1. रुपइया मांगे ननदी लाल की बधाई
(भाभी के बेटा हुआ है तो ननदी बधाई का नेग मांगने पहुँच गई. वह रुपया मांग रही है तो भाभी उसको अठन्नी, चवन्नी, दुअन्नी और फिर अँगूठा दिखा रही है)
रुपइया मांगे ननदी लाल की बधाई
ये तो रुपइया मेरे ससुर की कमाई
अठ्ठनी ले जा ननदी लाल की बधाई
अठ्ठनी मांगे ननदी लाल की बधाई
यह तो अठन्नी मेरे जेठ की कमाई
चवन्नी ले जा ननदी लाल की बधाई
चवन्नी मांगे ननदी लाल की बधाई
ये तो चवन्नी मेरे देवर की कमाई
दुअन्नी ले जा ननदी लाल की बधाई
ये तो दुअन्नी मेरे बच्चे का खिलौना
सिंगट्टा ले जा ननदी लाल की बधाई
यह तो सिंगट्टा मेरे हाथ की है शोभा
दो डंडे ले जा ननदी लाल की बधाई
2. कैसी हठी ये ननदिया कंगने पे मचल गई
(लाल के होने की खुशी में ननदी नेग में कंगना मांग रही है. कंगना जच्चा रानी के मायके से आया है, सो कैसे दे दे. लेकिन वह कंगना लेने पर ही मचल गई है. अंत में गुस्से से जच्चा रानी कंगना उतार के आंगन में फेंक देती हैं)
कैसी हठी ये ननदिया कंगने पे मचल गई
यह कंगना मेरे पीहर से आयो
बाबुल ने हीरा मोती जड़ायो
कैसे दे दूं मैं ये कंगना, कंगने पे मचल गई
सैंया हमारे लाख समझाए, ला दूंगा तोहे नया गड़ाए
दे दो मेरी रानी कंगना, कंगने पे मचल गई
कंगना उतार अंगनैया में फेंका
ले जा भैया की प्यारी कंगना, कंगने पर मचल गई
अब मत अइयो मोरे अंगना, कंगने पे मचल गई
कंगना पहन कर ननदी बोली,
जुग जुग जिए तेरो ललना, कंगने पे मचल गई
रोज-रोज आउ तेरे अंगना, कंगने पे मचल गई
3. सैंया की ऊंची अटरिया दैया मर गई मर गई
(अटरिया – अटारी , अट्टालिका) (ससुराल में आ कर बेचारी आफत में ही पड़ गई. बड़े घर की साफ़ सफाई में भी तो पूरी आफत है, रोटी पकाने में उंगलियाँ जली जा रही हैं, और कहीं बच्चा पैदा करना पड़ गया तब तो जान मुश्किल में पड़ जाएगी)
सैया की ऊंची अटरिया दैया मर गई मर गई
सास कहे बहू झाड़ू कर लो पोछा कर लो
पिया कहे मेरी रामकली की कमर लचक गई
सैया की ऊंची अटरिया दैया मर गई मर गई
सास कहे बहू रोटी कर लो पूरी कर लोगों
पिया कहे मेरी रामकली की उंगली जल गई
सास कहे बहू पिक्चर देखो सिनेमा देखो
पिया कहीं मेरी रामकली आवारा हो गई
सास कहे बहू क्रीम लगा लो पाउडर लगा लो
पिया कहे मेरी रामकली फैशन में पड़ गई
सैया की ऊंची अटरिया दैया मर गई मर गई
सास कहे बहू बेटा कर लो बेटी कर लो
पिया कहे मेरी रामकली आफत में पड़ गई
(पिया कहे मेरी रामकली की फिगर बिगड़ गई)
सैया की ऊंची अटरिया दैया मर गई मर गई
4. छम छम छनन अटारिया चढ़ गई,ले गोदी में राजकुमार
(लाल के होने की खुशी में सब खुश हैं. सास थाल बजाने की रस्म पूरी कर रही हैं और ननद सूरज की पूजा करने की. जेठानी पलंग बिछा रही हैं और उनका बेटा नवजात शिशु को खिला रहा है. सब को नेग दिया जाएगा)
छम छम छनन अटरिया चढ़ गई, ले गोदी में राजकुमार,
ले गोदी में राजकुमार, हां गोदी में राजकुमार,
छम छम छनन अटरिया चढ़ गई ले गोदी में राजकुमार।
सासू आवे थाल बजावे, नेग देवो जच्चा,
रंग महल में बजे बधाई, जिये तेरा बच्चा,
छमछम छनन –
नन्दी आवे सूरज पूजावे, नेग देवो जच्चा,
रंग महल में बजे बधाई, जिये तेरा बच्चा
छमछम छनन –
जिठनी आवे पलंग बिछावे, नेग देवो जच्चा,
रंग महल में बजे बधाई, जिये तेरा बच्चा,
छमछम छनन –
जेठूता आवे लल्ला खिलावे, नेग देवो जच्चा,
रंग महल में बजे बधाई, जिये तेरा बच्चा,
छम छम छनन अटरिया चढ़ गई, ले गोदी में राजकुमार
ले गोदी में राजकुमार ले गोदी में राजकुमार।
5. शुभ दिन हुए नन्दलाल ननदी, मेरे घर आना जरूर ननदी
(बेटा होने पर ननदी के घर बुलावा भेज रही हैं और साथ में बता रही हैं कि मेरे यहाँ मामूली सामान ले कर मत आना, सब कुछ बढ़िया से बढ़िया होना चाहिए. और आना भी दो दिन को ही)
शुभ दिन हुए नन्दलाल ननदी, मेरे घर आना जरूर ननदी।
झबले और टोपी ननदी, एक मत लइयो
मेरे यहाँ सूटो का रिवाज ननदी, मेरे घर आना जरूर ननदी।
शुभ घड़ी हुए नन्दलाल ननदी, मेरे घर आना जरूर ननदी।
रबर के खिलोने ननदी एक मत लइयो
मेरे यहाँ चांदी का रिवाज ननदी, मेरे घर आना जरूर ननदी।
फल और मिठाई ननदी एक मत लइयो,
मेरे यहाँ मेवे का रिवाज ननदी, मेरे घर आना जरूर ननदी।
मास मत अइयो, दो मास मत अइयो,
मेरे यहाँ दो दिन का रिवाज ननदी, मेरे घर आना जरूर ननदी।
बेटा मत लइयो अपनी बेटी मत लइयो
मेरे यहाँ अकेले का रिवाज ननदी, मेरे घर आना जरूर ननदी।
6. पहना जड़ाऊदार बेंदा, लालन के भये में
पहना जड़ाऊदार बेंदा, लालन के भये में,
मांगे नन्द रानी बेंदा लालन के भये में।
