी॥ मेरौ…
ना नागिन मैं गैल भूल गयो, ना काऊ ने बहकायौरी॥ मेरौ…
नागिन नाग जगाय दे अपनों याहीकी खातिर आयौरी॥ मेरौ…
नाँय जगाये तो फिर कहदे ठोकर मारि जगायौरी॥ मेरौ…
हुआ युद्ध दोनों में भारी, अन्त में नाग हरायौ री॥ मेरौ…
नाग नाथि रेती में डारौ फन-फन पे बैंन बजायौरी॥ मेरौ…
रमनदीप कूँ नाग भेज दियौ फनपै चिन्ह लगायौरी॥ मेरौ…
‘घासीराम’ ने रसिया कथिके, भर दंगल में गायौरी॥ मेरौ…

29. तुम हमारे थे प्रभुजी तुम हमारे हो 

तुम हमारे थे प्रभुजी तुम हमारे हो,
तुम हमारे ही रहोगे ओ मेरे प्रियतम

तुम्हें छोड़ सुनि नंददुलारे कोई न मीत हमारो
किसके द्वारे जाई पुकारूं और न कोई सहारो
अब तो आ के बाँह पकड़ लो ओ मेरे प्रियतम
तुम हमारे थे प्रभुजी तुम हमारे हो,
तुम हमारे ही रहोगे ओ मेरे प्रियतम
हम तुम्हारे थे प्रभुजी हम तुम्हारे हैं
हम तुम्हारे ही रहेगें ओ मेरे प्रियतम

तेरे कारण सब जग छोड़ा तुम संग नाता जोड़ा
एक बार प्रभु बस ये कह दो तू मेरा मैं तेरा
साँची प्रीत की रीत निभा दो ओ मेरे प्रियतम
तुम हमारे थे प्रभुजी तुम हमारे हो,
तुम हमारे ही रहोगे ओ मेरे प्रियतम
हम तुम्हारे थे प्रभुजी हम तुम्हारे हैं
हम तुम्हारे ही रहेंगे ओ मेरे प्रियतम

दास की यह विनती सुन लो ओ बृज राज दुलारे
आखिरी आस यही जीवन की पूरण करो न प्यारे
बार इक हिय से लगा लो ओ मेरे प्रियतम
तुम हमारे थे प्रभुजी तुम हमारे हो,
तुम हमारे ही रहोगे ओ मेरे प्रियतम
हम तुम्हारे थे प्रभुजी हम तुम्हारे है,
हम तुम्हारे ही रहेगें ओ मेरे प्रियतम

30. कान्हा बरसाने में आए जैयो, बुलाय गई राधा प्यारी 

कान्हा बरसाने में आए जैयो, बुलाय गई राधा प्यारी
बुलाय गई राधा प्यारी, बुलाय गई राधा प्यारी,
कान्हा बरसाने में आए जैयो, बुलाय गई राधा प्यारी,
कान्हा माखन मिश्री खाय जैयो, बुलाय गई राधा प्यारी।।

जब कान्हा रे तोहे प्यास लगेगी, जब कान्हा रे तोहे प्यास लगेगी
आहा ठंडा पानी पी जइयो, बुलाई गई राधा प्यारी,
कान्हा बरसाने मे आय जइयो, बुलाई गई राधा प्यारी।।

जब कान्हा रे तोहे ठंड लगेगी, जब कान्हा रे तोहे ठंड लगेगी,
आहा काली कंबलिया ले जइयो, बुलाई गई राधा प्यारी
कान्हा बरसाने मे आय जइयो, बुलाई गई राधा प्यारी।।

31. तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान 

तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान ।

किसने जानी तेरी माया, किसने भेद तुम्हारा पाया ।
हारे ऋषि मुनि कर ध्यान, बना मन मंदिर आलीशान ॥

तू ही जल में तू ही थल में, तू ही मन में तू ही वन में ।
तेरा रूप अनूप महान, बना मन मंदिर आलीशान ॥

