एक बार एक जाट गंगा नहाने गया तो एक पंडे ने उसे घेर लिया. उसने हाथ में गंगाजल ले कर कुछ उलटे सीधे मन्त्र पढ़े, जाट को गंगा जी की रेत से तिलक लगाया और बोला ध्यान से सुन, बामन का वचन है, तू इस गंगाजी की रेत को चंदन मान और जल्दी से इस बामन को गऊ दान कर दे. जाट उस से ज्यादा चतुर था. उस ने एक मेंढकी पकड़ी और पंडे से कहा, गंगा जी कै घाट पर जाट वचन परमान, गंगा जी की मेंढकी तू गऊ कर के जान (जाट के वचन को प्रमाण मानो और गंगा जी की मेंढकी को गऊ मान कर ग्रहण करो). कोई धूर्त व्यक्ति अपनी धूर्तता द्वारा किसी को ठगने का प्रयास कर रहा हो तो वह यह कहावत सुना कर बताता है कि मैं तुम्हारी बातों में आने वाला नहीं हूँ.
गंगा जी के घाट पर बामन वचन प्रमान, गंगा जी को रेत को तू चंदन कर के मान
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