खबर सुनत ननदी दौड़ के आई,
हमका दिखा दो भतीजवा, लालन के भये में।
अचरा डार के ललनवा छिपायो,
हमरे भई ननदी बिटिया, लालन के भये में।
जाके ननदरानी भैया से उरझी,
भैया दिलाय देव बेंदा, लालन के भए में।
अंगना में ठाढ़े ससुर समझावे
दूसरो गढ़ाय देवे बेंदा लालन के भए में।
बेंदा उतार भाभी अंगना में फेंको,
ले जा भैया की प्यारी बेंदा, लालन के भए में।
बेंदा पहन ननदी भाभी से बोली,
जुग जुग जिये तेरो ललना, लालन के भए में।
7. ओंठ सोंठ के लड्डू मेरे मायके से आए
ओंठ सोंठ के लड्डू मेरे मायके से आए,दो लड्डू उस में मेरी सासुल ने चुराए,
सासुल से पूछी तो एक दम से न कर दी,चुपके चुपके सासुल ने ससुर जी को खिलाए।
ओंठ सोंठ के लड्डू मेरे मायके से आए,दो लड्डू उस में मेरी जिठनी ने चुराए,
जिठनी से पूछी तो एक दम से न कर दी,चुपके चुपके जिठनी ने जेठ जी को खिलाए।
ओंठ सोंठ के लड्डू मेरे मायके से आए,दो लड्डू उस में मेरी ननदी ने चुराए,
ननदी से पूछी तो एक दम से न कर दी,चुपके चुपके उस ने फिर ननदोई को खिलाए।
ओंठ सोंठ के लड्डू मेरे मायके से आए,दो लड्डू उस में से देवरानी ने चुराए,
उस से जो पूछी तो एक दम से न कर दी,चुपके चुपके उस ने फिर देवर जी को खिलाए।
इस गीत को इस प्रकार से भी गाया जाता है
सोंठ गरी के लड्डू मेरे मायके से आए रे।
उसमें से आधे मेरी सासू ने चुराए रे।
उन्हें कमरे अन्दर कर दो जी, लाहौरी ताला जड़ दो जी,
पुलिस दरोगा कर जी,थाने अन्दर कर दो जी।
सोंठ-गरी के लड्डू मेरे मायके से आए रे।
उसमें से आधे मेरी जिठनी ने चुराए रे।
उन्हें कमरे अन्दर कर दो जी,लाहौरी ताला जड़ दो जी,
पुलिस दरोगा करदो जी,थाने अन्दर कर दो जी।
सोंठ-गरी के लड्डू मेरे मायके से आए रे,
उसमें से आधे मेरी ननदी ने चुराए रे।
उन्हें कमरे अन्दर कर दो जी,लाहौरी ताला जड़ दो जी,
पुलिस दरोगा कर दो जी,थाने अन्दर कर दो जी।
सोंठ गरी के लड्डू मेरे मायके से आए रे।
अब एक और रंग में देखिए
गोंद सौंठ के लड्डू मेरे बाबुल के से आए जी, उनमें से दो लड्डू मेरी, सासुल ने चुराए जी
सासुल जी का हाथ पकड़ कर मेरे आगे लाओ जी, ससुरा जी तोरे पइयाँ लागूँ, मेरा न्याय चुकाओ जी
गोंद सौंठ के मेरे लड्डू सासुल ने क्यों खाए जी ॥
गोंद सौंठ के लड्डू —–
उनमें से दो लड्डू मेरी, ननदी ने चुराए जी, ननदी जी का हाथ पकड़ कर मेरे आगे लाओ जी।
नंदोई जी बिनती सुन लो, मेरा न्याय चुकाओ जी, गोंद सौंठ के मेरे लड्डू ननदी ने क्यों खाए जी ॥
गोंद सौंठ के लड्डू —–
उनमें से दो लड्डू मेरी, सौतन ने चुराए जी, सौतिनिया का हाथ पकड़ कर मेरे आगे लाओ जी।
राजा जी तुम अभी के अभी, मेरा न्याय चुकाओ जी, गोंद सौंठ के मेरे लड्डू सौतन ने क्यों खाए जी ॥
गोंद सौंठ के लड्डू –
8. आई मांगन की बेला, मांगो ननदी मेरी मांगो
आई मांगन की बेला, मांगो ननदी मेरी मांगो।
हाथी मत मांगो नन्दी द्वारे की शोभा,मांगो छोटी सी बकरिया, ननदी मेरी मांगो।
साड़ी मत मांगो नन्दी बक्से की शोभा,मांगो छोटी सी रूमलिया, ननदी मेरी मांगो।
थाली मंत मांगो मेरे चौके की शोभा,मांगो छोटी सी गिलसिया, नन्द मेरी मांगो।
हरवा मत मांगो मेरे गले की शोभा,मांगो छोटी सी अंगुठिया, नन्दी मेरी मांगो।
आई मांगन की बेला, मांगो ननदी मेरी मांगो।
9. वीरन घर बहन बधावा लाई
वीरन घर बहन बधावा लाई।
मोरी भाभी खोलो चंदन किवड़िया भतीजे के लिए मैं बधावा लाई।
मेरी बीबी ये तो बताओ,भतीजे के लिए तुम क्या 2 लाई।
मेरी भाभी रूपया मोहरे अशर्फी,जरी का कुर्ता टोपी लाई।
मेरी बीबी खिड़की से ही दे दो,अगर आओगी तो मांगोगी बिदाई|
मेरी भाभी ऐसे बोल मत बोलो,कहाँ गई मेरे बीरन की कमाई।
मेरी बीबी बाप की कमाई तुम ले गई बीरन ने एक कौड़ी न कमाई।
बीरन घर बहन बधावा लाई।
10. जच्चा जायो रे ललनवा कैसे सपरी
जच्चा जायो रे ललनवा कैसे सपरी,कैसे सपरी हो रामा कैसे सपरी।
जच्चा जायो रे ललनवा कैसे सपरी।
सासो आवे चरूआ चढ़ावे मांगे अपना नेग,
नेग की बेरा चाबी खो गई,पिया गये परदेश,
चाबी ले गये रे सजनवा,कैसे सपरी, जच्चा जायो रे ललनवा कैसे सपरी।
जिठनी आवे लड्डू बंधावे,मांगे अपना नेग,
नेग की बेरा चाबी खो गई,पिया गये परदेश,
चाबी ले गये रे सजनवा,कैसे सपरी,जच्चा जायो रे ललनवा कैसे सपरी।
11. और सुनो री जच्चा रानी के हाल चाल
और सुनो री जच्चा रानी के हाल चाल।
पलका पे पड़ी पड़ी करती विचार,
नाऊन और दाई बो अइहें जरूर,मोरे पैसा रूपया पै लूट मची रे,
जच्चा रानी के हाल ..
सासो ननदिया वे अईहैं जरूर,मोरे सोने और चांदी पै लूट मची रे,
जच्चा रानी के हाल ..