तू हर गुल में तू बुलबुल में, तू हर डाल के हर पातन में ।
तू हर दिन में मूर्तिमान, बना मन मंदिर आलीशान ॥

तूने राजा रंक बनाए, तूने भिक्षुक राज बैठाये ।
तेरी लीला अजब महान, बना मन मंदिर आलीशान ॥

झूठे जग की झूठी माया, मूरख इसमें क्यों भरमाया ।
कर जीवन का शुभ कल्याण, बना मन मंदिर आलीशान ॥

किस ने देखि तेरी सूरत, कौन बनावे तेरी मूरत ।
तू है निराकार भगवान, बना मन मंदिर आलीशान ॥

पर्वत घाटी नदी समंदर, तू रमता इन सब के अन्दर ।
तेरे बस में सकल जहान, बना मन मंदिर आलीशान ॥

तू हैं वन में, तू प्राणन में, तू तरु तरु के पातन में ।
कोई ना दूजा तेरे सामान, बना मन मंदिर आलीशान ॥

जल में थल में तू ही समाया, सब जग तेरा जलवा छाया ।
तू है, घट घट के दरमियान, बना मन मंदिर आलीशान ॥

सूरज तेरी महिमा गावे, चंदा तुझ पर बलि बलि जावे ।
इश्वर कर सब का कल्याण, बना मन मंदिर आलीशान ॥

32. सबसे ऊंची प्रेम सगाई 

सबसे ऊंची प्रेम सगाई, सबसे ऊंची प्रेम सगाई
दुर्योधन के मेवा त्याग्यो, साग विदुर घर खाई |
जूठे फल शबरी के खाये, बहु विधि स्वाद बताई |
राजसूय यज्ञ युधिष्ठिर कीन्हा, तामे जूठ उठाई |
प्रेम के बस पारथ रथ हांक्यो, भूल गये ठकुराई |
ऐसी प्रीत बढ़ी वृन्दावन, गोपियन नाच नचाई |
प्रेम के बस नृप सेवा कीन्हीं, आप बने हरि नाई |
सूर क्रूर एहि लायक नाहीं, केहि लगो करहुं बड़ाई |

33. मंगल भवन अमंगल हारी

मंगल भवन अमंगल हारी
द्रबहु सुदसरथ अचर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम

हो, होइहै वही जो राम रचि राखा
को करे तरफ़ बढ़ाए साखा

हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी

हो, जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू

हो, जाकी रही भावना जैसी
रघु मूरति देखी तिन तैसी

रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
राम सिया राम सिया राम जय जय राम

हो, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम

34. हे हंसवाहिनी, ज्ञान दायिनी, अम्ब विमल मति दे

हे हंसवाहिनी, ज्ञान दायिनी, अम्ब विमल मति दे,
जग सिरमौर बनाएँ भारत, वह बल विक्रम दे,

साहस शील हृदय में भर दे, जीवन त्याग-तपोमर कर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे, स्वाभिमान भर दे,

लव-कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम, मानवता का त्रास हरें हम,
सीता, सावित्री, दुर्गा मां, फिर घर-घर भर दे,

हे हंसवाहिनी, ज्ञान दायिनी, अम्ब विमल मति दे

35. जयति जय जय माँ सरस्वती, जयति वीणा धारिणी

जयति जय जय माँ सरस्वती, जयति वीणा धारिणी

जयति जय पद्मासन माता, जयति शुभ वरदायिनी
जयति जय जय माँ सरस्वती, जयति वीणा धारिणी

जगत का कल्याण कर माँ, तुम हो वीणा वादिनी
जयति जय जय माँ सरस्वती, जयति वीणा धारिणी

कमल आसन छोड़ कर आ, देख मेरी दुर्दशा मां
जयति जय जय माँ सरस्वती, जयति वीणा धारिणी

ग्यान की दरिया बहा दे, हे सकल जगतारणी
जयति जय जय माँ सरस्वती, जयति वीणा धारिणी