देवरानी जिठानी वे अइहै जरूर,मोरे मेवा और लड्डू पै लूट मची रे,
जच्चा रानी के हाल
रेशम के बटुआ सिवाये हैं चार,पकड़े हैं बिच्छू, ततैया, पटार,
उन्हें रेशम के बटुआ में देय हैं सिवाय,
खोल2 बटुआ जब देखन लागी, कोऊ हंसे कोऊ रोये चिल्लाय
जच्चा रानी के हाल ..
12. खटिया बैठी हैं सासू,तो जच्चा से अरज करें रे
खटिया बैठी हैं सासू,तो जच्चा से अरज करें रे।
ओ मेरी बहू,कौन कौन फल खाए,लाल बड़ा सुन्दर रे।
ओ मेरी सासू,खायो मैं दाख बदाम,और फल नरियल,छील छील खाईं नारंगी लाल भयो सुन्दर रे।
अँगना में बैठी हैं जिठनी,तो जच्चा से पूँछे रे।
छोटी कौन कियो व्रत नेम,लाल बड़ा सुन्दर रे।
भोरहिं गंगा नहाई,औ सूरज मनाए,ओ मेरी जिठनी,बामन को किया अन्नदान,ललन भयो सुन्दर रे।
बाहर से आई ननदिया, तो जच्चा से पूँछे रे।
भौजी, कौन छैलवा लुभाया, लाल बड़ा सुन्दर रे।
साँझहि पहर नहाई, उजाले में सोई, ओ मेरी ननदी, सपने में आये ननदोइ, लाल भए सुन्दर रे।
13. छपा दिया अखबार, लाल तेरे होने का
छपा दिया अखबार, लाल तेरे होने का।
सासू जो आयीं चरुआ चढ़ाने,
दिला दिया एक हार, लाल तेरे होने का।
जिठनी जो आयीं, पिपरी पिसाने,
दिया उन्हें घर-बार, लाल तेरे होने का।
ननदी जो आयीं काजल लगाने,
दिला दिया उन्हें प्यार, लाल तेरे होने का।
देवर जो आये बंसी बजाने,
दिला दिया एक कार, लाल तेरे होने का।
14. गोकुल में आये कन्हैया, बधैया बाज रही
गोकुल में आये कन्हैया, बधैया बाज रही।
नन्द बाबा जी मगन भये हैं, यशोदा लुटावैं रुपैया,
बधैया बाज रही।
ग्वाल-बाल सब देखन आये, गोपिन लेत बलैया,
बधैया बाज रही।
देव सभी फुलवा बरसायें, भोले करें ताता थैया,
बधैया बाज रही।
गोकुला में आये कन्हैया, बधैया बाज रही।
15. माली के घर बाग लगे हैं, बेला कली महकाय
माली के घर बाग लगे हैं, बेला कली महकाय।
सासो आवे चरुआ चढ़ावे, चरुआ चढ़ाय चली जाय,
चरुआ के गेहूं भीतर रखालो, नहीं तो सास ले जाएं,
थोड़ी से गेहूँ उनकी गोदी में डार दो खाली घर न जाएं
जिठनी आवे लड्डू चढ़ावे, लड्डू चढ़ाए चली जाए,
लड्डू की थाली भीतर रखा लो नहीं तो जिठनी ले जाएं,
छोटा सा लड्डू उनकी गोदी में डालो खाली घरे न जाएं
16. गोदी पै नजर जायेगी बार बार
गोदी पै नजर जायेगी बार बार।
मेरी सासो न आये मेरा क्या बिगड़ेगा-2
मेरी अम्मा से चरूआ रख जायेगा।
गोदी पै नजर जायेगी बार बार।
मेरी जिठनी न आये मेरा क्या बिगड़ेगा-2,
मेरा होटल से कारवार निकल जायेगा।
गोदी पै नजर जायेगी बार बार।
मेरी नन्दी न आये मेरा क्या बिगड़ेगा-2
मेरी बहिना से कार वार निकल जायेगा।
गोदी पै नजर जायेगी बार बार।
मेरे देवर न आये मेरा क्या बिगड़ेगा-2
मेरे भैया से कारवार निकल जायेगा।
गोदी पै नजर जायेगी बार बार।
17. अरे मैंने धिया न जन्मी जन्मों हैं नंदलाल
अरे मैंने धिया न जन्मी जन्मों हैं नंदलाल।
अरे मेरी दाई हठेली नार छूते ही झगड़ो ड़ालै।
अरे मेरो मैके को टकवा, सोई घर लै जईयो।
अरे मैंने धिया –
अरे मेरी सासु हठेली, चरुआ चढ़ाते ही नेग मांगे।
अरे मेरे मैके की हंसली सोई लैके जईयो।
अरे मैंने धिया –
अरे मेरी जिठनी हठेली, खटिया बिछाते ही झगड़ा डाले।
अरे मेरे मैके की साड़ी, घर लेके जईयो।
अरे मैंने धिया –
अरे मेरी छोटी देवरानी हठेली, विजना डुलाने ही झगड़ा डाले।
अरे मेरे मैके की चुंदरी, सबरे होते ही घर ले जईयो
अरे मैंने धिया –
अरे मेरी ननद हठेली काजल लगाते ही नेग मांगे।
अरे मेरो मैके को कंगना, वाय लैके घर को जईयो ।।
अरे मैंने धिया –
देवर आवै धनुष चलाते ही अपनो नेग मांगे।
अरे मेरे मैंके की घड़ियाँ, उन्हें तुम लैके जइयो।
अरे मैंने धिया –
अरे मेरो जेठ आवे नचनिया नचावै, नचाते ही झगड़ा डाले।
अरे मेरे मैको को सूट वाकौ अपने लिए सिलवईयो।
अरे मैंने धिया –
पण्डित आवै राशि गिनावे, गिनाते ही झगड़ा डालै।
अरे मेरे मैके की गईयें, सुबह होती ही घर लै जईयो ।
अरे मैंने धिया –
सखियाँ आवें सोहर गावें, गाते ही झगड़ा डालें,
अरे मेरे मैके के लड्डू, सब सखियाँ लेके जइयो।
अरे मैंने धिया –
18. तुम तो अटारी चढ जैहो, खरच पिया हम कर लैवे
तुम तो अटारी चढ जैहो, खरच पिया हम कर लैवे।
सासू जी आवे चरुआ चढ़ावे, चरुआ धराई नेग मांगे,
बहाना पिया हम कर लेंवे।
पोता तुम्हारा सासू हम भी तुम्हारे, लड़का तुम्हारो घर नइयाँ,
तिजोरी में ताला डलो।
जिठनी आवे लड्डू चढ़ावे, लड्डू चढ़ाई नेग मांगे,
बहाना पिया हम कर लेंवे।
लड़का तुम्हारा जिठनी हम भी तुम्हारे, देवरा तुम्हारे घर नइयाँ,
तिजोरी में ताला डलो।
नन्दी आवे काजल लगावे, काजल लगाईं नेग मांगे,
बहाना पिया हम कर लेंवे।
भतीजा तुम्हारा ननदी हम भी तुम्हारे, भैया तुम्हारे घर नाहीं,
तिजोरीमें ताला डलो।
19. बिना कंकड़िया के मारे इशारा कैसे हुआ मेरी जान
बिना कंकड़िया के मारे इशारा कैसे हुआ मेरी जान।
डिप्टी भी बैठे दरोगा भी बैठे,
बिना जज साहब के आये मुकदमा कैसे हुआ मेरी जान।
बिना कंकड़िया के मारे –
सासू भी आई जिठनी भी आई,
बिना नन्दी के आये ये झगड़ा कैसे हुआ मेरी जान।
बिना कंकड़िया के मारे –
तबला भी आया सारंगी भी आया,
बिना सखियों के आये ये मुजरा कैसे हुआ मेरी जान।
बिना कंकड़िया के मारे –
देवरा भी आये नन्दोई भी आये बिना बलमा के आये
ये लालन कैसे हुए मेरी जान।
20. पड़े बूंदिया भरे क्यारी, हमें जच्चा लगे प्यारी
पड़े बूंदिया भरे क्यारी, हमें जच्चा लगे प्यारी
जच्चा तेरी गोदी का लालन वो सासो देखने आई,
मैं सासों को न दिखाऊँगी, मुझे अम्मा लगे प्यारी,
पड़ें बुंदिया भरे क्यारी –
जच्चा तेरी गोदी का लालन वो जिठनी देखने आई,
मैं जिठनी को न दिखाऊँगी, मुझे भाभी लगे प्यारी,
पड़ें बुंदिया भरे क्यारी –
जच्चा तेरी गोदी का लालन वो ननदी देखने आई,
मैं ननदी को न दिखाऊँगी, मुझे बहना लगे प्यारी,
पड़ें बुंदिया भरे क्यारी –
21. आज हुइहैं मनमानी सुनो राजा
आज हुइहैं मनमानी सुनो राजा,
सासू न अइहै हमार का बिगड़ी, चरुए का नेग बच जइहै, हमार पिया,
तुम राजा उठ चूल्हा जलैवो, हम चरुआ धर लैवे, हमार पिया।
जिठनी न आवें हमार का बिगड़ी, पिपरी का नेग बच जइहै, हमार पिया,
तुम राजा उठ लोढ़ा ले आइयो, हम पिपरी पीस लेवे हमार पिया।
सखियाँ न आवें हमार का बिगड़ी, गीतों का नेग बच जइहै, हमार पिया,
तुम राजा ढोलक उठ ले अइयो हम मंगल गा लेवे हमार पिया।
आज हुइहै मनमानी सुनो राजा,
22. जच्चा मेरी चतुर सुजान, लाल जाए हरे हरे
जच्चा मेरी चतुर सुजान, लाल जाए हरे हरे, लाल जाए हीरी की कनी.
सासुल आए चरुआ चढ़ाए मांगे अपना नेग,
देना हो तो दो मेरी जच्चा, नाहीं लौट घर जाएँ,
लाल जाए हरे हरे –
जिठनी आवें पलंग बिछावें मांगे अपना नेग,
देना हो तो दो मेरी जच्चा, नाहीं लौट घर जाएँ,
लाल जाए हरे हरे –
नन्दी आएँ काजल लगाएँ मांगे अपना नेग,
देना हो तो दो मेरी जच्चा, नाहीं लौट घर जाएँ,
लाल जाए हरे हरे –
सखियाँ आएँ सोहर गाएँ मांगें अपना नेग,
देना हो तो दो मेरी जच्चा, नाहीं लौट घर जाएँ,
लाल जाए हरे हरे –
23. हम घर न थे ननद रानी आय गई
हम घर न थे ननद रानी आय गई।
हम घर होते तो मिर्चा मंगाते, मिर्चा के बीजों के लड्डू बनाते,
वही लड्डू नन्दी को खिलाते, हम घर नहीं थे ननद रानी आय गई।
हम घर होते तो केले मंगाते, केले के छिलकों का लहंगा सिलाते,
वही लंहगा नन्दी को पहनाते, हम घर नहीं थे ननद रानी आय गई।
हम घर होते तो बिच्छू मंगाते, बिच्छू के लहंगा मैं बूटा बनाते,
वही लंहगा नन्दी को पहनाते, हम घर नहीं थे ननद रानी आय गई।
हम घर होते तो सांप मंगाते, सांप का लंहगा में नारा डरवाते,
वही लहंगा नंदी को पहनाते, हम घर नहीं थे ननद रानी आय गई।
24. घर गुलजार है, लल्ले की बुआ आई हैं
घर गुलजार है, लल्ले की बुआ आई हैं,
लाल की बधाई, बधाई बुआ लाई हैं।
चाँद और तारों का खडुआ गढ़ाई हैं,
भैया से भतीजे, के पाँव पहनाई हैं।
घर गुलज़ार….
फूल और कलियों से कपड़ा कढ़ाई हैं,
लाल को झिंगोलिया औ टोपी पहनाई हैं।
घर गुलज़ार….
हरे हरे तोता चिरैया ले आई हैं,
लाल के पलनवा में खूब सजाई हैं।
घर गुलज़ार….
चाँदी कजरौटा कजरवा पराई हैं,
लालन की छठिया में अँखियाँ सजाई हैं।
घर गुलज़ार है, लल्ले की बुआ आई हैं॥
25. कन्हैया जी के कजरा लगाऊँ नहीं भौजी
कन्हैया जी के कजरा लगाऊँ नहीं भौजी
ये कजरा बड़े मान मनौती
नेग पहले लूँगी सुनो मेरी भौजी।
हाथ के कंगना और नाक की झुलनी
कमर करधनी लूँगी मेरी भौजी।
कन्हैया जी के कजरा –
नाहीं नुकुर जो करियो तो सुन लो
काजल ना लगाऊँगी सुनो मेरी भौजी।
कन्हैया जी के कजरा –
इतने वचन सुन भौजी हंसन लगीं,
पहनाय दिया कंगना औ कहें सुनो ननदी।
अगले बरस जब होवे जनमदिन,
करधनी औ झुलनी पहनाय देंय ननदी।
कन्हैया जी के कजरा लगाए दो ननदी॥
26. जच्चा हमारी कमाल, लगें फुलगेंदवा
जच्चा हमारी कमाल, लगें फुलगेंदवा
खाय मोटानी हैं चलि नहिं पावें,
फूले हैं दोनों गाल, लगें फुलगेंदवा।
पांव है सिरकी पेट है गठरी
लुढ़कें जैसे फुटबाल, लगें फुलगेंदवा।
भाव दिखावें कि अम्मा बनी हैं
ठोकें रह रह ताल, लगें फुलगेंदवा।
भोर भए नित नखरा दिखावें
रात भर रोया है लाल, लगें फुलगेंदवा।
जच्चा हमारी कमाल, लगें फुलगेंदवा॥
27. एहसान मेरे दिल पर तुम्हारा है साजना
एहसान मेरे दिल पर तुम्हारा है साजना
जो तुमने दिया गोद खिलाने को लालना
सासू हमारी आयेगीं मतलब के वास्ते
मम्मी भी दौड़ी आएगी चरुवे के वास्ते
दोनों को नेग देना न मन को घटाना
जो तुमने दिया गोद खिलाने को लालना
एहसान मेरे दिल पर तुम्हारा है साजना
जो तुमने दिया गोद खिलाने को लालना
जिठनी हमारी आयेगीं मतलब के वास्ते
भाभी भी दौड़ी आएगी पिपरी के वास्ते
दोनों को नेग देना न तुम दिल को दुखाना
जो तुमने दिया गोद खिलाने को लालना
एहसान मेरे दिल पर तुम्हारा है साजना
जो तुमने दिया गोद खिलाने को लालना
ननदी हमारी आयेगीं मतलब के वास्ते
बहना भी दौड़ी आएगी छठी के वास्ते
दोनों को नेग देना न तुम दिल को दुखाना
जो तुमने दिया गोद खिलाने को लालना
एहसान मेरे दिल पर तुम्हारा है साजना
जो तुमने दिया गोद खिलाने को लालना
देवर हमारे आयेगें मतलब के वास्ते
भईया भी दौड़े आएगें वंशी के वास्ते
दोनों को नेग देना न दिल को दुखाना
जो तुमने दिया गोद खिलाने को लालना
एहसान मेरे दिल पर तुम्हारा है साजना
जो तुमने दिया गोद खिलाने को लालना
28. क्या किए गोरी गगरिया के मोती
क्या किए गोरी गगरिया के मोती,
क्या किए गोरी गगरिया के मोती
एक सेर मोती मैंने सासू को दीन्हें,
लालन के चरुआ चढाई, गगरिया के मोती
क्या किए गोरी गगरिया के मोती-२
एक सेर मोती मैंने जिठनी को दीन्हें,
लालन की पिपरी पिसाई, गगरिया के मोती
क्या किए गोरी गगरिया के मोती-२
एक सेर मोती मैंने ननदी को दीन्हें,
लालन की छठी लिखाई, गगरिया के मोती
क्या किए गोरी गगरिया के मोती-२
एक सेर मोती मैंने देवर को दीन्हें,
लालन की वंशी बजाई, गगरिया के मोती
29. जच्चा तो मेरी भोली-भाली है रे
जच्चा तो मेरी भोली-भाली है रे, जच्चा मेरी कुछ भी न जाने रे
मन भर तो लड्डू खा जावे, दो मन पक्के पेड़े,
जच्चा तो मेरी, खाना न जाने रे ॥ जच्चा तो मेरी —
सास-ननद की चुटिया उखाड़े, आई गई का लहँगा फाड़े
जच्चा तो मेरी, लड़ना न जाने रे ॥ जच्चा तो मेरी —
ससुर –जेठ की मूछैं उखाड़ै, आए- गए का खेस उतारै
के जच्चा मेरी लड़ना ना जाने री, जच्चा मेरी भोली –भाली री
साँप मार सिरहाने रक्खे, बिच्छू मार बगल में
जच्चा तो मेरी, मच्छर से डर जावे रे॥ जच्चा तो मेरी —
जच्चा मेरी भोली –भाली री, के जच्चा मेरी लड़ना ना जाने री
30. मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो,
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।
सासू की जगह मेरी अम्मा को बुला दियो,
सासू का नेग मेरी अम्मा को दिला दियो
बक्से की चाबी मेरी चोटी मैं लटका दियो,
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।
ननद की जगह मेरी बहना को बुला दियो,
ननद का नेग मेरी बहना को दिला दियो
बक्से की चाबी मेरी चोटी मैं लटका दियो,
मैं याणी-स्याणी मेरा घर न लुटा दियो ।
31. हमको तो पीर आवे, ननदी हँसती डोले
हमको तो पीर आवे, ननदी हँसती डोले।
बाहर से राजा आए अरज सुनो मेरी,
ननदी बिदा करो, अब ही बिदा करो ॥
हमको तो —
झूमर घड़न गया, टीका घड़न गया, गंगा उफान पे है, कैसे बिदा करौं।
झूमर मैं अपना दूँगी, टीका जिठानी देंगी,
गंगा में नाव उतारो, ऐसे बिदा करो ॥
हमको तो ——-
हरवा घड़न गया, झाले घड़न गए, गंगा उफान पे है, कैसे बिदा करौं।
हरवा मैं अपना दूँगी, झाले द्योरानी देगी,
मल्लाह को हाल बुलाओ, ऐसे बिदा करो ॥
हमको तो –
32. पलँग पर अब ना चढ़ूँगी मेरे राजा
पलँग पर अब ना चढ़ूँगी मेरे राजा।
सो राजा मेरे पहली पीर जब आई, सास मैंने जाय जगाई मेरे राजा ।
सो राजा मेरे सुन के भी करवट बदल गई,
सास बेदर्दिन हुई जी मेरे राजा॥
पलँग पर ——–
सो राजा मेरे दूजी पीर जब आई, जिठानी मैंने जाय जगाई मेरे राजा ।
सो राजा मेरे सुन के भी करवट बदल गई,
जिठानी बेदर्दिन हुई जी महाराजा ॥
पलँग पर ——–
सो राजा मेरे तीजी पीर जब आई, द्योरानी मैंने जाय जगाई मेरे राजा।
सो राजा मेरे सुन के भी करवट बदल गई,
द्योरानी बेदर्दिन हुई जी मेरे राजा॥
पलँग पर —
सो राजा मेरे चौथी पीर जब आई, ननद मैंने जाय जगाई महाराजा।
सो राजा मेरे सुन के भी करवट बदल गई,
ननद बेदर्दिन हुई जी महाराजा ॥
पलँग पर —
सो राजा मेरे पँचई पीर जब आई, आप मैंने जाय जगाए मेरे राजा ।
सो राजा मेरे सुनते ही ठाड़े हो गए, दाई को झट लेने गए जी मेरे राजा॥
पलँग पर —
सो राजा मेरे भोर भई पौ फाटी, होरिल हम उर धरे जी मेरे राजा।
सो राजा मेरे भूल गई सारी बतियाँ, पलँग पर फिर से चढ़ूँगी महाराजा। “होरिल – नवजात शिशु”
33. जच्चा की चटोरी जीभ जलेबी मंगवा दो ना
जच्चा की चटोरी जीभ जलेबी मंगवा दो ना
उसकी सासू को गिरवी रख दो ससुरे को चढ़ा दो ब्याज
जलेबी मंगवा दो ना
उसकी जिठानी को गिरवी रख दो जेठै को चढ़ा दो ब्याज
जलेबी मंगवा दो ना
उसकी देवरानी को गिरवी रख दो देवर को चढ़ा दो ब्याज
जलेबी मंगवा दो ना
उसकी ननद को गिरवी रख दो ननदोइ को चढ़ा दो ब्याज
जलेबी मंगवा दो ना
जच्चा की चटोरी जीभ जलेबी मंगवा दो ना
34. कर्फ़्यू ऑडर लागा है, गोरी मानो कहना
कर्फ़्यू ऑडर लागा है, गोरी मानो कहना-२
सासू बुलाने मैं न जाऊं पकड़ा जाऊँगा, चरुआ हमीं से चढवा लो, गोरी मानो कहना
कर्फ़्यू ऑडर लागा है, गोरी मानो कहना-२
भाभी बुलाने मैं न जाऊं पकड़ा जाऊँगा, पिपरी हमीं से पिसवा लो, गोरी मानो कहना
कर्फ़्यू ऑडर लागा है, गोरी मानो कहना-२
साली बुलाने मैं न जाऊं पकड़ा जाऊँगा, छठी हमीं से लिखवा लो, गोरी मानो कहना
कर्फ़्यू ऑडर लागा है, गोरी मानो कहना-२
साला बुलाने मैं न जाऊं पकड़ा जाऊँगा, वंशी हमीं से बजवा लो, गोरी मानो कहना
35. श्याम झुलें पलना ओ सजनी
श्याम झुलें पलना ओ सजनी।
सासुल आवे चरुआ चढ़ावे, जिठनी आवे कमर दबावे, देवरानी आवे पंखा डुलावे, देवर आवे बाहर निकाले,
माँगें नेग अपना ओ सजनी ॥ श्याम झुलें पलना …….
लल्ला ऊपर लल्ला जाऊँ तब लल्ला की छठी कराऊँ
जब लल्ला की आए सगाई तब लल्ला का ब्याह रचाऊँ
बहुवर आवे रुनझुन करती डोले मेरे अँगना
पलका बैठी पान चबाऊं, मूढ़ा बैठी हुकुम चलाऊं
तब ही देऊँगी सबका नेग ओ सजनी ॥
ननदी आवे सतिए धरावे, सखियाँ आवें मंगल गावें, पंडित आवे नाम धरावे, दाई आवे ललन जनावे,
माँगें नेग अपना ओ सजनी ॥
लल्ला ऊपर लल्ला जाऊँ तब लल्ला की छठी कराऊँ
जब लल्ला की आए सगाई तब लल्ला का ब्याह रचाऊँ
बहुवर आवे रुनझुन करती डोले मेरे अँगना
पलका बैठी पान चबाऊं, मूढ़ा बैठी हुकुम चलाऊं
तब ही देऊँगी सबका नेग ओ सजनी ॥
श्याम झुलें पलना ओ सजनी ।
36. सौंठ के लड्डू चरपरे हैं, सौंठ के लड्डू —-
सौंठ के लड्डू चरपरे हैं, सौंठ के लड्डू —-
अँगना में ठाड़ी सास यों बोलीं, बहू एक हमें भी देना,
सौंठ के लड्डू, सौंठ के लड्डू
ये लड्डू मेरे पीहर से आए, ये लड्डू मेरी माँ ने बनाए
पसेरी भर इनमें घी जो पड़ा है, सेर भर इसमें गौंद पड़ा है
गरी के गोले नौ पड़े हैं, बादाम और पिस्ते नौ सौ पड़े हैं
छुहारे किशमिश भी तो पड़े हैं, सौंठ के लड्डू चरपरे हैं, सौंठ के लड्डू
आधा तोड़त मेरी उँगली दूखे, , पूरा दिया न जाय,
सौंठ के लड्डू, सौंठ के लड्डू ॥ (इसी तरह सबके नाम -)
37. कमर पीर होए राजा अब ना बचूँगी
कमर पीर होए राजा अब ना बचूँगी, होरिल पीर होए राजा अब ना बचूँगी । (होरिल – नवजात शिशु)
बुलाओ सासुल को बुलाओ सासुल को,
मैं बेटा उनको सौंप दूँगी अब ना बचूँगी ॥
कमर पीर —-
बुलाओ जिठ्नी को बुलाओ जिठ्नी को,
मैं बच्चे उनको सौंप दूँगी अब ना बचूँगी ॥
कमर पीर —
बुलाओ द्योरानी बुलाओ द्योरानी,
मैं चूल्हा-चक्की सौंप दूँगी अब ना बचूँगी ॥
कमर पीर —-
बुलाओ ननदी को बुलाओ ननदी को,
मैं ताला-चाबी सौंप दूँगी अब ना बचूँगी ॥
कमर पीर –
ब्रह्म महूरत में जन्मे नन्द्लाला, कमर पीर ठीक हुई अब ना मरूँगी ।
बुलाओ सासुल को बुलाओ सासुल को,
मैं बेटा उनसे वापस लूँगी अब ना मरूँगी ॥
कसम खाओ सासू कसम खाओ सासू,
तुमने चुगली कजिए ना करे थे अब न मरूंगी.
कमर पीर ठीक –
बुलाओ जिठ्नी को बुलाओ जिठ्नी को,
मैं बच्चे उनसे वापस लूँगी अब ना मरूँगी ।
कसम खा जा जिठ्नी, कसम खा जा जिठ्नी,
तूने मारा-पीटी ना करी थी अब ना मरूँगी ॥
कमर पीर ठीक —–
बुलाओ द्योरानी बुलाओ द्योरानी,
मैं चूल्हा-चक्की वापस लूँगी अब ना मरूँगी ।
कसम खा द्योरानी, कसम खा द्योरानी,
तूने तोड़ा-फ़ोड़ी ना करी थी अब ना मरूँगी ॥
कमर पीर ठीक —
बुलाओ ननदी को बुलाओ ननदी को,
मैं ताला-चाबी वापस लूँगी अब ना मरूँगी ।
कसम खा जा ननदी, कसम खा जा ननदी,
तूने चोरी-चाटी ना करी थी अब ना मरूँगी ॥
कमर पीर ठीक —
38. कोई माँगे कढ़ाई न दे, हमारा मन हलुए
कोई माँगे कढ़ाई न दे, हमारा मन हलुए, हमारा मन हलुए पे ।
जैसे रे तैसे कढ़ाई लाई, द्योरानी आटा न दे
हमारा मन हलुए, हमारा मन हलुए पे ।
चुनरी दे द्योरानी मनाई, जिठनी बूरा न दे
हमारा मन हलुए, हमारा मन हलुए पे ।
लहँगा दे जेठानी मनाई, सासू जी मेवा न दें
हमारा मन हलुए, हमारा मन हलुए पे ।
हाथ पैर दाब सासू जी मनाईं, राजा खाने न दें
हमारा मन हलुए, हमारा मन हलुए पे ।
लल्लो-चप्पो कर मैंने राजा मनाए, होरिलवा पचने न दे
हमारा मन हलुए, हमारा मन हलुए पे ।
39. मेरी जच्चा ने जाये श्री कृष्ण जी
मेरी जच्चा ने जाये श्री कृष्ण जी ।
जच्चा दाई तुम्हारी यहाँ आयेंगी, उनको ललना जनाई-नेग क्या दे दूँ जी
दे दो तुलसी की माला उन्हें हाथ में,
कहना भज कृष्ण भज कृष्ण भज कृष्ण जी ॥
मेरी जच्चा —-
जच्चा सासुल तुम्हारी यहाँ आयेंगी, उनको चरुआ-चढाई नेग क्या दे दूँ जी
दे दो तुलसी की माला उन्हें हाथ में,
कहना भज कृष्ण भज कृष्ण भज कृष्ण जी ॥
मेरी जच्चा —
इसी तरह
जिठनी –पलका-बिछाई
द्योरानी — पंखा-डुलाई
नंदुल — सतिया-धराई
देवर -तीर-सजाई
पंडित – नाम-धराई
सखियाँ –मंगल-गवाई
40. बोले न चाले मिज़ाज करे, ऐसी जच्चा से कैसे कोई प्यार करे
बोले न चाले मिज़ाज करे, ऐसी जच्चा से कैसे कोई प्यार करे
टीका लै के आऊँ तो सिर न धरे, झुमका लै के आऊँ तो कान न धरे
नथनी को पूँछू तो इनकार करे, ऐसी जच्चा से कैसे कोई प्यार करे।
बोले न चाले –
लहँगा लै के आऊँ तो अंग न धरे, चोली लै के आऊँ तो अंग न धरे
चुनरी को पूँछू तो इनकार करे, ऐसी जच्चा से कैसे कोई प्यार करे।
बोले न चाले –
रबड़ी लै के आऊँ तो परे कर दे, लैमन लै के आऊँ तो परे कर दे
हरीरा को जो को पूँछू तो इनकार करे, ऐसी जच्चा से कैसे कोई प्यार करे।
बोले न चाले –
41. उठी मेरे राजा कमर में पीर उठी
उठी मेरे राजा कमर में पीर उठी।
कहो तो रानी तेरी सासू को बुला दूँ, नहीं मेरे राजा, सासू का काम नहीं।
कहो तो रानी तेरी अम्मा को बुला दूँ,
कही मेरे राजा, मन की सी बात कही ॥
उठी मेरे राजा –
(इसी प्रकार जिठानी-भाभी, ननद-बहन, देवर-भाई के लिए)
42. द्वारे पे डाल लीनी खटिया, हाय रामा
द्वारे पे डाल लीनी खटिया, हाय रामा।
लड़की हुई की सुनी जब ससुर ने,हाथ में से छूट गई लठिया,हाय रामा ॥
द्वारे पे —-
लड़की हुई की सुनी जब जेठ ने, हाथ में से छूट गई गठरिया, हाय रामा ॥
द्वारे पे —-
लड़की हुई की सुनी जब देवर ने, हाथ में से छूट गई बंसिया, हाय रामा ॥
द्वारे पे —-
लड़की हुई की सुनी जब ननद ने, हाथ में से छूट गई गुड़िया, हाय रामा ॥
द्वारे पे —-
लड़की हुई की सुनी जब बलम ने, हेठ से टूट गई खटिया, हाय रामा ॥
द्वारे पे –
43. माँगे ननद रानी कँगना, ललन के हुए का
माँगे ननद रानी कँगना, ललन के हुए का।
जब लालन की छठी कराऊँ, दूँगी ननद रानी कँगना, ललन के हुए का।
जब लालन की छठी कराई, फिर माँगे ननदी कँगना, ललन के हुए का।
जब लालन का होगा जनेऊ, दूँगी ननद रानी कँगना, ललन के हुए का।
जब लालन का हुआ जनेऊ, फिर माँगे ननदी कँगना, ललन के हुए का।
जब लालन की आवे सगाई, दूँगी ननद रानी कँगना, ललन के हुए का।
जब लालन का आई सगाई, फिर माँगे ननदी कँगना, ललन के हुए का।
जब लालन का ब्याह रचाऊँ, दूँगी ननद रानी कँगना, ललन के हुए का।
जब लालन का ब्याह हो गया, फिर माँगे ननदी कँगना, ललन के हुए का।
जब लालन का गौना आवे, दूँगी ननद रानी कँगना, ललन के हुए का।
जब लालन का गौना आया, फिर माँगे ननदी कँगना, ललन के हुए का।
जब लालन का लल्ला होवे, दूँगी ननद रानी कँगना, ललन के हुए का।
माँगे ननद रानी कँगना, ललन के हुए का।
44. ललना जनी हैं रे जच्चा रे जच्चा, तो खुशियाँ मनावो रे
ललना जनी हैं रे जच्चा रे जच्चा, तो खुशियाँ मनावो रे
बोलो नगर के पंडित बेगि चले आवें, तुरत चले आवें रे,
के बालक को नाम धरावें, पतरी बनावें और बाँच सुनावें रे।
बाबा याके राजों के राजा, तो दादी महारानी कहावे रे,
के बालक अति शुभ लागै, नाम कमावै, सभी के मन भावै रे।
नानी याकी नटनी की जाई तो नटनी कहावे रे
के माँ याकी डोम के जनमी, तो डोमनी कहावे रे।
या सुन रिसाय गईं जच्चा, बहुतहि खफा भईं रे,
के जड़ लईं किवड़ियाँ, ललन लै के लै के पौडीं खफा होके पौडीं रे।
बाहिर से आए राजा, धना को पुकारें, धना को मनावें रे,
खोल देओ चँदन किवार, ललन मुख देखौं, नयन सुख पावें रे।
मैं डोम की जाई, डोमिनिया कहाई, नटनिया कहाई रे,
मोर डोमिनिया के लाल, नटिनिया के लाल, केहु न दिखावे रे।
जो तुम डोम की जाईं, नटनिया की जाई, नटनिया कहाईं रे,
मोर रजबंसी के लाल तौ कुँवर कहावै, तौ सबहिं दिखा दे रे।
45. होलर का बाबा यूँ कहे
होलर का बाबा यूँ कहे, तुम खरचो दाम बहुतेरे
होलर की दादी यूँ कहे,
होलर क्या हुण्डी लाया,
सिर से सरफुल्ला आया,
पैरों से नंगा आया,
हाथों की मुट्ठी भींच के,
सिर पे झण्डूले लाया।
होलर का ताऊ यूँ कहे, तुम खरचो दाम बहुतेरे
होलर की ताई यूँ कहे,
होलर क्या हुण्डी लाया,
सिर से सरफुल्ला आया,
पैरों से नंगा आया,
हाथों की मुट्ठी भींच के,
सिर पे झण्डूले लाया ।
(होलर – नवजात शिशु, सरफुल्ला – नंगे सिर, झंडूले – जन्म के समय बच्चे के सिर के बाल)
46. आई है फूलों की बहार, बधाई होवे
आई है फूलों की बहार, बधाई होवे
पहली बधाई लाल के, बाबा को होवे
दादी न गाए मंगलाचार, बधाई होवे
आई है फूलों…
दुजी बधाई लाल के, ताऊ को होवे
ताई ने गाए मंगलाचार, बधाई होवे
आई है फूलों…
तीजी बधाई लाल के, चाचा को होवे
चाची ने गाए मंगलाचार, बधाई होवे
आई है फूलों…
चौथी बधाई लाल के, फूफा को होवे
बुआ ने सतिए लगाए बधाई होवे
आई है फूलों…
पाँचवीं बधाई लाल के, नाना को होवे
नानी ने भेजो छुछक आज, बधाई होवे
आई है फूलों…
छटी बधाई लाल के, मामा को होवे
मामी ने गाए मंगलाचार, बधाई होवे
आई है फूलों…
सातवीं बधाई लाल के, बाबुल को होवे
आँगन में छाई खुशियाँ आज, बधाई होवे
आई है फूलों की बहार, बधाई होवे
47. लाल के बधाए जड़ाऊ बेंदा लेऊँगी
लाल के बधाए जड़ाऊ बेंदा लेऊँगी,
जो भए लाल, मैं बेंदा बेसर लेऊँगी।
साँझ बेहाल गई, आधी रात लाल हुए,
शोर न मचाओ राजा ननदी सुन लेंगी,
बेंदा ले लेवेगी, वो बेसर ले लेंगी ॥
लाल के बधाए —-
ननदी ने खबर पाई, नाचत कूदत आय गईं,
दे दो बधाई भौजी पूरी मेरी आस भई,
अब तो बेंदा लेऊँगी मैं अब तो बेसर लेऊँगी ॥
लाल के बधाए —-
अँचरा की ओट भाभी लालन छिपाय लियो,
मेरे तो बेटी भई बेंदा कैसे लेओगी,
मेरे तो बेटी भई बेसर कैसे लेओगी ॥
लाल के बधाए —-
भैया ने आँख मारी बहना ने समझ लई,
बेंदा नहीं लेऊँ भाभी बिटिया देख लेऊँगी,
बेसर नहीं लेऊँ भाभी बिटिया गोद लेऊँगी ॥
लाल के बधाए —-
अँगना में ठाड़ी सास समझावें,
दे दे बहू बेंदा मैं और बनवा दूँगी,
दे दे बहू बेसर मैं और बनवा दूँगी ॥
लाल के बधाए —-
बेंदा उतार जच्चा अँगना में फेंक दियो,
बेसर उतार जच्चा अँगना में फेंक दियो,
ले जा मेरी सौत तुझे फिर न बुलाऊँगी ॥
लाल के बधाए —-
बेंदा उठाय ननदी भाभी को पहराय दियो,
भाभी को सुहाग और लाल अमर रहियो,
अपने से आऊँगी मैं बिना बुलाई आऊँगी ॥
लाल के बधाए –
48. खड़ी-खड़ी ठेंगा दिखाऊँ, ननद कँगना माँगे जी
खड़ी-खड़ी ठेंगा दिखाऊँ, ननद कँगना माँगे जी
हमने तो जाए नंदलाला, ननद कँगना माँगे जी
बाहर से आए ससुर तो बहू भीतर को चलीं
दे दो बहूरानी कँगना मैं और गढ़वाय दूँ जी ॥
बाहर से आए बलम तो धना पलका पे पड़ीं
दे दो धना रानी कँगना मैं चार गढ़वाय दूँ जी ॥
नौ महीने हमने कोख पाली और प्रसव की पीड़ा सही,
कँगना माँगे ननदिया, कहो जी कोई बात हुई ॥
कँगना दोगी ननद को तो वह खुश हो के कहे
भाभी चिर जीवे तेरा नंदलाला और अमर सुहाग रहे ॥
पेच खोल कँगना जो फेंका आँगन झनकार उठा
अरे ले जा बिजुलिया कँगना के अब मत आना रे ॥
अब की गई मैं छठिन में आऊँगी फिर आऊँ लल्ला के मुंडन में
फिर आऊँ लल्ला के ब्याह में फिर नहीं आऊँ रे ॥
(धना – पत्नी, पलका – पलंग)
49. देखो ननद भवज कोठे चढ़ गईं और आपस में रहीं बतलाय
देखो ननद भवज कोठे चढ़ गईं और आपस में रहीं बतलाय
भाभी जो तेरे होंय नंदलाला, तो हमे भला क्या दोगी,
बीबी जो मेरे होय नंदलाला,
तुम्हें दूँगी गले का हार और दूँगी तिलड़ गढ़वाय
देखो ननद गई घर अपने और यहाँ भये नंदलाल,
राजा हौले-हौले बंसरी बजाना, राजा धीरे-धीरे बंसरी बजाना
कहीं सुनकर ननदिया न आ जाए,
लो इतने में आ गई ननदिया, और माँगे अपना नेग
बीबी कैसी होती है तिलड़ी और कैसा गले का हार
देखो ललन झूल रहे पलना, वो तो ले गई ननदिया उठाय,
राजा हल्की गढ़ा लाओ तिलडी और हल्का गले का हार
मुझे घर अँगना न सुहाय,
बीबी दे जा भतीजा दे जा और ले जा अपना नेग,
वह तो पहन नेग हुई ठाड़ी, और मुड़-मुड़ देत आशीष,
चिर जीवे तेरा नंदलाला, मेरी भाभी का अचल सुहाग,
पाँव छूते में तोड़ ली तिलड़ी, गले मिलते में तोड़ लिया हार,
घर सास-ननद पूछे बतियाँ, तेरी भाभी ने जाए नंदलाला,
बहू क्या कुछ लाई नेग,
पाँव छूते में तोड़ ली तिलड़ी, गले मिलते में तोड़ लिया हार,
वो तो ओछे घरों की है नार, मैं तो धोती छुड़ाय घर आई,
50. मचल रही आज महलों में दाई
मचल रही आज महलों में दाई, अकड़ रही आज महलों में दाई
थाल भर मोती कौशल्या ने मँगाए, दाई ने दिए ठुकराय,
मचल रही आज —-
पिटरा भर जेवर कैकेयी ने मँगाए, दाई ने दिए ठुकराय,
मचल रही आज —-
थैली भर रतन सुमित्रा ने मँगाए, दाई ने दिए ठुकराय,
मचल रही आज —-
हाथ जोड़ राजा दशरथ ठाड़े, छेओ कुँवरों की नार,
मचल रही आज —-
कुँवरों की नार तभी छेऊँगी, लूँ आधा अयोध्या का राज,
मचल रही आज महलों में दाई, अकड़ रही आज महलों में दाई